Diary of Parag Rastogi Part~ 07 | SWAPNIL SAUNDARYA e-zine
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Vol- 10, Year - 2022
Presents
Diary of Parag Rastogi
Part~ 07
'पराग की डायरी-07'
•Poetry from his Soul for your Soul•
Published by
Aten Publishing House
'The Bold Brigade’, a collective to celebrate the Inclusive Power of Arts.
|| दर्द ||
दर्द - ओ - ग़म से खाली न कोई दिल रहा है,
ये सिलसिला तो सदियों से मुस्तक़िल रहा है,
किरदार हर शख्स का मैला है यहाँ मगर,
तलाश हर कोई वफादार हम सोहबत की कर रहा है...
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जिससे पूरी कर सकूँ सबकी ख्वाइशें वो तक़दीर कहाँ से लाऊँ,
दिल ही डूबा हो दर्द में तो चेहरे पे मुस्कान कहाँ से लाऊँ ...
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बड़े हसीन वो गुनाह होते हैं,
जो मासूमियत छीन लेते हैं ...
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जो आईने में किरदार नज़र आते,
तो लोग आईने से चेहरा छुपाते ...
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जो ज्यादा क़रीब नज़रों के आ जाता है,
यकीनन धुंधला ही नज़र आता है,
बंद आँखों की बात क्या कहिये,
धोखा तो खुली आँखों से भी खाया जाता है ....
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पराग रस्तोगी (Parag Rastogi) की शायरियों व कविताओं में ज़िंदगी का भोगा हुआ यथार्थ है| प्रेम रस से लैस इनके लेखन को सुख-दुःख, आशा-निराशा, वफ़ा-बेवफाई जैसे विरोधाभासी तत्वों का बेमिसाल संगम कहना अतिशयोक्ति न होगा| बकौल पराग (Parag Rastogi),"ज़िंदगी का संघर्ष ही मेरी धरोहर है, और लेखन मेरे लिये कोई चर्चा का विषय नहीं बल्कि अनुभूतियां हैं, जो मेरी रुह में बसता है|"
उर्दू भाषा के प्रति विशेष लगाव व् हिंदी लेखन में प्रवीण पराग एक उद्यमी हैं व वाणिज्य में डिग्री होल्डर हैं|
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