Be Social with Priyanka by Swapnil Saundarya
SWAPNIL SAUNDARYA e-zine
Presents
Be Social with Priyanka ~
स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन - परिचय
कला , साहित्य, फ़ैशन, लाइफस्टाइल व सौंदर्य को समर्पित भारत की पहली द्वि-मासिक हिन्दी पत्रिका के चतुर्थ चरण अर्थात चतुर्थ वर्ष में आप सभी का स्वागत है .
फ़ैशन व लाइफस्टाइल से जुड़ी हर वो बात जो है हम सभी के लिये खास, पहुँचेगी आप तक , हर पल , हर वक़्त, जब तक स्वप्निल सौंदर्य के साथ हैं आप.
प्रथम, द्वितीय व तृतीय वर्ष की सफलता और आप सभी पाठकों के अपार प्रेम व प्रोत्साहन के बाद अब स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन ( Swapnil Saundarya ezine ) के चतुर्थ वर्ष को एक नई उमंग, जोश व लालित्य के साथ प्रस्तुत किया जा रहा है ताकि आप अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया बनाते रहें. सुंदर सपने देखते रहें और अपने हर सपने को साकार करते रहें .तो जुड़े रहिये 'स्वप्निल सौंदर्य' ब्लॉग व ई-ज़ीन के साथ .
और ..............
बनायें अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया .
( Make your Life just like your Dream World )
Launched in June 2013, Swapnil Saundarya ezine has been the first exclusive lifestyle ezine from India available in Hindi language ( Except Guest Articles ) updated bi- monthly . We at Swapnil Saundarya ezine , endeavor to keep our readership in touch with all the areas of fashion , Beauty, Health and Fitness mantras, home decor, history recalls, Literature, Lifestyle, Society, Religion and many more. Swapnil Saundarya ezine encourages its readership to make their life just like their Dream World .
www.issuu.com/swapnilsaundaryaezine
Founder - Editor ( संस्थापक - संपादक ) :
Rishabh Shukla ( ऋषभ शुक्ला )
Managing Editor (कार्यकारी संपादक) :
Suman Tripathi (सुमन त्रिपाठी)
Chief Writer (मुख्य लेखिका ) :
Swapnil Shukla (स्वप्निल शुक्ला)
Art Director ( कला निदेशक) :
Amit Chauhan (अमित चौहान)
Marketing Head ( मार्केटिंग प्रमुख ) :
Vipul Bajpai (विपुल बाजपई)
'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' ( Swapnil Saundarya ezine ) में पूर्णतया मौलिक, अप्रकाशित लेखों को ही कॉपीराइट बेस पर स्वीकार किया जाता है . किसी भी बेनाम लेख/ योगदान पर हमारी कोई ज़िम्मेदारी नहीं होगी . जब तक कि खासतौर से कोई निर्देश न दिया गया हो , सभी फोटोग्राफ्स व चित्र केवल रेखांकित उद्देश्य से ही इस्तेमाल किए जाते हैं . लेख में दिए गए विचार लेखक के अपने हैं , उस पर संपादक की सहमति हो , यह आवश्यक नहीं है. हालांकि संपादक प्रकाशित विवरण को पूरी तरह से जाँच- परख कर ही प्रकाशित करते हैं, फिर भी उसकी शत- प्रतिशत की ज़िम्मेदारी उनकी नहीं है . प्रोड्क्टस , प्रोडक्ट्स से संबंधित जानकारियाँ, फोटोग्राफ्स, चित्र , इलस्ट्रेशन आदि के लिए ' स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता .
कॉपीराइट : 'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' ( Swapnil Saundarya ezine ) के कॉपीराइट सुरक्षित हैं और इसके सभी अधिकार आरक्षित हैं . इसमें प्रकाशित किसी भी विवरण को कॉपीराइट धारक से लिखित अनुमति प्राप्त किए बिना आंशिक या संपूर्ण रुप से पुन: प्रकाशित करना , सुधारकर संग्रहित करना या किसी भी रुप या अर्थ में अनुवादित करके इलेक्ट्रॉनिक या यांत्रिक , प्रतिलिपि, रिकॉर्डिंग करना या दुनिया के किसी भी हिस्से में प्रकाशित करना निषेध है . 'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' के सर्वाधिकार ' ऋषभ शुक्ल' ( Rishabh Shukla ) के पास सुरक्षित हैं . इसका किसी भी प्रकार से पुन: प्रकाशन निषेध है.
चेतावनी : 'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' ( Swapnil Saundarya ezine ) में घरेलु नुस्खे, सौंदर्य निखार के लिए टिप्स एवं विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के संबंध में तथ्यपूर्ण जानकारी देने की हमने पूरी सावधानी बरती है . फिर भी पाठकों को चेतावनी दी जाती है कि अपने वैद्य या चिकित्सक आदि की सलाह से औषधि लें , क्योंकि बच्चों , बड़ों और कमज़ोर व्यक्तियों की शारीरिक शक्ति अलग अलग होती है , जिससे दवा की मात्रा क्षमता के अनुसार निर्धारित करना जरुरी है.
मनुष्य समाज में रहता है और प्रत्येक समाज के अपने मानदण्ड एवं मूल्य होतें हैं. उन्हीं मूल्यों व मानदण्डों के आधार पर उस समाज का विकास और प्रगति का मूल्यांकन होता है. इन्हीं मूल्यों के आधार पर समाज में उचित , अनुचित , महत्वपूर्ण ,अमहत्वपूर्ण आदि को जानने का प्रयास किया जाता है.मूल्य प्रत्येक समाज में विभिन्नता लिए हुए समूह की समूह से , व्यक्ति की व्यक्ति से पारस्परिक व्यवहारों को निर्धारित करते हैं.
मूल्य ऐसे सामाजिक आदर्श हैं जो सामाजिक मानव की समय समय पर भिन्न भिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति में सहायक होते हैं. मूल्य अपने जीवन से अपने आप से , पर्यावरण से , समाज एवं संस्कृति से तथा मानव अस्तित्व एवं उसके अनुभवों से प्राप्त होते हैं.
वर्तमान समाज आधुनिकीकरण , नगरीकरण , पश्चिमीकरण ,औद्योगीकरण , पश्चिमी शिक्षा , यातायात एवं संचार के साधनों और विभिन्न आंदोलनों आदि से प्रभावित होकर अपने परंपरागत एवं सामुदायिक मूल्यों को संकट में डाल दिया है .इसके फलस्वरुप समाज में विभिन्न प्रकार की व्याधियाँ उत्पन्न होकर समाज को ग्रसित करती जारही हैं.इसलिए यह आवश्यक है कि इस प्रौद्योगिकी , विज्ञान, आधुनिकीकरण,वैश्वीकरण , उदारीकरण , महिला सशक्तिकरण के दौर में अपने मूल्यों को किसी भी प्रकार से प्रभावित न होने दिया जाए.
सामाजिक मूल्य, वे मानक या धारणायें हैं जिनके आधार पर हम किसी व्यक्ति के व्यवहार , वस्तु के गुण एवं लक्षण , साधन एवं भावनाओं आदि को उचित या अनुचित , अच्छा या बुरा ठहरा सकते हैं. मूल्य एक प्रकार से सामाजिक माप का पैमाना है जिसके आधार पर किसी वस्तु का आंकलन किया जाता है. वर्तमान समय में हमारे परंपरागत मूल्यों में गिरावट आती जा रही है. यदि भारतीय समाज का परंपरागत मल्यों के आधार पर विकास न किया अया और इसकी प्रगति की ओर अग्रसर न कराया गया तो आने वाला समाज एक संक्रमित समाज होगा जहाँ भारतीय समाज की विशेषताएं प्रेम,दया, स्नेह,सहयोग,मानवता, संस्कार,आदि की जगह परस्पर संघर्ष दिखाई देगा. आज भारतीय समाज को वैश्वीकरण , नगरीकरण, आधुनिकीकरण , महिला सशक्तिकरण के दौर में अपने अपने मूल्यों को बनाएं रखकर सार्थक सहयोग देना चाहिये. आज वैश्वीकरण के दौर में आर्थिक रुप से भारत , विश्व के अग्रणी देशों के साथ है परंतु कहीं न कहीं पश्चिमी मूल्यों से प्रभावित भी है. अत: प्रगति और विकास के लिए अन्य मूल्यों का सात्मीकरण करके अपने सामाजिक , सांस्कृतिक मूल्यों को बनकर रखने का प्रयत्न करना चाहिये अन्यथा यह एक संकट के रुप में उम्र भर सभी के समक्ष प्रकट हो जाएगा.
- प्रियंका सिंह
सहा. प्रवक्ता ( समाजशास्त्र )
महिला महाविद्यालय
************************
अंतरपीढ़ी संघर्ष
वर्तमान समय में हम अपने
आसपास ऐसा वातावरण देखते हैं जहाँ माता पिता और बच्चों के बीच, छात्र
शिक्षकों के बीच पारस्परिक विचारों के मध्य संघर्ष पाया जाताहै. यह संघर्ष
पीढ़ी दर पीढ़ी प्राचीन काल से देखने को मिलता है . प्राचीन समय में यह
संघर्ष इतना ज्यादा देखने को नहीं मिलता था क्योंकि उस समय जाति व्यवस्था
थी जिसकी अपनी कुछ विशेषताएं थीं . लेकिन वर्तमान समय वर्ग व्यवस्था में
परिवर्तित हो गया है जिसके कारण यह संघर्ष विस्तृत रुप से देखने को मिलता
है . यह संघर्ष अंतरपीढ़ी संघर्ष कहलाता है.
अंतरपीढ़ी संघर्ष दो पीढ़ियों में उनके विचारों के मध्य पाया जाने वाला संघर्ष होता है . पुराने समय में और वर्तमान समय में इसका स्वरुप भिन्न है .आज वर्तमान समय में जितना तेजी से इसका स्वरुप परिवर्तित हो रहा है उससे भविष्य की कल्पना करना एक कठिन कार्य होगा .प्राचीन समय में पिता पुत्र के व्यवसायों को लेकर , विवाह को लेकर यह अंतर्द्वन्द देखने को मिलता था. वर्तमान समय में यह लड़्के या लड़कियों के वापस घर देर से आना या दोस्तों के साथ घूमने को लेकर,उनके शिक्षण व्यवसाय संबंधी विषयों को लेकर उनके बीच संघर्ष देखने को मिलता है.इसके पीछे के कारणों पर नज़र डालें तो अंतरपीढ़ी संघर्ष को अधिक सहजता से समझा जा सकता है.
भौतिक सुख सुविधाओं की होड़ में व्यक्ति अपने आपको अपने परिवार से दूर करता जा रहा है. माता- पिता दोनों ही नौकरी पेशा होने के कारण बच्चों को अपना समय दने में असमर्थ होते हैं जिसके फलस्वरुप उनके बीच की खाई बढ़ती जा रही है. माता -पिता और बच्चे , खुद को वर्तमान वातावरण के अनुसार ढाल नहीं पाते जिसके कारण संघर्ष की स्थिति उत्पन्न होती है. कुछ परिस्थितियां जैसे लड़कियों की लड़कों से मित्रता , परिवार अच्छा नहीं मानते क्योंकि उनको लगता है कि उनके बच्चे इस स्थिति में सुरक्षित नहीं हैं , जिसके कारण उन लोगों में संघर्ष उत्पन्न होता है. आज भी बहुत से माता पिता परंपरागत विषयों का ही चुनाव करा कर बच्चों की पढ़ाई व व्यवसाय का चुनाव कराना चाहते हैं. वहीं बच्चे स्वयं की रुचि के अनुसार अपने विषय और व्यवसाय का चुनाव करना चाहते हैं.
इसके आलवा भी ऐसे बहुत से कारण हैं जिनके फलस्वरुप अंतरपीढ़ी संघर्ष की स्थिति उत्पन्न होती है.लेकिन यदि हम चाहें तो उचित तरीकों द्वारा इस समस्या से निज़ात पा सकते हैं.
सर्वप्रथम यह बेहद आवश्यक है कि माता -पिता अपने बच्चों का समाजीकरण इस प्रकार करें जिससे उनके बीच यह खाई उत्पन्न न हो सके. माता पिता को अपने बच्चों को उचित समय देना चाहिये, उनके बीच दोस्ती का, पारदर्शिता का रिश्ता होना चाहिये जिससे बच्चे अपनी हर बात सबसे पहने अपने अभिभावकों से बाँट सकें.
बच्चों को अपने अभिभावकों और शिक्षकों की भावनाओं को समझने का प्रयास करना चाहिये .साथ ही माता- पिता व शिक्षकों को इस बात का सदैव ध्यान रखना चहिये कि अपनी निज कुंठाओं का शिकार अबोध बच्चों को न होने दें.शिक्षक और छात्र छात्राओं के बीच एक सामंजस्य का रिश्ता होना चाहिये . शिक्षकों को छात्र छात्राओं को रुचिकर तरीके से पढ़ाना चाहिये.
समय परिवर्तनशील है इसलिये पीढ़ियों को वक़्तनुसार अपने आपको परिवर्तित करने का प्रयत्न करना चाहिये जिससे यह खाई जो पीढ़्यों के बीच उत्प्न्न होती जारही है , वह कम हो सके और एक स्वस्थ समाज का विकास हो सके.
- प्रियंका सिंह
सहा. प्रवक्ता ( समाजशास्त्र )
महिला महाविद्यालय
वनस्थली विद्यापीठ , राजस्थान से जीव विज्ञान विषय में गोल्ड मेडल के
साथ बी.एस.सी और समाज शास्त्र में परास्नातक व बी.एड की उपाधियों से
अलंकृत प्रियंका , सी टी ई टी ( CTET ) व नेट ( NET ) की परीक्षा भी
सफलतापूर्वक उत्तींर्ण कर चुकी हैं . वर्तमान समय में महिला महाविद्यालय
में समाजशास्त्र विभाग में सहा. प्रवक्ता व एन.सी.सी का कार्यभार सँभालने
के साथ -साथ महाविद्यालय की स्पोर्ट्स कनवेनर हैं. योगा में विशेष रुचि
रखने वाली प्रियंका का मानना है कि वर्तमान समय में लोगों में शिक्षा का
प्रतिशत तो बढ़्ता जा रहा है किंतु उनकी सोच व उनके विचारों में अभी भी
संकीर्ण व दकियानूसी विचारधाराओं का समावेश है जो हमारे समाज के लिए हितकर
नहीं. लोगों की सोच में सकारात्मक परिवर्तन उनके स्वयं के चिंतन पर ही
निर्भर करता है.
प्रिय पाठकों !
आपकी ओर से निरंतर प्राप्त हो रही सकारात्मक प्रतिक्रियाओं के लिए 'स्वप्निल सौंदर्य ई ज़ीन' की पूरी टीम की तरफ से आप सभी को हृ्दय से आभार . अपने आशीर्वाद, प्रेम व प्रोत्साहन की वर्षा हम पर सदैव करते रहें . आपकी टिप्पणियों , सलाहों एवं मार्गदर्शन का हमें बेसब्री से इतंज़ार रहता है . पत्रिका के लिए आपके लेख, रचनायें आदि सादर आमंत्रित हैं. कृ्प्या अपने पत्र के साथ अपना पूरा नाम ,पता, फोन नंo व पासपोर्ट साइज़ फोटो अवश्य संलग्न करें.
ई- मेल : swapnilsaundarya@gmail.com
shuklarishabh52@gmail.com
स्वप्निल सौंदर्य ई- ज़ीन में रचनायें भेजने व प्रकाशित कराने हेतु नियम :
स्वप्निल सौंदर्य ई- ज़ीन ( ई- पत्रिका ) मैं रचना प्रेषित करते समय कृ्प्या निम्न बातों का ध्यान रखें -
- रचना साफ - सुथरी हो व Word Text Format अथवा Rich Text Format पे लिखी गई हो .
- भेजी गई रचना मौलिक , अप्रकाशित व अप्रसारित होनी चाहिये. किसी भी पत्र- पत्रिका से चुराई गई रचना कृ्प्या न भेजें. यदि रचना चुराई गई है, और यह साबित हो गया तो उक्त व्यक्ति पर कोर्ट में कारवाई की जाएगी.
- रचना के साथ आपका पूरा नाम, पता, पिनकोड व पासपोर्ट साइज़ फोटो अवश्य भेजें.
- रचना पर शीर्षक के ऊपर मौलिकता के संबंध में साफ - साफ लिखें अन्यथा रचना पर विचार नहीं किया जाएगा.
- रचना सिंपल फांट ( Font ) में लिखी गई हो .
- रचना भेजते समय अपने बारे में संक्षिप्त ब्योरा जरुर दें . यदि स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन के किसी स्थायी स्तंभ के लिए रचना भेज रहे हैं तो उस स्तंभ का शीर्षक लिखना न भूलें.
- प्रत्येक स्वीकृ्त रचना का कॉपीराइट ( सर्वाधिकार ) पत्रिका के कॉपीराइट धारक का है और कोई स्वीकृ्त / प्रकाशित रचना कॉपीराइट धारक से पूर्वलिखित अनुमति लिए बिना अन्यत्र अनुदित , प्रकाशित या प्रसारित नहीं होनी चाहिये.
- स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन टीम ( Swapnil Saundarya ezine Team )
Swapnil Saundarya Label.
Make your life just like your Dream World .
copyright©2013-Present. Rishabh Shukla. All rights reserved
No part of this publication may be reproduced , stored in a retrieval system or transmitted , in any form or by any means, electronic, mechanical, photocopying, recording or otherwise, without the prior permission of the copyright owner.
Copyright infringement is never intended, if I published some of your work, and you feel I didn't credited properly, or you want me to remove it, please let me know and I'll do it immediately.
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Rishabh Shukla ( ऋषभ शुक्ला )
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Swapnil Shukla (स्वप्निल शुक्ला)
Art Director ( कला निदेशक) :
Amit Chauhan (अमित चौहान)
Marketing Head ( मार्केटिंग प्रमुख ) :
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'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' ( Swapnil Saundarya ezine ) में पूर्णतया मौलिक, अप्रकाशित लेखों को ही कॉपीराइट बेस पर स्वीकार किया जाता है . किसी भी बेनाम लेख/ योगदान पर हमारी कोई ज़िम्मेदारी नहीं होगी . जब तक कि खासतौर से कोई निर्देश न दिया गया हो , सभी फोटोग्राफ्स व चित्र केवल रेखांकित उद्देश्य से ही इस्तेमाल किए जाते हैं . लेख में दिए गए विचार लेखक के अपने हैं , उस पर संपादक की सहमति हो , यह आवश्यक नहीं है. हालांकि संपादक प्रकाशित विवरण को पूरी तरह से जाँच- परख कर ही प्रकाशित करते हैं, फिर भी उसकी शत- प्रतिशत की ज़िम्मेदारी उनकी नहीं है . प्रोड्क्टस , प्रोडक्ट्स से संबंधित जानकारियाँ, फोटोग्राफ्स, चित्र , इलस्ट्रेशन आदि के लिए ' स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता .
कॉपीराइट : 'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' ( Swapnil Saundarya ezine ) के कॉपीराइट सुरक्षित हैं और इसके सभी अधिकार आरक्षित हैं . इसमें प्रकाशित किसी भी विवरण को कॉपीराइट धारक से लिखित अनुमति प्राप्त किए बिना आंशिक या संपूर्ण रुप से पुन: प्रकाशित करना , सुधारकर संग्रहित करना या किसी भी रुप या अर्थ में अनुवादित करके इलेक्ट्रॉनिक या यांत्रिक , प्रतिलिपि, रिकॉर्डिंग करना या दुनिया के किसी भी हिस्से में प्रकाशित करना निषेध है . 'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' के सर्वाधिकार ' ऋषभ शुक्ल' ( Rishabh Shukla ) के पास सुरक्षित हैं . इसका किसी भी प्रकार से पुन: प्रकाशन निषेध है.
चेतावनी : 'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' ( Swapnil Saundarya ezine ) में घरेलु नुस्खे, सौंदर्य निखार के लिए टिप्स एवं विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के संबंध में तथ्यपूर्ण जानकारी देने की हमने पूरी सावधानी बरती है . फिर भी पाठकों को चेतावनी दी जाती है कि अपने वैद्य या चिकित्सक आदि की सलाह से औषधि लें , क्योंकि बच्चों , बड़ों और कमज़ोर व्यक्तियों की शारीरिक शक्ति अलग अलग होती है , जिससे दवा की मात्रा क्षमता के अनुसार निर्धारित करना जरुरी है.
Be Social with Priyanka ~
सामाजिक मूल्यों का संकट , कारण और समाधान
मनुष्य समाज में रहता है और प्रत्येक समाज के अपने मानदण्ड एवं मूल्य होतें हैं. उन्हीं मूल्यों व मानदण्डों के आधार पर उस समाज का विकास और प्रगति का मूल्यांकन होता है. इन्हीं मूल्यों के आधार पर समाज में उचित , अनुचित , महत्वपूर्ण ,अमहत्वपूर्ण आदि को जानने का प्रयास किया जाता है.मूल्य प्रत्येक समाज में विभिन्नता लिए हुए समूह की समूह से , व्यक्ति की व्यक्ति से पारस्परिक व्यवहारों को निर्धारित करते हैं.
मूल्य ऐसे सामाजिक आदर्श हैं जो सामाजिक मानव की समय समय पर भिन्न भिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति में सहायक होते हैं. मूल्य अपने जीवन से अपने आप से , पर्यावरण से , समाज एवं संस्कृति से तथा मानव अस्तित्व एवं उसके अनुभवों से प्राप्त होते हैं.
वर्तमान समाज आधुनिकीकरण , नगरीकरण , पश्चिमीकरण ,औद्योगीकरण , पश्चिमी शिक्षा , यातायात एवं संचार के साधनों और विभिन्न आंदोलनों आदि से प्रभावित होकर अपने परंपरागत एवं सामुदायिक मूल्यों को संकट में डाल दिया है .इसके फलस्वरुप समाज में विभिन्न प्रकार की व्याधियाँ उत्पन्न होकर समाज को ग्रसित करती जारही हैं.इसलिए यह आवश्यक है कि इस प्रौद्योगिकी , विज्ञान, आधुनिकीकरण,वैश्वीकरण , उदारीकरण , महिला सशक्तिकरण के दौर में अपने मूल्यों को किसी भी प्रकार से प्रभावित न होने दिया जाए.
सामाजिक मूल्य, वे मानक या धारणायें हैं जिनके आधार पर हम किसी व्यक्ति के व्यवहार , वस्तु के गुण एवं लक्षण , साधन एवं भावनाओं आदि को उचित या अनुचित , अच्छा या बुरा ठहरा सकते हैं. मूल्य एक प्रकार से सामाजिक माप का पैमाना है जिसके आधार पर किसी वस्तु का आंकलन किया जाता है. वर्तमान समय में हमारे परंपरागत मूल्यों में गिरावट आती जा रही है. यदि भारतीय समाज का परंपरागत मल्यों के आधार पर विकास न किया अया और इसकी प्रगति की ओर अग्रसर न कराया गया तो आने वाला समाज एक संक्रमित समाज होगा जहाँ भारतीय समाज की विशेषताएं प्रेम,दया, स्नेह,सहयोग,मानवता, संस्कार,आदि की जगह परस्पर संघर्ष दिखाई देगा. आज भारतीय समाज को वैश्वीकरण , नगरीकरण, आधुनिकीकरण , महिला सशक्तिकरण के दौर में अपने अपने मूल्यों को बनाएं रखकर सार्थक सहयोग देना चाहिये. आज वैश्वीकरण के दौर में आर्थिक रुप से भारत , विश्व के अग्रणी देशों के साथ है परंतु कहीं न कहीं पश्चिमी मूल्यों से प्रभावित भी है. अत: प्रगति और विकास के लिए अन्य मूल्यों का सात्मीकरण करके अपने सामाजिक , सांस्कृतिक मूल्यों को बनकर रखने का प्रयत्न करना चाहिये अन्यथा यह एक संकट के रुप में उम्र भर सभी के समक्ष प्रकट हो जाएगा.
- प्रियंका सिंह
सहा. प्रवक्ता ( समाजशास्त्र )
महिला महाविद्यालय
************************
अंतरपीढ़ी संघर्ष
अंतरपीढ़ी संघर्ष दो पीढ़ियों में उनके विचारों के मध्य पाया जाने वाला संघर्ष होता है . पुराने समय में और वर्तमान समय में इसका स्वरुप भिन्न है .आज वर्तमान समय में जितना तेजी से इसका स्वरुप परिवर्तित हो रहा है उससे भविष्य की कल्पना करना एक कठिन कार्य होगा .प्राचीन समय में पिता पुत्र के व्यवसायों को लेकर , विवाह को लेकर यह अंतर्द्वन्द देखने को मिलता था. वर्तमान समय में यह लड़्के या लड़कियों के वापस घर देर से आना या दोस्तों के साथ घूमने को लेकर,उनके शिक्षण व्यवसाय संबंधी विषयों को लेकर उनके बीच संघर्ष देखने को मिलता है.इसके पीछे के कारणों पर नज़र डालें तो अंतरपीढ़ी संघर्ष को अधिक सहजता से समझा जा सकता है.
भौतिक सुख सुविधाओं की होड़ में व्यक्ति अपने आपको अपने परिवार से दूर करता जा रहा है. माता- पिता दोनों ही नौकरी पेशा होने के कारण बच्चों को अपना समय दने में असमर्थ होते हैं जिसके फलस्वरुप उनके बीच की खाई बढ़ती जा रही है. माता -पिता और बच्चे , खुद को वर्तमान वातावरण के अनुसार ढाल नहीं पाते जिसके कारण संघर्ष की स्थिति उत्पन्न होती है. कुछ परिस्थितियां जैसे लड़कियों की लड़कों से मित्रता , परिवार अच्छा नहीं मानते क्योंकि उनको लगता है कि उनके बच्चे इस स्थिति में सुरक्षित नहीं हैं , जिसके कारण उन लोगों में संघर्ष उत्पन्न होता है. आज भी बहुत से माता पिता परंपरागत विषयों का ही चुनाव करा कर बच्चों की पढ़ाई व व्यवसाय का चुनाव कराना चाहते हैं. वहीं बच्चे स्वयं की रुचि के अनुसार अपने विषय और व्यवसाय का चुनाव करना चाहते हैं.
इसके आलवा भी ऐसे बहुत से कारण हैं जिनके फलस्वरुप अंतरपीढ़ी संघर्ष की स्थिति उत्पन्न होती है.लेकिन यदि हम चाहें तो उचित तरीकों द्वारा इस समस्या से निज़ात पा सकते हैं.
सर्वप्रथम यह बेहद आवश्यक है कि माता -पिता अपने बच्चों का समाजीकरण इस प्रकार करें जिससे उनके बीच यह खाई उत्पन्न न हो सके. माता पिता को अपने बच्चों को उचित समय देना चाहिये, उनके बीच दोस्ती का, पारदर्शिता का रिश्ता होना चाहिये जिससे बच्चे अपनी हर बात सबसे पहने अपने अभिभावकों से बाँट सकें.
बच्चों को अपने अभिभावकों और शिक्षकों की भावनाओं को समझने का प्रयास करना चाहिये .साथ ही माता- पिता व शिक्षकों को इस बात का सदैव ध्यान रखना चहिये कि अपनी निज कुंठाओं का शिकार अबोध बच्चों को न होने दें.शिक्षक और छात्र छात्राओं के बीच एक सामंजस्य का रिश्ता होना चाहिये . शिक्षकों को छात्र छात्राओं को रुचिकर तरीके से पढ़ाना चाहिये.
समय परिवर्तनशील है इसलिये पीढ़ियों को वक़्तनुसार अपने आपको परिवर्तित करने का प्रयत्न करना चाहिये जिससे यह खाई जो पीढ़्यों के बीच उत्प्न्न होती जारही है , वह कम हो सके और एक स्वस्थ समाज का विकास हो सके.
- प्रियंका सिंह
सहा. प्रवक्ता ( समाजशास्त्र )
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प्रिय पाठकों !
आपकी ओर से निरंतर प्राप्त हो रही सकारात्मक प्रतिक्रियाओं के लिए 'स्वप्निल सौंदर्य ई ज़ीन' की पूरी टीम की तरफ से आप सभी को हृ्दय से आभार . अपने आशीर्वाद, प्रेम व प्रोत्साहन की वर्षा हम पर सदैव करते रहें . आपकी टिप्पणियों , सलाहों एवं मार्गदर्शन का हमें बेसब्री से इतंज़ार रहता है . पत्रिका के लिए आपके लेख, रचनायें आदि सादर आमंत्रित हैं. कृ्प्या अपने पत्र के साथ अपना पूरा नाम ,पता, फोन नंo व पासपोर्ट साइज़ फोटो अवश्य संलग्न करें.
ई- मेल : swapnilsaundarya@gmail.com
shuklarishabh52@gmail.com
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- भेजी गई रचना मौलिक , अप्रकाशित व अप्रसारित होनी चाहिये. किसी भी पत्र- पत्रिका से चुराई गई रचना कृ्प्या न भेजें. यदि रचना चुराई गई है, और यह साबित हो गया तो उक्त व्यक्ति पर कोर्ट में कारवाई की जाएगी.
- रचना के साथ आपका पूरा नाम, पता, पिनकोड व पासपोर्ट साइज़ फोटो अवश्य भेजें.
- रचना पर शीर्षक के ऊपर मौलिकता के संबंध में साफ - साफ लिखें अन्यथा रचना पर विचार नहीं किया जाएगा.
- रचना सिंपल फांट ( Font ) में लिखी गई हो .
- रचना भेजते समय अपने बारे में संक्षिप्त ब्योरा जरुर दें . यदि स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन के किसी स्थायी स्तंभ के लिए रचना भेज रहे हैं तो उस स्तंभ का शीर्षक लिखना न भूलें.
- प्रत्येक स्वीकृ्त रचना का कॉपीराइट ( सर्वाधिकार ) पत्रिका के कॉपीराइट धारक का है और कोई स्वीकृ्त / प्रकाशित रचना कॉपीराइट धारक से पूर्वलिखित अनुमति लिए बिना अन्यत्र अनुदित , प्रकाशित या प्रसारित नहीं होनी चाहिये.
- स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन टीम ( Swapnil Saundarya ezine Team )
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