Swapnil Saundarya e-zine # Vol -02 , Issue -03 , Oct - Nov 2014

Swapnil Saundarya e-zine # Vol -02 , Issue -03 , Oct - Nov 2014

| |    स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन  # Vol -02 , Issue -03 , Oct - Nov  2014   | |

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स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन - परिचय


कला , साहित्य,  फ़ैशन, लाइफस्टाइल व सौंदर्य को समर्पित भारत की पहली हिन्दी द्वि-मासिक पत्रिका के दूसरे चरण अर्थात द्वितीय वर्ष में आप सभी का स्वागत है .

फ़ैशन व लाइफस्टाइल  से जुड़ी हर वो बात जो है हम सभी के लिये खास, पहुँचेगी आप तक , हर पल , हर वक़्त, जब तक स्वप्निल सौंदर्य के साथ हैं आप.

प्रथम वर्ष की सफलता और आप सभी पाठकों के अपार प्रेम व प्रोत्साहन  के बाद अब स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन  के द्वितीय वर्ष को एक नए रंग - रुप व फ्लेवर  के साथ प्रस्तुत किया जा रहा है  ताकि आप  अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया बनाते रहें. सुंदर सपने देखते रहें और अपने हर सपने को साकार करते रहें .तो जुड़े रहिये 'स्वप्निल सौंदर्य' ब्लॉग व ई-ज़ीन  के साथ .

और ..............

बनायें अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया .



Launched in June 2013, Swapnil Saundarya ezine has been the first exclusive lifestyle ezine from India available in Hindi language ( Except Guest Articles ) updated bi- monthly . We at Swapnil Saundarya ezine , endeavor to keep our readership in touch with all the areas of fashion , Beauty, Health and Fitness mantras, home decor, history recalls, Literature, Lifestyle, Society, Religion and many more.

Swapnil Saundarya ezine encourages its readership to make their life just like their Dream World .


Swapnil Saundarya e-zine's Volume - 01  ( 2013 - 2014 )

www.swapnilsaundaryaezine.hpage.com





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Founder - Editor  ( संस्थापक - संपादक ) :  Rishabh Shukla  ऋषभ शुक्ला

Managing Editor (कार्यकारी संपादक) :  Suman Tripathi (सुमन त्रिपाठी)

Chief  Writer (मुख्य लेखिका ) :  Swapnil Shukla (स्वप्निल शुक्ला)

Art Director ( कला निदेशक) : Amit Chauhan  (अमित चौहान)

Marketing Head ( मार्केटिंग प्रमुख ) : Vipul Bajpai     (विपुल बाजपई)



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'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' में पूर्णतया मौलिक, अप्रकाशित लेखों को ही कॉपीराइट बेस पर स्वीकार किया जाता है . किसी भी बेनाम लेख/ योगदान पर हमारी कोई ज़िम्मेदारी नहीं होगी . जब तक कि खासतौर से कोई निर्देश न दिया गया हो , सभी फोटोग्राफ्स व चित्र केवल रेखांकित उद्देश्य से ही इस्तेमाल किए जाते हैं . लेख में दिए गए विचार लेखक के अपने हैं , उस पर संपादक की सहमति हो , यह आवश्यक नहीं है. हालांकि संपादक प्रकाशित विवरण को पूरी तरह से जाँच- परख कर ही प्रकाशित करते हैं, फिर भी उसकी शत- प्रतिशत की ज़िम्मेदारी उनकी नहीं है . प्रोड्क्टस , प्रोडक्ट्स से संबंधित जानकारियाँ, फोटोग्राफ्स, चित्र , इलस्ट्रेशन आदि के लिए ' स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता .


कॉपीराइट : 'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन '  के कॉपीराइट सुरक्षित हैं और इसके सभी अधिकार आरक्षित हैं . इसमें प्रकाशित किसी भी विवरण को कॉपीराइट धारक से लिखित अनुमति प्राप्त किए बिना आंशिक या संपूर्ण रुप से पुन: प्रकाशित करना , सुधारकर  संग्रहित करना या किसी भी रुप या अर्थ में अनुवादित करके इलेक्ट्रॉनिक या यांत्रिक , प्रतिलिपि, रिकॉर्डिंग करना या दुनिया के किसी भी हिस्से में प्रकाशित करना निषेध है . 'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' के सर्वाधिकार ' ऋषभ शुक्ल के पास सुरक्षित हैं . इसका किसी भी प्रकार से पुन: प्रकाशन निषेध है.


चेतावनी : 'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' में घरेलु नुस्खे, सौंदर्य निखार के लिए टिप्स एवं विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के संबंध में तथ्यपूर्ण जानकारी देने की हमने पूरी सावधानी बरती है . फिर भी पाठकों को चेतावनी दी जाती है कि अपने वैद्य या चिकित्सक आदि की सलाह से औषधि लें , क्योंकि बच्चों , बड़ों और कमज़ोर व्यक्तियों की शारीरिक शक्ति अलग अलग होती है , जिससे दवा की मात्रा क्षमता के अनुसार निर्धारित करना जरुरी है. 


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संपादकीय
प्रिय पाठकों .......

आप सभी को नमस्ते !


स्वप्निल सौंदर्य ई- ज़ीन के द्वितीय वर्ष के  तृतीय अंक में आप सभी का स्वागत है . 'दोस्ती' एक ऐसा शब्द .....एक ऐसा रिश्ता है जिसे करना तो आसान है पर निभाना बेहद मुश्किल ......बिखरे तो सारा जहाँ आपका दोस्त हो जाता है पर सिमटे तो सिर्फ आप तक ही सीमित है ये दोस्ती ....एक 'दोस्त' को 'दोस्त' कहलाने के लिये किन कसौटियों पर खरा उतरना चाहिये , मुझे नहीं मालूम . मुझे तो बस इतना मालूम है कि यदि किसी को दोस्त माना है तो उस शब्द की इज्जत करो वरना किसी को 'दोस्त' मत कहो.
कुछ लोग वर्तमान का आनंद प्राप्त करते हैं और भूतकाल को विस्मृ्त कर देते हैं. वे उसी तक सीमित रहते हैं जिससे वे जुड़े होते हैं .... जिस पर उनकी नज़र नहीं पड़ती , उसे वे खोया हुआ मान लेते हैं....... लेकिन दूसरे इसमें ठोस आनंद का अनुभव करते हैं ....जीवन छोटा है . सच्ची दोस्ती के उदाहरण प्रस्तुत करना एक अत्यंत कठिन कार्य है लेकिन मैं , इस बात को उचित मानना हूँ कि वे दोस्त जो कभी न कभी आप के सच्चे  दोस्त थे या हैं , उनके नाम के प्रति व उनके प्रति स्मृ्ति बनाई रखी जाए.  क्योंकि दोस्ती की खट्टी - मीठी यादें .... पुरानी बातें हमारे वर्तमान को आनंददायक बनाती हैं ..खासकर तब जब हम कुछ खास क्षणों में उनका स्मरण करते हैं . उन लोगों को याद करना निश्चित रुप से आनंददायक होता है जो आपके हृ्दय के करीब है .....जो आपके लिए खास हैं. पर याद रखिये, दोस्ती की परख तहख़ाने में होती है वरना महख़ाने में तो सभी दोस्त होते हैं अर्थात शक्ति और संबंध का परिचय बुरे दौर में ही होता है. इसके अतिरिक्त जैसे साँप को दूध पिलाना उसका विष बढ़ाना है , अमृ्तोत्पादक नहीं ...इसी प्रकार नीच बुद्धि वाले व संकीर्ण मानसिकता के कुसंगतियों  से दोस्ती करना , उनकी नीच प्रवृ्त्तियों को बढ़ा कर अनेक गुणा कर देने वाला हो जाता है और दुनिया में ऐसे लोगों को फलने - फूलने का अवसर प्रदान करता है. अत: अपने दोस्तों का चयन बेहद सूझ- बूझ के साथ करें और यदि आप उन भाग्यशाली लोगों में से एक हैं जिन्हें सच्चे दोस्त का तोहफ़ा प्राप्त हुआ है तो उसको संजों कर रखे .

तेरी दोस्ती में खुद को महफूज़ मानते हैं
हम दोस्तों में तुम्हें अज़ीज़ मानते हैं
तेरी दोस्ती के साये में ज़िंदा हैं
हम तो तुझे खुदा का दिया हुआ ताबीज़ मानते हैं............







 स्वप्निल सौंदर्य ई- ज़ीन का यह अंक दोस्ती के पवित्र रिश्ते के नाम ........

स्वप्निल सौंदर्य ई- ज़ीन का तृ्तीय  अंक प्रस्तुत है फैशन , लाइफस्टाइल, इंटीरियर्स, घरेलु नुस्खे़, कला, साहित्य, सौंदर्य आदि से लैस उन तमाम जानकारियों के साथ जो बनायेगीं आप सभी की ज़िंदगी को उनके सपनों की दुनिया .

आशा है कि आपके प्रेम , टिप्पणियों व सलाहों द्वारा हर पल हमें और बेहतर कार्य करने की प्रेरणा मिलती रहेगी  ..... अंत में आप सभी से निवेदन है कि जुड़े रहिये ' स्वप्निल सौंदर्य ई- ज़ीन ' के साथ ........
और ...............
बनाइये अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया .

स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन के द्वितीय वर्ष के तृ्तीय  अंक (  अक्टूबर - नवंबर  2014 )  में हम जिन विभिन्न पहलुओं व जानकारियों  को सम्मिलित कर रहे हैं वे निम्नवत हैं :

 
सौंदर्य - झुर्रियों को कहें बाय - बाय
साहित्य - नज़र -ए- कहर
पकवान - भरवां टमाटर 
फैशन व लाइफ्स्टाइल -  गहनों का ख्याल , रखें हरदम आप
रत्न और आप - गहने , रत्न और आप
इंटीरियर्स - स्टाइलाइज़ योर होम विद सॉफ़्ट फ़र्निशिंग्स .........  ( 3 )
नानी माँ की बातें - हाई बल्ड प्रेशर
कड़वा सच : प्रेम बनाम सेक्स



शुभकामनाओं सहित ,

आपका ,
ऋषभ
 www.rishabhrs.hpage.com


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सौंदर्य :





झुर्रियों को कहें बाय - बाय ::

- एक चम्मच अंडे की जर्दी में बराबर मात्रा में टमाटर व नींबू का रस मिलाकर चेहरे पर लगाएं.

- एक चम्मच सिरके में आधा चम्मच जैतून का तेल मिलाकर चेहरे पर लगाएं.

- एक चम्मच दही में एक चम्मच उड़द दाल का पाउडर डालें , इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं, सूखने पर पानी के छींटे मारें और और रुई के गीले फाहे से नीचे से ऊफार की ओर पोंछ कर चेहरा साफ़ करें.

- एक चम्मच मूली के रस में एक चम्मच मक्खन मिलाकर चेहरे पर लगाएं. बीस मिनट बाद चेहरा धो लें.

- ऎलोबीरा का रस लगाते रहने से त्वचा पर जल्दी झुर्रियाँ नहीं पड़तीं.



- स्वप्निल शुक्ला

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साहित्य :




नज़र -ए- कहर

नज़रें जो उनकी यूँ कहर ढा रही हैं,
साँसे ज़िंदगी की थमीं जा रहीं हैं.
मेरी तो ज़िंदगी है नज़रों में उनके,
फिर मेरी ज़िंदगी ही मुझसे क्यों दूर जा रही है.
नज़रें जो उनकी यूँ कहर ढा रही हैं.

नज़रें उनकी , ज़िंदगी मेरी खफा यूँ हो गई हैं हमसे,
किसी और की तलाश में ,
जाने कहाँ भटकी जा रहीं हैं.
नज़रें जो उनकी यूँ कहर ढा रही हैं.


   - ऋषभ शुक्ल




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पकवान :

भरवां टमाटर ::





सामग्री :


- 6 मध्यम आकार के टमाटर
- 3 उबले हुए आलू
- डेढ़ कप कटी और उबली हुई सब्जियाँ ( गाजर , बीन्स, फूलगोभी, हरी मटर )
- आधा कप बारीक कटा प्याज़.
- 2 टेबलस्पून भुना हुआ बेसन
- 1-1 टीस्पून  लाल मिर्च पाउडर और धनिया व जीरा पाउडर
- आधा - आधा टीस्पून हल्दी पाउडर और गरम मसाला पाउडर
- 1 टीस्पून बारीक कटी हरी मिर्च
- 2 टीस्पून हरी धनिया
- पानी आवश्यकतानुसार
- नमक स्वादानुसार
- शक्कर व नींबू का रस .


विधि :  

टमाटरों को दो हिस्सों मैं काटकर अंदर का गूदा निकाल लें . कड़ाही में प्याज़ डालकर सुनहरा होने तक भूनें.टमाटर का गूदा, सभी मसाले , सभी सब्जियाँ और नमक डालकर भूनें. आवश्यकतानुसार पानी मिलाकर सब्जियों को पका लें . फिर इसमें आलू, बेसन , शक्कर और नींबू का रस मिलाकर टमाटर में भरें और अवन में 30 मिनट तक बेक करें.

- सुमन त्रिपाठी



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फै़शन व लाइफस्टाइल

गहनों का ख्याल , रखें हरदम आप




गहने किसी न किसी रुप में हमारे जीवन से जुड़े रहते हैं. या यूँ कहें कि आपके हर गहने में आपके जीवन के अनमोल  पलों का समावेश होता है. कभी व्यक्ति विशेष के सौंदर्य व व्यक्तित्व को निखारने में इनका बड़ा योगदान होता है तो कभी एक पीढ़ी इन्हें दूसरी पीढ़ी के हाथों में जब सौंपती है तो ये हमारे परिवार की विरासत का रुप ले लेते हैं और पीढ़ी दर पीढ़ी हमारे पूर्वजों की निशानी व परंपराओं क प्रतीक बन कर हमें गौरवान्वित करते हैं. हर खूबसूरत गहने के साथ एक बेहतरीन याद जुड़ी होती है . परंतु यदि इनकी समुचित देखभाल न की जाए तो ये अपनी रंगत खोने लगते हैं . इसलिए इनका सही तरीके से ख्याल रखना बेहद आवश्यक है . उचित देख-रेख द्वारा आपके गहनों की चमक सालों साल बरकरार रह सकती है. अपने गहनों को मेंटेन रखने व इनकी चमक सालों साल बरकरार रखने के उपाए बेहद सुविधाजनक हैं.




गहनों को मेंटेन रखने व इनका सही तरीके से रखाव के लिए गहने पहनने के बाद , हर एक बार ह्ल्के गीले मुलायम कपड़े से पोंछ कर रखा जाए. यह एक रेग्युलर आदत ही आपके गहनों की चमक कायम रखने में लाभदायक साबित होगी.

गहनों के मेंटीनेंस के लिए सबसे अधिक ध्यान देने योग्य बात यह है कि गहनों को नमकीन पानी , क्लोरीन ब्लीच या डिटर्जेंट सरीखे तेज रसायनों से बचाएं . इसके अलावा हेयर स्प्रे, परफ्यूम , क्रीम या तेल से भी गहनों को बचाएं. अपने गहनों को कभी भी टूथ पाउडर या टूथ पेस्ट से साफ न करें क्योंकि इनमें कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो गहनों की चमक खत्म कर देते हैं.


अपने गहनों को हमेशा गुनगुने पानी और ह्ल्के साबुन जैसे ईज़ी से साफ करें. भूलकर भी डिटर्जेंट का प्रयोग न करें. गहने साफ करते वक़्त एक सफेद चादर पर बैठे . अब एक कटोरे में साबुन मिला पानी रखें और दूसरे कटोरे में साफ गुनगुना पानी लें . पहले गहने को साबुन वाले पाने से साफ करें और फिर स्वच्छ गुनगुने पानी से साफ करें . सफेद कपड़ा रखने से यदि कोई गहना गिर जाता है तो उस पर आसानी से नज़र पड़ जाती है. सावधाने के लिए गहनों को कभी भी वॉशबेसिन या किचेन सिंक में साफ न करें.

गहने साफ करते समय मुलायम ब्रश या फिर मेकअप ब्रश का प्रयोग करें. गहनों में जड़े रत्नों के आसपास की गंदगी को आप टूथ पिक की सहायता से साफ करें. गहनों को सदैव ह्ल्के हाथों से साफ करें व इनमें लगे रत्नों को बहुत जोर से रगड़्कर साफ न करें. गहनों को साफ करने के बाद किसी साफ तौलिए में रख दें ताकि पानी अच्छी तरीके से निकल जाए.

यदि आपके पास बीडवर्क के गहने हैं तो इन्हें रेशम के पाउच में रखें . अक्सर देखा जाता है कि गहनों को नुकसान अधिकतर गलत स्टोरेज के कारण पहुँचता है. इससे बचाव के लिए गहनों को कभी भी एक दूसरे के ऊपर या नुकीली वस्तुओं के साथ न रखें . रत्नजड़ित गहनों को धीरे से सावधानीपूर्वक रखें क्योंकि इनको यदि आप जोर से रखते हैं तो इनमें लगे रत्न टूट भी सकते हैं या उनमें स्क्रेच भी आ सकते हैं . इसी तरह कुछ रत्न सूर्य की रोशनी से भी प्रभावित हो सकते हैं. ऐसी स्थिति में प्रत्येक गहने को कपड़े वाले बैग में ही रखें . परंतु रत्नजड़ित गहनों के क्रम में इस बात का विशेष ध्यान रखें कि प्रत्येक रत्न अलग होता है तो उसकी  देखभाल भी विशेष तरीकों द्वारा ही संभव है.





बेहतर होगा अपने ज्वेलर से रख रखाव के संदर्भ में सलाह अवश्य लें . उदाहरण के तौर पर जैसे माणिक , नीलम, पन्ना आदि कठोर रत्नों की श्रेणी में आते हैं, जिसकी वजह से इनको जल्दी क्षति नहीं पहुँचती . वहीं ओपल ( दूधिया पत्थर ) व टरक्वाइज़ ( फिरोजा) सॉफ्ट रत्नों की श्रेणी में आते हैं जो खरोंच वगैरह के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं इसलिए अपने रत्नजड़ित गहनों को समय समय पर ज्वेलर को दिखाकर मरम्मत कराते रहें . यदि आपके गहने जरुरत से ज्यादा ही गंदे हो गए हों और इनको साफ कर पाना आपके लिए असंभव प्रतीत हो रहा हो तो फिर इन्हें किसी सुनार को दे दें . बस इतना ध्यान रखें कि सफाई अपने सामने व किसी विश्वसनीय सुनार से ही करायें.


-  स्वप्निल शुक्ला


* फ़ैशन, आभूषण व लाइफस्टाइल से जुड़ी हर छोटी से छोटी बात व् विभिन्न स्टाइल मंत्रों द्वारा दीजिए अपने व्यक्तित्व को एक नया निखार और बन जाइये  फ़ैशन पंड़ित , ज्वेलरी डिजाइनर व फ़ैशन कंसलटेंट 'स्वप्निल शुक्ला' की नई पुस्तक ' फ़ैशन पंडि़त ' के साथ.

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रत्न और आप

गहने , रत्न और आप 





बात चाहे प्राचीन समय की हो या आधुनिक समय की , रत्नजड़ित गहनों के प्रति लोगों के आकर्षण में किसी भी तरह की कोई कमी नहीं हो रही है. रत्नजड़ित गहनों को धारण करने पर मन में एक खास प्रकार की अनुभूति होती है जैसे कि आपने किसी खजाने को धारण कर लिया हो . वैसे भी रत्न होते तो हैं खजाने ही , जो व्यक्ति विशेष के व्यक्तित्व को राजसी व स्टाइलिश लुक में ढाल  कर उनकी खूबसूरती में चार- चाँद लगाते हैं. आज के दौर में , आधुनिक नारियाँ परंपरागत व आधुनिक रत्नाभूषणों को एक समान भाव से बखूबी धारण कर रही हैं. यदि रत्नजड़ित गहनों को कायदे- करीने व विभिन्न परिधानों के साथ मैचिंग कर पहना जाए तो उस सूरतेहाल में यी आपकी शान में अच्छी तरफ से इज़ाफा करते हैं व आपके स्टाइल , आत्मविश्वास व सौंदर्य में बढोत्तरी करते हैं.

रत्नजड़ित गहनों की अपनी अलग अदा होती है . विभिन्न रंगों के रत्न खास प्रभाव उत्पन्न करते हैं. मौसम के अनुसार इन्हें पहनकर आप अपने व्यक्तित्व को आकर्षक बनाने के साथ-साथ सकारात्मक ऊर्जा के संचार को भी महसूस कर सकते हैं.

यदि आप पारंपरिक डिज़ाइन्स से लैस  रत्नजड़ित गहने रक्षाबंधन, करवा - चौथ, दीपावली, अक्षयतृ्तीय , नवरात्र जैसे त्योहारों पर धारण करते हैं तो आप अपनी सुंदरता को एक नया आयाम दे सकते हैं.

इसके साथ ही अपने व्यक्तित्व को और अधिक स्टाइलिश लुक देने के लिए माणिक व पन्ना के संयोजन से बने गहने , हर रंग के कपड़ों पर फबते हैं और आपको राजसी परिवेश में ढालते हैं.




यदि आप आफिस में रत्नजड़ित गहने धारण करना चाहें तो ज्यादा भारी भरकम गहनों की जगह सिंपल  स्ट्रिंग विद लॉकेट या एक बड़ी सी अंगूठी धारण करें जो आपके व्यक्तित्व को और अधिक निखारे और आपका स्टाइल स्टेटमेंट लोगों के समक्ष दर्शाये.

इसके अलावा रत्नों के कट्स व साइज़ भी इनके सौंदर्य में इज़ाफा करते हैं . आज के नवीनतम ट्रेंड्स की बात की जाए तो पीयर शेप्ड रत्न सामान्यत: काफी पसंद किये जाते हैं . इसके अलावा ओवल शेप्ड, प्रिंसेस व मारकीज कट्स , रेडिएन्ट , हार्ट शेप्ड् काफी प्रचलित हैं .





इसके अतिरिक्त सबसे ध्यान देने योग्य बात यह है कि रत्नजड़ित गहने धारण करने का भी एक सलीका होता है जिसे समझना बेहद जरुरी है . उदाहरण के तौर पर एक वक़्त में आपको पूरा नेकलेस सेट धारण करने के बजाए सिग्नेचर पीस के नियम पर अमल करना चाहिये . इसके साथ ही कई रत्नाभूषण एक साथ धारण करने की मूर्खता नहीं करनी चाहिये . रत्नजड़ित गहने धारण करने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आपके परिधान सिंपल हों और उन पर गहन कसीदाकारी नहीं होनी चाहिये .

इसके अतिरिक्त यदि हम नवरत्नों से लैस आभूषणों की बात करें तो इनकी अपनी अलग महत्ता है. प्राचीन काल से ही भारतीय विद्वानों के अनुसार ग्रहों से नकारात्मक ऊर्जा धरती पर रहने वाले प्राणियों के लिए घातक साबित होती है परंतु नवरत्नों के प्रभाव से बचाव संभव है . वास्तव में ये हमारे लिए सुरक्षा चक्र की तरह काम करते हैं . नवरत्नों में से प्रत्येक में किसी न किसी ग्रह के नकारात्मक ऊर्जा से बचाव की क्षमता होती है.

प्राचीनकाल में नवरत्नों के गहनों का उपयोग ताबीज़ के रुप में किया जाता था. बाद में राजघरानों के सदस्यों ने वैभव प्रदर्शन के लिए इनका प्रयोग शुरु कर दिया . व्यापारी वर्ग के लोग इनका प्रयोग भाग्योदय यंत्रों के रुप में करते थे . कहा जाता है कि नवग्रहों की शक्तियों को स्वयं में समाए नवरत्न अपनी सकारात्मक ऊर्जा द्वारा उपचार क्षमता के कारण प्रख्यात हैं . साथ ही नवरत्न धारण करने वाले व्यक्ति को शांति मिलती है व जीवन निर्बाध होता है . तो बस, आप भी नवरत्न जड़ित व बेहतरीन डिज़ाइन्स से सुसज्जित अंगूठी , पेंडेंट , हार , लॉकेट , चूड़ियाँ, ब्रेसलेट , ईयररिंग्स आदि बनवायें जो आपके जीवन में अनेकों लाभ के साथ-साथ आपको एक खूबसूरत व बेहतरीन व्यक्तित्व से भी अलंकृ्त करेंगे.


-  स्वप्निल शुक्ला

ज्वेलरी डिज़ाइनर
फ़ैशन कंसलटेंट

( swapniljewels.blogspot.com )



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इंटीरियर्स

स्टाइलाइज़ योर होम विद सॉफ़्ट फ़र्निशिंग्स .........  ( 3 ) ::






कर्टंस ::

दूसरे कर्टंस के मुकाबले शीयर कर्टंस आजकल सबसे ज्यादा ट्रेंड में हैं . इन्हें खरीदते समय कुछ बातों का खासतौर पर ध्यान दें .

- शीयर कर्टन होम डेकोर को लक्जूरियस लुक देते हैं. ये काफी डेलिकेट होते हैं.

- यदि आप इन्हें अपने बेड रुम के लिए खरीद रहें हैं तो सेमी शियर कर्टन खरीदें. इससे आपके बेडरुम की प्राइवेसी बनी रहेगी.

- बेड्रुम में शिअर कर्टन डाल रहे हैं तो उसके साथ लाइनिंग अव्श्य डाल दें.

- शीयर कर्टन में लेस, लाइट फ्लोरल प्रिंट , स्ट्राइप और इम्ब्राइडरी आते हैं. अपने होम डेकोर से इन्हें कांप्लिमेंट करा सकते हैं.

- सिल्क , वेलवेट  और साटिन के फैब्रिक शीयर कर्टन को रिच लुक देते हैं.



अगर आप उन लोगों में से एक हैं , जो अपने आस - पास, सौंदर्यपरक , सुगम व सुव्यवस्थित वातावरण की संरचना करना चाहते हैं और अपने आशियाने को बनाना वाहते हैं अपने सपनों का घर , तो यकीन मानिये ' सुप्रीम होम थेरपि ' केवल आप के लिए ही लिखी गई है .

होम डेकॉर , ग्रीन इंटीरियर डि़ज़ाइन , डेकोरेटिंग में क्या करें और क्या न करें, वास्तु एवं फेंग शुई, कलात्मक वस्तुओं की मह्त्ता आदि तमाम मह्त्वपूर्ण जानकारियों से लैस है , डिज़ाइनर व पेंटर ' ऋषभ शुक्ला' द्वारा लिखित पुस्तक  ' सुप्रीम होम थेरपि ', जो आपके मकान को बना देगी आपके सपनों का घर .
पुस्तक : सुप्रीम होम थेरपि
लेखक :ऋषभ शुक्ला
विधा : नॉन- फिक्शन
भाषा : अंग्रेज़ी
विषय : होम डेकॉर
प्रकाशक : स्वप्निल सौंदर्य पब्लिकेशन्स
विसिट  करें : www.riatheestudio.blogspot.com








 - ऋषभ शुक्ल




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नानी माँ की बातें :







हाई बल्ड प्रेशर ::

- दो टेबलस्पून शहद में एक टेबलस्पून नींबू का रस मिलाकर सुबह - शाम पीने से ब्लड प्रेशर कम होता है.

- आंबले का रस नियमित रुप से पीएं.

- यदि हाई ब्लड प्रेशर के मरीज़ दो - तीन दिन तक सिर्फ़ नारंगी का रस पीएं और दूसरा कोई अन्न या जूस न पीएं तो ब्लड प्रेशर नॉर्मल हो जाता है.

- सौंफ, जीरा और मिश्री को बराबर मात्रा में मिलाकर पीसक्र चूर्ण बनाएं . इस चूर्ण का सुबह - शाम सेवन करने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है.

- सुबह - शाम खाली पेट दो-तीन पीस पपीता खाने से भी ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रखा जा सकता है.


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कड़वा सच :

प्रेम बनाम सेक्स 






प्रेम एक बेहद आनंददायक अनुभूति है, सुखद अहसास है परंतु आज के परिवेश में अधिकांश लोग इसको सेक्स का पर्याय मान रहे हैं . आज के आधुनिक समाज में इसका अंतरंग प्रदर्शन आम है . समय के साथ लोगों की सोच में तेजी से इज़ाफा हो रहा है. आज की मार्डन युवा पीढ़ी अपने प्रेम का खुल के इज़हार करने में यकीन रखते हैं ... और प्रेम का इज़हार करने का तरीका सेक्स को मानते हैं ...इसलिये आज लिव - इन -रिलेशनशिप , शादी से पहले बच्चे , सेक्स स्कैंडल जैसी तमाम बातें आम होती जा रही हैं
हमारे आधुनिक समाज में जो संस्कृ्ति पल बढ़ रही है , उसमें मूव - आन { Move On } प्रवृ्त्ति देखी जाती है. किसी भी चीज़ का रसास्वादन करो , आगे बढ़ो और भूल जाओ. लोगों की खासकर युवा पीढ़ी की सोच के स्तर में भी बहुत बदलाव आया है. सूक्ष्म स्तर पर प्रेम जैसी कोमल भावना को आज की युवा पीढ़ी महसूस नहीं कर पाती .
आज के आधुनिक समाज के युवाओं में बढ़ता पोर्न का क्रेज़, सेक्स की तीव्र इच्छा ने कहीं न कहीं प्रेम जैसे खूबसूरत शब्द को भी विसंगतियों से भर दिया है .
नि:संदेह अंतरंग संबंध दो प्यार करने वालों के रिश्ते को प्रगाढ़ता प्रदान करता करता है परंतु सेक्स की भावना की अत्यधिक प्रचुरता ????? अपने जीवनसाथी से हर पल हर वक़्त सेक्स में लिप्त रहने की अपेक्षा व इच्छा , हमारे आधुनिक समाज की युवा पीढ़ी की कौन सी मनोदशा दर्शाता है??
यदि साहित्य जगत की ही बात करें तो कामोत्तेजक लेखन हर वर्ग के पाठकों को अपनी ओर खींचने में सक्षम है. यदि फिल्म जगत की बात करें तो यहाँ भी दर्शकों को थियेटर तक लाने में रोमांस और सेक्स का तड़का बेहद कारगर सिद्ध होता है .

प्रेम और सेक्स दोनों अलग शब्द हैं ...दोनों का अर्थ भी भिन्न हैं..... प्रेम को सेक्स का पर्यायवाची कहना या समझना नि:संदेह गलत है. क्योंकि सेक्स मात्र अपने जीवनसाथी को प्रेम दर्शाने का एक हिस्सा है न कि सिर्फ एक मात्र ज़रिया.

आज युवा पीढ़ी अपने पार्टनर से सेक्स में हर दम हर पल कुछ नया चाहते हैं तभी सेक्स की भी दो ब्रांचेस कर दी गईं हैं जो बेहद हास्यास्पद है ...सॉफ्ट सेक्स व हार्ड सेक्स ...यह हमारे आधुनिक समाज की ही देन है.
जमाना बढ़ा और हमारा आधुनिक समाज आज सुपर आधुनिक समाज की दहलीज़ पार करने को भी आतुर है तभी तो आज की युवा पीढ़ी अपने जोड़ीदार से सेक्स में क्या चाहते हैं, एक दूसरे से क्या अपेक्षा रखते हैं ..इस पर खुल के चर्चा होती है... इस खुलेपन के फलस्वरूप सेक्स में वेरियेशन्स ने जगह बना ली है. जहाँ हमारे भारतीय समाज में कामसूत्र को ही सेक्स के कुँजी माना जाता था, अब उसकी जगह पोर्न वेबसाइट्स ने ले ली है.


पोर्नोग्राफी में हर क्षण 3.075 डॉलर से ज्यादा की रकम खर्च हो रही है ,जिसको 28,258 नेट यूजर्स देखते हैं . नेट के आंकड़े बता रहे हैं कि 24,644,172 ( लगभग 12 फीसदी ) वेबसाइट्स पोर्नोग्राफिक हैं .पोर्नोग्राफी का धंधा हमेशा से बूम पर रहा है , ढेरों लोगों के लिये यह मुनाफा कमाने का पसंदीदा काम है . इसमें हर वर्ग के लोगों की भागीदारी है , खासकर पुरुषों की. नेट पर खोज करने वालों की 25 फीसदी यानी 6 करोड़ 80 लाख जिग्यासाएं पोर्नोग्राफी संबंधी होती हैं .इंटरनेट से डाउनलोड की जाने वाली सामग्री का 35 फीसदी हिस्सा पोर्नोग्राफिक होता है. अभी कुछ समय पूर्व सर्च इंजन गूगल ने बताया था कि भारतीय 'सेक्स' की खोज करने में अव्वल हैं ..खासकर बिहार और बंगाल के पुरुषों का रुझान इस शब्द में बहुत ज्यादा दिखा .

कंप्यूटर क्रांती ने गोपनीयता को खास जगह दी, इससे भी आगे आ गया मोबाइल फोन. यह जादू की डिबिया , गोपन को किसी भी कोने में सुविधाजनक रुप से ओपन कर रही है. कुछ व्यवसायी ' गंदा है पर धंधा है ये ' की तर्ज पर पोर्न व्यवसाय द्वारा अपनी जेबें गर्म करने से तनिक भी नहीं हिचकिचाते . अभी ज्यादा समय नहीं बीता है जब इन्हीं व्यवसायियों ने एक चोलाधारी स्वामी और तमिल हीरोइन के सेक्स फुटेज बेच कर लाभ कमाने का आनंद लिया. सच तो यह है कि धंधे में शामिल और मजा लेने वालों को यदि कोई दिक्कत नहीं है तो बाकी लोगों को परेशान होने की ज्यादा जरुरत भी नहीं होना चाहिये , क्योंकि जिसको हम सभ्य समाज कहते हैं , वह अपनी नन्हीं-नन्हीं बच्चियों को भी नहीं छोड़ता . अभी कुछ समय पूर्व मासूम पलक का मामला मीडिया में छाया हुआ था, जो चाइल्ड ट्रैफिकिंग की झलक भर है. मासूम बच्चों से सेक्स करने वाले और इनकी फिल्में बनाने वालों का पर्दाफाश बीच- बीच में होता रहता है. परंतु दिक्कत तो यह है कि अपने समाज में अब भी इतनी चेतना नहीं आई है कि वे गलत के खिलाफ जंग लड़ सकें.
वे लोग जो पोर्न या अश्लील साहित्य में डूबे रहते हैं , उनकी मानसिकता पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है. वे उन्माद में कुछ भी करने पर उतारु हो सकते हैं. राजधानी में ही सड़क चलती लड़की को गाड़ी के भीतर खींच कर रेप करने वालों का कहर इसी का हिस्सा है .सेक्स और देह की भूख , पोर्न पसंद पुरुषों को पागल कर देती है और उनके दिमाग में पहले से ही घुसा मर्दवादी अहंकार इस लिप्सा को और भी हवा देता है. ऐसे लोग जो पोर्न या अश्लील साहित्य में डूबे रहते हैं, उनकी सारी की सारी आपसी बातचीत और बर्ताव पर सेक्स हावी रहता है . अपनी हेकड़ी दिखानी हो या दुसरों को नीचा , उनके लिए ये गोपन अंग और संबंध औजार ज्यादा हो जाते हैं , जिसका खामियाजा हमेशा से औरतें ही भुगतती आ रही हैं .पोर्न या अश्लील साहित्य में डूबे रहने वाले पुरुषों को हर औरत हर वक़्त न्यूड नजर आती है. फब्तियां कसते और उनके वक्ष स्थल को निहारते हुए वे अपनी व्यस्क होती बच्चियों को भी भुला देते हैं . हद तो तब हो जाती है जब ऐसे पुरुषों की मानसिक विकृ्तियों का बेहद घिनौना रुप ऐसे सामने आता है जब वे अपनी ही पत्नियों से उम्मीद करते हैं की वो बिस्तर पर कुछ उसी तरह के पोज दें , जो वो अक्सर पोर्न फिल्मों में देखते हैं.

नोएडा के पब्लिक स्कूल की बच्ची का सेक्स एमएमएस हाथों हाथ जिस तेजी से प्रसारित किया गया था, उसी से पता चल गया था कि कुछ पुरुषों की पोर्न के प्रति अति लिप्सा व लपलपाहट पर कोई लगाम नहीं लग सकती . मोबाइल कंपनियों ने ऎसे लोगों की जेब काट्ने के लिये डर्टी जोक्स का धंधा भी चला रखा है. जिस पर हंसने वाला अपने भीतर की भूख को रोजाना सहलाता है और अपने दोस्तों से भी शेयर करता है.

अध्ययन कहते हैं कि पोर्न नियमित देखने वालों को बिस्तर पर ज्यादा दिक्कत आती है . सेक्सोलॉजिस्ट इसके तकनीकी पक्ष पर काफी बारीकी से बताते हैं . फिर भी कुछ पुरुषों में इसके प्रति गहरा आकर्षण है. घर से दफ्तर तक वे स्क्रीनों पर सेक्सी उददंड्ताओं का आनंद लेने के लिये लार टपकाते पकड़े जाते हैं. सड़क पर औरतों से सट कर चलते हैं और मौका पाकर इधर-उधत हाथ लगाने से भी बाज नहीं आते हैं . गंदी जुबान का इस्तेमाल करते हैं , नाजुक अंगों को लेकर गाली गलौज में माहिर होते हैं. पोर्न के दिवाने ऐसे लोगों के मन मस्तिष्क पर सेक्स इतना हावी होता चला जाता है कि हर जगह इसके अलावा उन्हें और कुछ नजर नहीं आता .


पोर्न या अश्लील साहित्य पसंद मर्द अपनी कुंठाओं व भूख को शांत करने के लिये और वे नामर्द नहीं हैं इसका साक्ष्य देने के लिये , सेक्स को आधार बना कर समाज में गंद मचाये पड़े हैं . बेहतर होगा कि ऐसे मर्द अपनी मर्दानगी पर खुद ही पाबंदी लगा लें वरना वो दिन दूर नहीं होगा कि पोर्न फिल्मों/ क्लिप्स् को देख खुद को उत्तेजित कर जब वे अपनी जिस्मानी भूख शांत करने के लिये सड़क पर निकलेंगे और काम -वासना व हवस से भरी निगाहों से हर औरत के जिस्म को अपनी जागीर समझ उसका उपभोग करने का विचार मन में लाएंगे , तब कभी ना कभी ऐसे मर्दों की जिस्मानी उत्तेजना को सरेआम सड़क पर ऐसे काट कर फेंका जाएगा कि उनकी मर्दानगी नपुंसकता में तबदील होने में बस पल भर का समय ही लगेगा.

प्रश्न यह उठता है कि सेक्स् में इतने खुलेपन व इसका अनपेक्षित विस्तार हमारी युवा पीढ़ी , हमारे समाज को किस ओर ले जा रहा है ?

ध्यान रहे सेक्स् कहीं प्रेम जैसी खूबसूरत भावना व अनुभूति पर इतना हावी न हो जाए कि प्रेम का पर्याय ही पूर्णतया बदल जाए. क्योंकि प्रेम एक ऐसी भावना है ...एक ऐसा खूबसूरत अहसास है जो आपके हृ्दय के तार आपके जीवन साथी से जोड़ देता है ...आप अपने जीवन साथी पर निस्वार्थ भाव से सर्वस्व न्योछावर कर देते हैं...संपूर्ण समर्पण की ये भावना अंतरंगता के सभी दायरों को तोड़ शारीरिक व मानसिक संबंध से जुड़ एक नए जीवन का निर्माण व उत्पन्न करने की शक्ति प्रदान करता है .... यही है प्रेम की शक्ति और सच्चे प्रेम का पर्याय.


- ऋषभ शुक्ल



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Swapnil Saundaya Label





The philosophy of a lifestyle permeates everything you do , its the way you live , to what you wear to how you wrap your gifts . Its the amalgamation of living in the best way one possibly can.

'Swapnil Saundarya Label' is a collaborative effort between Rishabh Shukla ( Rishabh Interiors & Arts )  and Swapnil Shukla  ( Swapnil Jewels & Arts ) . We feel that life is all about good living . That is why our label has unique products at great value . Swapnil Saundarya Label is great at having unusual aesthetic design sensibility which is reflected in our products ranging from Jewellery , Clothes , Accessories, Furnishings, Furniture, Interior Products , Knick Knacks, Paintings , Paraphernalias to Lifestyle Books .

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स्वप्निल सौंदर्य 'प्रकाशन '

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