Open letter to the Ministry of Labor and Employment for eradication of Child Labor from Art Activist-Writer Rishabh Shukla# Swapnil Saundarya

 

 Swapnil Saundarya Ezine

Vol-09, Year-2021

बाल श्रम उन्मूलन हेतु श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के नाम खुला पत्र 

Published by:

‘The Bold Brigade’, a collective to celebrate the Inclusive Power of Arts.



दिनाँक: 12 जून 2021

सेवा में,
माननीय संतोष गंगवार जी (Sh. Santosh  Gangwar)
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय
भारत 

विषय: बाल श्रम उन्मूलन से सम्बंधित मूलभूत बिंदुओं के क्रियान्वयन के संदर्भ में ।

महोदय, 
संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित सतत विकास लक्ष्य के तहत वर्ष 2025 तक बाल मजदूरी को पूरी तरह से खत्म करने का संकल्प लिया गया है लेकिन पूरी दुनिया में बालश्रम के आंकड़ों में निरंतर बढ़ोत्तरी हो रही है और यह स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। UNICEF के अनुसार दुनिया भर के कुल बाल मजदूरों में 12 प्रतिशत की हिस्सेदारी अकेले भारत की है। बच्चों को जबरन श्रम में धकेला जा रहा है, मादक पदार्थों की तस्करी और वेश्यावृत्ति जैसी अवैध गतिविधियों के लिए उन्हें मजबूर कर देश के भविष्य को विषाक्त व अंधकारमय बनाया जा रहा है। प्रत्येक वर्ष वैश्विक स्तर पर 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है। अनेकों जागरुकता कार्यक्रम, नीतियों, योजनाओं के बावजूद स्थिति में अपेक्षित सुधार दिखाई नहीं दे रहा, इससे हम सभी वाक़िफ़ हैं। यहां अपनी युवा सोच, समझ व अनुभव के आधार पर कुछ मूलभूत बिंदुओं को इस खुले पत्र के माध्यम से आपके साथ साझा कर रहा हूँ ।

- लॉकडाउन के उपरांत श्रमिकों के काम पर लौटने के साथ-साथ कहीं बाल श्रमिक भी किसी कार्य में नियोजन के लिए प्रस्थान ना कर लें। अतः संबंधित विभागों जैसे पुलिस, चाइल्ड लाईन, जिला प्रशासन, बाल कल्याण समितियां आदि के समन्वय एवं सहयोग से बाल श्रमिकों का नियोजन एवं पलायन दोनों को सख्ती से रोका जाए।

- विगत समय में भारत सरकार व राज्य सरकारों की इस दिशा में पहल सराहनीय तो हैं लेकिन बाल श्रम रोकने के लिए शुरू किए गए प्रयासों में और तेजी लाने की जरूरत है। कई जगहों पर ऐसे खतरनाक कार्यो में बच्चों का शोषण हो रहा है जहां बच्चों के किशोरावस्था में प्रवेश करने से पूर्व ही उनमें कई शारीरिक दुर्बलताएं पैदा हो रही हैं।

- 'बाल श्रम गरीबी नहीं, बल्कि गरीबों के शोषण की देन है', 'बाल श्रम गरीबी को कम नहीं करता बल्कि गरीबी और बढ़ाता है', 'बाल श्रम रोजगार नहीं देता, वयस्कों की बेरोजगारी बढ़ाता है', 'बाल श्रम नियोजकों की दया नहीं, सस्ता श्रम और शोषण की देन है', 'बाल श्रम रोकना केवल श्रम विभाग का ही कार्य नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज का दायित्व भी है।'

- समय समय पर विभिन्न बस्तियों, ग्रामीण इलाकों, शहरों में लोगों को उपरोक्त महत्वपूर्ण तथ्यों व् बाल श्रम के दुष्परिणामों से अवगत कराने व जागरुकता कार्यशालाओं का आयोजन किया जाना आवश्यक है। सुलभ सरल भाषा में आई.ई.सी मटीरियल्स का वितरण, वृत्तचित्र, भित्ति चित्रों के द्वारा प्रचार जनजागरण में सहायक सिद्ध होंगे।

- संचार माध्यमों, संगोष्ठियों, पोस्टर प्रदर्शनियों के माध्यम से बाल श्रम से सम्बंधित कानूनों का प्रचार- प्रसार किया जाए।

- बाल श्रम कराने के लिए अपना भवन उपलब्ध कराने वाले मकान मालिक के विरूद्ध कार्यवाही कर भवन सीज करने की कार्रवाई सख्ती से की जाए। 

- न्यायालय में बाल श्रमिकों के प्रकरणों में दोषी नियोजक कानूनी कमियों के कारण मुक्त न हो जाए इसके लिए घटना की एवं बयान लिए जाते समय वीडियोग्राफी कराने के साथ वे सभी दस्तावेज़ एकत्रित कर लिए जाएं।

- बाल मजदूरी में लिप्त लोगों पर त्वरित व् सख्त कार्रवाई की जाए।

- बाल श्रम उन्मूलन तथा पुनर्वास कार्यक्रमों पर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा दिए जाते हैं लेकिन उनसे कुछ खास हासिल नहीं होता। अधिकांश स्वयंसेवी संगठन बालश्रम के नाम पर लाखों-करोड़ों रूपये का अनुदान हासिल कर बालश्रम के लिए कार्य के नाम पर मात्र खानापूर्ति करती दिखाई देती हैं। ऐसी गैर सरकारी संस्थाओं (एनजीओ, सीएसओ) को चिन्हित कर उनको त्वरित प्रभाव से 'ब्लैक लिस्ट' किया जाना चाहिए।

- बाल-श्रम से मुक्त हुए बच्चों के पुनर्वास और शिक्षा आदि पर खर्च के लिये प्रत्येक राज्यों में ‘बाल श्रम विरोधी (एंटी चाइल्ड लेबर) कोष’  की स्थापना व इसके धन का सही उपयोग किया जाए। 

- भारत में बाल श्रम के खिलाफ राष्ट्रीय कानून और नीतियों का सख़्त क्रियान्वयन व् लागूकरण। कानूनों को लागू करने में कड़ाई बरतना जरूरी है और उन्हें दण्डोन्मूख के साथ नियंत्रणन्मूख  रखना पड़ेगा । वस्तुत: आज इन कानूनों के पालन हेतु एक वातावरण भी बनाने की आवश्यकता है ।

- विद्यार्थियों को नि:शुल्क शिक्षा, पौष्टिक आहार, वस्त्र आदि के साथ-साथ समुचित प्रोत्साहित राशि भी दी जाए ताकि गरीब परिवारों के लोग बच्चों को विद्यालय में भेजने को स्वयं उत्सुक हों ।
 
बच्चे किसी देश या समाज की महत्वपूर्ण संपत्ति होते हैं, सभी बच्चों को हिंसामुक्त, सुरक्षित वातावरण में विकसित होने का अधिकार है।

देश आगे बढ़ रहा है पर देश का भविष्य अबोध बच्चे कहीं अंधकार के गर्त में डूब न जाएं। इनकी समुचित सुरक्षा, पालन-पोषण, शिक्षा एवं विकास का दायित्व भी राष्ट्र और समुदाय का है क्योंकि कालान्तर में यही बच्चे देश के निर्माण और राष्ट्र के उत्थान के आधार स्तम्भ बनते हैं। 

साभार 









-ऋषभ शुक्ला (Rishabh Shukla)
लेखक-चित्रकार 



Child labour and poverty are inevitably bound together and if you continue to use the labour of children as the treatment for the social disease of poverty, you will have both poverty and child labour to the end of time.

Say 'No' to Child Labour & 'Yes' to Education! 

World Day Against Child Labour #June 12


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