Swapnil Saundarya e-zine # Vol -02 , Issue -02 , Aug - Sept 2014
Swapnil Saundarya e-zine # Vol -02 , Issue -02 , Aug - Sept 2014
| | स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन # Vol -02 , Issue -02 , Aug - Sept 2014 | |
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स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन - परिचय
कला , साहित्य, फ़ैशन, लाइफस्टाइल व सौंदर्य को समर्पित भारत की पहली हिन्दी द्वि-मासिक पत्रिका के दूसरे चरण अर्थात द्वितीय वर्ष में आप सभी का स्वागत है .
फ़ैशन व लाइफस्टाइल से जुड़ी हर वो बात जो है हम सभी के लिये खास, पहुँचेगी आप तक , हर पल , हर वक़्त, जब तक स्वप्निल सौंदर्य के साथ हैं आप.
प्रथम वर्ष की सफलता और आप सभी पाठकों के अपार प्रेम व प्रोत्साहन के बाद अब स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन के द्वितीय वर्ष को एक नए रंग - रुप व फ्लेवर के साथ प्रस्तुत किया जा रहा है ताकि आप अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया बनाते रहें. सुंदर सपने देखते रहें और अपने हर सपने को साकार करते रहें .तो जुड़े रहिये 'स्वप्निल सौंदर्य' ब्लॉग व ई-ज़ीन के साथ .
और ..............
बनायें अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया .
Launched in June 2013, Swapnil Saundarya ezine has been the first exclusive lifestyle ezine from India available in Hindi language ( Except Guest Articles ) updated bi- monthly . We at Swapnil Saundarya ezine , endeavor to keep our readership in touch with all the areas of fashion , Beauty, Health and Fitness mantras, home decor, history recalls, Literature, Lifestyle, Society, Religion and many more.
Swapnil Saundarya ezine encourages its readership to make their life just like their Dream World .
Swapnil Saundarya e-zine's Volume - 01 ( 2013 - 2014 )
www.swapnilsaundaryaezine.hpage.com
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Founder - Editor ( संस्थापक - संपादक ) : Rishabh Shukla ऋषभ शुक्ला
Managing Editor (कार्यकारी संपादक) : Suman Tripathi (सुमन त्रिपाठी)
Chief Writer (मुख्य लेखिका ) : Swapnil Shukla (स्वप्निल शुक्ला)
Art Director ( कला निदेशक) : Amit Chauhan (अमित चौहान)
Marketing Head ( मार्केटिंग प्रमुख ) : Vipul Bajpai (विपुल बाजपई)
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'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' में पूर्णतया मौलिक, अप्रकाशित लेखों को ही कॉपीराइट बेस पर स्वीकार किया जाता है . किसी भी बेनाम लेख/ योगदान पर हमारी कोई ज़िम्मेदारी नहीं होगी . जब तक कि खासतौर से कोई निर्देश न दिया गया हो , सभी फोटोग्राफ्स व चित्र केवल रेखांकित उद्देश्य से ही इस्तेमाल किए जाते हैं . लेख में दिए गए विचार लेखक के अपने हैं , उस पर संपादक की सहमति हो , यह आवश्यक नहीं है. हालांकि संपादक प्रकाशित विवरण को पूरी तरह से जाँच- परख कर ही प्रकाशित करते हैं, फिर भी उसकी शत- प्रतिशत की ज़िम्मेदारी उनकी नहीं है . प्रोड्क्टस , प्रोडक्ट्स से संबंधित जानकारियाँ, फोटोग्राफ्स, चित्र , इलस्ट्रेशन आदि के लिए ' स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता .
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चेतावनी : 'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' में घरेलु नुस्खे, सौंदर्य निखार के लिए टिप्स एवं विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के संबंध में तथ्यपूर्ण जानकारी देने की हमने पूरी सावधानी बरती है . फिर भी पाठकों को चेतावनी दी जाती है कि अपने वैद्य या चिकित्सक आदि की सलाह से औषधि लें , क्योंकि बच्चों , बड़ों और कमज़ोर व्यक्तियों की शारीरिक शक्ति अलग अलग होती है , जिससे दवा की मात्रा क्षमता के अनुसार निर्धारित करना जरुरी है.
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संपादकीय
प्रिय पाठकों .......
आप सभी को नमस्ते !
स्वप्निल सौंदर्य ई- ज़ीन के द्वितीय वर्ष के द्वितीय अंक में आप सभी का स्वागत है . ज़िंदगी का विलोम मौत है . ज़िंदगी का अंत मौत है . प्रत्येक वस्तु जो इस संसार में है , वह क्षणभंगुर है या सीधे शब्दों में कहा जाए तो यह संसार ही क्षणभंगुर है . ज़िंदगी अनेकों कष्टों से परिपूर्ण है . विभिन्न उतार - चढाव, सुख - दुख, संघर्ष आदि मिलकर ज़िंदगी का ताना - बाना बुनते हैं. फिर भी ज़िंदगी हसीन है , खूबसूरत है , सौंदर्यपरक है. 'संघर्ष ' जीवन पथ पर हमें आगे बढ़ने की शक्ति देता है . अत: व्यक्ति - विशेष को चाहिये कि अपने कष्ट दाई समय का सामना धैर्य पूर्वक और आत्मविश्वास के साथ करना चाहिये. यदि जीवन में कभी कोई गलत कार्य हुआ हो , तो उस गलती , उस भूल को स्वीकारें और उसे कदापि न दोहरायें. अपनी कमियों को छिपाने वाला व्यक्ति , उस मूर्ख कि तरह होता है जो चोरी करके , दुनिया की नज़रों से बचने के लिए प्राय : खुद अपनी आँखों पे पट्टी बाँध लेता है और सोचता है कि यदि वो दुनिया को नहीं देख रहा तो पूरी दुनिया भी उसे नहीं देख पाएगी . जैसे एक लकीर को छोटा दिखाने के लिए उसके सामने अक्सर बड़ी लकीर खींच दी जाती है , उसी प्रकार अपनी कमियाँ छिपाने वाला व्यक्ति हमेशा दूसरों की झूठी कमियाँ औरों के समक्ष प्रस्तुत करता रहता है ताकि अपनी खुद की ज़िम्मेदारियों से उस व्यक्ति के भगौड़े होने की आदत दुनिया के समक्ष न आ जाए. याद रखिये तमाम गलतियों के बाद यदि ज़िंदगी व्यक्ति को उसकी गलतियाँ सुधारने का एक मौका देती है तो साथ ही भविष्य के लिए तमाम चुनौतियाँ भी खड़ी कर देती है.
इसके अतिरिक्त सुनी हुई गुप्त बातों के आधार पर लोगों में झगड़े करवाने वाले विश्वासघाती मनुष्य को उसके पारिवारिक जन भी त्याग देते हैं. अत: ऐसे लोगों से दूरी बनाना ही समझदारी है.
ज़िंदगी ने बहुत कुछ सिखाया है मुझे और अपनी ज़िंदगी से सबसे बड़ा अनुभव जो मुझे प्राप्त हुआ है , वह यह है कि वे लोग अवश्य ही भले होंगे जिनके हज़ारों - लाखों शत्रु हों. तो ऐसी बातों या शत्रुओं से विचलित होने की कतई आवश्यकता नहीं . वैसे भी जब व्यक्ति सफलता के चरम पर होते हैं तब सबसे पहले उनके करीबी दोस्त ही दुश्मन बन जाते हैं.
कहा जाता है कि शक्ति से अधिक कर्म का भार , मनुष्य को हतोत्साह करके कर्म को अनिवार्य रुप से निष्फल बना डालता है या नष्ट कर देता है. अत: कर्म को पूजा मानिये पर अपनी शक्ति, सामर्थ और कार्य के बीच सही संतुलन कायम रखिये और अपना और अपने प्रिय जनों का ख्याल रखिये , देखभाल करिये और बनाइये अपनी ज़िंदगी , अपने सपनों के जैसी.
स्वप्निल सौंदर्य ई- ज़ीन का यह अंक प्रस्तुत है फैशन , लाइफस्टाइल, इंटीरियर्स, घरेलु नुस्खे़, कला, साहित्य, सौंदर्य आदि से लैस उन तमाम जानकारियों के साथ जो बनायेगीं आप सभी की ज़िंदगी को उनके सपनों की दुनिया .
आशा है कि आपके प्रेम , टिप्पणियों व सलाहों द्वारा हर पल हमें और बेहतर कार्य करने की प्रेरणा मिलती रहेगी ..... अंत में आप सभी से निवेदन है कि जुड़े रहिये ' स्वप्निल सौंदर्य ई- ज़ीन ' के साथ ........
और ...............
बनाइये अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया .
स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन के द्वितीय वर्ष के द्वितीय अंक ( अगस्त - सितंबर 2014 ) में हम जिन विभिन्न पहलुओं व जानकारियों को सम्मिलित कर रहे हैं वे निम्नवत हैं :
सौंदर्य - डार्क सर्कल व पफी आईज़ को कहें अलविदा
साहित्य - मेरी मौत
पकवान - आलू- पालक परांठा
फैशन व लाइफ्स्टाइल - ब्राइडल ज्वेलरी के साथ , अपने विवाह को बनाए खास
रत्न और आप - माणिक्य से लाभ , जीवन में उठाएं आप
इंटीरियर्स - स्टाइलाइज़ योर होम विद सॉफ़्ट फ़र्निशिंग्स ..... ( 2 ) :: कुशन कवर
नानी माँ की बातें - दांतों की समस्याओं का समाधान
प्रेरणात्मक - ज़िंदगी को समझने की कोशिश
शुभकामनाओं सहित ,
आपका ,
ऋषभ
www.rishabhrs.hpage.com
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सौंदर्य :
डार्क सर्कल व पफी आईज़ को कहें अलविदा ::
डार्क सर्कल ::
- टमाटर में नमक , नींबू व पुदीने की पत्तियाँ डालकर जूस बना लें और इसे नियमित रुप से पिने से आँखों के काले घेरों से मुक्ति मिलती है.
- बादाम पीसकर उसमें मलाई या ठंडा दूध मिलाकर आँखों व पूरे चेहरे पर लगाएं. 10 मिनट बाद चेहरा धो लें.
पफी आईज़ ::
- ठंडे दूध में कॉटन पैड भिगोकर आँखों पर 15 मिनट तक रखें.
- रोज़ सुबह हरी घास पर 20 मिनट तक चलें.
- बादाम के तेल से आँखों के नीचे गोलाई में मसाज करें.
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साहित्य :
मेरी मौत
इस ज़िंदगी ने हमें बहुत से रंग दिखाये,
बहुत से चेहरे दिखाये,
बहुत से चेहरों पर से नकाब हटाये,
बहुत से राज़ बताये,
हर वक़्त से रुबरु कराया,
इस ज़िंदगी ने हमें .
क्या करें अपनी ज़िंदगी की बात ,
जिसकी शुरुआत में ही था घना कोहरा व अंधेरी रात,
बचपन था हमारा एक काला साहिल ,
जिसका कोई अंत न था.
बना दिया था हमारे ही अपनों ने ,
ज़िंदगी को हमारी एक मज़ाक,
अपनों से मिले ज़ख्मों का जाम पी-पी के,
घुटन भरा बचपन कब जवानी की दहलीज़
पर आ खड़ा हुआ, इसका हमें
कभी एहसास ही न हुआ.
पर हमने न छोड़ा उम्मीद का दामन,
उम्मीद थी हमें ज़िंदगी तो अपनी जिएंगे शान से,
और मौत को भी तब तक करना होगा इंतज़ार ,
खड़े होकर कतार में.
आज जो पाया है, जो खोया है ,
जो हासिल किया,
जो लिया है , जो दिया है , इस ज़िंदगी को ,
उन सब पर फक्र है हमें.
खुश हैं हम अपनी इस ज़िंदगी से ,
नहीं कोई गम बाकी इस ज़िंदगी में .
अब तो लगता है कि मौत भी देगी,
सुकून व चैन की हर साँस हमें,
चूंकि अब तो कोई रंग न बाकी रहा,
जिसे हमने न जिया हो इस ज़िंदगानी में .
वो वक़्त अब आ गया जिसका हमें इंतज़ार था ,
बड़ी बेकरारी से,
वो सब हमने पा लिया , जिसका हमें करार था ,
अपनी इस ज़िंदगानी से .
नहीं पाई तो बस एक चीज़ जो है, मेरी मौत.
अब बस कुछ पाना है तो वो है मौत.
अब बस कुछ गले लगाना है तो वो है मौत.
ऎ मेरी मौत ! देख तेरा एक तन्हा आशिक बुला रहा है तुझे .
अब तो तन्हा न छोड़ मुझे,
भर ले आगोश में अपने
ऎ मेरी मौत ! आ गले लगा ले मुझे,
महरुम हूँ तो बस तेरे इश्क़ से.
अब बस आ मुझे थाम ले ,
थाम लेने दे दामन अपना मुझे , ऎ मेरी मौत
ज़िंदगी का सफर यहीं तक ,
मौत के सफर का आरंभ...................
- ऋषभ शुक्ल
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पकवान :
आलू- पालक परांठा ::
सामग्री :
03 कप गेहूं का आटा
300 ग्राम आलू उबले और मैश किए हुए
एक गड्डी पालक कटा हुआ.
आवश्यकतानुसार रिफाइंड तेल
नमक व परांठा मसाला स्वादानुसार
परांठा मसाला की सामग्री व विधि :
01 टीस्पून लाल मिर्च पाउडर
01-01 टीस्पून अमचूर पाउडर और धनिया पाउडर
आधा टीस्पून गरम मसाला .
इन सभी मसालों को मिला लें.
विधि :
आटे में नमक डालकर गूंध लें. आलू, पालक , नमक और परांठा मसाला की सामग्री मिलाकर स्टफिंग तैयार कर लें. आटे की छोटी-छोटी लोई बना लें और तैयार किए गए मिश्रण की स्टफिंग करके परांठा बेल लें. तवे पर रिफाइन्ड तेल लगाकर सेंक लें. दही , दाल या छोले के साथ - साथ गरमागरम सर्व करें.
- सुमन त्रिपाठी
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फै़शन व लाइफस्टाइल
ब्राइडल ज्वेलरी के साथ , अपने विवाह को बनाएं खास ::
विवाह - एक ऐसा बंधन है जिसमें हर कोई बंध कर अपनी एक नई ज़िंदगी की शुरुआत करना चाहता है।अपने विवाह को लेकर ज्यादातर हर लड़की के अपने कुछ सपने होते हैं, कुछ अरमां होते हैं। और हो भी क्यों न , आखिर ये दिन किसी के जीवन में बार- बार तो आता नहीं। वैसे तो हम स्त्रियाँ हर पल, हर अवसर पर अपनी खूबसूरती के रंग बिखेरती हैं पर कुछ अवसर ऐसे खास होते हैं जिन पर हर एक स्त्री का सौंदर्य उनके चरम पर होता है , विवाह उन अवसरों में एक है। ऐसे में विवाह जैसे हसीन ख्वाब को औरैअधिक रंगीन व यादगार बनाने के लिए हम सभी भरकस प्रयत्न करते हैं , हर महत्वपूर्ण बातों पर गौर फरमाते हैं। छोटी सी छोटी बात पर विशेष मंथन व विचार विमर्श कर ही हर कदम उठाते हैं और बात यदि दुल्हन के लुक की हो तो , दुल्हन के परिधान व गहनों को किसी भी कीमत पर नज़रंदाज नहीं किया जा सकता। आखिर एक दुल्हन के सौंदर्य में चार- चाँद लगाने में इन्हीं की तो सबसे अहम भूमिका होती है.
आज के समय के परिधानों की बात करें तो लहंगा , घांघरा , साड़ी, गाउन सरीके डिज़ाइनर परिधानों का क्रेज़ बढ़ा है जो परंपरागत लाल रंग के अलावा सिंदूरी , पिंक, गोल्डन , मेहरुन आदि खूबसूरत रंगों में भी उपलब्ध हैं जो एक दुल्हन के सौंदर्य को एक बेहतरीन परिवेश में ढालते हैं। गहनों की बात करें तो भारी नेकलेस ,चोकर, रानी हार, ईयररिंग, हस्तफूल , माँग टीका, नथ, अंगूठी , कड़े व चूड़ियाँ इत्यादि ब्राइडल ज्वेलरी के अंतर्गत आते हैं।
यदि आप भी विवाह के पवित्र बंधन में बंधने जा रही हैं तो अपने विवाह के आभूषणों में वेरायटी के लिए गोल्ड और डायमंड के साथ - साथ मोती , कुंदन , रत्नजड़ित और चाँदी के आभूषणों को शामिल करें। आजकल दुल्हनों में बहुत ज्यादा हैवी गोल्ड ज्वेलरी पहनने का चलन नहीं है . अब वे हल्के और नाजुक आभूषण धारण करना पसंद करती हैं, जिनका बाद में भी इस्तेमाल किया जा सके.
आज की दुल्हन मंगलसूत्र और चूडियाँ थोड़ी भारी तो पहन लेती हैं लेकिन वे बहुत अधिक भारी नेकलेस और झुमके इत्यादि पहनना पसंद नहीं करतीं। आज के दौर में विवाह के लिए कुंदन और डायमंड के आभूषणों का प्रचलन अधिक है. रोडियम पॉलिश्ड गोल्ड ज्वेलरी भी काफी चलन में है। वैसे, सोने के विभिन्न आभूषण तो हर दुल्हन की हमेशा से ही पहली पसंद हैं।
इसके अतिरिक्त विवाह के लिए गहने खरीदने के लिए कुछ बातों का विशेष रुप से ध्यान रखें :
- आभूषण खरीदने से पहले विवाह के दिन पहनने वाले परिधान का चयन कर लेना उचित रहता है। परिधान खरीदने के उपरांत उनसे मैच करते आभूषण खरीदें ताकि आउटफिट और ज्वेलरी एक दूसरे से मेल खाती हों।
- अपने लिए ईयररिंग्स का चयन करते समय अपने हेयर स्टाइल का ध्यान रखें। अगर आप खुले बाल रखने वाली हैं तो लंबे ईयररिग्स का चयन करें और अगर जूड़ा बना रही हैं , तो फिर मध्यम लंबाई के झुमके चुनें।
- विवाह या सगाई की अंगूठी न तो बहुत ज्यादा भारी हो और न ही नुकीली हो . अकसर अंगूठी में कपड़े आदि फंस जाते हैं। अत: ऐसे डिज़ाइन्स का चयन करें जो खूबसूरत होने के साथ उन्हें धारण करने की दृ्ष्टि से प्रैक्टिकल भी हों।
- आपको अपने लिए कितनी लंबाई के नेकलेस लेने हैं और चूड़ियाँ किस नाप की लेनी हैं .... इन बातों की लिस्ट बना लें। आभूषण खरीदने जाते समय इस लिस्ट को साथ ले जाना न भूलें। इससे आभूषणों को री- साइज़ करवाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
- यदि अपने विवाह के अवसर पर आप गोल्ड ज्वेलरी धारण करने का मन बना रही हैं तो इसके लिए भी आपके पास कई विकल्प हैं। आप दो तरह के गोल्ड को एक साथ मिक्स एंड मैच भी कर सकती हैं।अगर आपके परिधान पर सिल्वर कलर का काम हो तो आप अपने आभूषणों पर रोडियम पॉलिश भी करवा सकती हैं . इसके अलावा येलो गोल्ड और रेड गोल्ड को मिलाकर भी ज्वेलरी बनवा सकती हैं, ऐसे आभूषण आपको डिफरेंट लुक प्रदान करेंगे.
- स्वप्निल शुक्ला
* फ़ैशन, आभूषण व लाइफस्टाइल से जुड़ी हर छोटी से छोटी बात व् विभिन्न स्टाइल मंत्रों द्वारा दीजिए अपने व्यक्तित्व को एक नया निखार और बन जाइये फ़ैशन पंड़ित , ज्वेलरी डिजाइनर व फ़ैशन कंसलटेंट 'स्वप्निल शुक्ला' की नई पुस्तक ' फ़ैशन पंडि़त ' के साथ.
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रत्न और आप
माणिक्य से लाभ , जीवन में उठाएं आप ::
आज के परिवेश में आमतौर पर हर व्यक्ति रत्नों के चमत्कारी प्रभावों का लाभ उठा कर अपने जीवन को समृ्द्धिशाली व खुशहाल बनाना चाहता है. रत्न भाग्योन्नति में शीघ्रातिशीघ्र अपना असर दिखाते हैं. रत्न समृ्द्धि व ऎश्वर्य के भी प्रतीक होते हैं. अत: इनकी चमक हर व्यक्ति को अपने मोहपाश में बाँध अपनी ओर आकर्षित करती है. ज्योतिष शास्त्र के साथ -साथ चिकित्सीय जगत में भी रत्नों के प्रभावशाली लाभों को मान्यता प्राप्त है. ऐसे में प्रमुख नवरत्नों की यदि बात करें तो हर रत्न की अपनी अलग विशेषता है. नवरत्न जैसे माणिक्य, हीरा, पन्ना , मोती, मूंगा, गोमेद, पुखराज, नीमल, लहसुनिया सभी रत्नों में भिन्न-भिन्न गुण विद्यमान हैं व हर रत्न की अपनी अलग उपयोगिता है . परंतु यदि हम इनमें से माणिक्य की बात करें तो यह एक बेहद खूबसूरत व बहुमूल्य रत्न होने के साथ - साथ अनेकों प्रभावशाली गुणों से भी युक्त है . माणिक्य रत्न जड़ित आभूषण हर उम्र के लोगों के व्यक्तित्व में चार- चाँद तो लगाते ही हैं , साथ ही साथ भीड़ से अलग एक बेहतरीन व राजसी लुक भी प्रदान करते हैं . तो आइये इस संदर्भ में जानते हैं माणिक्य के बारे में कुछ खास बातें :-
माणिक्य को माणक भी कहा जाता है. यह एक अति मूल्यवान रत्न है. संस्कृ्त भाषा में इसे लोहित, पद्यराग, शोणरत्न , रविरत्न, शोणोपल, वसुरत्न, कुरुविंद आदि नामों से जाना जाता है. हिन्दी - पंजाबी में चुन्नी, उर्दू- फारसी में याकत व अंग्रेज़ी में ये रुबी के नाम से प्रचलित है. यह लाल रक्तकमल जैसे सिंदूरी, हल्के नीले आदि रंगों में पाया जाता है . असली व निर्दोष माणिक्य हल्की नीले आभा वाला होता है, जिससे लाल रंग की किरणें निकलती हैं . इन्हीं सब विशेषताओं के चलते इसे सूर्यरत्न भी कहा जाता है.
माणिक्य अनेकों गुणों की खान है. यह धारणकर्ता की शत्रुओं से रक्षा करता है, व्यक्तित्व को निखार व कांति प्रदान करता है व बेहतरीन शारीरिक व मानसिक स्वास्थ प्रदान करता है. वैदिक ज्योतिष शास्त्र में इसके अनेकों गुणों की विवेचना की गई है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार यदि जन्मकुंडली में सूर्य की स्थिति ठीक न हो तो माणिक्य अवश्य धारण करना चाहिये, ऐसी स्थिति में ये अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है. इसके अलावा जिन व्यक्तियों का जन्म जुलाई माह में हुआ है उनके लिए भी इस रत्न को धारण करना उपयुक्त माना जाता है . कम से कम ढाई रत्ती का शुद्ध माणिक रविवार , सोमवार या बृ्हस्पतिवार को खरीद कर सोने की अंगूठी में जड़वाएं और फिर इसे रविवार के दिन सूर्योदय के समय संपूर्ण पूजन विधि द्वारा दाएं हाथ की तर्जनी अंगुली में धारण करें . परंतु इसको घारण करने से पूर्व किसी योग्य ज्योतिषाचार्य से परामर्श अवश्य लें ताकि आप इस बहुमूल्य रत्न द्वारा जीवन में अनेकों लाभ उठा पाएं.
परंतु माणिक्य खरीदते बक़्त कुछ बातों का विशेष ध्यान रखें . ऐसे माणिक्य कदापि न खरीदें जिनमें चमक न हो, जिसका रंग दूध जैसा हो , जिस पर आड़ी - तिरछी रेखाएं हों, जिसमे दो रंग हों, जिसका रंग धुएं जैसा हो, जिसमे चीरा लगा हो, जो मट्मैला हो, जो सफेद या कालिमा युक्त हो, जिसमें गढ्ढा हो, ऐसे दोषयुक्त माणिक्य धारणकर्ता के लिए बेहद हानिकारक सिद्ध होते हैं. अत: इस प्रकार के माणिक्य कभी न खरीदें. शुद्धता की जाँच की बात करें तो यदि माणिक्य को गाय के दूध में डालने पर दूध गुलाबी दिखाई देने लगे तो उसे शुद्ध व असली समझें. इसके अलावा शुद्ध माणिक्य को किसी काँच के पात्र में रखने से ऐसा लगेगा , जैसे उस पात्र में रक्तिम किरणें फूट रही हैं.
यदि अंक ज्योतिष की बात करें तो जिन व्यक्तियों का जन्म किसी भी माह की 01, 10, 19, 28 तारीख को हुआ हो वे माणिक्य धारण कर अनेकों प्रकार से लाभान्वित हो सकते हैं . इसके अतिरिक्त माणिक्य द्वारा रोगोपचार भी संभव है . माणिक्य रक्त संबंधी विकारों के लिए बेहद लाभदायक होता है. साथ ही यह क्षय रोग, उदर शूल , फोड़ा, धातु, विषनाश, आँखों की बिमारी एवं कोष्ठबद्धता में अत्यंत कारगर सिद्ध होता है. इन रोगों के उपचार के लिए इसकी भस्म इस्तेमाल की जाती है . साथ ही इसकी गोलियाँ भी बाज़ार में उपलब्ध हैं परंतु इनके सेवन से पूर्व योग्य आयुर्वेदाचार्य से सलाह अवश्य लें.
- स्वप्निल शुक्ला
ज्वेलरी डिज़ाइनर
फ़ैशन कंसलटेंट
( swapniljewels.blogspot.com )
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इंटीरियर्स
स्टाइलाइज़ योर होम विद सॉफ़्ट फ़र्निशिंग्स ......... ( 2 ) ::
कुशन कवर -
अट्रैक्टिव कुशन कवर्स किसी भी रुम को हाईलाइट करने के लिए काफी हैं. ये सोफा -सेट, बेड , काउछ को खूबसूरत लुक देते हैं . कुशन कवर्स की कुछ एवर- ग्रीन वैराइटीस निम्नलिखित हैं :-
जरदोज़ी वर्क : जरदोज़ी वर्क कुशन कवर्स को अट्रैक्टिव लुक देता है. जरदोज़ी वर्क के लिए सिल्क का फेब्रिक सेलेक्ट करना चाहिये .फेस्टिव सीज़न में घर को डेकोरेट करने के लिए यह ट्रेंडी आप्शन है.
हैंड इम्ब्रॉइडरी : काफी एलिगेंट अय्र क्लासी लगती है. पारसी , कश्मीरी वर्क कुशन्स पर फबता है . कॉटन या साटिन फैब्रिक पर ये काफी सूट करती है. बुटीक से अपनी पसंद के अनुसार कवर्स डिज़ाइन करवाए जा सकते हैं.
सीक्वेंस व बीड वर्क : कुशन्स पर सीक्वेंस व बीड वर्क आपके डेकोर को बेहतरीन लुक देते हैं. सिल्क फैब्रिक पर सीक्वेंस या बीड वर्क काफी खूबसूरत लगता है.
स्ट्राइप्स : मॉडर्न डेकोर चाहते हैं तो स्ट्राइप्स , डॉट्स वाले कुशन्स ट्राई करें . स्ट्राइप्स , डॉट्स आदि डिज़ाइन पैटर्न्स वॉर्म कलर्स पर अधिक फबेगी.
लेदर डिज़ाइन्स : के कुशन्स भी काफी ट्रेंड्स में हैं ये काउच वगेरह पर सूट करते हैं. माडर्न इंटीरियर्स के अंतर्गत लेदर डिज़ाइन्स के कुशन्स काफी सूट करेंगे.
ट्रेडीश्नल : राज्स्थानी या गुजराती थीम हमेशा ही ट्रेंड में रहती है. यदि इस प्रकार की डिज़ाइन्स से लैस कुशन्स ले रहे हैं तो कॉटन फेब्रिक का उपयोग बेहतर रहता है.
( लेख जारी है ................... )
अगर आप उन लोगों में से एक हैं , जो अपने आस - पास, सौंदर्यपरक , सुगम व सुव्यवस्थित वातावरण की संरचना करना चाहते हैं और अपने आशियाने को बनाना वाहते हैं अपने सपनों का घर , तो यकीन मानिये ' सुप्रीम होम थेरपि ' केवल आप के लिए ही लिखी गई है .
होम डेकॉर , ग्रीन इंटीरियर डि़ज़ाइन , डेकोरेटिंग में क्या करें और क्या न करें, वास्तु एवं फेंग शुई, कलात्मक वस्तुओं की मह्त्ता आदि तमाम मह्त्वपूर्ण जानकारियों से लैस है , डिज़ाइनर व पेंटर ' ऋषभ शुक्ला' द्वारा लिखित पुस्तक ' सुप्रीम होम थेरपि ', जो आपके मकान को बना देगी आपके सपनों का घर .
पुस्तक : सुप्रीम होम थेरपि
लेखक :ऋषभ शुक्ला
विधा : नॉन- फिक्शन
भाषा : अंग्रेज़ी
विषय : होम डेकॉर
प्रकाशक : स्वप्निल सौंदर्य पब्लिकेशन्स
विसिट करें : www.riatheestudio.blogspot.com
- ऋषभ शुक्ल
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नानी माँ की बातें :
दांतों की समस्याओं का समाधान ::
- हींग को पानी में उबाल कर उस पानी से कुल्ले करने और दांत के पोले भाग में हींग भरने से दांत के कीड़े मर जाते हैं.
- हल्दी की गांठ भूनकर दांत में दबाने से दांत का दर्द ठीक हो जाता है.
- तुलसी के रस में कपूर मिलाकर उसमें भीगी हुई रुई का फाहा रखें, इससे दांत के दर्द में तुरंत राहत मिलेगी.
- खाने का सोडा और हल्दी मिलाकर मंजन करने से भी दांतों का हिलना बंद हो जाता है.
- एक कप गुनगुने दूध में हल्दी डाल कर सोने से पहले पीने से दांतों की तकलीफों से राहत मिलती है.
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प्रेरणात्मक :
ज़िंदगी को समझने की कोशिश : :
ज़िंदगी क्या है ? यह एक ऐसा सवाल है जिस पर कवियों -शायरों , दार्शनिकों और विचारकों ने न जाने कितना सोचा-विचारा , कहा और लिखा है. शायद ही कोई ऐसा हो जिसने कभी न कभी , किसी न किसी मोड़ पर यह न सोचा हो या सोचने को मजबूर न हुआ हो कि आखिर ज़िंदगी है क्या? इसका मकसद और मतलब क्या है?ज़िंदगी है ही इतनी जटिल ,दुर्लभ, अदभुत, अबूझ और अप्रत्याशित कि इसे किसी परिभाषा में बांधना या व्यक्त करना मुमकिन नहीं. यदि ऐसा न होता तो हजारों वर्षों से इस दुनिया में रहते हुए क्या हम यह न जान पाते कि क्या है ज़िंदगी ? इतना जरुर है कि ज़िंदगी प्रकृ्ति का बेशकीमती उपहार है , ईश्वर की श्रेष्ठ रचना है, इसलिये अनमोल है , यही वजह है कि तमाम विसंगतियों , विरोधाभासों के बावजूद जीने की चाहत कभी किसी में कम नहीं होती , इसकी कशिश कभी खत्म नहीं होती. नियति पर भले किसी का जोर न हो , लेकिन अपना भविष्य गढ़ने की आज़ादी हर किसी को है, सपने देखने और उन्हें साकार करने की छूट सबको है.तभी तो मकसद और मंजिल से बेखबर , हम सभी अपने-अपने नज़रिये से ज़िंदगी को देखते, समझते , अर्थ देते और जीते हैं .ज़िंदगी शायद ऐसी ही पहेली का नाम है.
ज़िंदगी सौंदर्य है. आनंद , सपना, चुनौती ,कर्त्तव्य , संघर्ष , दुर्घटना या फिर जोखिम है, लेकिन है कीमती. और न जाने क्या-क्या है ज़िंदगी . आखिर किस अबूझ पहेली का नाम ज़िंदगी है, जिसे हर कोई अपने हिसाब से परिभाषित करता है. काव्यमय उद्धरणों और जज़्बाती पंक्तियों के साथ आइये कोशिश करते हैं समझने की सही मायने ज़िंदगी के :
कैसी अजीब पहेली है ज़िंदगी ...... जब हम खुश होते हैं , तब बहुत प्यारी लगती है ज़िंदगी..... जब हम उदास होते है तब दुख भरी लगती है ज़िंदगी......जब दिल को कोई भा जाए, तब रंगीन बन जाती है ज़िंदगी...... जब मन सोच में डूबा हो, तब समुद्र से भी गहरी हो जाती है ज़िंदगी...... जब कठिनाइयां सामने आएं, तब मुश्किलों से लदी लगती है ज़िंदगी...... जब हौसलाअफज़ाई हो, तब प्रेरणा बन जाती है ज़िंदगी...... जब किसी के सामने झुकना पड़े , तब खामोश है ज़िंदगी.... जब बहुत कुछ सहना पड़े , तब लाचार है ज़िंदगी........जब दिल टूट जाए , तब गमों से घिरी है ज़िंदगी.......जब कुछ समझ न आए , तब घोर अंधेरा है ज़िंदगी.......जब सपने बिखर जाएं , तब आँखों का नम होना है ज़िंदगी....... जब सपने साकार हो जाएं , तब पागलपन है ज़िंदगी....... अपनों के लिये कुछ कर गुज़रने की चाहत है ज़िंदगी या यूँ कहें कि परिस्थिति के सांचे में खुद को ढ़ालना है ज़िंदगी.
शेक्स्पीयर के विचारानुसार , " वी आर सच स्टफ एज ड्रीम्स आर मेड आन एंड अवर लिटिल लाइफ इज़ राउंडेड विद अ स्लीप ." अर्थात हमारी ज़िंदगी नींद जैसी है , जो थोड़े से समय के लिये नींद से घिरी है.
अल्बर्ट आइन्स्टीन के अनुसार ,"ज़िंदगी जीने के दो ही रास्ते हैं . एक तो यह कि जैसे कुछ भी चमत्कार नहीं और दूसरा यह कि हर चीज़ चमत्कार है."
महात्मा गांधी के अनुसार, "जीवन ऐसा जियो, जैसे कि कल ही आप को मर जाना है लेकिन सीखो इस तरह जैसे कि आपको हमेशा के लिये जीवित रहना हो."
बाइबिल के अनुसार , ' मानव जीवन इसलिये सुंदर और महत्वपूर्ण है क्योंकि ईश्वर ने इसे अपनी ही छवि में बनाया है.'
ज़िंदगी :
* वो पूछते हैं मुझसे, क्या है ज़िंदगी ......
उस परवरदिगार का एक एह्सान है ज़िंदगी.
बेसबब चलता रहा है जो सफर सबका , उसी सफर की एक दास्तान है ज़िंदगी.
मिलते हैं सब यहां , बिछड़ते हैं सब यहां, इसी शौक का एक इम्तहान है ज़िंदगी.
खुशी है बरसात की तरह यहां लेकिन , गमों से लदता एक बियाबान है ज़िंदगी.
जो उलझो इसमें तो एक सवाल है ज़िंदगी, जो समझो इसे तो खुद अपना जवाब है ज़िंदगी.
* ज़िंदगी एक तोहफा है कुबूल कीजिए, ज़िंदगी एक अहसास है मह्सूस कीजिए.
ज़िंदगी एक दर्द है बांट लीजिए, ज़िंदगी एक आंसू है पी लीजिए.
ज़िंदगी एक प्यास है प्यार दीजिए.
ज़िंदगी एक जुदाई है, सब्र कीजिए.
ज़िंदगी एक मिलन है मुस्करा लीजिए.
ज़िंदगी आखिर ज़िंदगी है , इसे जी लीजिए.
* बड़ी जानी पह्चानी लगती हो तुम, कभी बड़ी अनजानी लगती हो तुम.
क्या बताएं तुम्हें ऎ ज़िंदगी, कितनी बेमानी लगती हो तुम .
जीते हैं जिसके लिए , उसी के लिये वक़्त नहीं,
हजार ख्वाहिशें हैं मुस्कराने के लिये, पर मुस्कराने के लिये वक़्त नहीं,
सोचा ये करते हैं अक्सर पर जवाब जिसका मिलता नहीं,
कि आखिर असल में क्या चीज़ होती है ये ज़िंदगी.
* ज़िंदगी से शिकायत किस शख्स को नहीं होती ,कर दे हर हसरत पूरी ,
ज़िंदगी की ऐसी फितरत नहीं होती.
ख्वाब तो दिखा देती है ज़िंदगी,
पर हर ख्वाब की मंजिल नहीं होती .
तमन्नाएं कुछ ऐसी भी होती हैं ,
जो कभी हासिल नहीं होती.
* ज़िंदगी के दिन कैसे भी हो , गुजर जाएंगे
एक दिन हम भी चुपके से ये दुनिया छोड़ जाएंगे ,
इस ज़िंदगी से हमेशा के लिये बिछड़ जाएंगे.
* छोटी सी है ज़िंदगी , हँस के जियो .
भुला के सारे गम , सिर उठा के जियो .
उदासी में क्यों रहना है ,मुस्करा के जियो.
अपने लिये ना सही, अपनों के लिये जियो.
* मैंने ज़िंदगी से पूछा , क्यों सबको इतना दर्द देती हो ,
ज़िंदगी ने हँस के कहा, हम तो सबको खुशी देते हैं
पर किसी की खुशी , किसी और का दर्द बन जाती है.
* ज़िंदगी से पूछो , ये क्या चाहती है?
बस, हर दिल से वफा चाहती है.
कितनी मासूम और नादान है ज़िंदगी,
खुद तो बेवफा है और दूसरों से वफा चाहती है.
* ना कुछ तेरा होगा , ना कुछ मेरा होगा
ज़िंदगी में बस ऊपर वाले का फैसला होगा.
कौन कहता है कि ये वक़्त हमारा है,
ये सिर्फ अहसास का धोखा है .
जीने के लिये जितना सोचोगे , उतना पछ्तावा होगा.
* ये ज़िंदगी बड़ी अजीब सी, कभी गुलजार सी , कभी बेजार सी
कभी खुशी हमारे साथ साथ , कभी गमों की बरसात सी.
ये ज़िंदगी बड़ी अजीब सी, कभी तूफानों में भी हैं रास्ते ,
कभी मंजिलों का पता नहीं,कभी दो कदम पर है ज़िंदगी.
कभी हर पल इम्तहान , कभी बिन मांगे इनाम,
है कभी कुछ नहीं, कभी सब कुछ सी है ज़िंदगी.
* जीवन स्वयं का पुनर्निर्माण करनी की निरंतर प्रक्रिया है.
* बुद्धिमान मनुष्य के लिये हर दिन नया जीवन होता है.
* जब हम जन्म लेते हैं , तब गीले , भूखे, चिल्ला रहे होते हैं...
बाद में चीज़ें और भी बद्तर होती जाती हैं.
* खुद को कष्ट क्यों देते हो.....इसके लिये ज़िंदगी जो है.
* जीवन में एक दिन ऐसा भी आता है जब आपकी ज़िंदगी आपकी आँखों के सामने रील की तरह घूमती है . बस, इतना ध्यान रखें कि यह देखने के काबिल हो.
गुजर चुके कल से सीखो , आज के लिये जियो और कल के लिये उम्मीद करो.
* ज़िंदगी एक पुल है , इसे पार करो ....इस पर घर मत बनाओ.
* हँसो तो मुस्कराती है ज़िंदगी, रोने पे आँसू बहाती है ज़िंदगी.
हाथ बढ़ाओ तो पास आती है ज़िंदगी, प्यार दो तो संवर जाती है ज़िंदगी.
जिस नज़र से देखो , वैसी नज़र आती है ज़िंदगी,
नज़रिया बदलते ही बदल जाती है ज़िंदगी.
* ये अजीब ज़िंदगानी है हमारी , जिसमें कल का है पता नहीं.
एक-एक पल को जीते हैं हम , पर जब कभी भी कल की सोचते हैं बात,
तब ज़ेहन में उठता है बस एक ही सवाल ,
कि क्या कल का कल होगा नसीब हमारी इस ज़िंदगानी में?
या हमारा आज ही है जिसमें खत्म हो चुका है कल ,
मह्सूस हमें होता है उस पल कि आखिर क्या कल ही है
वो आखिरी कल हमारी इस ज़िंदगानी में.
पर कल के आज बन जाते ही शुरु होती हैं नई कश्मकश , नई तबदीलियाँ,
नये वायदे,
नई राहों पर चल निकलते हैं हम , सोचते हुए कि शायद अभी होने हैं,
और भी कल , हमारी इस ज़िंदगानी में.
पर हर वक़्त , हर पल , मलाल ये उठता है हमारे दिल में,
कि आखिर कब होगा वो आखिरी कल,
हमारी इस ज़िंदगानी में.
उपरोक्त विवेचना के बावजूद मैं खुद को ज़िंदगी की सही मायने समझने में अक्षम मह्सूस कर रहा हूँ...... ज़िंदगी के बारे में आप का क्या नज़रिया है ? इस प्रश्न के उत्तर की आप सब से अपेक्षा के साथ मैं तो बस यही कहूँगा कि ज़िंदगी एक अनसुलझी पहेली है...... जो बेहद अलबेली है .....मोह - माया के संगम से बनी , खुशियों व गमों से सजी, ज़िंदगी एक जोखिम भरी चुनौती है....ज़िंदगी सिर्फ और सिर्फ एक अबूझ पहेली है.......
- ऋषभ शुक्ल
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स्वप्निल सौंदर्य लेबल
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The philosophy of a lifestyle permeates everything you do , its the way you live , to what you wear to how you wrap your gifts . Its the amalgamation of living in the best way one possibly can.
'Swapnil Saundarya Label' is a collaborative effort between Rishabh Shukla ( Rishabh Interiors & Arts ) and Swapnil Shukla ( Swapnil Jewels & Arts ) . We feel that life is all about good living . That is why our label has unique products at great value . Swapnil Saundarya Label is great at having unusual aesthetic design sensibility which is reflected in our products ranging from Jewellery , Clothes , Accessories, Furnishings, Furniture, Interior Products , Knick Knacks, Paintings , Paraphernalias to Lifestyle Books .
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आपके पत्र
आपके पत्र ..... आपका नज़रिया :
* आदरणीय संपादक महोदय ,
स्वप्निल सौंदर्य ई- ज़ीन का लंबे अंतराल की प्रतीक्षा दु:खदायी रही परंतु जैसे कि कहते हैं कि इंतज़ार का फल मीठा होता है . ठीक उसी प्रकार स्वप्निल सौंदर्य का सौंदर्य अब और भी अधिक निखर कर सामने आया है .
स्वप्निल सौंदर्य ई- ज़ीन सही मायनों में खरे सोने की भांति चमकती हुई , विभिन्न जानकारियों और सुंदर पेंटिंग्स से लैस , पाठकों की ज़िंदगी को बना रही है , उनके सपनों की दुनिया .
आभार .
- डा. विभा मिश्रा , लखनऊ
* स्वप्निल सौंदर्य का प्रथम वर्ष सफलतापूर्वक संपूर्ण करने के लिए आपकी टीम को बधाई . पत्रिका का नया रुप- रंग बहुत सुंदर लगा . पत्रिका के साथ सम्मिलित सफोकेशन नामक ई-बुक अत्यंत पसंद आई . प्रेरणादायी कहानियाँ , जीवन भर की सीख के साथ .
बहुत - बहुत आभार व बधाई !
- अशोक माथुर , वाराणसी
* उत्तम पत्रिका . सफकेशन - लघु कहानियों का संग्रह ने दिल व दिमाग को झकझोर कर रख दिया .
आपकी टीम व स्वप्निल सौंदर्य ई- पत्रिका को नमन .
रुपा मित्तल , दिल्ली
* स्वप्निल सौंदर्य ई- ज़ीन के द्वितीय वर्ष का शुभांरभ ,एक तरफ दुल्हन के पारिवारिक लिवाज़ में सजी युवती , मन में लाखों अरमां लिए तो दूसरी ओर पारंपरिक वेशभूषा व राजसी व्यक्तित्व , अभिमान व गौरव ,स्त्री के न जाने कितने ही सुंदर रुपों को प्रस्तुत करती एक प्रभावशाली व बेहतरीन कंपयूटरीकृ्त पत्रिका .
बहुत सुंदर . आभार व आशीष
- मधु गुप्ता , सीतापुर
* Spellbinding .loved all the articles.
informative , insightful nd beautiful. Thanks
keep going .
- Arundhati Verma , Shimla
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