Time to be Bold & Prepare for War | #Hathras | Swapnil Saundarya


SWAPNIL  SAUNDARYA e-zine  
( Vol- 08, Year - 2020, SPECIAL  ISSUE  )

| Time to be Bold & Prepare for War | #Hathras | 



Published by 
Aten Publishing House

'The Bold Brigade’, a collective to celebrate the Inclusive Power of Arts.


उत्तर प्रदेश के हाथरस कांड की पीड़िता ने 29 सितंबर, 2020 की सुबह दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया| 14 सितंबर को चार लोगों ने इस 19 वर्षीय लड़की का कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया था जिससे पूरा भारत क्षुब्ध है। हैवानों ने गैंगरेप के बाद उसकी जीभ काट दी थी और उसकी रीढ़ की हड्डी भी तोड़ दी गई थी। वो बीते दो हफ्तों से मौत से जंग लड़ रही थी। सोमवार के दिन उसे अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी मेडिकल कॉलेज से दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल लाया गया था, जहां 29 सितंबर की सुबह उसने दम तोड़ दिया। इसके बाद से सोशल मीडिया पर #Hathras टॉप ट्रेंड कर रहा है। लोग युवती को नम आंखों से श्रद्धाजंलि दे रहे हैं। साथ ही, उसके लिए न्याय की मांग कर रहे हैं।

दरअसल ये कोई पहली और आखिरी घटना नहीं है| देशभर से मासूम बच्चियों और महिलाओं के साथ बलात्कार, हत्या, एसिड फेंकने जैसी घटनाएं लगभग रोज पढ़ने को मिल जाती हैं| 

इस नृशंस घटना को लेकर कानपुर की अंजू, साक्षी, दीक्षा,  सुधा, गीता व् अराधना ने दोषियों को शीघ्रातिशीघ्र सख़्त से सख़्त सज़ा देने की मांग की है |


We are taught not to rape ! 
But not, what rape is.......

Rape is not just finding a woman on the street and assaulting her. But this what is primarily taught in public education health classes. 

Rape is also: having sex after she has asked you to stop (regardless if she agreed at first) , coercing the victim into having sex with you ("you don't love me unless we have sex") , having sex with a person who cannot consent for any reason (underage, drunk etc), making the victim feel obligated into having sex , forcing sex upon a spouse or other domestic partner and any other form of forcing sexual activity (-ies) on to another person without their consent.

We need to know what rape is, so that we can stop it for good.

Say no to Rape


घटना के विषय पर महिला और बाल अधिकार कार्यकर्ता गीता यादव (Women's & Children's rights Activist Geeta Yadav) ने बताया, "आंकड़ों के अनुसार, हर 20 मिनट में भारत में एक महिला के साथ बलात्कार होता है। 2012 में, एक 23 वर्षीय छात्रा के साथ निर्मम बलात्कार और फिर हत्या के परिणामस्वरूप पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन की लहर उठी। लम्बी बहस और कानूनी प्रक्रिया के बाद निर्भया गैंगरेप और हत्या के दोषियों को फांसी की सज़ा मिली। निश्चित रूप से ऐसे जघन्य अपराध को अंजाम देने वालों को जीने का कोई अधिकार नहीं है। यह दुखद है कि निर्भया मामले में दोषी कानूनी खामियों का इस्तेमाल करते हुए मौत की सज़ा से लम्बे समय तक बचते रहे पर अंततः उन्हें उनके नपुसंक कर्मों के लिए दंड मिला । विडम्बना तो यह है कि इस घटना के बाद भी बलात्कार की वारदातों में गिरावट नहीं हुई| जिसका कारण लम्बी व् लचर क़ानून व्यवस्था है |  हमें अपने कानून में संशोधन करने की सख्त जरूरत है ताकि बलात्कार के मामलों में 6 महीने के भीतर फांसी हो जाए और ऐसे कृत्य करने वालों का व् उनका साथ  देने वालों का सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए| 

महिला और बाल अधिकार कार्यकर्ता अराधना रावत  (Women's & Children's rights Activist Aradhana Rawat) ने न्याय की मांग करते हुए कहा, "हमारे देश का कानून लचर है, ये सब मानते हैं| अगर कानून सख़्त हो तो शायद अपराधिक मामलों की संख्या बहुत कम हो जाती| देखा जाए तो प्रशासन और पुलिस कमजोर नही हैं, कमजोर है उनकी सोच और समस्या से लड़ने की उनकी इच्छा शक्ति| पैसे वाले जब आरोपों के घेरे में आते हैं तो प्रशासनिक शिथिलताएं उन्हें कटघरे के बजाय बचाव के गलियारे में ले जाती हैं| अब तक कई मामलों में कमजोर कानून से गलियां ढूंढ़कर अपराधी के बच निकलने के कई किस्से सामने आ चुके हैं| कई बार सबूत के आभाव में न्याय नहीं मिलता और अपराधी छूट जाता है. अंततः हमें बलात्कार को धर्म, मजहब के चश्मे से नहीं देखना चाहिए| बलात्कारी कहीं भी हो सकते हैं, किसी भी चेहरे के पीछे, किसी भी बाने में, किसी भी तेवर में, किसी भी सीरत में| बलात्कार एक प्रवृति है. उसे चिन्हित करने, रोकने और उससे निपटने की दिशा में यदि हम सब एकमत होकर काम करें तो संभवतः इस प्रवृत्ति का नाश कर सकते हैं|"

डिज़ाइनर, सस्टेनेबिलिटी एक्टिविस्ट व् स्वप्निल सौंदर्य लेबल की मुखिया स्वप्निल शुक्ला (Designer, Sustainability Activist, owner of Swapnil Saundarya label, Swapnil Shukla) ने बताया कि "जब तक यह राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय गौरव की समस्या नहीं बन जाती, तब तक हम कुछ भी बदलते नहीं देख पायेंगे । ऐसे दिल दहला देने वाली घटनाओं पर समाज के कुछ ठेकेदारों का लड़्कियों के बलात्कार और उनके दोषियों के मानवाधिकारों की विवेचना खुद समाज की संकीर्ण मानसिकता पर तमाचे जैसा है| देश के युवा अब पहले से अधिक जागरूक हैं और अपने अधिकारों के साथ कर्त्तव्यों के लिए जवाबदेही से पीछे नहीं हटते हैं | ऐसे ही युवाओं को एकजुट होकर न्याय की मांग और सख़्त कार्रवाई के लिए जंग जारी रखनी होगी| और हमें किसी भी हाल में इस तथ्य को नज़रअंदाज़ नहीं करना है कि 'दंड' ही न्याय है|"


I raise my voice not so I can shout but so that those without a voice can be heard!

Silence has no honour.......

ईश्वर ने नर और नारी की शारीरिक संरचना भिन्न इसलिए बनाई कि यह संसार आगे बढ़ सके| परिवेश में घुलती अनैतिकता और बेशर्म आचरण ने पुरुषों के मानस में स्त्री को मात्र भोग्या ही निरूपित किया है| यह आज की बात नहीं है बल्कि बरसों-बरस से चली आ रही एक लिजलिजी मानसिकता है जो दिन-प्रतिदिन फैलती जा रही है| हमारी सामाजिक मानसिकता भी स्वार्थी हो रही है| फलस्वरूप किसी भी मामले में हम स्वयं को शामिल नहीं करते और अपराधी में व्यापक सामाजिक स्तर पर डर नहीं बन पाता|

स्त्री सशक्तिकरण व रक्षा के संदर्भ में घिसी-पिटी बातों -विवादों से हमारा लगभग हर रोज साक्षात्कार होता है और इन बात विवाद, बहसों का अंत सिर्फ इस वाक्य के साथ हो जाता है कि स्त्री रक्षा व कल्याण के लिये ज़मीनी स्तर पर कार्य करने की जरुरत है | कभी कभी तो दोषियों के मानवाधिकारों पर भी लम्बी बहस छिड़ जाती है | मुद्दे को भटकाने में बहुत से लोग, संस्थाएं बेहतर कार्य कर रही हैं| मुद्दों का राजनीतिकरण करने में भी बहुत से लोगों को सिद्धि प्रसिद्धि प्राप्त है | अपराध का राजनीतिकरण भी आम हो गया है| किसी मुद्दे को तब तक घसीटना जब तक दोषियों को दोष मुक्त और पीड़ित को ही दोषी करार देना आसान न हो जाए, इसमें भी समाज के श्वेत कॉलर वाले बुद्धजीवियों ने वाचस्पति की उपाधि अर्जित कर ली है | अतः वे लोग जो वाकई न्याय चाहते हैं, उन्हें एकजुट  होकर भीषण युद्ध के लिए तैयार होना होगा और इस बात से हम सभी वाकिफ़ हैं कि हर युद्ध का परिणाम रक्तरंजित ही होता है | 

स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन के ज़रिये हम आप सभी योद्धाओं का आह्वान करते हैं, 'महाभारत' के युद्ध की 'द्रौपदी' बन जाने के लिए....... अपराजिता, महाभारती बन जाने के लिए और अन्याय,अनाचार व् हिंसा के खिलाफ युद्ध का बिगुल बजाने के लिए |

- Rishabh Shukla
Founder-Editor
Swapnil Saundarya ezine
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🦋Swapnil Saundarya🦋
 Decade of Action
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1️⃣0️⃣Yrs Campaign to generate awareness to take action for SDGs🌈
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UNBOXING PEOPLE'S THINKING ABOUT GENDER ISSUES 

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SWAPNIL SAUNDARYA DECADE OF ACTION FOR SDGS 


About us|
Swapnil Saundarya ezine, founded in 2013 is India's first hindi lifestyle online magazine that curates info on art , lifestyle, culture , literature, social issues etc and inspire its readership to raise their voice against all sorts of violence and discrimination. We focus on art Activism, protest art and participatory communication and social action.

Swapnil Sauundarya Label , Launched in the year 2015 is a Government registered  Enterprise where you can  find all your wardrobe needs of  jewelry, accessories, Interior Products , Paintings , Fashion and Lifestyle books, green products  under one  roof. Swapnil Saundarya Label offers a complete sustainable lifestyle solution. The brainchild of Brother and Sister Duo  Visual Artist-Writer  Rishabh Shukla and Jewellery- Fashion Designer  Swapnil Shukla, Swapnil Saundarya Label  is a contemporary luxury and lifestyle brand established on social and environmentally sustainable principles.

Swapnil Saundarya Label's articles are true example of  perfectly  handcrafted Product. The Production processes used in their crafts typically have a low carbon footprint and promote the use of locally available materials as well as natural and organic materials where possible which requires low energy and sustained our environment. The Label also provide a source of earning and employment for the otherwise low skilled women, thereby improving their status within the household.



स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन - परिचय





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