Swapnil Saundarya e-zine # Volume -03 , Issue -03, 2015


।। Swapnil Saundarya e-zine ।।
 ।। स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन ।।
Volume  -03 , Issue -03,  2015  



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स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन - परिचय


कला , साहित्य,  फ़ैशन, लाइफस्टाइल व सौंदर्य को समर्पित भारत की पहली हिन्दी द्वि-मासिक हिन्दी पत्रिका के तीसरे चरण अर्थात तृ्तीय  वर्ष में आप सभी का स्वागत है .

फ़ैशन व लाइफस्टाइल  से जुड़ी हर वो बात जो है हम सभी के लिये खास, पहुँचेगी आप तक , हर पल , हर वक़्त, जब तक स्वप्निल सौंदर्य के साथ हैं आप.

प्रथम एवं द्वितीय  वर्ष की सफलता और आप सभी पाठकों के अपार प्रेम व प्रोत्साहन  के बाद अब स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन  ( Swapnil Saundarya ezine )   के तृ्तीय वर्ष को एक नए रंग - रुप व कलेवर के साथ प्रस्तुत किया जा रहा है ताकि आप  अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया बनाते रहें. सुंदर सपने देखते रहें और अपने हर सपने को साकार करते रहें .तो जुड़े रहिये 'स्वप्निल सौंदर्य' ब्लॉग व ई-ज़ीन  के साथ .

और ..............

बनायें अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया .
( Make your Life just like your Dream World )



Launched in June 2013, Swapnil Saundarya ezine has been the first exclusive lifestyle ezine from India available in Hindi language ( Except Guest Articles ) updated bi- monthly . We at Swapnil Saundarya ezine , endeavor to keep our readership in touch with all the areas of fashion , Beauty, Health and Fitness mantras, home decor, history recalls, Literature, Lifestyle, Society, Religion and many more.

Swapnil Saundarya ezine encourages its readership to make their life just like their Dream World .

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Founder - Editor  ( संस्थापक - संपादक ) : 
Rishabh Shukla  ( ऋषभ शुक्ला )

Managing Editor (कार्यकारी संपादक) : 
Suman Tripathi (सुमन त्रिपाठी)

Chief  Writer (मुख्य लेखिका ) : 
Swapnil Shukla (स्वप्निल शुक्ला)
Art Director ( कला निदेशक) :
Amit Chauhan  (अमित चौहान)
Marketing Head ( मार्केटिंग प्रमुख ) :
Vipul Bajpai     (विपुल बाजपई)



'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' ( Swapnil Saundarya ezine )  में पूर्णतया मौलिक, अप्रकाशित लेखों को ही कॉपीराइट बेस पर स्वीकार किया जाता है . किसी भी बेनाम लेख/ योगदान पर हमारी कोई ज़िम्मेदारी नहीं होगी . जब तक कि खासतौर से कोई निर्देश न दिया गया हो , सभी फोटोग्राफ्स व चित्र केवल रेखांकित उद्देश्य से ही इस्तेमाल किए जाते हैं . लेख में दिए गए विचार लेखक के अपने हैं , उस पर संपादक की सहमति हो , यह आवश्यक नहीं है. हालांकि संपादक प्रकाशित विवरण को पूरी तरह से जाँच- परख कर ही प्रकाशित करते हैं, फिर भी उसकी शत- प्रतिशत की ज़िम्मेदारी उनकी नहीं है . प्रोड्क्टस , प्रोडक्ट्स से संबंधित जानकारियाँ, फोटोग्राफ्स, चित्र , इलस्ट्रेशन आदि के लिए ' स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता .


कॉपीराइट : 'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन '   ( Swapnil Saundarya ezine )   के कॉपीराइट सुरक्षित हैं और इसके सभी अधिकार आरक्षित हैं . इसमें प्रकाशित किसी भी विवरण को कॉपीराइट धारक से लिखित अनुमति प्राप्त किए बिना आंशिक या संपूर्ण रुप से पुन: प्रकाशित करना , सुधारकर  संग्रहित करना या किसी भी रुप या अर्थ में अनुवादित करके इलेक्ट्रॉनिक या यांत्रिक , प्रतिलिपि, रिकॉर्डिंग करना या दुनिया के किसी भी हिस्से में प्रकाशित करना निषेध है . 'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' के सर्वाधिकार ' ऋषभ शुक्ल' ( Rishabh Shukla )  के पास सुरक्षित हैं . इसका किसी भी प्रकार से पुन: प्रकाशन निषेध है.


चेतावनी : 'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन '  ( Swapnil Saundarya ezine )   में घरेलु नुस्खे, सौंदर्य निखार के लिए टिप्स एवं विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के संबंध में तथ्यपूर्ण जानकारी देने की हमने पूरी सावधानी बरती है . फिर भी पाठकों को चेतावनी दी जाती है कि अपने वैद्य या चिकित्सक आदि की सलाह से औषधि लें , क्योंकि बच्चों , बड़ों और कमज़ोर व्यक्तियों की शारीरिक शक्ति अलग अलग होती है , जिससे दवा की मात्रा क्षमता के अनुसार निर्धारित करना जरुरी है. 







संपादकीय
प्रिय पाठकों .......

आप सभी को नमस्ते !


स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन के तृ्तीय वर्ष के तृ्तीय  अंक में आप सभी का स्वागत है .





 ' हारे हुए लोग ' ..... 'हार' , 'असफलता' , 'मात' बड़े ही निराशावादी शब्द हैं.... शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जो अपने नाम के साथ इन शब्दों को जोड़ना पसंद करेगा. पर आखिर कौन होते हैं व  किन लोगों को कहेंगे आप ' हारे हुए लोग ' ........
हममें से बहुत से लोग अक्सर यह दावा करते हैं कि उन्होंने ज़िंदगी में जो चाहा वो पाया, जीवन के हर रंग को अपने अनुरुप चुना और उस रंग में ढल गए. ऐसे लोगों के अनुसार उनका जीवन परफेक्ट होता है जिसमें सपने , रिश्ते, सुख , सुविधाएं व सारी दुनिया उनकी अपनी होती है. जीवन उत्साह और रस से भरा होता है और वे निश्चिंतता से अपने मनचाहे जीवन में मग्न होते हैं.



अपनी ज़िंदगी से खुश होना अच्छी बात है, अपनी खूबसूरत ज़िंदगी पर इतराना भी अच्छी बात है परंतु अपनी सो कॉल्ड परफेक्ट ज़िंदगी को आधार बनाकर दूसरों की ज़िंदगी का मज़ाक बनाने वालों को अचानक नियति उठाकर एक ऐसी अनजान दुनिया में ला पटकती है जहाँ वे, वे नहीं रहते . उस वक़्त ऐसा लगता है जैसे वे अपना जीवन छोड़कर किसी और का जीवन जीने लग गए हों . दुनिया , रिश्ते सब पराए लगने लगते हैं. उत्साह , उमंग, रस सब कुछ खत्म हो जाता है.. परिस्थितियों के आगे वे सब हार जाते हैं.



उस वक़्त ही जीवन के असली रंग उनके सामने आते हैं कि कहाँ अपना मनचाहा जीवन जीने के रंगीन सपने संजोकर बैठे थे और अब खुद ही परिस्थितियों के इशारों पर नाचने को मजबूर हो गए और एक अनमने, उदासीनता से भरे जीवन जीने की त्रासदी सहनी पड़ रही है, जिसे प्राय: वे स्वीकार नहीं कर पाते और फिर शुरु होती है अपने मुँह पर पड़ने वाले तमाचों को छिपाने की जद्दोज़ेहद .

वो जो मनचाहा नहीं पा सके , उसे दूसरों ने पाया या नहीं , टटोलना चाहते हैं. ' ना '  सुनकर अजीब सा सुकून मिलता है , चाहे दिखाने के लिए दुख प्रदर्शित करें.  ' हाँ ' सुनकर दिखाने के लिए खुशी प्रकट करते हैं पर अंदर से खुद के लिए एक हाय, एक कसक उठती है और वे अपने दुख को सहलाते रह जाते हैं.

उनकी बोझिल पलकों के पीछे मन में कहीं एक कसक सी उठती रहती है कि आखिर वे हैं भी क्या ? हैं तो बस ' हारे हुए लोग '










आप सभी पाठकों के साथ यह बात साँझा करते हुए बेहद प्रसन्नता का अहसास हो रहा है कि हम अपनी पत्रिका के तीसरे चरण अर्थात तृ्तीय वर्ष में कदम रख चुके हैं. द्वितीय वर्ष में स्वप्निल सौंदर्य ई- पत्रिका में हमने आप सभी के समक्ष ' सफ़केशन  ' ( Suffocation )  व ' एसिड - डाइल्यूट या कॉनसनट्रेटेड ?????? '  ( ACID :: Dilute or Concentrated ? ) नामक दो ई- पुस्तकें प्रस्तुत कीं ... जिनमें सम्मिलित कहानियाँ आप ही पाठकों द्वारा आपके बेपनाह स्नेह व आशीर्वाद के साथ हमें प्राप्त हुईं जिनमें आप ने अपने जीवन के अनमोल अनुभवों का समावेश किया. इसके फलस्वरुप हम सभी को जीवन के अनगनित रंगों व कड़वी सच्चाईयों को समझने का व इनसे अवगत होने का अवसर प्राप्त  हुआ ...........'सफ़केशन' ( Suffocation ) व 'एसिड' ( ACID :: Dilute or Concentrated ? )  में प्रकाशित हर कहानी को हमारे पाठकों  की ओर से समुद्र सा अनंत प्रेम मिला और आप सभी पाठकों के ढेरों मेल्स ने हमें प्रोत्साहित व भावविभोर किया.  इसके लिए आप सभी को तहे दिल से शुक्रिया .






आप सभी पाठकों के निरंतर मिल रहे पत्रों में अक्सर इस बात का जिक्र होता  है कि हम अपनी पत्रिका को अब प्रिंट्स के जरिये देश भर के विभिन्न पुस्तक भंडारों में उपलब्ध कराएं  ... अत:  हम यह बेहद गर्व के साथ घोषित कर रहे हैं कि हम  इस वर्ष के अंत तक अभी तक के प्रकाशित सभी अंकों में आपके द्वारा चुने गए सबसे अधिक पसंदीदा लेखों व कवर स्टोरीज़ को एकत्रित कर , स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन के तीनों वर्षों के संकलन को इस वर्ष के अंत तक लाँच अवश्य करेंगे.

स्वप्निल सौंदर्य लेबल द्वारा गत वर्ष के अंत तक हमने फ़ैशन , ज्वेल्स व लाइफस्टाइल पर आधारित  ' फ़ैशन पंडित' ( Fashion Pandit )  व इंटीरियर डिज़ाइन, ग्रीन होम्स, वास्तु एवं फेंगशुई पर आधारित  ' सुप्रीम होम थेरपि ' ( Supreme Home Therapy ) नामक पुस्तकें प्रकाशित की . इन्हें देश भर में काफी पसंद किया गया . इन पुस्तकों की सीमित कृ्तियाँ अभी हमारे ई- स्टोर पर उपलब्ध हैं.

आप  सभी को जानकर कर हर्ष होगा कि स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन के इस अंक के साथ हम इस वर्ष लेकर आए हैं  ' लावण्या :: दि डाँसिंग डॉल्स आफ इंडिया ' ( Laavanya : The Dancing Dolls of India ) नामक  एक नव सेगमेंट , जिसमें आप पाठकों का साक्षात्कार होगा उन नामचीन , लोकप्रिय व अद्वितीय कला की धनी शास्त्रीय संगीत न नृ्त्य में पारंगत नृ्त्यांगनाओं से जिन्होंने शास्त्रीय नृ्त्य के क्षेत्र में अपने अभूतपूर्व  योगदान द्वारा अपनी दक्षता का लोहा मनवाया है.  इसके साथ ही स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन में इस वर्ष कई नव  सेगमेंट्स से आपका परिचय भी होगा . आशा है आपके प्रेम , टिप्पणियों व सलाहों द्वारा हर पल हमें और बेहतर कार्य करने की प्रेरणा मिलती रहेगी  .....तो जुड़े रहिये ' स्वप्निल सौंदर्य ई- ज़ीन ' के साथ ........
और ...............

बनाइये अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया .

M A K E   Y O U R   L I F E   J U S T   L I K E   Y O U R   D R E A M   W O R L D . 







स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन के तृ्तीय वर्ष के  तृ्तीय  अंक  में हम जिन विभिन्न पहलुओं व जानकारियों  को सम्मिलित कर रहे हैं वे निम्नवत हैं :

विशेष : लावण्या ~  ओड़िसी नृ्त्य का स्वर्णिम गौरव :: अयोना भादुड़ी ( Ayona Bhaduri )  ( ऋषभ शुक्ला )सौंदर्य : रोकें बालों का झड़ना
आभूषण चर्चा : सोना व निवेश  ( स्वप्निल शुक्ला )
फ़ैशन  ज्ञान : हॉट ज्वेलरी ट्रेंड्स  ( स्वप्निल शुक्ला )
पकवान : गोभी पकौड़ा  ( दिव्या दीक्षित )
इंटीरियर्स : दर्पण से उठायें लाभ, फेंगशुई के साथ  ( ऋषभ शुक्ला )
नानी माँ की बातें : एसिडिटी व गैस की समस्या से पाइये छुटकारा ( सुमन त्रिपाठी )

साहित्य : अपूर्वा :: 03  ( स्वप्निल शुक्ला )
                अधूरा प्यार ( कुमार प्रतीक )

डायरी : मेरे हमराज़  ( शालिनी अवस्थी )

विविध :  सदी की महानायिका को श्रृंद्धांजलि ( ऋषभ शुक्ला )
सुर ..... लय ..... ताल : गायन , वादन  तथा  नृ्त्य  कला  ( ऋषभ शुक्ला )



शुभकामनाओं सहित ,
आपका ,
ऋषभ  ( Rishabh )
 www.rishabhrs.hpage.com









विशेष :

लावण्या ~ दि डांसिंग डॉल्स  आफ इंडिया ' ( Laavanya : The Dancing Dolls of India ) :: 











ओड़िसी नृ्त्य का स्वर्णिम गौरव :: अयोना भादुडी़ ( Ayona Bhaduri )







ओड़िसी नृ्त्य ( Odissi Dance ), आठ शास्त्रीय नृ्त्यों में से एक है. ओड़िसी,  ओड़िशा प्रांत, भारत की एक शास्त्रीय नृ्त्य शैली है . इसका इतिहास 2000 वर्षों से भी पूर्व का है. अद्यतन काल में गुरु केलुचरण महापात्र ने इसका पुनर्विस्तार किया . ओड़िसी नृ्त्य  ( Odissi Dance ) का ब्रिटिश राज के दौरान दमन किया गया परंतु भारत के स्वतंत्र होते ही ओड़िसी ने अपना अस्तित्व पुन: स्थापित किया.

ओड़िसी नृ्त्य  ( Odissi Dance ) की मुख्य विशेषता इसका त्रिभंगी ( Tribhangi ) होना है और इसी कारणवश यह अन्य शास्त्रीय नृ्त्यों से भिन्न है. त्रिभंगी का अर्थ है : सिर (head)  , छाती (chest ) , व श्रोणीय ( Pelvis ) की स्वतंत्र गति , चाल व क्रिया व विभिन्न मुद्राओं द्वारा ओड़िसी नृ्त्य को प्रस्तुत करना .



ओड़िसी नृ्त्य ( Odissi Dance ) की विशिष्टता इसके विभिन्न भंग ( Bhanga ) हैं. उदाहरण के रुप में भंग ( bhanga) , अभंग  (abhanga) , अतिभंग  ( atibhanga ) , त्रिभंग  ( tribhanga ) . प्राचीन नृ्त्य होने के बावजूद ओड़िसी को बतौर शास्त्रीय नृ्त्य  मान्यता 1950 में , ओड़िसी नृ्त्य के विद्वानों व नृ्तकों एवं नृ्त्यांगनाओं के कठिन प्रयासों के बाद मिली.



पारंपरिक ओड़िसी रंगपटल ( Repertoire)  का यदि  वर्णन करें तो ओड़िसी नृ्त्य ( Odissi Dance)  के अंतर्गत सर्वप्रथम मंगलचरण ( Mangalacharana )  का प्रदर्शन किया जाता है जिसके द्वारा भगवान जगन्नाथ का आह्ववाहन किया जाता है . मंगलचरण के अंतर्गत भूमि प्रणाम ( bhumi pranam) व त्रिखंडी प्रणाम  ( trikhandi pranam ) भी शामिल हैं.




बटु नृ्त्य ( Battu Nritya ) या बटुक भैरव ( प्रचण्ड नृ्त्य ) जिसे भगवान शिव के आदर में प्रदर्शित किया जाता है . बटु नृ्त्य को ओड़िसी नृ्त्य का सर्वाधिक जटिल विषय माना जाता है. नृ्त्य का प्रारंभ मूर्तिवत भंगिमाओं poses  की विभिन्न श्रृंखलाओं द्वारा किया जाता है जिसमें नृ्तक या नृ्त्यांगनाएं वीणा (lute)  , पखावज (drum) , करताल ( cymbals) या बाँसुरी  ( flute ) बजाते हुए भिन्न- भिन्न भंगिमाओं को चित्रित करते हैं.
पल्लवी  ( Pallavi ) , ओड़िसी नृ्त्य का एक अंग है जिसके द्वारा किसी राग को नेत्र संचालन , मुद्राओं , जटिल पाद - विक्षेप द्वारा सुपरिष्कृ्त किया जाता है.

अभिनय (Abhinaya)  के अंतर्गत  किसी गीत या कविता को अभिनय द्वारा प्रदर्शित किया जाता है , जहाँ किसी कहानी को विभिन्न मुद्राओं ( हस्त मुद्राओं ) और भावों , नेत्र संचालन और शरीर संचालन द्वारा प्रदर्शित किया जाता है.



डांस ड्रामा ( Dance drama ), अभिनय से लंबा होता है और एक से अधिक नृ्तक या नृ्त्यांगनाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है .डांस ड्रामा के अंतर्गत बाल्य लीला,  कृ्ष्ण -सुदामा, दुष्यंत- शकुंतला, यज्ञसेनी, मेघदूत आदि नाटक अत्यधिक प्रचलित हैं.

मोक्ष ( Moksha ) , ओड़िसी नृ्त्य का समाप्ति अंग है , जिसका अर्थ है आत्मिक विमुक्तीकरण ( Spiritual Liberation ). इसके अतिरिक्त ओड़िसी नृ्त्य में आलाप, आवर्तन, बानी, भाग, भजन, गोटी आदि जैसे शब्दों का साधारणतय: प्रयोग होता है.



ओड़िसी नृ्त्य के नृ्तक व नृ्त्यांगनाएं , तारकसी कला (Taarkasi ) से लैस आभूषणों को धारण करते हैं जो कि 500 वर्षों से भी अधिक प्राचीन व एक जटिल कला है . आभूषणों के अंतर्गत टीका, माथा पट्टी, झुमका, हार , बाजूबंद, कनकना, मुकुट आदि शामिल हैं. नृ्तक व नृ्त्यांगनाओं के हाथ - पाँव , लाल आलते से रंगे जाते हैं.
भारत की लोकप्रिय व निपुण ओड़िसी नृ्त्यांगनाओं में ' अयोना भादुड़ी ' ( Odissi Dancer Ayona Bhaduri ) किसी पहचान की मोहताज  नहीं . ओड़िसी नृ्त्य के क्षेत्र में अपनी बेमिसाल प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी , अयोना भादुड़ी , ने शास्त्रीय नृ्त्य की विधिवत शिक्षा नृ्त्यग्राम , बेंगलुरु  ( Nrityagram, Bangalore )  से बिजैनी सतपथी ( Bijayini Satpathy ) और सुरुपा सेन  ( Surupa Sen ) जी के मार्गदर्शन में संपूर्ण की.



अयोना ( Odissi Dancer Ayona Bhaduri ) ने भरतनाटयम नृ्त्य की साढ़े सात वर्षों तक शिक्षा ग्रहण की और वास्तुकला ( Architecture ) एवं नृ्त्य ( Dance )  के बीच नृ्त्य को चुना और ओड़िसी नृ्त्य के क्षेत्र में अपनी अद्वितीय प्रतिभा व कड़े परिश्रम द्वारा अनेकों योगदान दिए. नृ्त्यग्राम में ओड़िसी नृ्त्य की विधिवत शिक्षा के साथ , अयोना ने अभिनय, योग , आधुनिक नृ्त्य , बैले तकनीक ( Ballet Technique ) , ची- गुंग ( Chi gung ) , थियेटर  ( Theatre ),  क्षति निवारण (  injury prevention ), टीचर्स ट्रेनिंग मेथड्स ( Teacher's training methods ) आदि महत्त्वपूर्ण विषयों की भी जानकारी प्राप्त करी.



नृ्त्य के विभिन्न पहलुओं  को गहराई से समझने हेतु ओड़िसी नृ्त्यांगना अयोना भादुडी़  ( Odissi Dancer Ayona Bhaduri ), कोलकाता की लोकप्रिय नृ्त्यकला विशेषज्ञ ( कॉरिआग्रफ़र ) शर्मिला बिसवास ( Kolkata-based leading choreographer Sharmila Biswas ) के साथ जुड़ीं और उनके इंस्टिट्यूट् ' ओड़िसी विश़न एंड मूवमेंट सेंटर ' ( Odissi Vision & Movement Centre ) में जुलाई 2008 से मई 2012 तक बतौर सीनियर रेपरटरी डांसर व एडमिनिस्ट्रेटिव ( Senior Repertory dancer and Administrator )  के रुप में कार्य किया . इन्हें मिनिस्ट्री आफ कलचर , भारत सरकार ( Ministry of Culture, Govt. of India ) द्वारा 2001- 2003 के दौरान ओड़िसी में सीनियर स्कॉलरशिप प्रदान की गई. इसके अतिरिक्त 2010 में इन्हें ओड़िसी नृ्त्य के क्षेत्र में इनकी अतुलनीय दक्षता , निपुणता व योग्यता के चलते नालंदा नृ्त्य निपुण अवार्ड ( Nalanda Nritya Nipuna Award ) व 2009 में ओड़िसी ज्योति पदवी ( Odissi Jyoti title ) से नवाज़ा गया.




ओड़िसी नृ्त्यांगना अयोना भादुडी़  ( Odissi Dancer Ayona Bhaduri ) के नृ्त्य में , पद संचालन, अभिनय , मुद्राएं व नेत्र संचालन का उचित सामंजस्य देखते ही बनता है . यह ओड़िसी नृ्त्य के क्षेत्र में इनकी विधिवत शिक्षा व अनुभव को स्वत: ही दर्शाता है व दर्शक गण  इनके सौंदरपरक नृ्त्य कला के सम्मोहन में बँधता चला जाता है. ओड़िसी नृ्त्य के प्रत्येक पक्ष पर कड़ी पकड़ रखने वाली अयोना की हर प्रस्तुति प्रभावशाली व भेदकारी बन पड़ती है.

ओड़िसी नृ्त्यांगना अयोना भादुडी़ ( Odissi Dancer Ayona Bhaduri ) का नाम इंडियन काउंसिल फॉर कलचरल रिलेशन , भारत सरकार { Indian Council for Cultural Relations (ICCR), Govt of India }और इंडिया वर्ल्ड कलचरल फ़ॉरम  {India World Cultural Forum (IWCF)} की सूची में शामिल है. इसके साथ ही अयोना , एक कुशल व प्रतिभासंपन्न ओड़िसी नृ्त्य प्रशिक्षक के रुप में नृ्त्यग्राम , बेंगलुरु  ( Nrityagram, Bangalore )   व ओ. वी. एम. सी ( Odissi Vision & Movement Centre ) , कोलकाता में अपनी सफल भागीदारी दे चुकी हैं. अयोना ने 2011 में SPICMACAY, कोटा  ( राजस्थान )  में नृ्त्य की वर्कशाप का आयोजन भी किया.



2014 में बिहार में SPICMACAY विरासत सिरीज़ के लिए नृ्त्यग्राम व ओ. वी. एम ( Odissi Vision & Movement Centre )  के विभिन्न डांस फेस्टिवल के लिए एक कुशल प्रबंधक के रुप में इनकी भूमिका अत्यंत सराहनीय है. इन्होंने अभी हाल ही में सेहर इंडिया ( Seher India ) द्वारा प्रस्तुत इंडियन क्लैसिकल डांसेस पर दो दिवसीय गोष्ठि ' प्रतिबिंब ' की संयोजिका के रुप में अपनी सक्रिय भागीदारी दर्ज कराई.

आत्मविश्वास, लालित्य से परिपूर्ण , भावाभिव्यक्ति में निपुण अयोना ( Odissi Dancer Ayona Bhaduri )  को ओड़िसी नृ्त्य का स्वर्णिम गौरव कहना अतिशयोक्ति न होगा . 2011 में भारतीय विद्या भवन में सूर्पनखा कथा जैसे जटिल विषय को ओड़िसी नृ्त्य द्वारा प्रदर्शित कर , अयोना भादुड़ी ने ढेरों दर्शकों के समक्ष अपने अभूतपूर्व कौशल का परिचय दिया. अयोना की नृ्त्य शैली देख यह कहना किसी भी प्रकार से अनुपयुक्त न होगा कि अयोना भादुड़ी ( Odissi Dancer Ayona Bhaduri ) ओड़िसी नृ्त्य की एक देदीप्यमान नृ्त्यांगना हैं.
अयोना भादुडी़ , इस समय कोलकाता में बतौर स्वतंत्र कलाकार के रुप में सक्रिय हैं.





ओड़िसी नृ्त्यांगना अयोना भादुडी़  ( Odissi Dancer Ayona Bhaduri ) के विलक्षण व्यक्तित्व को व उनकी प्रतिभा को बयां करने में शब्द शायद कम पड़ जाएं . पता नहीं स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन के विशेष कॉलम के ज़रिये अयोना भादुडी़ को आप सभी पाठकों के कितना निकट ला पाया हूँ .  अयोना भादुडी़ के व्यक्तित्व व ओड़िसी  नृ्त्य  के क्षेत्र में उनके योगदान के बारे में लिखते हुए ऐसा महसूस हुआ कि अयोना भादुडी़ का नृ्त्य  के प्रति समर्पण अदभुत है . अपने में खो जाना ही तो , कभी किसी का हो जाना है " ...... ओड़िसी नृ्त्यांगना अयोना भादुडी़  ( Odissi Dancer Ayona Bhaduri ) ने नृ्त्य कला को अपने व्यक्तित्व में इस प्रकार समा लिया है और उसमें खो के वे नृ्त्य की एक बेहतरीन व प्रतिभावान पर्याय बन गई हैं. स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन टीम ( Swapnil Saundarya ezine Team ) की ओर से   अयोना जी को ढेर सारी शुभकामनाएं व आभार . 





Website :
www.ayonabhaduri.com



- ऋषभ शुक्ला ( Rishabh Shukla )
( संस्थापक - संपादक { Founder-Editor } )









सौंदर्य
रोकें बालों का झड़ना ::



- अंडे में नींबू का रस मिलाकर सिर पर मसाज करने से बालों की जड़ें मज़बूत होती हैं.

- हरी धनिया की पत्तियों को पीसकर जूस निकालें और सिर पर मसाज करें.

- आंवले के रस में नींबू का रस मिलाकर बालों में लगाने से बाल मज़बूत होते हैं और डैंड्रफ से भी छुट्कारा मिलता है.

- नीम की पत्तियों को एक घंटे पानी में उबालें और ठंडा होने दें. बालों को इसी पानी से धोएं . चाहें तो नारियल तेल में नीम का तेल मिलाकर सिर पर लगा सकते हैं.







आभूषण चर्चा

सोना व निवेश ::





कीमती धातुओं की श्रेणी में 'सोना' सबसे प्रख्यात इन्वेस्टमेंट ( निवेश ) के रुप में जाना जाता है. भारत में शुरु से ही सोने का विशेष महत्त्व रहा है . निवेश के लिहाज से लोग इसे वर्तमान समय में भी सबसे सुरक्षित और विश्वसनीय विकल्प मानते हैं. बाज़ार में निवेश के अनेकों विकल्प होने के बावजूद लोग आज भी सोने में निवेश को ही प्राथमिकता देते हैं . शेयर , मुद्रा व प्रापर्टी को लेकर निवेशकों के विचार भले ही बदलते रहें परंतु सोने में निवेश को लेकर उनके विचार में कोई बदलाव नहीं आता , चाहे दाम में जितनी भी अधिक बढोत्तरी हो जाए उनका सोने के प्रति विश्वास कायम रहता है. सोने के सिक्के ( गोल्ड कॉइन ), इस श्रेणी में एक बेहतरीन विकल्प हैं. विशेष अवसर या किसी पर्व, उत्सव या त्योहार में भी इन्हें उपहार के रुप में बाँटने का प्रचलन है . परंतु इनकी खरीद करते वक़्त कुछ विशेष बातों पर गौर अवश्य फरमाएं.

सोने के सिक्के ( कॉइन) या बार ( पट्टी ) की यदि बात की जाए तो यह सोने व अन्य धातुओं के मिश्रण से तैयार किए जाते हैं ताकि इनमें मजबूती आ सके. इनमें विधमान सोने की परिष्कृ्तता व शुद्धता को " per mil ," या  thousandths द्वारा स्पष्ट किया जाता है. उदाहरण के लिए, यदि एक सोने की सिल्ली (  ingot ) को 0.999  fine अर्थात परिष्कृ्त माना गया है तो इसका अर्थ यह होगा कि उसमें  999/1000 शुद्ध सोना है व 1/1000 अन्य धातुओं के मिश्रण हैं.





कैरेट वेट , एक पारंपरिक फ़्रैकशन बेसड सिस्टम है जो सोने की परिष्कृ्तता का द्योतक है परंतु आधुनिक विश्लेषण तकनीकों के चलते , सोने की सिल्ली व बुलियन को दशमलव ( decimal ) पद्धति द्वारा दर्शाया जाता है जिसके तहत 1.000 फाइननेस अर्थात परिष्कृ्तता, शुद्ध सोने की द्योतक है. हालांकि शत् प्रतिशत शुद्ध सोना  अत्यधिक लचीला होने के कारणवश , इसे सिक्के या सिल्ली के रुप में उपयोग में नहीं लाया जा  सकता . अत: विश्वस्तर पर 0.999 या इससे अधिक परिष्कृ्त सोने को 24 कैरेट सोने की संज्ञा दी गई है .

कैरेट व फाइननेस ( परिष्कृ्तता ) के बीच सह- संबंधता ::

24 karats = .999 fine or above
23 karats = .958 fine
22 karats = .917 fine (the UK gold coin standard)
21 karats = .875 fine
20 karats = .833 fine
18 karats = .750 fine
16 karats = .667 fine
14 karats = .583 fine
10 karats = .417 fine

फाइननेस अर्थात परिष्कृ्तता को प्राय: प्रतिशत के रुप में परिवर्तित कर दिया जाता है . उदाहरण के लिए यदि किसी सोने के सिक्के की परिष्कृ्तता 0.900 है , तो इसका अर्थ है कि वह 90.0% शुद्ध सोना है. यदि किसी सोने के सिक्के की परिष्कृ्तता 0.850 है तो इसका अर्थ है कि वह 85.0% शुद्ध सोने से लैस है.




यदि कॉइन ग्रेडिंग की बात करे तो प्रारंभिक समय में इसके लिए तीन साधारण शब्दों का प्रयोग किया जाता था : गुड, फाइन एवं अनसरक्यूलेटेड . परंतु 19 वीं शताब्दी के अंत व 20 वीं शताब्दी की प्रारंभ तक एक ठोस कॉइन ग्रेडिंग की आवश्यकता हुई. इसी संदर्भ में 1987 में नूमिज़मैटिक गारंटी कॉर्परेशन ( Numismatic Guaranty Corporation ) की स्थापना हुई.  

भारत में निवेशक सोने में निवेश करने के लिए आभूषण , गिन्नी, बिस्किट और गोल्ड बार जैसे पारंपरिक तरीकों को अपनाते आ ही रहे हैं , वहीं आधुनिक तकनीक के इस युग में कई ऐसे निवेशक भी हैं जो सोने में निवेश करने के लिए गोल्ड म्यूचुअल फंड, गोल्ड ईटीएफ और ई- गोल्ड जैसे आधुनिक तरीकों पर भी गौर फरमा रहे हैं. निवेश के ये विभिन्न तरीके पारंपरिक तरीकों से काफी लाभदायक हैं क्योंकि पारंपरिक माध्यम से किए गए निवेश को बेचते समय कई तरह के शुल्क काटे जाते हैं जबकि आधुनिक तरीके कई प्रकार के लाभ निवेशकों को प्रदान करते हैं.

इसी संदर्भ में यदि गोल्ड म्यूचुअल फंड की बात करें तो इनके द्वारा, आप सोने के खनन में लगी कंपनियों के स्टॉक्स में निवेश कर सकते हैं. इसका एक फायदा यह है कि गोल्ड म्यूचुअल फंड  के जरिये निवेशकों को सिस्ट्मैटिक इनवेस्ट्मैंट प्लान ( सिप ) का विकल्प मिलता है जिसमें निवेशक अपनी क्षमता से इसमे निवेश कर सकता है . सिप के द्वारा निवेश को कम या ज्यादा किया जा सकता है .आप  इसके जरिये 500 रुपए जैसी छोटी रकम् भी इसमें लगा सकते हैं. इसके लिए निवेशकों का बैंक डीमैट खाता होना चाहिये .गोल्ड म्यूचुअल फंड उन निवेशकों के लिए निवेश का बेहतर जरिया बनता जा रहा है जो बाज़ार में बड़े खेल नहीं खेलना चाहते और हाई - रिस्क से बचना चाहते हैं.

अन्य विकल्प के रुप में देखा जाए तो गोल्ड ईटीएफ  या गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड सोने में निवेश का एक जरिया है. आप अपने डीमैट एकाउंट के जरिये 0.5 ग्राम सोने की खरीदारी कर सकते हैं. यह एक यूनिट फंड है और इसमें सोने की शुद्धता का पूरा आश्वासन दिया जाता है. गोल्ड ईटीएफ में निवेश करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपको सोने के रख - रखाव , बीमा और सुरक्षा की चिंता नहीं करनी होती है. इसमें ब्रोकरेज शुल्क को छोड़कर किसी भी तरह का एंट्री और एक्सिट शुल्क नहीं लगता .

इसके अतिरिक्त ई- गोल्ड भी आधुनिक समय में निवेश का एक बेहतरीन विकल्प है . माँग को देखते हुए निवेशक सोने में इलेक्ट्रॉनिक रुप से भी निवेश कर सकते हैं. इसमे निवेशकों को अपने पेपर गोल्ड को वास्तविक गोल्ड में तब्दील करने का मौका मिल जाता है . निवेशकों के लिए इसमें एक फायदा यह है कि सोने की खरीद - बिक्री बड़े ही पारदर्शी तरीके से की जा सकती है. ईटीएफ की तुलना में ई- गोल्ड में चीज़ें काफी साफ हैं. निवेशक अपनी मर्ज़ी से सोने की खरीद व बिक्री कर सकते हैं.यहाँ कोई प्रबंधन शुल्क नहीं है जबकि कर के  नियम भी छोटी व लंबी अवधि के लिए अलग- अलग हैं. इसके अतिरिक्त यहाँ निवेशकों की और से निर्णय लेने के लिए कोई थर्ड पार्टी मौजूद नहीं होती है. ई- गोल्ड की ट्रेडिंग तकरीबन दिन में 14 घंटे की जा सकती है जबकि बाज़ार में ईटीएफ की ट्रेडिंग सात घंटे से कम ही होती है . आभूषण , गिन्नी और गोल्ड बार जैसे पारंपरिक माध्यमों के साथ - साथ सोने में निवेश का पेपर फॉरमेट लोगों को काफी लुभा रहा है . महंगाई होने के बावजूद निवेशक इसमें निवेश करके काफी मुनाफा कमा रहे हैं.



-  स्वप्निल शुक्ला ( Swapnil Shukla )

( www.swapniljewels.blogspot.com )






* फ़ैशन, आभूषण व लाइफस्टाइल से जुड़ी हर छोटी से छोटी बात व् विभिन्न स्टाइल मंत्रों द्वारा दीजिए अपने व्यक्तित्व को एक नया निखार और बन जाइये  फ़ैशन पंड़ित  ( Fashion Pandit ) , ज्वेलरी डिजाइनर व फ़ैशन कंसलटेंट 'स्वप्निल शुक्ला' ( Swapnil Shukla ) की नई पुस्तक ' फ़ैशन पंडि़त ' ( Fashion Pandit ) के साथ.

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फ़ैशन  ज्ञान
हॉट ज्वेलरी ट्रेंड्स ::






हॉट ज्वेलरी ट्रेंडस की यदि बात की जाए तो आजकल कॉकटेल रिंग का क्रेज़ लोगों के सिर चढ़ बोल रहा है. फिंगर्स पर बड़ी कलरफुल कॉकटेल रिंग आपको स्टाइलिश लुक देती हैं.इसकी खासियत यह है कि अगर आप डिज़ाइन और शेप का थोड़ा सा ख्याल रखें तो ये लगभग हर तरह की पर्सनेलिटी को सूट करती है. तो आइये इस संदर्भ में जानते हैं कि किस तरह की फिंगर्स पर कौन से शेप और स्टाइल की रंग सूट करेगी.

अगर आपकी फिंगर्स लंबी और पतली हैं तो मारकीज शेप के बड़े स्टोन वाली रंग अवॉइड करें. इससे आपकी फिंगर्स बहुत पतली लगेंगी. ऐसी फिंगर्स पर ओवल और पीयर शेप की जगह राउंड शेप की कॉकटेल रिंग्स ज्यादा सूट करेंगी. अगर आपकी फिंगर्स ज्यादा पतली हैं तो पर्ल और मल्टीपल स्टोन वाली फ्लोरल रिंग सेलेक्ट करें.

शार्ट फिंगर्स के लिए मारकीज शेप स्टोन वाली रिंग सूटेबल है. इससे फिंगर्स पर लंबे होने का इल्यूज़न क्रिएट होगा. राउंड शेप की रिंग अवॉइड करें. ये आपकी फिंगर्स को छोटा दिखाती हैं. छोटी उंगलियों पर बड़ी सी रेक्टैंग्यूलर डिज़ाइन की रिंग काफी खूबसूरत लगती है.

नैरो फिंगर्स पर हार्ट और राउंड शेप की रिंग सूट नहीं करती . चौंड़े बैंड जैसी डिज़ाइन की रिंग से फिंगर्स थोड़ी वाइड लगेंगी. थिक बैंड रिंग पर हॉरिजाइंटल डिज़ाइन का एक बड़ा स्टोन भी सूट करता है साथ ही ये आपको क्लासी लुक देता है.






चौड़ी उंगलियों पर छोटी या क्लस्टर स्टोन रिंग्स ज्यादा सूट करती हैं. रिंग का डिज़ाइन ऐसा हो जिसमें आपकी फिंगर का वाइडर पार्ट शो ना हो. बैंड स्टाइल की रिंग पर एक बड़ा सा राउंड स्टोन आपकी फिंगर्स को सूट करेगा .


इसके अतिरिक्त हॉट ज्वेलरी ट्रेंडस  के अंतर्गत खूबसूरत मोती के आकर्षण को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता हैं. इन दिनों मोती के आभूषण कुछ बदले अंदाज़ में, युवतियों को लुभा रहे हैं. बड़े मोती के ऊपर मढ़े छोटे मोती काफी अलग व खूबसूरत लगते हैं. इन्हें जोड़्कर आप अपनी मन पसंद डिज़ायन की माला भी तैयार कर सकती हैं. ये आपको काफी फैंसी लुक देगी. इस माला में कई रंगों के मोती पिरोने पर आप अपनी विभिन्न रंगों की पोशाक के साथ इसे पहन सकती हैं. वही डबल शेड के आकर्षण से सजे मोती भी बेहद खूबसूरत लगते हैं. बड़ा मोती यदि सफेद रंग का है और उसके ऊपर किसी अन्य रंग के छोटे मोती लगे है तो इससे डबल शेड का आकर्षण उत्पन्न होगा. विभिन्न रंगों के मोती को आप इस डबल शेड के आकर्षण से सजाकर मोती की माला को अपनी खास फ़ैशन एक्सेसरीज़ बना सकती हैं.


विभिन्न त्योहारों के मौंकों  पर अलग - अलग एक्सेसरीज़ और आउटफिट खरीदने से बेहतर है कि कुछ ट्रेंडी पीस खरीदें और इन्हें मिक्स् - एंड- मैच करके हर दिन क्रिएट करें अपना एक अलग स्टाइल . ऐसे में आप अपने नेक के लिए लें मल्टीलेयर्ड चेन जिन्हें एक दिन आप बतौर नेक पीस पहन सकती हैं और चनिया- चोली के साथ इसे साइड वेस्ट बैंड की तरह भी ये काफी खूबसूरत लगेगा.

चंकी डैंगलर्स जिन्हें बतौर डैंगलर्स पहन सकती हैं, डिफरेंट लुक के लिए इसे मांग टीके के तौर पर और एक दिन इसे आप चेन के साथ अटैच करके पेंडेंट की तरह भी कैरी कर सकती हैं. डैंगलर्स पहनते वक़्त ध्यान रखें कि इनके साथ गले पर हैवी ज्वेलरी ना पहनें.



-  स्वप्निल शुक्ला ( Swapnil Shukla )

ज्वेलरी डिज़ाइनर ( Jewellery Designer )
फ़ैशन कंसलटेंट   ( Fashion Consultant )
( swapnilsaundarya.blogspot.com )



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पकवान
दिव्या की किचिन से :: गोभी पकौड़ा




 



पाक- कला- प्रवीण 'दिव्या दीक्षित' ( Divya Dixit )  की किचिन से सीधे लेकर आएं हैं हम आपके लिए कुछ चुनिंदा स्वादिष्ट व्यंजन जिससे हर गृ्हणी व कामकाजी महिला की हर रोज़ की किचिन संबंधी समस्याओं से उन्हें मिलेगी राहत . हर दिन क्या नया बनाएं, क्या खाएं और अपनों को खिलाएं जो हर किसी को रास आए और लोगों के दिलों में आप छा जाएं और बन जाएं स्मार्ट किचिन क्वीन , इन प्रश्नों के हल व एक से बढ़कर एक लज़ीज़ रेसिपीस के लिए जुड़े रहिये ' दिव्या की किचिन से '.













गोभी पकौड़ा ::


सामग्री :


1 कटी हुई फूलगोभी
1 कप बेसन
आधा टीस्पून लाल मिर्च पाउडर
1 कप पानी
तमने के लिए रिफाइंड तेल
1 टीस्पून अमचूर पाउडर
नमक  स्वादानुसार

विधि :
फूलगोभी को धोकर काट लें. बेसन में आवश्यकतानुसार पानी मिलाकर गाढ़ा घोल बनाएं. लाल मिर्च पाउडर , नमक और अमचूर मिलाएं. इस घोल में फूलगोभी के टुकड़ों को डुबोकर रिफाइंड तेल में डीप फ्राई करें. हरी चटनी के साथ गरम- गरम सर्व करें. 



इंटीरियर्स

दर्पण से उठायें लाभ , फेंगशुई के साथ ::





आज के परिवेश में लोग अपने आस - पास के वातावरण को शाँतिपूर्ण , आरामदायक , सुगम व आकर्षक बनाने के लिए हर संभव प्रयास में लगे रहते हैं. इस कड़ी में फेंगशुई की यदि बात करें तो यह एक ऐसी विद्या है जिसके द्वारा आवासीय व व्यवसायिक स्थान के वातावरण में सही सामंजस्य स्थापित कर व्यक्ति सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित कर एक खुशहाल व सुचारु जीवनशैली को अपना सकता है. फेंगशुई का तात्पर्य है जल व वायु . यह चीन की एक प्राचीन कला व विज्ञान है जो हमारे आस- पास के वातावरण में विद्यमान ऊर्जाओं के बीच सही संतुलन स्थापित कर एक बेहतरीन स्थान की रचना करने में सहायक होती है.

आज भवन निर्माण में लोग फेंगशुई को अपनाकर अनेक चमत्कारी प्रभावों से लाभान्वित हो रहे हैं. फेंगशुई के अंतर्गत वास्तुदोष मिटाने के लिए प्रयुक्त किए जाने वाले उपाय बेहद सरल व सुगम होते हैं. आइये इस संदर्भ में जानते हैं फेंगशुई के अंतर्गत ' दर्पण ' की उपयोगिता व किस प्रकार दर्पण के द्वारा हम हमारे आस- पास के वातावरण को सकारात्मक ऊर्जाओं से परिपूर्ण कर सकते हैं. फेंगशुई के अंतर्गत दर्पण का अर्थ वे समस्त चमकीली वस्तुएं हैं जिनमें हम प्रतिबिम्ब देख सकें, जैसे शीशा, ग्रेनाइट पत्थर आदि. दर्पण के सही तरीके की उपयोग द्वारा शुभ ऊर्जाओं के प्रवाह को बढाया जा सकता है . तो आइये जानते हैं दर्पण के कुछ समृ्द्धि कारक प्रयोगों के बारे में :-

* भवन के ईशान क्षेत्र अर्थात उत्तर- पूर्व दिशा में यदि दर्पण स्थापित करा जाए तो आय वृ्द्धि में लाभ होता है.

* यदि शो- रूम या दुकान की छत पर दर्पण लगा रहे हैं तो इस बात का विशेष ध्यान रखें कि छत के ईशान व मध्य क्षेत्र पर दर्पण न लगाएं.

* भवन में दक्षिण - पश्चिम अर्थात्त नेऋत्य , दक्षिण - पूर्व ( आग्नेय ) व उत्तर- पश्चिम ( वायव्य ) दिशा में दर्पण कदापि न लगाएं. यदि इन दिशाओं में दर्पण लगे हैं और हटाना संभंव न हो तो इन्हें ढक कर रखें.

* फेंगशुई के अनुसार किचिन में काम करने वाले व्यक्ति को किचिन में आने जाने वाले लोगों को देखने में कोई अड़्चन नहीं होनी चाहिये . यदि ऐसा संभव न हो तो स्टोव  के पास दर्पण लगवाएं ताकि उससे दरवाज़ा दिखाई देता रहे व आने - जाने वाले लोगों की जानकारी मिलती रहे.

*दर्पण को भोजन कक्ष में ऐसे स्थान पर लगाएं जहाँ भोजन करते समय प्रतिबिंब दिखाई देता रहे. यह परिवार की सुख- समृ्द्धि व स्वस्थ जीवन के लिए अचूक उपाय है.

*शयनकक्ष में बेड के पायताने के सम्मुख दर्पण न लगाएं क्योंकि रात में नींद से अचानक आँख्ह खुलने पर व्यक्ति स्वयं का प्रतिबिंब देखकर भ्रमित या चौंक सकता है.

*शयन कक्ष में गोल दर्पण को स्थान दें.

*दर्पणों को सदैव साफ- सुथरा रखें अन्यथा नकारात्मक परिणाम दृ्ष्टिगोचर हो सकते हैं.

*भवन के मुख्य प्रवेशद्वार के सामने प्रसाधन कक्ष नहीं होना चाहिये. यदि ऐसा हो तो प्रसाधन कक्ष के दरवाज़े पर एक दर्पण लगाएं और उस दरवाजे को सदैव बंद रखें.

*कमरे में यदि कोई लटकती हुई बीम है तो उसके नीचे किसी भी प्रकार का फर्नीचर न हो पर यदि ऐसी स्थिति में फर्नीचर हटा पाना संभव न हो तो बीम के नीचे दर्पण लगा के दोष के नकारात्मक प्रभाव को खत्म किया जा सकता है.

*कमरे के फर्नीचर कभी भी इस प्रकार व्यवस्थित न करें कि उनके पीछे खिड़की या दरवाज़ा हो . यदि ऐसा संभव न हो तो उस फर्नीचर के सामने वाली दीवार पर दर्पण लगाएं ताकि दर्पण की सहायता से फर्नीचर पर बैठा व्यक्ति उसके पीछे दरवाज़े से आने- जाने वाले को आसानी से देख सकें.



 - ऋषभ शुक्ला ( Rishabh Shukla )
इंटीरियर डिज़ाइनर ( Interior Designer )
वास्तु एवं फेंग शुई कंसलटेंट ( Vastu & Feng shui Consultant )

 

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नानी माँ की बातें 






एसिडिटी व गैस की समस्या से पाइये छुटकारा ::


- सुबह दो केले खाकर एक कप दूघ पीने से कुछ ही दिनों में एसिडिटी से आराम मिलता है.

- चोकर सहित आटे की रोटी खाने से भी फायदा होता है.

- खाना खाने के बाद दूध के साथ दो बड़े चम्मच ईसबगोल लेने से एसिडिटी में लाभ होता है.

- दिन में दो- तीन बार अदरक के रस में पुदीने का रस बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से लाभ मिलता है.

- अदरक का रस और शहद भी बराबर मात्रा में लेने से गैस में लाभ मिलता है .



- सुमन त्रिपाठी ( Suman Tripathi )





साहित्य

अपूर्वा :: 03 




खुदा  का साथ हमें कुछ इस कदर मिला
कि हर लम्हा हमें किस्मत पर फक्र होने लगा
रह - रह कर हमें खुद पर गुमां होने लगा
क्या कभी ज़िंदगी इस कदर मुस्कुराती है
फूल ही फूल राहों पे बिछाती है
यूं लग रहा है
आँचल  में मोतियों की बरसात हो रही है
तेरा साथ मिल गया खुदा मिल गया
हमने कल्पना भी न की थी
मोहब्बत  ऐसी होती है
मानो जैसे जहाँ मिल गया
डर तो है खुद से , पर भी तेरे प्यार से
कह देते खुद खुदा आप से
कि जब आपका  हमको साथ है मिला
तो जीबन भँवर से पार लगायें
हमको खुदा.


- स्वप्निल शुक्ला ( Swapnil Shukla )
www.swapnilsworldofwords.blogspot.com










अधूरा प्यार ........





एक रोज़ उनसे मुलाकात कुछ ऐसी हुई ,

ना सोच सकते थे वो बात कुछ ऐसी हुई.

दिल ने धीरे धीरे उसे अपना कहा ,

पर कह ना सके हाल-ए-दिल उसे कुछ ऐसा हुआ.

नज़रों के सामने वो आती तो ज़ुबान बंद हो जाती,

नज़रों से दूर जाती तो हाल-ए-दिल कहना चाहते थे,

रह गए इसी मशक्कत में कि कह देंगे एक दिन,

मगर वो रुठ न जाए इसी कश्मकश ने,

मेरी चाहत को इजाज़त न दी ...........



* अपने दिल की बात को जुबां पे लाने में समय व्यर्थ नहीं करना चाहिये वरना आप उन अपनों को हमेशा के लिए खो सकते है , जो शायद सिर्फ आप के लिए बने हैं. *

- कुमार प्रतीक ( Kumar Pratik )





 




एम. बी. ए. डिग्री होल्डर ' प्रतीक ' ( Pratik ) की ज़िंदगी अधिकतर कॉर्परट (Corporate ) जगत के इर्द- गिर्द ही घूमती रहती है. फिर भी इस भाग- दौड़ भरी ज़िंदगी में भी उन्होंने अपने लेखन के शौक़ को पंख दिए हैं. इनकी रचनाएं ज़िंदगी की सत्यता, तन्हाई व श्रृंगार रस पर केन्द्रित हैं.













डायरी

मेरे हमराज़ ::






प्रिय डायरी ,

आज मैं, मोनाली , अपनी ज़िंदगी से बेहद खुश हूँ. लोग मुझे सौभाग्यशाली कहते हैं, भाग्यशाली कहते हैं. और मेरे जैसे जीवन की कामना करते हैं. खूबसूरत हूँ, पति मेरे इशारों पे नाचता है, मेरा मुँह देख- देख कर जीता है और एक बच्ची की माँ हूँ. मेरे ससुराल वालों की मैं सबसे प्रिय हूँ. सीधे शब्दों में कहा जाए तो मेरी ज़िंदगी परफेक्ट है. पर मेरी ज़िंदगी के हालात हमेशा से ऐसे नहीं थे . मेरी शानदार ज़िंदगी के अतीत के पन्नों में घनघोर अंधेरा है, अनेकों राज़ हैं. मैंने अपने अतीत में बहुत से बुरे कार्य किए . आज मेरे पास सब कुछ है पर मुझे मेरे ही कृ्त्य बुरे स्वप्न के रुप में हर रात्रि को काले नागों के रुप में डसते हैं. मैं रात में सो नहीं पाती और ये ऐसी बातें हैं जो मैं किसी को बता नहीं सकती . इसलिए आज अपने दिल के बोझ को लिखित रुप से तुम्हारे साथ बाँट रही हूँ . नि: संदेह तुम एक निर्जीव वस्तु हो पर फिर भी अपने गुनाहों को एक बार किसी के सामने ' एड्मिट ' कर शायद खुद की घुटन को कुछ हद तक कम कर सकूँ.

मैं जैसी आज हूँ वैसी 10 वर्ष पूर्व न थी . माँसल थी , सीधे शब्दों में कहूँ तो मोटी थी .मेरी शादी शेखर से हुई .शेखर एक खूबसूरत युवक था फिर भी मुझ जैसी लड़की से विवाह करने को कैसे तैयार हो गया , मुझे नहीं पता. पर विवाह के बाद शेखर ने मुझे पत्नी के रुप में कभी न स्वीकारा . शेखर के दूसरी युवतियों के साथ संबंध थे. वो हर वक़्त मुझे दुतकारता रहता था. उसका कहना था कि मैं, उसके जीवन का काला सच हूँ . मैं दिन पर दिन तनावग्रस्त होती गई. मैं, आईने में खुद को देख पीटती , अपने नाखूनों से खुद को नोचती . शेखर  को मेरी इस हालत पर सहानुभूति तो दूर तरस तक न आता. मेरे सास- ससुर सब कुछ जानते हुए भी अंजान बने रहते . समय बीतता गया .. घर पर एक उत्सव के दौरान मेरी मुलाकात शेखर के दोस्त मोहित से हुई. अपने नाम की ही भाँति मोहित का व्यक्तित्व इतना आकर्षक था कि कोई भी स्त्री उसकी ओर आकर्षित होती चली जाए. मोहित के रुप में मुझे एक अच्छा दोस्त मिल गया था. धीरे- धीरे हमारी मुलाकात का सिलसिला बढ़ने लगा . मोहित पेशे से फिटनेस ट्रेनर था. उसने मुझे व्यायाम और उचित आहार के बारे में बताया . उसकी बातचीत में इतना आकर्षण था कि मैं , उसकी कही हर बात  मानती. मुझे उसके रुप में एक सच्चा दोस्त मिल गया था . मोहित ने भी एक अच्छे दोस्त के सारे दायित्व निभाए. मात्र 6 महीने में मेरे रुप - यौवन में चमत्कारी बदलाव आया. हर कोई मेरे रंग- रुप की तरीफ़ करता न थकता. अब मैं पूर्णतया बदल गई थी. अब शेखर की तरह कोई भी मेरे मोटापे को लेकर मेरा मज़ाक न उड़ा पाता था. मैं अपनी नई ज़िंदगी से बेहद खुश थी. और मोहित को दिल ही दिल चाहने लगी थी और एक दिन मैं अपनी भावनाओं पर नियंत्रण न रख सकी और वो कर बैठी जो समाज की नज़र में पाप है. मैं मोहित के बच्चे की माँ बनने वाली थी .मैंने घबराकर जब ये बात मोहित को बताई तो अचानक उसके रवैये में बदलाव आ गया . उसने न जाने मुझे क्या- क्या कहा और मेरे ऊपर बच्चा गिराने का दबाव बनाया . उसने मुझे वैश्या तक की संज्ञा  दे डाली. मैं अपनी ही परेशानियों से जूझ रही थी कि एक दिन अचानक मैंने अपने पति शेखर के मोबाइल पर एक एम.एम. एस देखा. वह एम.एम.एस देख मेरे हाथ- पाँव फूल गए. शेखर , एक पुरुष के साथ ............. ये सब क्या था ? शेखर समलिंगी था . जब शेखर ने मुझे वो एम.एम.एस चेक करते हुए देखा तो वह अचानक मेरे समक्ष गिड़गिड़ाने लगा . मैं घुट रही थी .... मुझे समझ न आ रहा था कि क्या शेखर ने मुझसे सिर्फ इसलिए शादी की थी ताकि मैं उसकी इस असलियत पर पर्दा डाल सकूँ . और फिर यदि वो ऐसा है तो मुझे उसने सदैव क्यों दुतकारा .. मेरा आत्मबल क्यों तोड़ कर रख दिया . मैं हर वक़्त उसे खुश करने की कोशिशें करती रही पर बदले में मुझे उसकी सिर्फ और सिर दुतकार ही मिली.

शेखर मेरे सामने गिड़गिड़ा रहा था कि मैं उसके राज़ को राज़ ही रखूँ. तभी मेरे भीतर की स्त्री का मैंने गला घोंट दिया . मैंने शेखर को उसकी कमी को लेकर बहुत ज़लील किया. उसे अपनी गर्भावस्था के बारे में नहीं बताया बल्कि उस पर लाँछन लगाया कि वो तो कभी पिता भी नहीं बन सकता . मैंने उसको अपशब्द कहे , उसके अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया .शेखर हाथ जोड़ कर मेरे सामने रोता रहा , गिड़गिड़ाता रहा और मैं कमरे के बाहर चली गई. दो दिन होटल में रुकने के बाद मैं शेखर के पास गई और उससे कहा कि मैं उसके राज़ को राज़ रखूँगी , बस उसे मेरा हर कहा मानना होगा . शेखर ने मेरी सारी शर्ते मान लीं. पर फिर भी मैं अपमान की अग्नि में जल रही थी. मैंने शेखर को खाने में फैटी चीज़ें देनी शुरु की ..उसे दिन रात चॉकलेट्स खिलाती , स्ट्रीट फूड खिलाती  और हर पल शेखर को मानसिक प्रताड़ित करने का एक भी मौका न छोड़ती . मेरी खूबसूरती दिनों - दिन बढ़ती जा रही थी और शेखर का वज़न , उसके खान -पान व तनाव के कारण बढ़ता जा रहा था देखते ही देखते शेखर की खूबसूरती , बदसूरती में तब्दील हो गई. इतनी मानसिक प्रताड़ना वह बर्दाश्त न कर पाया . शेखर अब अपना रंग - रुप खो चुका था . लोग मेरी खूबसूरती की तारीफ करते और शेखर से कहते कि वो किस्मत वाला है जो उसे इतनी सुंदर बीवी मिली वरना ............... . शेखर दिन पर दिन घुटा जा रहा था .
पर एक दिन अचानक मेरी प्रेगनेंसी रिपोर्ट शेखर के हाथ लग गई. शेखर आग बबूला हो गया और मुझपे चीखने लगा. वो बार- बार मुझसे प्रश्न कर रहा था कि ये बच्चा किसका है ? पल भर के लिए तो मैं सकपका सी गई पर फिर मैंने खुद को संभालते हुए शेखर को एक तमाचा मारा और उससे कहा कि जब पति ही ऐसा है तो क्या करती मैं? कुछ दिनों बाद लोग मुझसे प्रश्न करते तो कहाँ से बच्चा पैदा करती मैं? क्या तुम हो बाप बनने लायक ?फिर तुम्हारा राज़ दुनिया के सामने आ जाता .. तब क्या करते तुम ?मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता . तुम चाहो तो मुझे तलाक दे सकते हो , मेरे चाहने वालों की कमी नहीं पर फिर तुम्हारा क्या होगा , इस पर गौर जरुर फरमाना. " शेखर ये सब सुन स्तब्ध रह गया .. वह सीधे मेरे घुटने पकड़कर मुझसे दया की भीख माँगने लगा . तब मैंने शेखर से कहा, " डार्लिंग आखिर ये सब मैं तुम्हारे लिए ही तो कर रहीं हूँ .. आखिर मैं ही तो हूँ तुम्हारी हमराज़ . "

धीरे- धीरे सब कुछ ठीक हो रहा था . अचानक मोहित ग्रहण की तरह मेरी ज़िंदगी मे पुन: वापस आ गया . जब मोहित ने देखा कि मेरी प्रेगनेंसी को लेकर घर पर कोई हंगामा नहीं हुआ तो अचानक मोहित मुझे ब्लैक - मेल करने लगा . वो निरंतर मुझे धमकी दे रहा था  कि वो मेरे और उसके काले सच के बारे में शेखर को सब कुछ बता देगा. अब उस बेवकूफ को क्या मालूम था कि शेखर को मैंने इस लायक ही न छोड़ा था कि वो मेरे खिलाफ अब कुछ कर भी पाए . पर मोहित मेरे लिए गले का काँटा बन गया था . अत: मैंने एक बड़ा कदम उठाना बेहतर समझा. मध्य रात्रि के समय मैं मोहित के पास गई. उसको अपनी मीठी- मीठी बातों से बहलाया . उसके सामने गिड़गिड़ाई , उसके पैर तक गिर गई. मोहित मेरी इस हालत पर बराबर हँस रहा था . आखिरकार उस बेचारे का दिल पसीज ही गया और उसने मुझसे दस लाख की माँग की और कहा कि वो हमेशा हमेशा के लिए मेरी ज़िंदगी से चला  जाएगा . मैंने उससे कहा कि  मैं उसकी ये ख़्वाहिश जरुर पूरी करुँगी. मैं उसके गले लग गई. हमने साथ में डिनर किया और फिर कॉफी पी . कॉफी के जरिये मैंने मॉरफिया के ओवरडोज़ को मोहित के शरीर में उतार दिया , जिससे उसकी मौत हो गई.  मध्य रात्रि  का समय था और मेरा और मोहित का रिश्ता दुनिया की नज़र में सिर्फ जिम ( व्यायामशाला )  तक ही सीमित था . अत: मेरा उसके कत्ल में कहीं से भी लेना - देना साबित न हो सका .

9 माह बाद मैंने एक परी सी सुंदर बच्ची को जन्म दिया जिसका नाम मैंने अंजलि रखा. शेखर को आज दिन तक नहीं मालूम पड़ पाया है कि जिस बच्ची को मैंने जन्म दिया उसका असली बाप कौन था.  ईश्वर ने मेरी गोद में जब अंजलि को डाला तब उसका चेहरा देख मेरी आँखों से आंसू निकल पड़े . मैंने अपनी बच्ची की शक्ल देख खुद से ये प्रण लिया कि मैं अपनी बच्ची, अपनी अंजलि को कभी भी अपनी तरह नहीं बनाऊँगी . मैं उसे अपने जैसा कभी भी बनने न दूँगी.

ये थी मेरे पापों की काली कहानी ... मैं नहीं चाहती कि मेरी बेटी अंजलि को उसकी माँ के अतीत के घिनौने कृ्त्यों के बारे में पता चले . अत: हे ईश्वर ! हे डायरी! मेरा साथ देना और मेरे हर राज़ को राज़ ही रहने देना .

तुम्हारी , कर्मों से बद्सूरत
मोनाली

- शालिनी अवस्थी  ( Shalini Awasthi )





अंग्रेज़ी साहित्य में परास्नातक श्रीमती शालिनी अवस्थी ( Shalini Awasthi ) जिंदगी की कठोर व कड़वी सच्चाईयों को साहित्य के रंग में रंगना बखूबी जानती हैं. स्त्री विमर्श , स्त्री संघर्षों को उजागर करती ऐसी कहानियाँ जो हमारे मस्तिष्क को ही नहीं अपितु हमारी आत्मा तक को हिला कर रख दें. श्रीमती शालिनी अवस्थी के  द्वारा रचित  दिल में कचोटन पैदा करने वाली कहानियाँ अब स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन का निरंतर हिस्सा होंगी.













विविध

सदी की महानायिका को श्रृद्धांजलि ::





" टुकड़े - टुकड़े दिन बीता , धज्जी - धज्जी रात मिली, जिसका जितना आँचल था, उतनी ही सौगात मिली ."

इन कुछ पंक्तियों से लेखक के भीतर छिपे दर्द का हर कोई अहसास कर सकता है . ये पंक्तियाँ हैं सिने जगत की मशहूर अदाकारा  'मीना कुमारी'  की.  'मीना कुमारी' जो अपने बेहतरीन अभिनय के लिए आज भी जानी जाती हैं. मीना कुमारी को उनके बेहतरीन अभिनय क्षमता के कारण व नारी के दर्द व घुटन को पर्दे पर सशक्त रुप से उतारने के कारण 'ट्रेजडी क्वीन ' के नाम से संबोधित किया जाता है. दुर्भाग्यवश 31 मार्च 1972 को मीना कुमारी हमारे बीच नहीं रहीं पर उनकी यादें आज भी सिने जगत के प्रेमियों व उनके प्रशंसकों के दिलों में कायम हैं.

आज हम श्रृद्धांजलि दे रहें हैं उस नामचीन अभिनेत्री को जिसने बॉलीवुड इंड्स्ट्री में एक अलग पहचान कायम की.

मीना कुमारी की व्यक्तिगत ज़िंदगी कई उतार - चढ़ाव से घिरी रही . अपने पति से तलाक के बाद मीना कुमारी खुद को संभाल न पायीं, उस दर्द को उन्होंने अपनी कुछ कविताओं में उतारा.

मीना कुमारी का जन्म 1 अगस्त 1932 को मुंबई में एक गरीब परिवार में हुआ . उनके जन्म का नाम बेगम मेहज़बीन बानो था. उनके पिता अली बक्श पेशे से म्यूजीशियन थे.  मीना कुमारी की पहले फिल्म थी ' लेदरफेस' जो 1939 में आई.  इस फिल्म में मीना कुमारी बाल कलाकार के रुप में उभरीं हालांकि मीना कुमारी बचपन में अन्य बच्चों की ही तरह स्कूल जाना चाहती थीं पर पिता के दबाव व गरीबी के चलते उन्होंने अपना डेब्यू इसी फिल्म से किया. 1940 से मीना कुमारी ही अकेले दम अपने परिवार का पालन पोषण करने लगीं.
बचपन से ही मीना कुमारी का जीवन अति संघर्षमय रहा पर फिर भी अपार क्षमताओं व गुणों के कारण वे फिल्म जगत में बेहतरीन अभिनेत्री के रुप में उभरीं. 1953 में फिल्म ' बैजू बावरा' के लिए मीना कुमारी को फिल्म फेयर बेस्ट अभिनेत्री का अवार्ड मिला.

1962 में मीना कुमारी ने उनकी फिल्म 'आरती', 'मैं चुप रहूँगी' और 'साहिब , बीवी और गुलाम' के लिए फिल्म फेयर अवार्डस में श्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए 3 नॉमिनेशन पाकर इतिहास रचा. हालांकि उन्हें अवार्ड फिल्म साहिब, बीवी और गुलाम के लिए मिला जिसमें उन्होंने छोटी बहु का किरदार बखूबी निभाया, जिसे क्रिटिक्स ने भारतीय सिनेमा की सबसे बेहतरीन परफार्मेंस माना. उस फिल्म में छोटी बहु के किरदार को मीना कुमारी ने ऐसे निभाया कि फिल्म में जब वो अपने पति के लिए साज श्रृंगार करतीं तो थियेटर में उपस्थित पब्लिक भी उस श्रृंगार रस में डूब जाती और जब पति की बेवफाई के कारण छोटी बहु के किरदार का घुटन भरा रुप पब्लिक के सामने आता तो लोगों की आँखों में आँसू का सागर भर जाता. पर इस फिल्म की अपार सफलता के बाद मीना कुमारी अपने तनावपूर्ण व्यक्तिगत जीवन की वजह से डिप्रेशन का शिकार हो गईं. शायद ज़िंदगी की कश्मकश व घुटन के चलते वो शराब की आदी हो गईं और 1968 तक उनका स्वास्थ्य  गिरता चला गया. उनके तनाव का मुख्य कारण उनके पति कमाल अमरोही से तलाक था जो कि 1964 में हुआ था. 1952 में मीना कुमारी , कमाल अमरोही , जो कि पेशे से फिल्म डायरेक्टर थे, उनसे प्रेम करने लगीं थी और फिर शादी कर ली .
कमाल अमरोही मीना कुमारी से 15 साल उम्र में बड़े थे और शादी शुदा भी थे. पर सच्चे प्यार के आगे कुछ समझ नहीं आता . मीना कुमारी ने कमाल अमरोही से शादी कर ली . वे कमाल से असीम प्रेम करती थीं. कमाल अमरोही के लिए उन्होंने लिखा:

" दिल सा जब साथी पाया,
बैचेनी भी वो साथ ले आया ."


पर तलाक के बाद मीना कुमारी इस तनाव से उबर नहीं पायी और कमाल के लिए अपनी भावनाओं व दुख को उन्होंने कुछ इन शब्दों में बयां किया :-

" तुम क्या करोगे सुनकर मुझसे मेरी कहानी,
बेलुत्फ ज़िंदगी के किस्से हैं फीके- फीके."


हालांकि बाद में 'पाकीज़ा' फिल्म हो कि कमाल अमरोही द्वारा निर्देशित थी , उसमें मीना कुमारी ने तवायफों की घुटन भरी ज़िंदगी को पर्दे पर दर्शाया. पाकीज़ा को बनने में 14 वर्ष लगे. पाकीज़ा के रिलीस के 3 हफ्ते बाद मीना कुमारी की हालत तेजी से बिगड़ने लगी और लीवर की बिमारी के चलते उन्होंने 31 मार्च 1972 को दम तोड़ दिया .

बेहद दुर्भाग्य की बात है कि अपनी कुशल व सशक्त अभिनय क्षमता का परचम लहराने वाली बेहद खूबसूरत और नामचीन अभिनेत्री के पास मृ्त्यु के समय अस्पताल का बिल भरने के लिए भी पैसे नहीं थे. पाकी़ज़ा सुपर हिट साबित हुई . पर पाकीज़ा के चरित्र को जीवंत करने वाली मीना कुमारी हमीरे बीच न थीं.
अभिनय के अलावा मीना कुमारी एक शानदार कवियत्री भी थीं. उन्होंने ' आई राइट आई रिसाइट '  के नाम से अपनी कविताओं की एक डिस्क भी तैयार कराई थी. मीना कुमारी की कविताओं पर अगर गौर करें तो उनकी ज़िंदगी के तनाव की गहराइयों का अंदाज़ा लगाया जा सकता है . जैसे ' तन्हाई ' पर आधारित इस कविता पर नज़र डालें :-

" चाँद तन्हा है, आसमाँ तन्हा,
दिल मिला है कहाँ- कहाँ तन्हा.
बुझ गई आस , छुप गया तारा,
थरथराता रहा धुआँ तन्हा.
ज़िंदगी क्या इसी को कहते हैं,
जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा.
हम सफर कोई गर मिले भी कहीं,
दोनों चलते रहें तन्हा - तन्हा.
जलती बुझती सी रोशनी के तरे ,
सिमटा - सिमटा सा एक मकान तन्हा,
राह देखा करेगा सदियों तक,
छोड़ जाएंगे ये जहाँ तन्हा. "

सच, मीना कुमारी की अभिनय क्षमताओं की ही तरह उनकी कविताओं में भी गहराई, ज़िंदगी की सच्चाई , ज़िंदगी के दर्द व घुटन का कोई भी अहसास कर सकता है . आइये , उस अतुल्य अभिनय क्षमताओं की धनी अभिनेत्री व कवियत्री को हम याद करते हैं व श्रृद्धांजलि अर्पित करते हैं. भले ही मीना कुमारी हमारे बीच नहीं पर उनकी यादें हर एक के दिलों में ज़िंदा हैं. आज भी उनके हुनर का कायल पूरा बॉलीवुड है . जीवन के तमाम संघर्षों के बाद भी सफलता के सर्वोच्च शिखर पर अपना परचम लहराने व कायम रखने वाली उस अभिनेत्री को हमारा सलाम !

" टुकड़े - टुकड़े दिन बीता ,
धज्जी - धज्जी रात मिली.
जिसका जितना आँचल था,
उतनी ही सौगात मिली.
जब चाहा दिल को समझे,
हँसने की आवाज़ सुनी,
जैसे कोई कहता हो,
ले फिर तुझको मात मिली.
माते कैसी , घातें क्या, 
चले रहना आज कहे,
दिल सा साथी जब पाया,
बेचैनी भी साथ मिली. "


- ऋषभ शुक्ला  ( Rishabh Shukla )


The above article has published in one of the leading Nationalised Magazines .......




सुर ..... लय ..... ताल
गायन , वादन  तथा  नृ्त्य  कला ::





भारतीय संगीत में गायन , वादन तथा नृ्त्य के साथ ताल संबंधी वाद्यों का प्रयोग न जाने कब से होता चला आ रहा है . उपलब्ध प्राचीन संगीत के इतिहास में हमें ताल संबंधी वाद्यों का प्रयोग कहीं-कहीं मिलता है . पौराणिक कथाओं में अनेक ताल वाद्यों की चर्चा की गई है . प्राचीन काल के जिन ताल संबंधी वाद्यों का उल्लेख मिलता है , उनमें आघाती, आदम्बर , वानस्पति, भेरी , दुर्दुर , ढोल, नगाड़ा तथा मृ्दंग या पखावज आदि मुख्य हैं. पखावज का प्रयोग तो आज भी कभी कभी देखने को मिलता है और ढोलक का प्रयोग उत्तर भारत के लोक गीतों के साथ खूब किया जाता है . आधुनिक युग के ताल संबंधी वाद्यों में सबसे प्रमुख स्थान तबले को प्राप्त है . इसकी उत्पत्ति के विषय में विद्वानों में अनेक मत हैं . कुछ के अनुसार प्राचीन काल के दुर्दुर नामक वाद्य का आधुनिक रुप तबला है . कुछ लोग तबले के जन्म का संबंध फारस के वाद्य तब्ल से जोड़ते हैं . कुछ लोगों का कहना है कि पखावज को बीच से काटकर तबले को जन्म दिया गया . बहुत दिनों तक बादशाह अलाउद्दीन खिलजी के काल के अमीर खुसरो को तबला के जन्मदाता का श्रेय प्राप्त होता रहा है . परंतु बाद में खोज के बाद यह तथ्य गलत मालूम हुआ. डा. अरुण कुमार सेन के अनुसार मुहम्मद शाह { दूसरे } के समय सन 1734 में रहमान खाँ नामक एक प्रसिद्ध पखावजी थे , उनके पुत्र का नाम अमीर खुसरो था . इस अमीर खुसरों ने सदारंग से कुछ दिनों तक ख्याल गायन सीखा और उस गायन शैली की संगति के उपयुक्त तबला नामक वाद्य को जन्म दिया . एक विद्वान का मत है कि मुहम्मद शाह रंगीले के समय में निरमोल खाँ के पुत्र नियामत खाँ एक अच्छे संगीतज़ थे , उनका उपनाम सदारंग था और इनके एक छोटे भाई का नाम खुसरो खाँ था . इन्हीं खुसरो खाँ ने तबले का आविष्कार किया . मुहम्मद शाह रंगीले का राज्यकाल सन 1719  से 1748 ई. के आस- पास का था , अत: तबले का जन्म भी इसी काल में मानते हैं.

तबले का जन्म किसी भी प्रकार हुआ हो , किंतु इतना तो उपलब्ध इतिहास के अनुसार निश्चित है कि  उसके वादन को आधुनिक रुप देने का श्रेय दिल्ली के प्रसिद्ध उस्ताद सिद्धार खाँ अथवा सिधार खाँ को है , जिन्होंने पखावज के बोलों को तबले पर बजाने के योग्य बनाया तथा उसके रुप में सुधार लाकर आधुनिक तबले का रुप देकर इसका प्रचार किया और दिल्ली के प्रसिद्ध घराने ' दिल्ली घराने ' की नींव डाली . उन्हीं की वंश-परंपरा तथा शिष्य- परंपरा ने भारत में तबले का प्रचार किया और वर्तमान घरानों की नींव डाली .

कहा जाता है की संगीत धर्म , अर्थ , काम और मोक्ष की प्राप्ति का अद्वितीय साधन है . संगीत का इतिहास एक ऐसा इतिहास है , जिसमें मनव का संपूर्ण रुप प्रतिबिम्बित होता है .

- ऋषभ शुक्ला  ( Rishabh Shukla )

{ The Writer has attained musical degree ' Sangeet Prabhakar ' in Indian Classical Percussion Instrument ' Tabla' from Prayag Sangeet Samiti , Allahabad in First Class First division. }





आपके पत्र

आपके पत्र ..... आपका नज़रिया : 




*स्वप्निल सौंदर्य की नव पेशकश  'लावण्या ' अत्यंत पसंद आई . शास्त्रीय संगीत व नृ्त्य के क्षेत्र में निपुण व द्क्ष नृ्त्यांगनाओं से हमे परिचित कराने के लिए आपकी टीम को बहुत - बहुत बधाई. लावण्य शब्द की ही भाँति आपकी पत्रिका भी सही मायनों में है  - लावण्या .
शुभकामनाओं सहित,

- मोहित झा, वाराणसी


*स्वप्निल सौंदर्य  ई- ज़ीन के गत अंक में प्रकाशित इवनिंग गाउन व वास्तु शास्त्र के बारे में रोचक जानकारियाँ हासिल हुई जो मुझे आपकी पत्रिका द्वारा ही हासिल हुईं. अत्यंत उच्चस्तरीय लेखों व पत्रिका की बेमिसाल क्वालिटि के लिए संपादक मंड्ल को अनेकों बधाईयाँ .

- मिथुन भटनागर, मथुरा


* पत्रिका ने देखते ही देखते अपने तीसरे चरण में कदम रख लिया और अब इसके साथ विभिन्न पाठक व लेखक भी जुड़ गए. इतने कम समय में पत्रिका ने अपने उच्च स्तर के कारण अपनी एक विशिष्ट छाप छोड़ी है . पत्रिका की साज सज्जा, कवर , लेख और बेमिसाल भावों से लैस व बेहद संजीदा चित्रकारी , पत्रिका की आत्मा हैं.

- डॉ काँता प्रसाद, दिल्ली


*स्वप्निल सौंदर्य  ई- पत्रिका के एक - एक अंक को प्रकाशित करने से पूर्व उसके प्रत्येक लेख की विशिष्टता को कायम रखने के लिए जो मेहनत की जाती है वो अतुल्नीय है . स्वप्निल सौंदर्य एक स्वप्न लोक की भाँति है पर वास्तविकता की जड़ों से जुड़ी हुई है. यही पत्रिका की मौलिकता है. बधाई व शुभकामनाएं.

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* एक बेहतरीन लाइफस्टाइल व सामाजिक पत्रिका जो भारतीय सौंदर्य, संस्कृ्ति व अनमोल विरासत को सहेजने व उसे जन- जन तक बेहद रोचक व सौंदर्यपरक  तरीके से पेश करने में सक्षम है. इसमें प्रकाशित सभी चित्रण व लेख अनमोल हैं. पत्रिका की तीन शब्दों में व्याख्या इस प्रकार करुँगी : A  PRICELESS  EZINE

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