।। समाज को 'नारीवाद' की जरूरत है, 'विषाक्त छद्म नारीवाद' की नहीं ।। Swapnil Saundarya ezine
Swapnil Saundarya Ezine
Vol-09, Year-2021
।। समाज को 'नारीवाद' की जरूरत है, 'विषाक्त छद्म नारीवाद' की नहीं ।।
Written By| Rishabh Shukla (Founder-Editor)
Published by:
‘The Bold Brigade’, a collective to celebrate the Inclusive Power of Arts.
19वीं शताब्दी के दौरान जब नारीवाद की अवधारणा की शुरुआत हुई, तो वह समानता की लड़ाई थी। महिलाएं जीवन की गुणवत्ता, पेशे में समानता की मांग करने और सार्वजनिक स्थानों पर अपनी राय रखने के लिए एक साथ उठीं। एक नारीवादी एक पुरुष, महिला या कोई भी हो सकता है जो यह मानता है कि महिलाओं के अधिकार तय करने में सेक्स एक कारक नहीं होना चाहिए। यह एक अवधारणा है जो लैंगिक समानता की बात करती है; ताकि महिलाओं को वही शिक्षा, समान मंच और वही अवसर मिले जो एक पुरुष को अपने जीवन में मिलते हैं। महिलाओं को जल्दी स्कूल छोड़ने और शादी करने, या घर का काम करने, या अधिक पारंपरिक भूमिकाओं में फिट होने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। नारीवाद का उद्देश्य महिलाओं की उन रूढ़िवादिता को समाप्त करना भी है जो सदियों से प्रचलित हैं। लेकिन, दुर्भाग्य की बात है कि धीरे-धीरे नए प्रकार के नारीवाद का विकास हो रहा है जिसे 'छद्म नारीवाद' कहा जाता है।
छद्म-नारीवाद बताता है कि महिलाएं अधिक सम्मान की पात्र हैं, या अन्य लिंगों के लोग सम्मान के पात्र नहीं हैं। नारीवाद एक अच्छी समर्थन संरचना के रूप में शुरू हुआ जो सही था, लेकिन छद्म नारीवादियों द्वारा इसका अपहरण कर लिया गया, जिसके अंतर्गत सभी पुरुषों, धर्म और संस्कृति को दोष देना आम है। छद्म-नारीवादियों ने समानता के बजाय प्रतिशोध लेने के किसी भी अवसर की तलाश में नारीवाद की परिभाषा को मानव-घृणा के एक ब्रांड से विकृत करने में कामयाबी हासिल की है। छद्म-नारीवादियों की गहरी इच्छा है कि वे महिलाओं पर होने वाले सभी अन्यायों को दूर करें, वो भी अक्सर पुरुषों को कोड़े मारकर और नीचा दिखाकर पर इस नये विकृत नारीवाद के अंतर्गत जिस 'समानता' के तत्व को भुलाया जा रहा है वह असल नारीवाद आंदोलन का मूल सार है। नारीवाद के नाम पर पुरुषों को नीचा दिखाना वह स्थिति है जहाँ इस विचारधारा और उसके छद्म पक्ष के बीच की पतली रेखा को मिटा दिया जाता है। नारीवाद समान व्यवहार का एक रूप है; छद्म नारीवाद एक प्रकार का अंधअतिवादी विचारधारा है। छद्म नारीवाद के साथ समस्या इस तथ्य में निहित है कि यह लोगों का ध्यान असल मुद्दे से हटा देती है। गलत सूचना फैलाना, तथ्यों तो रंगत देना, शर्मसार करके नीचा दिखाना और "नारीवाद" को दुराचार का पर्याय बना देना छद्म नारीवाद की विशेषता है। एक मिसॉजनिस्ट वह व्यक्ति है जो महिलाओं से नफरत करता है या उन पर भरोसा नहीं करता है, और एक मिसंद्रिस्ट वह व्यक्ति है जो पुरुषों से नफरत करता है या उन पर भरोसा नहीं करता है। यह दोनों ही एक स्वस्थ समाज के लिए विषाक्त तत्व हैं लेकिन एक मिसॉजनिस्ट को अधिक घृणा के पात्र के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। हमें यह समझने की जरूरत है कि सभी पुरुष स्त्री विरोधी नहीं होते हैं न ही सभी महिलाएं स्त्री हितैषी होती हैं। अतः समाज या परिवार की किसी भी स्थिति को हल करने के लिए, पुरुषों और महिलाओं को एक साथ काम करने की जरूरत है। नारीवाद लोगों का ध्यान लक्षित लिंग और लंबे समय से उत्पीड़ित व हाशिए पर रहने वाले व्यक्तियों की ओर लाता है। असल में नारीवाद का दायरा पुरुषों, महिलाओं, क्वीर और ट्रांस लोगों तक फैला है। 'ट्रांस अपवर्जनवादी नारीवाद' नारीवाद नहीं है। 'सुविधा का नारीवाद' नारीवाद नहीं है। 'छद्म नारीवाद' नारीवाद नहीं है।
हमारे चारों ओर हम ऐसे 'आंदोलन' देखते हैं जहां स्वघोषित छद्म नारीवादी या महिलाओं के अधिकारों की 'देवियाँ' ('महिला अधिकार रक्षक', 'पीड़ितों के सच्चे सखा-सखी' आदि) धूम्रपान, शराब आदि जैसे तुच्छ मुद्दों के लिए चिल्लाती हैं, फिल्मों में उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाने और त्योहारों की साधारण परंपराओं को पितृसत्तात्मक होने पर कानों को छिद्रिल करने वाली अपनी दमदार आवाज़ का दम दिखाती हैं। पर दुर्भाग्यवश छद्म नारीवादियों के मात्र खानापूर्ति के लिए गए कार्यों के बीच वास्तविक पीड़ितों की वास्तविक पीड़ा और दुर्दशा, उनका दम तोड़ देती है।
गौर फरमाने की बात है कि हम छद्म नारीवादियों को कितनी दफा उन महिलाओं के लिए खड़े होते व् ठोस कदम उठाते देखते हैं जो वास्तव में बलात्कार, दुर्व्यवहार और उत्पीड़न का शिकार होती हैं? लगभग नहीं। हमें लैंगिक समानता की अवधारणा को आत्मसात करने और महिलाओं को वे अवसर देने की जरूरत है जिसकी वे हकदार हैं, लेकिन नारीवाद के नाम पर नफरत और अशांति फैलाने वालों का सामाजिक बहिष्कार बेहद जरूरी है। यह एक विचलित करने वाली सच्चाई है और हमें 'छद्म नारीवाद' के रूप में समाज में प्रचलित पाखंड के मादक द्रव्य के नशे से बाहर आने की जरूरत है। हमेशा याद रखें, यह अन्याय और दुर्व्यवहार के खिलाफ लड़ाई है, लिंगों के बीच की लड़ाई न ही कभी थी और न ही है।
•SSL•
An eco-friendly products manufacturing firm 🌿♻️👗🎨🏺 and ezine (focuses on Art Activism+Social Action)✒️🖋️📇🗞️ from India🇮🇳 run by Bro-Sis Duo Rishabh & Swapnil Shukla
Swapnil Saundarya
Decade of Action
10 Yrs Campaign to generate awareness to take action for SDGs
Donate ur CreativityNot ur funds!
About us|
SWAPNIL SAUNDARYA EZINE
🗞️📇🖋️✒️
'Swapnil Saundarya ezine, founded in 2013 is India’s first hindi lifestyle online magazine that curates info on art, lifestyle, culture, literature, social issues and inspire its readership to raise their voice against all sorts of violence and discrimination. We focus on art Activism, protest art and participatory communication and social action.
SWAPNIL SAUNDARYA LABEL
♻️🌿🏺🎨👗
•HAND 'MADE IN INDIA'🇮🇳•
Swapnil Sauundarya Label, Launched in the year 2015 is a Government registered Enterprise where you can find all your wardrobe needs of jewelry, accessories, Interior Products , Paintings, green products under one roof. Swapnil Saundarya Label offers a complete sustainable lifestyle solution. The brainchild of Brother and Sister Duo Visual Artist-Writer Rishabh Shukla and Jewellery-Fashion Designer Swapnil Shukla, Swapnil Saundarya Label is a contemporary luxury and lifestyle brand established on social and environmentally sustainable principles. Swapnil Saundarya Label’s articles are true example of perfectly handcrafted Product. The Production processes used in their crafts typically have a low carbon footprint and promote the use of locally available materials as well as natural and organic materials where possible which requires low energy and sustained our environment. The Label also provide a source of earning and employment for the otherwise low skilled women, thereby improving their status within the household.
copyright©2013-Present. Rishabh Shukla. All rights reserved.
No part of this publication may be reproduced , stored in a retrieval system or transmitted , in any form or by any means, electronic, mechanical, photocopying, recording or otherwise, without the prior permission of the copyright owner.
Copyright infringement is never intended, if I published some of your work, and you feel I didn’t credited properly, or you want me to remove it, please let me know and I’ll do it immediately.
Comments
Post a Comment