One month digital program to celebrate International Environment Day | Swapnil Saundarya and Painter Babu Rishabh



॥अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस हेतु एक माह का जागरुकता व जवाबदेही डिजिटल कार्यक्रम ।।





Illustrated by Meghana, Airlines Customer Service officer

सतत विकास लक्ष्यों (वैश्विक लक्ष्यों) को सुदृढ़्ता प्रदान करने के लिये हस्तशिल्प उत्पादों की निर्माता फर्म ‘स्वप्निल सौंदर्य’ द्वारा शुरु किये गये 10 वर्षीय डिजिटल अभियान ‘स्वप्निल सौंदर्य डेकेड ऑफ़ एक्शन फॉर एसडीजीज़’ के अंतर्गत पर्यावरण संरक्षण के लिये जागरुकता व जवाबदेही हेतु 01 माह के डिजिटल कार्यक्रम का आरंभ दिनांक 05 मई 2020 को किया गया।


05 जून 2020 अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस तक लगातार चलने वाले इस कार्यक्रम के बारे में प्रकाश डालते हुए चित्रकार ऋषभ शुक्ला ने बताया कि कोविड 19 महामारी के नकारात्मक प्रभावों के बारे में रोज़ पढ़ – देख हम सभी बेहद आहत हैं। सम्पूर्ण भारत एकजुट्ता व निडरता के साथ इस महामारी पर विजय प्राप्त करने के लिये प्रयासरत है। पर यदि हम कोविड 19 से बचाव हेतु लॉकडाउन के सकारात्मक पहलुओं पर नज़र डालें तो देशभर में प्रदूषण का स्तर काफी कम हुआ है। लोग साफ नीले आसमान की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं । पर्यावरण पर लॉकडाउन के सकारात्मक प्रभाव को देखते हुए लॉकडाउन के बाद भी यदि हम थोड़ी सूझ- बूझ के साथ ज़िंदगी की नई पारी की शुरुआत करें तो पर्यावरण संरक्षण की दिशा व दशा में निरंतर सुधार ला पाने में सक्षम होंगे। हमें सतत विकास की अवधारणा को मद्देनज़र रखते हुए ग्रीन इंड्स्ट्रीज़, प्रदूषण विहीन ऊर्जा, सौर ऊर्जा को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है। विभिन्न शिफ्ट्स में घर पर कार्य को भी विकल्प के तौर पर चुनना अनुपयुक्त न होगा । हम सभी को देश के 80 शहरों को 2027 तक 80 प्रतिशत प्रदूषण रहित बनाने का संकल्प लेना होगा । तभी सही मायनों में हम 2027 में भारत की आज़ादी की 80वीं वर्षगांठ का उत्सव मना पायेंगे ।


फैशन–ज्वेलरी डिज़ाइनर स्वप्निल शुक्ला ने पर्यावरण संरक्षण के सम्बंध में अपने विचार प्रकट करते हुए बताया कि प्रदूषण को लेकर प्रमुख तौर पर तीन कानून हैं: द एयर (प्रीवेंशन एण्ड कंट्रोल ऑफ पॉल्यूशन) एक्ट 1981, द वॉटर (प्रीवेंशन एण्ड कंट्रोल ऑफ पॉल्यूशन) एक्ट 1974 और द एनवॉयरमेंट (प्रोटेक्शन) एक्ट 1986, इन कानूनों के सख्त लागूकरण व  क्रियान्वयन की जरुरत है ।

भाई बहन ऋषभ व स्वप्निल शुक्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक खुले पत्र द्वारा पर्यावरण संरक्षण  से सम्बंधित मूलभूत बिंदुओं के क्रियान्वयन की अपील की है ।



एविएशन (उड्ड्यन उद्योग) क्षेत्र में कस्टमर सर्विस ऑफीसर के पद पर आसीन मेघना का कहना है कि मैं यह नहीं बताऊंगी कि पर्यावरण संरक्षण के लिये क्या करना या क्या नहीं करना चाहिये क्योंकि हर कोई इस अहम मुद्दे से परिचित है । हमें अपने व अपने परिवार के लिये पर्यावरण के लिये ठोस रणनीति को कार्य रुप में परिणत करने की जरुरत है । अगर हर कोई पर्यावरण संरक्षण के बारें सोचेगा व कार्य करेगा तो हम वैश्विक स्तर पर बदलाव ला सकते हैं। छोटे-छोटे कदम व प्रयास भी बड़े सकारात्मक प्रभाव से हमारा साक्षात्कार करा सकते हैं।


इस डिजिटल कार्यक्रम के माध्यम से पर्यावरण के मुद्दे पर बेंगलुरु निवासी आईटी क्षेत्र से जुड़े महेश सिद्दाना ( टीम लीड ) ने कहा कि जैसे हम अपना व अपने परिवार का ख्याल रखते हैं , वैसे ही हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम ‘जीवंत माध्यम’ अर्थात पर्यावरण की देखभाल करें। हम मानव ही  पर्यावरण  सम्बंधी नुकसान के लिये ज़िम्मेदार हैं। हमें धरती माँ की तरह पर्यावरण के लिये दयालु बनना होगा तकि इसे खुद के लिये व अन्य जीवों के लिये सुरक्षित रखा जा सके।


मुम्बई के डॉ धर्म पोपट का कहना है कि जितना ज्यादा हो सके, उतना प्लास्टिक उत्पादों का उपयोग करने से दूरी बनायें। एक डेंटिस्ट के तौर पर मैंने, कागज़ के गिलास व ऑटोक्लेवेबल स्टेनलेस स्टील के गिलास का उपयोग करना शुरु किया है। जल संरक्षण के लिये हेड शॉवर के बजाय बाल्टी व ट्म्बलर का उपयोग कर रहा हूँ।




मुम्बई में बिजनेस एनालिस्ट (व्यावसायिक विश्लेषक) के तौर पर कार्य करने वाले आलोक अग्रवाल का मानना है कि पर्यावरण नुकसान की मुख्य अपराधी हमारी उपभोक्तावादी संस्कृति है। विशेष रुप से भोजन की बर्बादी पर्यावरण पर भारी दबाव डालती है। हमें अधिकता व अपव्यय से बचते हुए सोच विचार कर वस्तुओं का उपभोग करना चाहिये। दूसरा महत्वपूर्ण पहलू है अनियंत्रित जनसंख्या विस्फोट (विशेष रुप से विकासशील महाद्वीप जैसे अफ्रीका व एशिया) । अधिक लोगों का अर्थ है कि इन जन समुदायों के लिये अधिक खाना, घर, कपड़े, मनोरंजन के इंतज़ाम व पर्यावरण दोहन की बढ़ोत्तरी ।


दुबई में सलाहकार के रुप में कार्यरत प्रणव शाह ने पर्यावरण संरक्षण पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि घर पर प्लास्टिक उत्पादों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाना आवश्यक है । सब्जी या किराने का सामान खरीदने हेतु जूट बैग्स का इस्तेमाल किया जाना चाहिये। फ्लोर मैट बनाने हेतु पुराने कपड़ों का पुन: प्रयोग करना चाहिये ।


भोपाल के आर्किटेक्ट (वास्तुकार) अंशुल मिश्रा ने बताया कि लोगों को सतत विकास की अवधारणा को आत्मसात करना होगा । हम सभी को स्वस्थ जीवन जीने के लिये कम से कम 07 पेड़ों की आवश्यकता होती है । अत: हम सभी को अपने घर के आस- पास कम से कम 07 पेड़ लगा कर उनकी देखभाल करनी चाहिये ।
  
बी.बी.ए के छात्र राध्य कौशिक ने कहा कि इस बात में तनिक भी संदेह नहीं कि विचारशील व संकल्पबद्ध नागरिकों का एक छोटा समूह भी दुनिया बदल सकता है । हमें एकजुटता के साथ पर्यावरण  संरक्षण की दिशा में सकारात्मक बदलाव लाने होंगे। सदाबहार वातावरण के बिना हम एक भी दिन बेहतर ज़िंदगी नहीं जी सकते।

इस डिजिटल अभियान की आगामी योजनाओं पर चर्चा करते हुए ऋषभ शुक्ला ने बताया कि जल्द ही हम वृत्तचित्र, कला, साहित्य के संगम द्वारा पर्यावरण संरक्षण के दैनिक उपायों को जन जन तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे व डिजिटल हस्ताक्षर अभियान को वैश्विक स्तर पर चलायेंगे।



An open letter to Honorable PM Narendra Modi || by Rishabh &  Swapnil Shukla| Swapnil Saundarya



सेवा में, 
माननीय प्रधानमंत्री महोदय 
भारत सरकार                                                                                                              दिनांक:: 05 मई 2020

विषय:: सतत विकास लक्ष्यों व पर्यावरण संरक्षण से सम्बंधित मूलभूत बिंदुओं के क्रियान्वयन के संदर्भ में ।

महोदय, 
सतत विकास लक्ष्यों (वैश्विक लक्ष्यों) को सुदृढ़्ता प्रदान करने के लिये हस्तशिल्प उत्पादों की निर्माता फर्म ‘स्वप्निल सौंदर्य लेबल’ द्वारा दिनांक 27 अप्रैल 2020 को शुरु किये गये 10 वर्षीय डिजिटल अभियान ‘स्वप्निल सौंदर्य डेकेड ऑफ़ एक्शन फॉर एसडीजीज़’ के अंतर्गत पर्यावरण संरक्षण के लिये जागरुकता व जवाबदेही हेतु 01 माह के कार्यक्रम का आरंभ दिनांक 05 मई 2020 को किया जा रहा है । 05 जून 2020 अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस तक लगातार चलने वाले इस कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण पर सकारात्मक चर्चा के द्वारा कुछ ठोस रणनीतियों को स्थानीय, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमलीजामा पहनाना है ।

हमारा मानना है कि कोविड-19 से बचाव हेतु लॉकडाउन के चलते देशभर में प्रदूषण का स्तर काफी कम हुआ है। लोग साफ नीले आसमान की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं । पर्यावरण पर लॉकडाउन के सकारात्मक प्रभाव  को  देखते हुए लॉकडाउन के बाद भी यदि हम थोड़ी सूझ-बूझ के साथ ज़िंदगी की नई पारी की शुरुआत करें तो पर्यावरण संरक्षण की दिशा व दशा में निरंतर सुधार ला पाने में सक्षम होंगे। इस स्वप्न को यथार्थ में तब्दील करने हेतु पर्यावरण संरक्षण से सम्बंधित कुछ  मूलभूत बिंदुओं के क्रियान्वयन की आवश्यकता महसूस हो रही है जो निम्नलिखित हैं::

हमें सतत विकास की अवधारणा को मद्देनज़र रखते हुए ग्रीन इंड्स्ट्रीज़, प्रदूषण विहीन ऊर्जा, सौर ऊर्जा को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है। विभिन्न शिफ्ट्स में घर पर कार्य को भी विकल्प के तौर पर चुनना अनुपयुक्त न होगा ।

प्रदूषण को लेकर प्रमुख तौर पर तीन कानून हैं: द एयर (प्रीवेंशन एण्ड कंट्रोल ऑफ पॉल्यूशन) एक्ट 1981, द वॉटर (प्रीवेंशन एण्ड कंट्रोल ऑफ पॉल्यूशन) एक्ट 1974 और द एनवॉयरमेंट (प्रोटेक्शन) एक्ट 1986, इन कानूनों के सख्त लागूकरण व  क्रियान्वयन की जरुरत । 

पर्यावरण संरक्षण , पुनर्नवीनीकरण तथा कार्बन के पग-चिन्हों को कम करने, पर्यावरण के बुनियादी ढांचे के विकास, पर्यावरण शिक्षा गतिविधियों तथा पर्यावरण जागरुकता आदि पर खर्च के लिये प्रत्येक राज्यों में ‘पर्यावरण कोष’  की स्थापना व इसके धन का सही उपयोग ।

हरित परिवहन व हरित रोजगार सृजन की दिशा में सार्थक प्रयास ।

सरकारी, गैर सरकारी भवनों, होटलों, उद्योगों  में वर्षा जल संग्रहण टैंक स्थापित किये जाने की आवश्यकता ।

कोयले के उपयोग द्वारा घरों को गर्म रखने के प्रयोग पर कड़ाई से पूर्ण प्रतिबंध ।

वायु प्रदूषण से बचाव के लिये लोगों से अपील की जाए कि खाना बनाने या गर्म करने के लिये घुंआ रहित गैस या बिजली का उपयोग करें । 

राज्य स्तर पर पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की कार्यप्रणाली को पुन: परिभाषित किया जाए जिनके ज़रिये निरन्तर प्रदूषण की जांच की जाए व नियमों के उल्लंघन पर नज़र रखी जाए।

कचरे से उपयोगी वस्तुएं बनाने की तकनीक को बढ़ावा दिया जाना चाहिये और इससे संबंधित कौशल विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाना चाहिये ।

पुराने अखबारों व कागज़ों को रिसाइकिल करवाने के कांसेप्ट को प्रोत्साहन ताकि कागज़ का फिर से प्रयोग किया जा सके व कम से कम पेड़ काटने पड़े।

जल प्रदूषण से उत्पन्न खतरों के बारे में लोगों को व्यापक स्तर पर जागरुक किये जाने के आवश्यकता । 

विशेष पर्व व महोत्सव में अधिक से अधिक पौधों को लगाया जाना व उनकी देखभाल के संदर्भ में विशेष टास्क फोर्स का गठन किया जाए।

जैविक खेती व प्राकृतिक खेती को बढ़ावा । इससे सम्बंधित प्रभावशाली आई.ई.सी सामग्री का वितरण ।

कार्बन व ऊर्जा के मानक नियंत्रित करने के लिये सरकारी संस्थाओं को निर्देश देने की आवश्यकता ।

ग्रीन होम्स व ऑफिसेज़ की अवधारणा को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिये ।

विकास के नाम पर काटे जा रहे पेड़ों (खासतौर पर जिनका आयुर्वेद में महत्व है व वायु प्रदूषण नियंत्रण में मददगार हैं जैसे नीम आदि) की कटाई पर रोक व सख्त दंड का प्रावधान ।

विद्यालयों-महाविद्यालयों में पर्यावरण संरक्षण व सतत विकास के विविध आयामों के संदर्भ में छात्र-छात्राओं को परियोजना कार्य दिये जाने चाहिये व विभिन्न जागरुकता कार्यशालाओं का आयोजन किया जाना आवश्यक है।

पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों को ( खासकर पत्रकार, लेखक, कलाकार) सम्मानित किया जाना चाहिये क्योंकि इन क्षेत्रों में कार्य करने वाले लोग समाज को परोक्ष –अपरोक्ष रुप से प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।

देश आगे बढ़ रहा है । जरुरत है छोटे-छोटे कदमों व प्रयासों द्वारा वैश्विक स्तर पर सकारात्मक बदलाव का उद्घोष किया जाए.... एक साथ, एकजुट व निडरता के साथ अनेकता में एकता को पर्यावरण संरक्षण की दिशा में पुन: परिभाषित किया जाए।

साभार 
ऋषभ शुक्ला 
सह- संस्थापक 
स्वप्निल सौंदर्य 


स्वप्निल शुक्ला
संस्थापक-निदेशक 
स्वप्निल सौंदर्य



 🇮🇳 🌈🌐🎨🖌️🎥✒️📇🗞️📰 


Swapnil and Rishabh Shukla

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#SDG3 aspires to ensure health and well-being for all, including a bold commitment to end the epidemics of AIDS, tuberculosis, malaria and other communicable diseases by 2030.

The Goal addresses all major health priorities, including reproductive, maternal and child health; communicable, non-communicable and environmental diseases; universal health coverage; and access for all to safe, effective, quality and affordable medicines and vaccines.

PS| A historical event by #AmarUjala ....'Healthy family ..fit India' held on 19th of November 2019 at Green Park Stadium, Kanpur, Uttar Pradesh. 






How to achieve #SDG6| Be #water wise|

Water and sanitation are the focus of SDG 6, for obvious reasons. Around the world, about 1 billion people lack access to potable water and more than 1.6 billion lack access to improved forms of #sanitation – even something as simple and basic as a pit latrine. The consequences for health and #livelihoods of poor quality water are significant, so addressing the shortfall in delivery is of paramount importance. But there are other reasons to focus on water. Two stand out. One is the risk to water supplies posed by over-consumption and pollution across the world. The second is the fact that water is a cross-cutting issue that impacts all SDGs: without access to adequate quantities and qualities of water, society comes to a standstill.

What might be done? Well, there are the obvious actions to be taken wherever you are: 

Use Less Water|
Be frugal with your water use. Be frugal and conscious of the significant cost to your municipality that it costs to pump, treat, deliver, collect, treat again, and return water to the system. Being frugal is not so much about ‘saving water’ as it is about saving money and making ‘water for all’ an affordable option in your municipality.

Eat less Water|
A second action you might take is about what you eat. Most of the water you consume every day is embedded in your food. The water footprint of some imported foods is very large. The hundred mile diet is as much about water as it is about food.



Speak up & Say 'No' to sexual harassment at workplace.
“Sexual Harassment” includes unwelcome sexual behavior, whether directly or by implication, such as Physical contact and advances, Demand or request for sexual favors, Showing pornography, or Any other unwelcome physical, verbal or non-verbal conduct of a sexual nature. It is a crime and if any male is found guilty in this regard then strict action will be taken against him under 'The Sexual Harassment of Women at Workplace (Prevention, Prohibition, and Redressal) Act, 2013'. So, Always remember...... When a woman says 'No', it is what it is: a 'No'. All such organizations or institutions which have more than 10 employees are obliged to constitute Internal Complaints Committee. The Act and Rules framed thereto have put onus on the employer to constitute Internal Complaint Committee (ICC) and on the district officer to constitute Local Complaint Committee (LCC) to address such complaints. Under the Act, the Internal Complaints Committee is required to complete its inquiry within 90 days from the date of receiving a sexual harassment complaint. 


Talent, love, mind, work, voice, soul has no Gender 





Goal 5 and India

Although India has achieved gender parity at the primary education level and is on track to achieve parity at all education levels, as of June 2019, the proportion of seats in the Lok Sabha held by women had only reached 11% but 46% in the Panchayati Raj Institutions. India is also confronting the challenge of violence against women. As an example, a baseline study revealed that in New Delhi, 92% of women had experienced some form of sexual violence in public spaces during their lifetime. In 2016, close to a third of total crimes reported against women in India was cruelty or physical violence by her husband or his relative. The Government of India has identified ending violence against women as a key national priority, which resonates with the Sustainable Development targets of the United Nations on gender equality. The prime minister’s Beti Bachao Beti Padhao initiative aims at equal opportunity and education for girls in India. In addition, specific interventions on female employment, programmes on the empowerment of adolescent girls, the Sukanya Samridhi Yojana on girl child prosperity and the Janani Suraksha Yojana for mothers advance India’s commitment to gender equality, and the targets of Goal 4.






Mental health and psychosocial wellbeing were defined as an integral part of health by the WHO in 1978, and have been addressed in many UN resolutions. However, it is only recently that mental health has been included on the unified global agenda. When world leaders adopted the Sustainable Development Goals (SDGs) in 2015, they also committed to prioritize “prevention and treatment of non-communicable diseases, including behavioral development and neurological disorders, which constitute a major challenge to sustainable development”






Let's promote skill development and entrepreneurship to facilitate job creation and strengthen SDG8



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Swapnil Saundarya ezine, founded in 2013 is India's first hindi lifestyle online magazine that curates info on art , lifestyle, culture , literature, social issues etc and inspire its readership to raise their voice against all sorts of violence and discrimination. We focus on art Activism, protest art and participatory communication and social action.











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