Literary Diary of Sunita by Swapnil Saundarya
Presents
Literary Diary of Sunita
( From the Desk of Swapnil Saundarya ezine )
स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन - परिचय
फ़ैशन व लाइफस्टाइल से जुड़ी हर वो बात जो है हम सभी के लिये खास, पहुँचेगी आप तक , हर पल , हर वक़्त, जब तक स्वप्निल सौंदर्य के साथ हैं आप.
प्रथम, द्वितीय व तृतीय वर्ष की सफलता और आप सभी पाठकों के अपार प्रेम व प्रोत्साहन के बाद अब स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन ( Swapnil Saundarya ezine ) के चतुर्थ वर्ष को एक नई उमंग, जोश व लालित्य के साथ प्रस्तुत किया जा रहा है ताकि आप अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया बनाते रहें. सुंदर सपने देखते रहें और अपने हर सपने को साकार करते रहें .तो जुड़े रहिये 'स्वप्निल सौंदर्य' ब्लॉग व ई-ज़ीन के साथ .
और ..............
बनायें अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया .
( Make your Life just like your Dream World )
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चेतावनी : 'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' ( Swapnil Saundarya ezine ) में घरेलु नुस्खे, सौंदर्य निखार के लिए टिप्स एवं विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के संबंध में तथ्यपूर्ण जानकारी देने की हमने पूरी सावधानी बरती है . फिर भी पाठकों को चेतावनी दी जाती है कि अपने वैद्य या चिकित्सक आदि की सलाह से औषधि लें , क्योंकि बच्चों , बड़ों और कमज़ोर व्यक्तियों की शारीरिक शक्ति अलग अलग होती है , जिससे दवा की मात्रा क्षमता के अनुसार निर्धारित करना जरुरी है.
Literary Diary of Sunita
तुझे याद किया है ~
आँखों से छलकते पानी ने तुझे याद किया है,
दिल ही हर बेचैनी ने युझे याद किया है.
हँसते थे जो होंठ वो चुप हो गए,
होंठों की मुस्कुराहट ने तुझे याद किया है.
तेरे लिए थे जो जज़्बात इस दिल में,
दिल के हर जज़्बात ने तुझे याद किया है .
पहुँचे अगर तुम तक दिल की आवाज़ ,
आ जाना मेरे पास तुझे याद किया है.
कोई खुशी आती नहीं है अब मेरे पास,
आओ इस बहार ने तुझे याद किया है.
तेरे सिवा तन्हा जीना नहीं आता ,
जीने के लिए ज़िंदगी ने तुझे याद किया है.
हर दिन हर रात अब लंबी हो गई ,
कटती नहीं हैं रातें तुझे याद किया है.
जिस चाँद के पास बैठ कर करते थे बातें,
उस चाँद ने और चाँदनी ने तुझे याद किया है.
तेरे इश्क में ~
गर मालूम होता कि तुमसे
मिल कर हो जाएंगे हम बदनाम इस कदर
तेरी गली में भी न रखते हम कदम
जी लेते हम भी कुछ शान से
न होते बरबाद तेरे इश्क में इस कदर
अब तो ये हाल है इस दिल का
तुम्हें ही फरियद हर वक़्त करता है
हो दूर इससे तुम , फिर भी तुम्हें ही पाने के लिए ये मचलता है
तुमसे मिलना , मिल कर बातें करना
तुम्हारे साथ गुज़ारा हर लम्हा
अब याद आता है
रहूँ जिस हाल में भी मैं, हर पल बस तेरा ही ख्याल आता है.
काश पास मेरे आज तुम होते, हाल- ए -दिल तो बयां कर ही देते
रख कर कँधे पर सिर तेरे , कुछ नहीं तो रो ही देते.
- Sunita Singh
M.A ( Sociology and Hindi ), B.Ed , M.Phil ( Sociology )
G.P Verma PG College
समाज शास्त्र व हिंदी में परास्नातक ( डबल एम.ए) , बी.एड व समाज शास्त्र में एम. फिल उपाधियों से अलंकृत श्रीमती सुनीता सिंह (Sunita Singh ) वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के जी.पी वर्मा पी. जी कॉलेज में प्राध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं. साहित्य को वे समाज का आईना व अपने भावों की अभिव्यक्ति का श्रेष्ठ साधन मानती हैं .इनकी रचनाएं मुख्यत: प्रेम व श्रृंगार रस पर केंद्रित हैं.
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