स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन VOL1/ISSUE1/JUNE2013
घर -परिवार , स्वास्थ्य , ब्यूटी, रेसिपी, मेहंदी, कैरियर और फायनांस से जुड़ी हर वो बात जो है हम सभी के लिये खास, पहुँचेगी आप तक , हर पल , हर वक़्त, जब तक स्वप्निल सौंदर्य के साथ हैं आप. पाठकों के प्रेम व उनकी माँग पर अब आपका अपना ब्लॉग ' स्वप्निल सौंदर्य ' उपलब्ध है ई-जीन के रुप में .
द्वि-मासिक ई-पत्रिका के रुप में 'स्वप्निल सौंदर्य' में कुछ खास स्तंभों को भी सम्मिलित किया जा रहा है ताकि आप अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया बनाते रहें. सुंदर सपने देखते रहें और अपने हर सपने को साकार करते रहें .तो जुड़े रहिये 'स्वप्निल सौंदर्य' ब्लॉग व ई-ज़ीन के साथ .
और ..............
बनायें अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया .
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Founder - Editor ( संस्थापक - संपादक ) : Rishabh Shukla ऋषभ शुक्ला
Managing Editor (कार्यकारी संपादक) : Suman Tripathi (सुमन त्रिपाठी)
Chief Writer (मुख्य लेखिका ) : Swapnil Shukla (स्वप्निल शुक्ला)
Art Director ( कला निदेशक) : Amit Chauhan (अमित चौहान)
Marketing Head ( मार्केटिंग प्रमुख ) : Vipul Bajpai (विपुल बाजपई)
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स्थायी स्तंभ :
विशेष
सौंदर्य
साहित्य
पकवान
फैशन व लाइफस्टाइल
फिल्मी दुनिया
इंटीरियर्स
पर्यटन
कैरियर
कड़वा सच
धर्म, संस्कृ्ति व संस्कार
शख्सियत
घर -गृ्हस्थी
कुछ खास
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'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' में पूर्णतया मौलिक, अप्रकाशित लेखों को ही कॉपीराइट बेस पर स्वीकार किया जाता है . किसी भी बेनाम लेख/ योगदान पर हमारी कोई ज़िम्मेदारी नहीं होगी . जब तक कि खासतौर से कोई निर्देश न दिया गया हो , सभी फोटोग्राफ्स व चित्र केवल रेखांकित उद्देश्य से ही इस्तेमाल किए जाते हैं . लेख में दिए गए विचार लेखक के अपने हैं , उस पर संपादक की सहमति हो , यह आवश्यक नहीं है. हालांकि संपादक प्रकाशित विवरण को पूरी तरह से जाँच- परख कर ही प्रकाशित करते हैं, फिर भी उसकी शत- प्रतिशत की ज़िम्मेदारी उनकी नहीं है . प्रोड्क्टस , प्रोडक्ट्स से संबंधित जानकारियाँ, फोटोग्राफ्स, चित्र , इलस्ट्रेशन आदि के लिए ' स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता .
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चेतावनी : 'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' में घरेलु नुस्खे, सौंदर्य निखार के लिए टिप्स एवं विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के संबंध में तथ्यपूर्ण जानकारी देने की हमने पूरी सावधानी बरती है . फिर भी पाठकों को चेतावनी दी जाती है कि अपने वैद्य या चिकित्सक आदि की सलाह से औषधि लें , क्योंकि बच्चों , बड़ों और कमज़ोर व्यक्तियों की शारीरिक शक्ति अलग अलग होती है , जिससे दवा की मात्रा क्षमता के अनुसार निर्धारित करना जरुरी है.
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संपादकीय :
" जब खुदा हुस्न देता है, तो नज़ाकत आ ही जाती है ,
कदम ज़मीं पर पड़्ते हैं , तो कमर बलखा ही जाती है ."
जब खुदा हुस्न देता है तो उस हुस्न की चर्चा भी जरुर होगी... कभी सुर्ख लबों के मोती तो कभी ज़ुल्फों के साए मुह्ब्बत के रंगीन ज़माने को जवां बनाए रखेंगे ...... आपकी शेखी और अदा भी यूं ही बनी रहे इसकी कोशिश में मैं, ऋषभ शुक्ल , प्रस्तुत कर रहा हूँ आप सभी के समक्ष अपनी द्वि - मसिक ई-पत्रिका 'स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन ' .
ज़िंदगी के हर पहलु को बयां करना आसान नहीं .... ज़िंदगी में हर पल खूबसूरत हों या आपकी ज़िंदगी बिना संघर्ष के खूबसूरती का पर्याय बन जाए , ये भी असंभव ही है ........वो कहा जाता है न कि " ये ज़िंदगी एक अजीब खिलौना है....हाथ आए तो मिट्टी .... और खो जाए तो सोना है . ज़िंदगी के अनेकों रंग हैं ... अनेकों रुप हैं ..... दोस्तों ! ज़िंदगी का सफर कभी - कभी लगता जरुर बहुत लंबा है पर यह केवल मिथ्या है .....वास्तविकता तो यह है कि ज़िंदगी बहुत छोटी होती है ......देखते ही देखते वक़्त बीतता जाता है ...आप शिशु रुप में जन्म लेते है ...बाल्यावस्था के बाद यौवन और फिर वृ्द्धावस्था और उसके उपरांत 'मौत '..........बस यहीं तक सिमटी है ये ज़िंदगी ....... फैसला आप के हाथों में है कि अपनी इस छोटी सी ज़िंदगी में अपनी ज़िम्मेदारियों के साथ अपने हर खूबसूरत सपनों को साकार करें या ज़िंदगी के संघर्षों से हताश होकर ...उसे अपनी किस्मत मान बस अपनी ज़िंदगी के सफर को यूँ ही बर्बाद करते रहें ...............
मैं तो आप सभी से ये ही गुज़ारिश करुँगा कि दिल खोल के ...बाँहे फैला कर अपनी ज़िंदगी के हर पल का स्वागत कीजिये ......... अपनी ज़िंदगी से मोहब्बत कीजिये ........उसकी सुंदरता को पहचानिये ....
और आप सभी अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया बना पाएं इस संदर्भ में ' स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन में वो सारी जानकारियाँ हमने संजोयी हैं जिसकी मदद से आप अपने ख्वाबों व ख्यालों को हक्कीकत में तब्दील कर सकें . स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन के पहले अंक ( जून 2013 ) में हम जिन विभिन्न पहलुओं व जानकारियों को सम्मिलित कर रहे हैं वे निम्नवत हैं :
सौंदर्य
साहित्य
पकवान
फैशन व लाइफस्टाइल
विशेष - रुद्राक्ष
इंटीरियर्स
धर्म, संस्कृ्ति व संस्कार
कैरियर
कड़वा सच
शख्सियत
आप सभी की ज़िंदगी बन जाए आप की सपनों की दुनिया जिसमें न हो कोई गम, न बैर, न शिकवा . न शिकायत ...... दोस्ती का समा हो .....मोहब्बत की फिज़ा हो ....हर पल मुस्कुराये आप की ज़िंदगी .... फूल ही फूल राहों पे बिछाये - ये ज़िंदगी ..... आपके आँचल में मोतियों की बरसात हो ....... खुदा का आप पर हाथ हो ...........बस इसी दुआ के साथ 'स्वप्निल सौंदर्य' का यह अंक ज़िंदगी के नाम .
शुभकामनाओं सहित ,
आपका
ऋषभ.
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सौंदर्य
आपकी खूबसूरती को और अधिक निखारने व संवारने के लिये प्रस्तुत है आपके लिये बॉडी केयर टिप्स :
* गर्मी के मौसम में पसीने की चिपचिपाहट के कारण त्वचा पर गंदगी जम जाती है और त्वचा ज्यादा आयली हो जाती है और मुहांसे होने का डर रहता है . इससे बचने के लिये सही तरीके से क्लींजिंग करें.
* रोजाना सोने से पहले चेहरे को क्लींजिंग मिल्क से साफ करें. तत्पश्चात मॉइश्चराइजर लगाएं. स्किन टोन करने के लिए गुलाबजल का प्रयोग करें .
* दिन में कई बार चेहरे को ठंडे पानी से धोएं जिससे त्वचा खुल कर साँस ले सके.
* एलोवेरा, आवला , शहद, नींबू, हल्दी युक्त मॉइश्चराइजर को इस्तेमाल करें.
* चेहरे को फ्रेश रखने के लिए नियमित फ्रूट फेशियल करवाएं.
* चेहरे पर साबुन का प्रयोग न करें . दिन में 2-3 बार साफ्ट फेसवाश से चेहरा धोएं.
* रात को सोने से पहले बादाम व शहदयुक्त नाइटक्रीम लगाएं, इस समय त्वचा का पुनर्निर्माण होता है .
* त्वचा को ठंडक पहुँचाने वाले फेसपैक लगाए. कपूर, चंदन, गुलाबजल, नीम की पत्तियाँ आदि से युक्त फेस पैक लगाएं.
* सप्ताह में एक बार स्क्रब करें जिससे मृ्त त्वचा निकल जाएं.
* स्नान करते समय पानी में गुलाब की पत्तियाँ या नींबू निचोड़ लें. यह त्वचा को ताज़गी देता है.
* अपनी त्वचा को धूप से बचाएं. घर से निकलने के 15 मिनट पहले सनक्रीम अवश्य लगाएं.
*जब भी धूप में निकलें, सनग्लास अवश्य लगाएं.
* होठों की रक्षा के लिए सोने से पहले बादाम का तेल लगाएं.
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साहित्य
वो दिव्यपुँज ..
हम तो निकल पड़े थे राह में अपनी,
मंज़िल अपनी पाने को ,
पाना था वो दिव्यपुँज ,
जो करता है रोशन पूरे इस जग को,
यह दिव्यपुँज है,
जो जितना है जलता,
उतना होता है रोशन.
जो जितना है तपता ,
उतना होता है दिव्य.
यह दिव्यपुँज है ,
जिसे पाना है मेरा लक्ष्य.
एक स्वप्निल प्रेरणा है ,
यह दिव्यपुँज,
जिसे पाना है मेरा कर्त्तव्य सहर्ष .
सपने आँखों में समेटे
घर से हम चले निकल
पर मालूम न था हमें
कि मुश्किल है राह बहुत
हम अकेले थे,
राह में थे लोग बहुत,
हौसला था हममें, विश्वास था हममें बहुत ,
धैर्य था हममें , संतोष था हममें बहुत,
लंबा सफर था , धुँधला ड्गर था,
करने को हमारा स्वागत,
बिछी थी धूल सड़क पर,
चलना था , बस चलना था
पर चलना था संभल -संभल कर.
कुछ निकल गए आगे,जो दिखते थे नहीं,
और कुछ दिखते थे , धुँधले से कहीं.
कुछ रह गए थे पीछे, जो गए थे खो कहीं,
और कुछ थक कर सो चुके थे ,
ओढ़ कर चादर धूल मिट्टी की.
साथ छूट चुका था सबका,
कुछ आगे थे और कुछ
रह गए थे पीछे कहीं.
और हम अकेले थे चले जा रहे थे,
बढ़े जा रहे थे .
दूर थी मंजिल , राह थी मुश्किल
कहीं ईंट, कहीं पत्थर
कहीं पहाड़ , कहीं दलदल
कहीं मोह , कहीं माया.
कहीं लालच, कहीं धोखा खाया.
पर हौसला आगे बढ़ने का न हमने भुलाया,
रास्ते के हर एक काँटे को,
जड़ से मिटाया.
और पाया वो मकाम ,
जिसका था हमें सपनों में इंतज़ार,
वो स्वप्निल प्रेरणा कि पाना है वह दिव्यपुँज
जो करता है रोशन पूरे इस जग को,
जो जितना है जलता,
उतना होता है रोशन.
जो जितना है तपता ,
उतना होता है दिव्य.
वह दिव्यपुँज ,
जिसे पाना है मेरा लक्ष्य सहर्ष ,
एक स्वप्निल प्रेरणा ,
वह दिव्यपुँज.
- स्वप्निल शुक्ल
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पकवान :
शुद्ध सात्विक आहार से तन ही नहीं मन भी शुद्ध हो जाता है . इसी कारण व्रत - उपवास में हमारे भारतीय परिवेश में सात्विक आहार को खास मह्त्त्व दिया जाता है . तो इसी कड़ी में प्रस्तुत है उपवास के व्यंजन के अंतर्गत 'गाजर की खीर' .
गाजर की खीर :
सामग्री : *1 लीटर दूध
*200 ग्राम गाजर
*आधा कप शक्कर
*बादाम, काजू , पिस्ता आदि आवश्यकतानुसार
*1/4 टीस्पून इलायची पाउडर
विधि :
गाजर छीलकर कद्दूकस कर लें .... दूध उबाल लें.... गाजर डालकर धीमी आँच पर पकायें .... बीच - बीच में चलाते रहें.... जब गाजर अच्छी तरह पक जाए और दूध एकदम गाढ़ा हो जाए, तब शक्कर मिलाएं और लगातार चलाते हुए पकाएं . इलायची पाउडर , बादाम , काजू, पिस्ता मिलाए और परोसें.
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फैशन व लाइफस्टाइल
फैशन टिप्स :
* यदि आपका वजन अधिक है तो गहरे रंग के कपड़ों का चुनाव करें . हल्के रंग के कपड़ों में मोटापा अधिक नज़र आता है.
* कपड़ों के लिए जॉर्जेट , शिफॉन व क्रेप आदि पतले फैब्रिक का चयन करें. लाइक्रा, नेट, आरगेंजा आदि मोटापे को और उभारते हैं.
* अधिक हील के फुटवियर पहनें, इससे आप कम मोटी लगेंगी.
* भारी काम वाली ड्रेस न खरीदें. यदि ड्रेस हैवी है तो ज्वेलरी हल्की रखें.
* बेहद तंग कपड़े बॉडी कर्व को उभारते हैं. हिप व टमी से परिधान को थोड़ा खुला रखें.
* यदि आप स्लिम हैं तो हल्के रंग के कपड़ों का चुनाव करें.
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विशेष
रुद्राक्ष :
हमारे प्राचीन इतिहास से ही लोगों के बीच रुद्राक्ष एक आकर्षण का विषय बना हुआ है व इसकी असीम शक्तियों की चर्चा भी होती आ रही . आज के आधुनिक परिवेश में भी रुद्राक्ष के प्रति लोगों का झुकाव बना हुआ है. लोगों को इसकी चमत्कारी शक्तियों के बारे में जिज्ञासा बनी ही रहती है. तो आइये इस संदर्भ में जानते हैं कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण बातें रुद्राक्ष `के बारे में-
'रुद्राक्ष'- अर्थात भगवान शिव की सार्वधिक प्रिय वस्तु जिसकी उत्पत्ति पौराणिक मान्यताओं के अनुसार साक्षात भगवान शिव के नेत्रों से हुई है . असल में रुद्राक्ष एक फल का बीज है परन्तु इसमें विद्यमान अनेकों गुणों के कारण ये आध्यात्मिक व भौतिक विज्ञान एवं चिकित्सा जगत में बेहद पवित्र , पूज्यनीय व लाभकारी रुप में स्वीकार किया गया है.
रुद्राक्ष धारण करने वाला व्यक्ति अनेकों प्रकार की व्याधियों व आपदाओं से सुरक्षित रहता है . साथ ही साथ इसके दानों से बनी माला जप के लिये सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है .प्राचीन काल के साथ-साथ आज के आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने भी रुद्राक्ष के दानों में विद्यमान अदभुत चुम्बकीय व विद्युत शक्ति को स्वीकारा है जो इसको धारण करने वाले को अनेक प्रकार से प्रभावित करता है .
रुद्राक्ष के चमत्कारी प्रभावों के कारण लोग इसके दानों को शिवलिंग की भाँति ही पूजते हैं और कहा जाता है कि इसको धारण कर प्रभावी मंत्र 'ऊँ नम: शिवाय' का जप करने से व्यक्ति ज्वर उत्तेजना , रक्तचाप , बुरे स्वप्न, अनिद्रा, चर्मरोग आदि परेशानियों से निजात पा जाता है. वनस्पति विज्ञान ( Botany ) के अन्तर्गत रुद्राक्ष के पेड़ को ELAECARPUS GANITRUS ROXB कहते हैं और अंग्रेजी भाषा में UTRASUM BEAD TREE कहते हैं .
रुद्राक्ष की कई जातियाँ होती हैं जैसे एक मुखी , दो मुखी आदि. व्यक्ति विशेष को रुद्राक्ष की विभिन्न जातियों के बारे में जानने के बाद अपने भीतर की कमियों को दूर करने व परेशानियों से मुक्ति पाने के लिये इसको धारण करना चाहिये .
मुख्यत: रुद्राक्ष के दानों को गले या बाँह में धारण किया जाता है. पर आज के आधुनिक युग में इसको फैशन स्टेट्मेंट के तौर पर लोग ब्रेसलेट के रुप में भी धारण कर लेते हैं . ज्यादातर युवाओं को रुद्राक्ष एक आकर्षक एक्सेसरी के तौर पर लुभाता है जो उन्हें बेहतरीन लुक के साथ साथ उनके लिये अनेक लाभकारी परिणाम भी सामने लाने में मददगार साबित होता है. तभी अक्सर युवा वर्ग इसके दानों को गले में लॉकेट व ब्रेसलेट की तरह पहनना पसंद करते हैं परंतु ऐसी स्थिति में यदि आप रुद्राक्ष को धारण करते हैं तो पवित्रता का ध्यान रखते हुए प्रतिदिन प्रात: उठते ही सबसे पहले इसे अपने माथे से लगायें व ऊँ नम: शिवाय का जाप करें , आपको नि:संदेह अनेकों सुखों की प्राप्ति होगी .
आइये अब जानते हैं कि कौन सा मुखी रुद्राक्ष धारण करने से आप किस प्रकार से लाभान्वित हो सकते हैं -
एकमुखी : यह भगवान शिव क स्वरुप है. इसे धारण करने वाले व्यक्ति में एकाग्रता बढ़ती है व भक्ति एवं मुक्ति दोनों की ही प्राप्ति होती है.
दोमुखी: अर्धनारेश्वर अर्थात शिव व शक्ति का स्वरुप है . इसे धारण करने से पति-पत्नी में एकात्मक भाव उत्पन्न होता है व धन - धान्य से युक्त्त होकर व्यक्ति पवित्र गृ्हस्थ जीवन व्यतीत करता है.
तीनमुखी: अग्नि का स्वरुप है. धारणकर्ता अग्नि के समान तेजस्वी हो जाता है. आत्मविश्वास की कमी वाले लोगों के लिये बेहद लाभकारी है.
चारमुखी : भगवान ब्रह्मा का स्वरुप है. धारणकर्ता अनेकों कलात्मक व रचनात्मक गुणों को व बुद्धिमत्ता को प्राप्त करता है .
पंचमुखी: पंचब्रह्म स्वरुप है. धारणकर्ता को अच्छा स्वास्थ व शांति प्रदान करता है .साथ ही साथ धारणकर्ता अनेक पापों से मुक्त हो जाता है. आत्मविश्वास बढ़ोत्तरी में लाभदायक.
छ:मुखी : भगवान कार्तिकेय का स्वरुप है. बुद्धिमत्ता व विद्याप्राप्ति के लिये श्रेष्ठ है.
सातमुखी: यह देवी महालक्ष्मी का स्वरुप है. धारणकर्ता को धन, संपत्ति ,यश , कीर्ति, ऎश्वर्य , व्यापार व नौकरी में सफलता प्रदान करता है.
आठमुखी: भगवान गणेश का स्वरुप है. विघ्नहर्ता मंगलकर्ता है. रिद्धि-सिद्धि प्रदान करने के साथ- साथ इसे धारण करने से विरोधियों की समाप्ति हो जाती है.
नौमुखी : यह देवी दुर्गा माँ का स्वरुप है. यह धारणकर्ता को वीरता, शक्ति, साहस, कर्मठता , अभय व सफलता प्रदान करता है.
दसमुखी: भगवान विष्णु का स्वरुप है . इसको धारण करने से सर्वगृ्ह शांत हो जाते हैं . धारणकर्ता को भूत, पिशाच सर्प आदि का भय नहीं रहता है. साथ ही साथ शारीरिक सुरक्षा भी प्रदान करता है.
ग्यारहमुखी: भगवान हनुमान का स्वरुप है. भाग्य वृ्द्धि , धनवृ्द्धि , शक्ति, अभय व सफलता प्राप्ति के लिये श्रेष्ठ है. धारणकर्ता की दुर्घटनाओं से रक्षा होती है.
बारहमुखी: भगवान सूर्य का स्वरुप है. धारणकर्ता तेजस्वी व आत्मविश्वास से परिपूर्ण हो जाता है. यह धारणकर्ता की चिंताओं व परेशानियों का अंत करता है.
तेरहमुखी : भगवान इंद्र का स्वरुप है. ये धारणकर्ता की संपूर्ण कामनाओं को पूर्ण करता है व जीवन में सुख - शांति प्रदान करता है.
चौदहमुखी: भगवान हनुमान का स्वरुप है . अति दुर्लभ व प्रभावशाली . इसे देवमणि भी कहा जाता है. ये हानि , दुर्घटना, रोग व चिंता से मुक्त रखकर धारणकर्ता की सुरक्षा करता है. व्यक्ति की छठी इंद्री भी जाग्रत करने की इसमें शक्ति होती है. धारणकर्ता को धन-संपदा , सुख व शांति की प्राप्ति होती है.
पंद्रहमुखी: भगवान पशुपति का स्वरुप है. धारणकर्ता को धन प्रदान करता हैव चर्मरोगों में अत्यंत लाभदायक होता है.
सोलहमुखी: यह धारणकर्ता को सफलता प्रदान करता है व सर्दी और गर्मी के कारण होने वाले रोगों से रक्षा करता है. . यदि घर पर इसको रखा जाए तो चोरी ड्कैती व आग लगने का खतरा नहीं रहता है.
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इंटीरियर्स
इको फ्रेंडलि इंटीरियर डिज़ाइन :
प्रदूषण की समस्या से हम सब परेशान हैं . जब हम अपने घर को छोड़ बाहर की दुनिया में कदम रखते हैं तो हर रोज़ धूल, मिट्टी, शोर, गंदगी आदि से हमारा सामना होता है . कभी- कभे तो इस प्रदूषण में हमारा दम सा घुटने लगता है . प्रदूषित वातावरण को झेलते हुए जब थक हार कर हम अपने घर वापस आते हैं , तो भी कहीं न कहीं घर के भीतर भी प्रदूषित वातावरण से हम सभी परे नहीं रह पाते . क्योंकि आज के दौर की मार्डन भवन - निर्माण तकनीक में एक से एक नई टेकनोलॉजि व मटैरियल्स के चलते हम चाह कर भी स्वयं को हानिकारक तत्वों से परे नहीं रख पाते.
परंतु आज जब हर ओर इको फ्रेंडलि प्रोड्क्टस की धूम मची है तो क्यों न ' गो ग्रीन' के फंडे को अपने लिविंग स्पेस में भी अपनाएं व पूर्णतया स्वस्थ वातावरण की रचना करें. तो आइए जानते हैं कि किस प्रकार अपने घर को बनायें इको फ्रेंडलि होम :-
* इको फ्रेंडलि इंटीरियर डिज़ाइन के लिए अपने घर में उन्हीं मटैरियल्स का इस्तेमाल करें जो पूर्णतया नैचरल व आरगैनिक ( बाहय रसायनों के बिना उतपन्न ) हो.
* इको फ्रेंडलि डिज़ाइन के अंतर्गत मटैरियल का चयन करते वक़्त इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जो मटैरियल आप उपयोग कर रहे हैं क्या वो रिन्यूऎबल ( नवीनीकरण ) या रीसाइक्लेबल ( पुनर्निमाण ) हैं और जिनको नष्ट करते वक़्त वातावरण दूषित न हो.
* उन सभी मटैरियल्स का उपयोग न करें जिसमें कैमिकल्स का प्रयोग किया गया हो या जिनके निर्माण में अत्यधिक ऊर्जा की खपत होती हो.
* क्रोम्ड मेटल, प्लास्टिक , पार्टिकल बोर्ड आदि जैसे मटैरियल्स को दरकिनार करें.
* हो सकता है कि इको फ्रेंडलि इंटीरियर डिज़ाइन के लिए आपको थोड़ा अधिक पैसा खर्च करना पड़े परंतु हम सभी जानते हैं कि नैचरल मटैरियल सदैव फायदेमंद व ड्यूरेबल होते हैं.
* दीवारों को सजाने के लिए आप इको फ्रेंडलि वॉल कवरिंग्स व पेंटस या स्टोन्स का उपयोग कर सकते हैं . दीवारों पर वुड , सरैमिक टाइल्स या कॉर्क द्वारा पैनेमिंग भी की जा सकती है.
* सीमिंग के लिए आप वुड पैनेल्स का प्रयोग कर सकते हैं.
* यदि फ्लोरिंग की बात की जाए तो स्टोन , वुड, बांस या कॉर्क का प्रयोग उचित रहता है .
* घर के विभिन्न हिस्सों में जहाँ वुड का काम किया गया हो वहाँ वुड के लाइटर व डार्कर काँबिनेशन द्वारा अपने स्पेस की ईस्थेटिक वैल्यू बढ़ा सकते हैं.
* फर्नीचर के लिए नैचरल वुड व पत्थर का प्रयोग करें. चेयर व टेबल के लिए वुड ब्लॉक्स का प्रयोग करें .टेबल टॉप के लिए स्टोन्स का इस्तेमाल करें . आप चाहें तो मार्बल के फर्नीचर द्वारा भी घर की शोभा बढ़ा सकते हैं.
* इंटीरियर ऎक्सेसरीज़ के लिए ग्लास, क्ले, पत्थर, विकर ( टोकरा बुनने वाली खपची ) बास्केट जैसे विकल्प उपलब्ध हैं. वैसे अगर आप पेड़ों की शाखाओं को खूबसूरत अंदाज़ में सजाएं तो ये आपके घर को बेहतरीन लुक प्रदान करेगा.
* याद रखें कि जब हम बात इको फ्रेंडलि डिज़ाइन की कर रहे हिं तो पौधों की महत्ता को किसी भी प्रकार से नकारा नहीं जा सकता . इसलिए घर के विभिन्न हिस्सों को पौधों से सुसज्जित करें.
* अपने गार्डन एरिया में एड्बल अर्थात खाने योग्य सब्ज़ी व फल लगायें.
* टेक्सटाइल की यदि बात करें तो आरगैनिक कॉटन , वूल , हेम्प आदि बेहतरीन विकल्प हैं.
* सदैव उन उपकरणों का इस्तेमाल करें जिसमें ऊर्जा की खपत कम हो या जो ऊर्जा बचाने में सक्षम हों.
* सदैव लो वॉलटाइल ( वाष्पशील ) आरगैनिक कमपाउन्ड्स ( low volatile organic compounds ) और टॉक्सिक फ्री पेंट , फिनिशेस व अडहीसिव का प्रयोग करें.
*वॉलपेपर या टेक्सचर्ड फिनिशेस का उपयोग न करें.
अंत में मेरी एक छोटी सी गुजारिश है आप सभी पाठकों से कि अपने आशियाने को एक खूबसूरत आयाम देने के साथ- साथ अपने घर के आस- पास के वातावरण को भी साफ - सुंदर और प्रदूषण रहित बनाने का संकल्प लें.
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि पॉलिथीन बैग के कारण हमारे पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचता है. इसलिए खुद से ये वादा करें कि हम अपने घर में पॉलिथीन बैग के बजाए कपड़े से बने थैलों या कागज़ के लिफाफों का इस्तेमाल करेंगे.
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कड़वा सच
स्त्री का अस्तित्व संकट में :
कन्या भ्रूण हत्या जैसा महापाप तेजी से हमारे समाज में अपने पैर पसारता जा रहा है. हमारे समाज में लड़कियों के प्रति संकीर्ण सोच व लचर व्यवस्था के कारण कन्या भ्रूण हत्या पर लगाम कसनी मुश्किल होती जा रही है. क्योंकि हमारा यही समाज कभी-कभी उस घटिया स्तर पर उतर आता है जो दिखावेपन पर ज्यादा विश्वास करता है क्योंकि वो हकीकत से कोसों दूर है. लड़का या लड़की में कोई फर्क नहीं है, ऐसा कई लोगों के मुँह से आपने सुना होगा पर इस बात का अर्थ शायद कुछ लोग ही समझ पाएं हैं .तभी तो आज भी लड़की होने के बाद मानव ऎसे लज्जित भाव से जाग्रत हो उठता है जैसे लड़की होने पर कोई महापाप हो गया हो. कई पैथालॉजियों में गर्भ में कन्या भ्रूण का पता लगाने वाली जाँचे आज भी चोरी-छिपे हो रही हैं और यदि टेस्ट में यह जानकरी हो जाए कि महिला के गर्भ में कन्या भ्रूण है तो तुरंत एवार्सन करवाने में व्यक्ति को कोई गुरेज नहीं होता. यह वर्तमान समय की गंभीर एवं भयानक समस्याओं में से एक है.
कन्या भ्रूण हत्या हमारे समाज में पनप रही संकुचित मानसिकता का ही परिणाम है. ऐसी घट्नाओं में दिनों -दिन तेजी से इज़ाफा हो रहा है. परंतु समाजिक विकास के ठेकेदारों को यह समझ नहीं आता कि इस महापाप और सृ्ष्टि के महाविनाश की ओर बढ़ते हमारे कदमों को रोकने के यथासंभव प्रयास किये जाने चाहिये वरना वह दिन दूर नहीं होगा जब हमारा साक्षात्कार कई जटिल समस्याओं से होगा .
हमारे देश की विडंबना तो देखिये हमारे नेताओं को तो उनके सफेद कुर्ते की सफाई कायम रहे और उनकी कुर्सी बची रहे , इसी से फुरसत नहीं . और बाकी खुद को समाज सेवी कहने वालों को उनके आडंबरों के अलावा असली समस्याओं के निदान के लिये कभी समय मिल जाए, यह कहना मुश्किल होगा.
हमारे समाज की वही पुरानी घिसी-पिटी सोच कि बेटियाँ तो पराया धन होती हैं अत: उनकी परवरिश में जो पैसा लगता है वो निरर्थक खर्च है, बेटियों से वंश नहीं चलता , मौत पर चिता को अग्नि तो आखिर बेटा ही देता है आदि आदि...... फिर चाहे वो बेटा जिससे उसके माँ-बाप इतनी उम्मीदें लगायें बैठे हैं वही बेटा अपने माँ-बाप को उनके बुढ़ापे में मझदार में छोड़ कर ही चला जाए या उनको ही घर से बाहर का रास्ता दिखा दे.
हमारे समाज की पितृ्सत्तात्मक सोच के कारण जो मातृ्सत्ता के प्रति उपेक्षा का भाव दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है , वो हमारे समाज को किस दिशा की ओर ले जाएगा, ये बेहद चिंता का विषय है.
लोग ये क्यों नहीं समझना चाहते कि लड़कियाँ लड़कों से किसी भी प्रकार से कम नहीं . माँ- बाप जब वृ्द्ध हो जाते हैं , तब भी बेटियाँ उनसे मुँह नहीं फेरतीं. लड़कों से तो केवल वंश आगे ही बढ़ता है परंतु उस वंश को संभालती- संवारती तो लड़कियाँ ही हैं. यही स्त्री जाति का कुदरती स्वभाव है. दया, करुणा, सेवा भाव, निष्ठा , रिश्तों को समेटना,खुशियों को संजोना, ये सारे गुण तो स्त्रियों में निहित होते ही हैं. इन सर्वश्रेष्ठ गुणों से लेस होने के बावजूद स्त्रियों के लिये घर का एक अलग कोना भी हक से निर्धारित नहीं हुआ है. अपने पिता के घर वो पराया धन है तो अपने ससुराल में वह पति , ससुर और पुत्र के घर ही रहती है.
समाज का नज़रिया औरतों के प्रति जल्लाद की तरह से है जो हमेशा उनमें खौफ , हीन भावना, असमर्थता की भावना पैदा करता है .जाने कितनी बेसहारा औरतें आज नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं ,समाज का महिलाओं के प्रति घृ्णित रवैया गलत व बेहद निंदनीय है. किंतु समाज की घिनौनी सोच से उपजे कन्या भ्रूण हत्या जैसे महापाप का कभी न कभी अंत तो होना ही होगा. आखिर कब तक कन्याऎं गर्भ में ही मृ्त्यु को प्राप्त होंगी....कब तक हमारे देश की बेटियाँ यूँ सिसक सिसक कर मौत की ओर कदम बढ़ायेंगी?
जब सृ्ष्टि का आधार ही खतरे में है तो सृ्ष्टि का क्या होगा? समाज से हैवानियत को खत्म कर इंसानियत को जगाना होगा. हर एक को सही के लिये , न्याय के लिये और गलत के विरुद्ध आवाज़ उठानी होगी. समाज को जागरुक होना ही पड़ेगा. मासूम कली को खिल कर फूल बनने में हम सभी को योगदान देना होगा जिससे वो प्यार की खुशबू चारों ओर बिखेर सके. कन्या भ्रूण हत्याओं के कारण स्त्री का अस्तित्व जो संकट में है , उसे बचाने के लिये हमें जी जान से लड़ना होगा.... सही दिशा की ओर आगे बढ़ना होगा.
- स्वप्निल शुक्ल
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धर्म, संस्कृ्ति व संस्कार
महाभारत की महानायिका- द्रौपदी
'महाभारत' - हमारे प्राचीन इतिहास की महागाथा ....... धर्म की अधर्म पर विजय का साक्षी ..... महाभारत साक्षी है कि जब-जब संसार में अधर्म ने धर्म पर हावी होने का प्रयत्न किया है , तब स्वयं धर्म की रक्षा करने हेतु ईश्वर संसार में अवतरित हुए हैं और धर्म की रक्षा की है . महाभारत की गाथा से सबसे बड़ा संदेश जो मिलता है वो यह है कि स्त्री का अपमान करने की चेष्टा करने वालों का जड़मूल समेत सर्वनाश होता है और इसकी साक्षात संदेशवाहिनी बनीं द्रुपदनंदिनी द्रौपदी .
'द्रौपदी' - प्रतीक है धर्म की, न्याय की..... द्रौपदी वह लौह नारी हैं जिन्होंने द्वापर युग में और आने वाले युगों व पीढ़ियों के लिये यह स्पष्ट संदेश दिया कि नारी का अपमान करने की चेष्टा करने वाले कापुरुषों का जो रक्तरंजित समूल अंत होता है वो सदियों तक रुह में कँपन पैदा करने वाला होता है.
इतिहास साक्षी है कि द्रौपदी ही असल में महाभारत की महानायिका है, महाभारती है , अपराजिता है, लौह नारी है. यज्ञकुण्ड से अवतरित वो देवी स्वरुपा हैं जो अन्याय , अनाचार , अधर्म व अनैतिकता के विरुद्ध चुनौती बनकर अग्निज्वाला सी दहकती रहीं व विजयी हुईं . बहुत से लोगों ने भरी सभा में अपमान कर उस द्रुपद्सुता को तोड़ने के लिये हर संभव प्रयत्न किये पर द्रौपदी ज्वालामुखी सी अग्निशिखा के समान धधकती हुई, न सिर्फ अपने पतिव्रता धर्म का पालन करते हुए अपने पाँचों पतियों को दासता से मुक्ति दिलायी बल्कि एक वीरांगना के रुप में शपथ भी ली कि वो अपने अपमान का बदला दुशासन के रक्त से अपने केश धोकर लेगी व भरी सभा में द्रौपदी का अपमान करने वालों को जब तक यमलोक न पहुँचा दिया जाए, तब तक उसकी अंतरात्मा को शाँति नहीं मिलेगी .
द्रौपदी नारी शक्ति की द्योतक हैं . वह युद्ध की देवी हैं , प्रचंड साहसी हैं जिन्होंने अपने जीवन में हर प्रकार के अपमान सहे परंतु वो न झुकीं, न टूटीं बल्कि एक ऐसे महाभारत युद्ध की रचना की जिसके आघोष में सब छितर बितर हो गया. द्रौपदी के तेज व विलक्षण व्यक्तित्व को श्रीकृ्ष्ण ने ही समझा तभी तो धर्म की अधर्म पर विजय का संदेश देने के लिये स्रोत बनीं द्रौपदी .
द्रौपदी वह स्त्री हैं जिनके जीवन में अनेकों संघर्ष आए. स्वयंवर में पति के रुप में अर्जुन को चुना पर विधि की विडंम्बना तो देखिये कि अर्जुन और कुंती की गलती के कारण द्रौपदी को पाँच पतियों की पत्नी होने की त्रासदी सहनी पड़ी . जिसके कारण द्रौपदी को अनेकों लाँछन सहने पड़े . विचित्र मर्यादाओं व नियम जो उसी के लिये बनाए गए उनका पालन करना पड़ा . द्रौपदी अद्वितीय सौंदर्य , तार्किक शक्ति , बुद्धिमत्ता व विद्या की धनी वीरांगना स्त्री थीं. . उनके विलक्षण व्यक्तित्व के कारण बड़े- बड़े महारथियों ने ईर्ष्या व जलन के कारण उनके खिलाफ अनेकों षड़यंत्र व कुचक्र रचे ताकि द्रौपदी उनके समुख टूट जाए , झुक जाए व अपना मनोबल खो बैठे . परंतु अतुल्य था द्रुपदनंदिनी का आत्मबल . आजीवन संघर्षों के कारण वह भी टूट सकती थी पर जितना कापुरुषों ने उन्हें कुचलने का प्रयास किया वो उतनी ही धधकती हुई एक क्रुद्ध वीरांगना की तरह हुंकारती हुई हर अत्याचार के खिलाफ पुरजोर विरोध करती रहीं.धर्म की रक्षा के लिये तत्पर रहीं.
द्र्पदनंदिनी द्रौपदी का अंत तक कोई भी आत्म- सम्मान व मनोबल तोड़ न सका. कोई भी उनके मार्ग को काट नहीं पाया . द्रुपदनंदिनी की आपार शक्ति, बौधिक कौशल , मनोबल व स्वाभिमान का लोहा उनके दुश्मनों ने भी माना. उस युग में द्रौपदी ही एकमात्र ऐसी स्त्री हैं जो नारी शक्ति की द्योतक हैं . महाभारत काल की ही यदि बात करें तो कितनी ही नारियों पर धर्म के नाम पर अनेकों अत्याचार किये गए. ध्यान देने योग्य बात है , जो हुआ अम्बा के साथ . किस विवशता के कारण उसने आत्मघात किया . अंधत्व से ब्याह देने पर क्यों गांधारी ने भी सदा के लिये अपनी आँखे बंद कर ली थीं . परंतु द्रौपदी का चरित्र ऐसा है जो ना सिर्फ नारी के भीतर बल्कि पुरुषों में भी वीरता फूँक दें . जिसमें अग्निज्वाला है , प्रतिशोध की भावना है तो करुणा का सागर भी है. श्रीकृ्ष्ण की परम भक्त , उस युग में भक्ति की शक्ति को दर्शाने वाली, स्वर्ण की भाँति वो जितना जली उतनी ही प्रखर व दिव्य होती गई. वो लावण्या थी. अकेलेदम अन्याय के खिलाफ पुरजोर विरोध कर स्वाभिमान के साथ जीवन जीने वाली एक शक्ति व प्रेरणा स्रोत थीं.
द्रौपदी साक्षी हैं एक ऐसे संपूर्ण व्यक्तित्व की जो अपनी ज़िम्मेदारियों को संपूर्ण ईमानदारी के साथ निभाती हुई जीवन के संघर्षों का ड्ट्कर व पूरे साहस के साथ सामना कर व हर अत्याचार , कर कुचक्र , षड़्यंत्र को अपने मनोबल द्वारा काटती और विरोध करती हुईं दीपशिखा की भाँति प्रज्जवलित होती रहीं व धर्म का प्रतीक बन सही मायनों में बनीं महाभारत की महानायिका व अपराजिता.
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कैरियर
इंटीरियर डिज़ाइनिंग - कैरियर के रुप में.
इंटीरियर डिज़ाइनिंग { आंतरिक सज्जा } साधारण शव्दों में किसी स्थान विशेष का उपभोक्ता की जरुरतों और बजट को ध्यान में रखते हुए एक स्वस्थ वातावरण की संरचना ही इंटीरियर डिज़ाइनिंग है . आज के बढ़ते दौर में हर कोई अपने आप को एक ऐसे वातावरण के आसपास देखना चाहता है जहाँ उसके मन को शाँति , संतुष्टि , आराम व खुशी मिल सके, जो कि एक प्रोफेशनली शिक्षित इंटीरियर डिज़ाइनर की मदद से ही संभव है.
आज के दौर में इंटीरियर डिज़ाइनिंग एक तेजी से उभरता क्षेत्र है. इसकी लोकप्रियता को देखते हुए आज के युवाओं का रुझान इस दिशा की ओर बढ़ रहा है. तो आइए इस संदर्भ में जानते हैं कि इंटीरियर डिज़ाइनिंग को एक बेहतरीन कैरियर के रुप में कैसे अपना सकते हैं :-
शैक्षिक योग्यता : इंटीरियर डिज़ाइनिंग में प्रवेश के लिए आपको किसी भी संकाय से 10+2 उत्तीर्ण होना चाहिये. रचनात्मकता एक बहुत विशेष गुण है जो कि किसी भी डिज़ाइन प्रोफेशन में आने के लिए बेहद जरुरी है. आप 10+2 के बाद इंटीरियर डिज़ाइनिंग के सर्टिफिकेट, डिप्लोमा व डिग्री कोर्स में दाखिला पा सकते हैं जिनकी अवधि एक वर्ष से तीन वर्ष के दौरान होती है .
कार्य : एक इंटीरियर डिज़ाइनर का कार्य क्लाइंट की आवश्यकताओं के अनुरुप उस स्थान विशेष में प्रयुक्त होने वाली वस्तुओं की सही जानकारी देना और जगह के अनुरुप उनके प्रयोग का सही ब्यौरा देना है . इंटीरियर डिज़ाइनर का कार्य स्थान का बेहतर उपयोग , ले- आउट { नक्शा } , दीवारों पर सजावटी कार्य , फर्नीचर, फर्निशिंग्स , साज- सज्जा की वस्तुएं जैसे पेंटिंग्स , आर्ट आब्जेक्ट , लाइटिंग, कलर का प्रयोग, फ्लोरिंग, फाल्स सीलिंग, दरवाज़े , खिड़की, वास्तु शास्त्र व फेंग - शुई इत्यादि का संयोजन है. इंटीरियर डिज़ाइनर को आर्किटेक्चर , आर्ट एंड क्राफ्ट , प्रोड्क्ट डिज़ाइन, क्लाइंट व मार्केट की आवश्यकताएं , बेहतरीन कम्यूनिकेशन स्किल्स, व्यापार आदि की जानकारी होनी आवश्यक है.
संभावनाएं : कुल मिलाकर अगर हम इंटीरियर डिज़ाइनिंग में कैरियर की बात करें तो यह एक आर्थिक संपन्नता, बेहतरीन सामाजिक स्तर और उच्च कोटि की जीवन शैली को दर्शाने वाल क्षेत्र है जिसमें व्यक्ति यदि सफल है और उसमें अपनी रचनात्मकता को मार्केट की जरुरतों के अनुरुप ढालने की क्षमता है तो इसे कैरियर के रुप में अपनाने वालों के लिए एक उच्च जीवन स्तर देने वाला क्षेत्र है जो संभावनाओं से परिपूर्ण है .
वेतन : शुरुआत में एक इंटीरियर डिज़ाइनर 7000- 8000 रु. प्रतिमाह प्राप्त कर सकता है . बाद में अनुभव व कार्य - कौशल के आधार पर 30,000- 35,000 हर माह आसानी से कमाये जा सकते हैं. वुअक्ति स्वयं उद्यमी बनकर अपने कैरियर को सँवार एक नया आयाम बना सकता है.
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शख्सियत
सदी की महानायिका को श्रृद्धांजलि
" टुकड़े - टुकड़े दिन बीता , धज्जी - धज्जी रात मिली, जिसका जितना आँचल था, उतनी ही सौगात मिली ."
इन कुछ पंक्तियों से लेखक के भीतर छिपे दर्द का हर कोई अहसास कर सकता है . ये पंक्तियाँ हैं सिने जगत की मशहूर अदाकारा 'मीना कुमारी' की. 'मीना कुमारी' जो अपने बेहतरीन अभिनय के लिए आज भी जानी जाती हैं. मीना कुमारी को उनके बेहतरीन अभिनय क्षमता के कारण व नारी के दर्द व घुटन को पर्दे पर सशक्त रुप से उतारने के कारण 'ट्रेजडी क्वीन ' के नाम से संबोधित किया जाता है. दुर्भाग्यवश 31 मार्च 1972 को मीना कुमारी हमारे बीच नहीं रहीं पर उनकी यादें आज भी सिने जगत के प्रेमियों व उनके प्रशंसकों के दिलों में कायम हैं.
आज हम श्रृद्धांजलि दे रहें हैं उस नामचीन अभिनेत्री को जिसने बॉलीवुड इंड्स्ट्री में एक अलग पहचान कायम की.
मीना कुमारी की व्यक्तिगत ज़िंदगी कई उतार - चढ़ाव से घिरी रही . अपने पति से तलाक के बाद मीना कुमारी खुद को संभाल न पायीं, उस दर्द को उन्होंने अपनी कुछ कविताओं में उतारा.
मीना कुमारी का जन्म 1 अगस्त 1932 को मुंबई में एक गरीब परिवार में हुआ . उनके जन्म का नाम बेगम मेहज़बीन बानो था. उनके पिता अली बक्श पेशे से म्यूजीशियन थे. मीना कुमारी की पहले फिल्म थी ' लेदरफेस' जो 1939 में आई. इस फिल्म में मीना कुमारी बाल कलाकार के रुप में उभरीं हालांकि मीना कुमारी बचपन में अन्य बच्चों की ही तरह स्कूल जाना चाहती थीं पर पिता के दबाव व गरीबी के चलते उन्होंने अपना डेब्यू इसी फिल्म से किया. 1940 से मीना कुमारी ही अकेले दम अपने परिवार का पालन पोषण करने लगीं.
बचपन से ही मीना कुमारी का जीवन अति संघर्षमय रहा पर फिर भी अपार क्षमताओं व गुणों के कारण वे फिल्म जगत में बेहतरीन अभिनेत्री के रुप में उभरीं. 1953 में फिल्म ' बैजू बावरा' के लिए मीना कुमारी को फिल्म फेयर बेस्ट अभिनेत्री का अवार्ड मिला.
1962 में मीना कुमारी ने उनकी फिल्म 'आरती', 'मैं चुप रहूँगी' और 'साहिब , बीवी और गुलाम' के लिए फिल्म फेयर अवार्डस में श्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए 3 नॉमिनेशन पाकर इतिहास रचा. हालांकि उन्हें अवार्ड फिल्म साहिब, बीवी और गुलाम के लिए मिला जिसमें उन्होंने छोटी बहु का किरदार बखूबी निभाया, जिसे क्रिटिक्स ने भारतीय सिनेमा की सबसे बेहतरीन परफार्मेंस माना. उस फिल्म में छोटी बहु के किरदार को मीना कुमारी ने ऐसे निभाया कि फिल्म में जब वो अपने पति के लिए साज श्रृंगार करतीं तो थियेटर में उपस्थित पब्लिक भी उस श्रृंगार रस में डूब जाती और जब पति की बेवफाई के कारण छोटी बहु के किरदार का घुटन भरा रुप पब्लिक के सामने आता तो लोगों की आँखों में आँसू का सागर भर जाता. पर इस फिल्म की अपार सफलता के बाद मीना कुमारी अपने तनावपूर्ण व्यक्तिगत जीवन की वजह से डिप्रेशन का शिकार हो गईं. शायद ज़िंदगी की कश्मकश व घुटन के चलते वो शराब की आदी हो गईं और 1968 तक उनका स्वास्थ्य गिरता चला गया. उनके तनाव का मुख्य कारण उनके पति कमाल अमरोही से तलाक था जो कि 1964 में हुआ था. 1952 में मीना कुमारी , कमाल अमरोही , जो कि पेशे से फिल्म डायरेक्टर थे, उनसे प्रेम करने लगीं थी और फिर शादी कर ली .
कमाल अमरोही मीना कुमारी से 15 साल उम्र में बड़े थे और शादी शुदा भी थे. पर सच्चे प्यार के आगे कुछ समझ नहीं आता . मीना कुमारी ने कमाल अमरोही से शादी कर ली . वे कमाल से असीम प्रेम करती थीं. कमाल अमरोही के लिए उन्होंने लिखा:
" दिल सा जब साथी पाया,
बैचेनी भी वो साथ ले आया ."
पर तलाक के बाद मीना कुमारी इस तनाव से उबर नहीं पायी और कमाल के लिए अपनी भावनाओं व दुख को उन्होंने कुछ इन शब्दों में बयां किया :-
" तुम क्या करोगे सुनकर मुझसे मेरी कहानी,
बेलुत्फ ज़िंदगी के किस्से हैं फीके- फीके."
हालांकि बाद में 'पाकीज़ा' फिल्म हो कि कमाल अमरोही द्वारा निर्देशित थी , उसमें मीना कुमारी ने तवायफों की घुटन भरी ज़िंदगी को पर्दे पर दर्शाया. पाकीज़ा को बनने में 14 वर्ष लगे. पाकीज़ा के रिलीस के 3 हफ्ते बाद मीना कुमारी की हालत तेजी से बिगड़ने लगी और लीवर की बिमारी के चलते उन्होंने 31 मार्च 1972 को दम तोड़ दिया .
बेहद दुर्भाग्य की बात है कि अपनी कुशल व सशक्त अभिनय क्षमता का परचम लहराने वाली बेहद खूबसूरत और नामचीन अभिनेत्री के पास मृ्त्यु के समय अस्पताल का बिल भरने के लिए भी पैसे नहीं थे. पाकी़ज़ा सुपर हिट साबित हुई . पर पाकीज़ा के चरित्र को जीवंत करने वाली मीना कुमारी हमीरे बीच न थीं.
अभिनय के अलावा मीना कुमारी एक शानदार कवियत्री भी थीं. उन्होंने ' आई राइट आई रिसाइट ' के नाम से अपनी कविताओं की एक डिस्क भी तैयार कराई थी. मीना कुमारी की कविताओं पर अगर गौर करें तो उनकी ज़िंदगी के तनाव की गहराइयों का अंदाज़ा लगाया जा सकता है . जैसे ' तन्हाई ' पर आधारित इस कविता पर नज़र डालें :-
" चाँद तन्हा है, आसमाँ तन्हा,
दिल मिला है कहाँ- कहाँ तन्हा.
बुझ गई आस , छुप गया तारा,
थरथराता रहा धुआँ तन्हा.
ज़िंदगी क्या इसी को कहते हैं,
जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा.
हम सफर कोई गर मिले भी कहीं,
दोनों चलते रहें तन्हा - तन्हा.
जलती बुझती सी रोशनी के तरे ,
सिमटा - सिमटा सा एक मकान तन्हा,
राह देखा करेगा सदियों तक,
छोड़ जाएंगे ये जहाँ तन्हा. "
सच, मीना कुमारी की अभिनय क्षमताओं की ही तरह उनकी कविताओं में भी गहराई, ज़िंदगी की सच्चाई , ज़िंदगी के दर्द व घुटन का कोई भी अहसास कर सकता है . आइये , उस अतुल्य अभिनय क्षमताओं की धनी अभिनेत्री व कवियत्री को हम याद करते हैं व श्रृद्धांजलि अर्पित करते हैं. भले ही मीना कुमारी हमारे बीच नहीं पर उनकी यादें हर एक के दिलों में ज़िंदा हैं. आज भी उनके हुनर का कायल पूरा बॉलीवुड है . जीवन के तमाम संघर्षों के बाद भी सफलता के सर्वोच्च शिखर पर अपना परचम लहराने व कायम रखने वाली उस अभिनेत्री को हमारा सलाम !
" टुकड़े - टुकड़े दिन बीता ,
धज्जी - धज्जी रात मिली.
जिसका जितना आँचल था,
उतनी ही सौगात मिली.
जब चाहा दिल को समझे,
हँसने की आवाज़ सुनी,
जैसे कोई कहता हो,
ले फिर तुझको मात मिली.
माते कैसी , घातें क्या,
चले रहना आज कहे,
दिल सा साथी जब पाया,
बेचैनी भी साथ मिली. "
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copyright©2013 Rishabh Shukla.All rights reserved
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i wish to congratulate you for your wonderful e-zine . all the contents are very useful . keep up the good work . looking forward to your future issues .
ReplyDeletekrishna Natrajan
thanks for all the informations you provided on your e-zine . its indeed very informative and well designed .
ReplyDelete- Mridula Tripathi
your magazine .. i mean ezine is truly beautiful and informative . i look forward to every issue to get the latest updates on this ezine . keep the good work going .
ReplyDelete-Anita Bajpai
it is with greatest pleasure that i am writing to you . i am very happy with information and designs you provided here. it helps us a lot in knowing abt developments around the world..thanks !
ReplyDelete- Suchitra Mishra
best wishes ........................ keep it up
ReplyDeletei hereby congratulate you for your ezine . it is fanatastic and very informative . i was a regular reader of swapnil saundarya blog and its glad to see that now my favourite blog is available in the form of ezine . i am going to mark it in my reading lists. congratulate and best of luck .
ReplyDelete- Mona
wow ...beautifulllll website ...truly informative .keep it up
ReplyDeletelooking forward for its next issue ...good luck
congrats...and best of luck ..keep going
ReplyDeleteAWESOME EZINE .......... EXCELLENT PRESENTATION ...NICE CONTENT..BEST WISHES ...
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा यह ई- पत्रिका पढ्कर .... भारत में ये कॉनसेप्ट बिल्कुल नया है ....... पर आपने इसकी गुणवत्ता को बहुत बेहतरीन तरीके से बरकरार रखा है .... सुंदर व अनमोल पठनीय सामग्री को समेटे यह पत्रिका किसी भी आम पत्रिका के मुकाबले कहीं से भि कमतर नहीं है .... संपादक मंड्ली को आभार व बधाई.
ReplyDeleteऋषभ जी ... संपादकीय पढ़्कर यह अहसास हुआ कि सचमुच ज़िंदगी वाकई खूबसूरत है.
- विपुल पाठक .
very nice ezine . looking forward for the next issue . best wishes
ReplyDelete-Neha Rajan
captivating cover page and design . all the articles are very intresting and insightful . love the way you presented the first issue .
ReplyDeleteplz . also provide facility of PDF downloading of full ezine .
- Kalpana Srivastava .
lovely ..beautiful and amazingly awesome online magazine ....love editorial a lot .thanks and congrats
ReplyDeleteA 1 online magazine ....best wishes ....i m from hyderabad ....a telugu person but my hindi is good only and u wrote excellent hindi ...so if it wud be possible to add a facility like english translation is also available here etc ..... if u can i will be highly obliged because i want my children both my son and daughter must read this eye opener and highly informative magazine ....its like so many gud things at one place ...thnks
ReplyDeletegreat one .keep going
ReplyDeleteवाह...कई तरह की कलाकृतियों, आलेखों से सुसज्जित एक बेहतरीन ब्लाग...इतनी सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeletevery nice online magazine ..congrts
ReplyDeleteawesome presentation ..great info .keep it up
ReplyDeletewow..amazingly fantastic blog here ...thanks 4 sharing such informative content
ReplyDelete- Tripti Sinha
great online magazine............
ReplyDeletekeep it up :)
विविध रंगों , कलाओं व महत्वपूरण जानकारियओं से लैस आपकी ई- पत्रिका सराहनीय है . बहुत अलग चीज़ पाठकों के समक्ष प्रस्तुत की है आपने . संपादक महोदय को अभिनंदन .
ReplyDeleteशुभकामनाओं सहित .
विपुल दिक्षित