Legal & Social Awareness Diaries by Advocate Karim Ahmad ~2 | Swapnil Saundarya ezine
SWAPNIL SAUNDARYA e-zine
( Vol- 08, Year - 2020, SPECIAL ISSUE )
|| Legal & Social Awareness Diaries by Advocate Karim Ahmad ~2||
| दण्ड प्रक्रिया संहिता का इतिहास एवम विकास (History and development of Criminal Procedure Code) |
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Legal & Social Awareness by Advocate Karim Ahmad
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'The Bold Brigade’, a collective to celebrate the Inclusive Power of Arts.
दण्ड प्रक्रिया संहिता का इतिहास लगभग 122 वर्ष पुराना होने आया है। व्यवस्थित रूप से यह संहिता प्रथम बार सन 1898 में 'दण्ड प्रक्रिया संहिता'1898 के रूप में हमारे सामने आई थी। उस समय इसे जम्मू कश्मीर, नागालैंड एवं असम से जनजातीय क्षेत्रो को छोड़कर समस्त भारत पर लागू किया गया था। समय समय पर आवश्कयतानुसार दण्ड प्रक्रिया संहिता में संशोधन होते रहे। सबसे महत्वपूर्ण संशोधन सन 1923 व 1955 में हुये, ये संशोधन दण्ड प्रक्रिया संहिता को अत्यंत विस्तृत एवं प्रक्रिया को सरल बनाने तथा यथासम्भव शीघ्र विचारण की व्यवस्था करने वाले थे।
समय समय पर विभिन्न राज्यो की विधानपालिकाओं द्वारा भी कई स्थानीय संशोधन किये गये, जिनका मुख्य उद्देश्य न्यायपालिका को कार्यपालिका से पृथक करना था, जैसा कि संविधान के अध्याय 4 में 'राज्य के नीति निदेशक सिद्धान्तों' के अंतर्गत उपबन्धित किया गया है। लेकिन इन समस्त संशोधनों के बाद भी 1898 की दण्ड प्रक्रिया संहिता के प्राविधान व्यवहारिक रूप से अपरिवर्तनीय ही रहे। सन 1955 में प्रथम विधि आयोग की स्थापना तक इनमें महत्वपूर्ण परिवर्तन करने के कोई प्रयास नही किये गये।
प्रथम विधि आयोग की स्थापना:-
सन 1955 में प्रथम विधि आयोग की स्थापना की गई और उसे सिविल एवं आपराधिक विधि के न्याय-प्रशासन में सुधार के सम्बंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का कार्य सौंपा गया। सन 1958 में आयोग ने दीवानी व आपराधिक(Civil and Criminal) न्याय-प्रशासन में सुधार के सम्बंध में अपनी 14वीं रिपोर्ट प्रस्तुत की। यद्यपि इसमें दण्ड प्रक्रिया संहिता के प्राविधानों में संशोधन करने के लिये अनेक सुझाव दिये गये थे, लेकिन वे पूर्ण नही थे, अतः एक बार आयोग ने सम्पूर्ण दण्ड प्रक्रिया संहिता की परीक्षा एवं उसके पुनरीक्षण की एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर उसे सितंबर 1969 में प्रस्तुत किया। आयोग ने जो ये रिपोर्ट प्रस्तुत की उस रिपोर्ट पर शासन द्वारा सतर्कता से विचार किया गया और दिनांक-12 दिसम्बर 1973 को लोकसभा ने इसे दण्ड प्रक्रिया संहिता में 125वें संशोधन के रूप में पारित किया। राज्य सभा द्वारा इसे पहले ही दिनांक-18 सितम्बर 1973 को अपनी स्वीकृति प्रदान की जा चुकी थी। अंततः 24 जनवरी 1974 को महामहिम राष्ट्रपति महोदय के हस्ताक्षर होकर इसने वर्तमान दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 (अधिनियम संख्या 2 सन 1974) का रूप धारण कर लिया था। महामहिम राष्ट्रपति महोदय के हस्ताक्षर के उपरान्त दिनांक-1 अप्रैल 1974 को इसे लागू कर दिया गया था। भारत में आपराधिक कानून के क्रियान्यवन के लिये मुख्य कानून है।
नई दण्ड प्रक्रिया संहिता के मुख्य उद्देश्य:-
नई दण्ड प्रक्रिया संहिता का निर्माण जिन उद्देश्यों को लेकर किया गया था, उनमें से प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित है-
(a) अभियुक्त व्यक्ति के मामले का विचारण नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों (Principles of natural justice) के अनुसार किया जाना चाहिये।
(b) अन्वेषण (Investigation) एवं विचरण (Trial) में बिलम्ब को टालने के लिये यथासम्भव प्रयास किया जाना चाहिये।
(c) प्रक्रिया की पेचीन्दगी को दूर कर उसे सरल बनाया जाना चाहिये ताकि समाज का निर्धन वर्ग न्याय प्राप्त करने के लिये आश्वस्त हो सके।
(d) न्यायपालिका एवं कार्यपालिका के कार्यों को पृथक करना, जिससे न्यायिक मजिस्ट्रेट व कार्यपालक मजिस्ट्रेट के कार्यो का स्पष्ट विभाजन हो सके।
इस प्रकार नई संहिता का मुख्य उद्देश्य न्यायिक कार्यवाहियों में नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करना, बिलम्ब को टालना एवं प्रक्रिया को सरल बनाना रहा है।।
समय समय पर विभिन्न राज्यो की विधानपालिकाओं द्वारा भी कई स्थानीय संशोधन किये गये, जिनका मुख्य उद्देश्य न्यायपालिका को कार्यपालिका से पृथक करना था, जैसा कि संविधान के अध्याय 4 में 'राज्य के नीति निदेशक सिद्धान्तों' के अंतर्गत उपबन्धित किया गया है। लेकिन इन समस्त संशोधनों के बाद भी 1898 की दण्ड प्रक्रिया संहिता के प्राविधान व्यवहारिक रूप से अपरिवर्तनीय ही रहे। सन 1955 में प्रथम विधि आयोग की स्थापना तक इनमें महत्वपूर्ण परिवर्तन करने के कोई प्रयास नही किये गये।
प्रथम विधि आयोग की स्थापना:-
सन 1955 में प्रथम विधि आयोग की स्थापना की गई और उसे सिविल एवं आपराधिक विधि के न्याय-प्रशासन में सुधार के सम्बंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का कार्य सौंपा गया। सन 1958 में आयोग ने दीवानी व आपराधिक(Civil and Criminal) न्याय-प्रशासन में सुधार के सम्बंध में अपनी 14वीं रिपोर्ट प्रस्तुत की। यद्यपि इसमें दण्ड प्रक्रिया संहिता के प्राविधानों में संशोधन करने के लिये अनेक सुझाव दिये गये थे, लेकिन वे पूर्ण नही थे, अतः एक बार आयोग ने सम्पूर्ण दण्ड प्रक्रिया संहिता की परीक्षा एवं उसके पुनरीक्षण की एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर उसे सितंबर 1969 में प्रस्तुत किया। आयोग ने जो ये रिपोर्ट प्रस्तुत की उस रिपोर्ट पर शासन द्वारा सतर्कता से विचार किया गया और दिनांक-12 दिसम्बर 1973 को लोकसभा ने इसे दण्ड प्रक्रिया संहिता में 125वें संशोधन के रूप में पारित किया। राज्य सभा द्वारा इसे पहले ही दिनांक-18 सितम्बर 1973 को अपनी स्वीकृति प्रदान की जा चुकी थी। अंततः 24 जनवरी 1974 को महामहिम राष्ट्रपति महोदय के हस्ताक्षर होकर इसने वर्तमान दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 (अधिनियम संख्या 2 सन 1974) का रूप धारण कर लिया था। महामहिम राष्ट्रपति महोदय के हस्ताक्षर के उपरान्त दिनांक-1 अप्रैल 1974 को इसे लागू कर दिया गया था। भारत में आपराधिक कानून के क्रियान्यवन के लिये मुख्य कानून है।
नई दण्ड प्रक्रिया संहिता के मुख्य उद्देश्य:-
नई दण्ड प्रक्रिया संहिता का निर्माण जिन उद्देश्यों को लेकर किया गया था, उनमें से प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित है-
(a) अभियुक्त व्यक्ति के मामले का विचारण नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों (Principles of natural justice) के अनुसार किया जाना चाहिये।
(b) अन्वेषण (Investigation) एवं विचरण (Trial) में बिलम्ब को टालने के लिये यथासम्भव प्रयास किया जाना चाहिये।
(c) प्रक्रिया की पेचीन्दगी को दूर कर उसे सरल बनाया जाना चाहिये ताकि समाज का निर्धन वर्ग न्याय प्राप्त करने के लिये आश्वस्त हो सके।
(d) न्यायपालिका एवं कार्यपालिका के कार्यों को पृथक करना, जिससे न्यायिक मजिस्ट्रेट व कार्यपालक मजिस्ट्रेट के कार्यो का स्पष्ट विभाजन हो सके।
इस प्रकार नई संहिता का मुख्य उद्देश्य न्यायिक कार्यवाहियों में नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करना, बिलम्ब को टालना एवं प्रक्रिया को सरल बनाना रहा है।।
यह थी दोस्तो एडवोकेट्स समुदाय से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी, और स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन पर 'लीगल एंड सोशल अवेयरनेस डायरीज़ बाई एडवोकेट करीम अहमद' की श्रृंख्ला का दूसरा चरण |
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Karim Ahmad Advocate
|About Advocate Karim Ahmad|
Advocate Karim Ahmad needs no introduction in the world of law and justice. He is known for fighting for legal reformations as well as, for the people of India. Whether making amendments for fast-track court trials for special cases, fighting for rights of minority communities or, crucial discussions in the passing of bills and acts, his contributions cannot be overlooked.
Advocate Karim Ahmad openly opposed the lawyers who charged big bucks. He himself charged the lowest even after being a top lawyer one can find in India.
He is a criminal lawyer and has been practising law since last two decades and also serving his services for the people from vulnerable section of the society to increase their access to justice.
With the motive to aware general public of various legal aspects, he is running his own vlog on YouTube and provide immediate legal advice to needy people via wats app.
Court Chamber-
Near election office, court compound kanpur 208001 (Timing 10am to 4pm)
Evening Chamber-
117/94, A purani basti kakadev kanpur 208025 (Time 7.30pm to 9.30pm)
Email-
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Swapnil Saundarya ezine, founded in 2013 is India's first hindi lifestyle online magazine that curates info on art , lifestyle, culture , literature, social issues etc and inspire its readership to raise their voice against all sorts of violence and discrimination. We focus on art Activism, protest art and participatory communication and social action.
Swapnil Sauundarya Label , Launched in the year 2015 is a Government registered Enterprise where you can find all your wardrobe needs of jewelry, accessories, Interior Products , Paintings , Fashion and Lifestyle books, green products under one roof. Swapnil Saundarya Label offers a complete sustainable lifestyle solution. The brainchild of Brother and Sister Duo Visual Artist-Writer Rishabh Shukla and Jewellery- Fashion Designer Swapnil Shukla, Swapnil Saundarya Label is a contemporary luxury and lifestyle brand established on social and environmentally sustainable principles.
Swapnil Saundarya Label's articles are true example of perfectly handcrafted Product. The Production processes used in their crafts typically have a low carbon footprint and promote the use of locally available materials as well as natural and organic materials where possible which requires low energy and sustained our environment. The Label also provide a source of earning and employment for the otherwise low skilled women, thereby improving their status within the household.
स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन - परिचय
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चेतावनी : 'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' ( Swapnil Saundarya ezine ) में घरेलु नुस्खे, सौंदर्य निखार के लिए टिप्स एवं विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के संबंध में तथ्यपूर्ण जानकारी देने की हमने पूरी सावधानी बरती है . फिर भी पाठकों को चेतावनी दी जाती है कि अपने वैद्य या चिकित्सक आदि की सलाह से औषधि लें , क्योंकि बच्चों , बड़ों और कमज़ोर व्यक्तियों की शारीरिक शक्ति अलग अलग होती है , जिससे दवा की मात्रा क्षमता के अनुसार निर्धारित करना जरुरी है.
India's First Chemo Dolls By Swapnil Saundarya
Luxury crafts manufacturing firm 'Swapnil Saundarya Label' takes great pride to create its exclusive range of chemo dolls which can help in conveying the psychosocial effects of treatment to cancer patients .
Swapnil Saundarya Chemo Dolls are created with an extremely rare condition where they do not have hair , they went through all their cancer treatments with their chemo, radiation and surgery .
These Chemo Doll with the ' Fighting Spirit ' help to affirm and support the struggles of cancer patients. These dolls are designed to encourage Cancer patients who have to go through chemo therapy and will likely lose their hair. Swapnil Saundarya Chemo Dolls are dolls for children as well as for adults in treatments for cancer.
Swapnil Saundarya Label manufactured their first Chemo doll in 2017, but instead of placing them on sale for profit, distributed them to various NGOs.
Doll Designer 'Swapnil' has designed chemo dolls which are simply beautiful and bald , each with their own removable colorful hat adjoining with the doll's hand representing the power to fight against the terrible disease Cancer . These dolls are dedicated to all of them battling this awful disease.
"Our goal is to place Swapnil Saundarya Chemo Dolls in the arms of all cancer patients who need a hug and to put big smiles on their faces .You can nominate any child with cancer who needs a new best friend Doll and the firm will ship his or her new doll with lots of love and care from Swapnil Saundarya Label", said Swapnil, co -owner.
Rishabh , co-owner of Swapnil Saundarya Label said "we hope our dolls have the magic to make their own best friends feel super brave and courageous. Our mission is to provide emotional support to children and adults in treatment for cancer and other serious illnesses through our chemo dolls "
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Talkistaan :: The Talk Show || Success Stories with Anurag
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in Hindi Fashion :: Swapnil
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