Swapnil Saundarya e-zine # Vol -02 , Issue -05, March - April 2015





स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन  # Vol -02 , Issue -05, March - April  2015 

      Swapnil Saundarya e-zine # Vol -02 , Issue -05, March - April  2015

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स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन - परिचय

ला , साहित्य,  फ़ैशन, लाइफस्टाइल व सौंदर्य को समर्पित भारत की पहली हिन्दी द्वि-मासिक हिन्दी पत्रिका के दूसरे चरण अर्थात द्वितीय वर्ष में आप सभी का स्वागत है .

फ़ैशन व लाइफस्टाइल  से जुड़ी हर वो बात जो है हम सभी के लिये खास, पहुँचेगी आप तक , हर पल , हर वक़्त, जब तक स्वप्निल सौंदर्य के साथ हैं आप.

प्रथम वर्ष की सफलता और आप सभी पाठकों के अपार प्रेम व प्रोत्साहन  के बाद अब स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन  के द्वितीय वर्ष को एक नए रंग - रुप व फ्लेवर  के साथ प्रस्तुत किया जा रहा है  ताकि आप  अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया बनाते रहें. सुंदर सपने देखते रहें और अपने हर सपने को साकार करते रहें .तो जुड़े रहिये 'स्वप्निल सौंदर्य' ब्लॉग व ई-ज़ीन  के साथ .

और ..............

बनायें अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया .



Launched in June 2013, Swapnil Saundarya ezine has been the first exclusive lifestyle ezine from India available in Hindi language ( Except Guest Articles ) updated bi- monthly . We at Swapnil Saundarya ezine , endeavor to keep our readership in touch with all the areas of fashion , Beauty, Health and Fitness mantras, home decor, history recalls, Literature, Lifestyle, Society, Religion and many more.

Swapnil Saundarya ezine encourages its readership to make their life just like their Dream World .


Swapnil Saundarya e-zine's Volume - 01  ( 2013 - 2014 )




Founder - Editor  ( संस्थापक - संपादक ) :  Rishabh Shukla  ऋषभ शुक्ला

Managing Editor (कार्यकारी संपादक) :  Suman Tripathi (सुमन त्रिपाठी)

Chief  Writer (मुख्य लेखिका ) :  Swapnil Shukla (स्वप्निल शुक्ला)

Art Director ( कला निदेशक) : Amit Chauhan  (अमित चौहान)

Marketing Head ( मार्केटिंग प्रमुख ) : Vipul Bajpai     (विपुल बाजपई)



'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' में पूर्णतया मौलिक, अप्रकाशित लेखों को ही कॉपीराइट बेस पर स्वीकार किया जाता है . किसी भी बेनाम लेख/ योगदान पर हमारी कोई ज़िम्मेदारी नहीं होगी . जब तक कि खासतौर से कोई निर्देश न दिया गया हो , सभी फोटोग्राफ्स व चित्र केवल रेखांकित उद्देश्य से ही इस्तेमाल किए जाते हैं . लेख में दिए गए विचार लेखक के अपने हैं , उस पर संपादक की सहमति हो , यह आवश्यक नहीं है. हालांकि संपादक प्रकाशित विवरण को पूरी तरह से जाँच- परख कर ही प्रकाशित करते हैं, फिर भी उसकी शत- प्रतिशत की ज़िम्मेदारी उनकी नहीं है . प्रोड्क्टस , प्रोडक्ट्स से संबंधित जानकारियाँ, फोटोग्राफ्स, चित्र , इलस्ट्रेशन आदि के लिए ' स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता .


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चेतावनी : 'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' में घरेलु नुस्खे, सौंदर्य निखार के लिए टिप्स एवं विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के संबंध में तथ्यपूर्ण जानकारी देने की हमने पूरी सावधानी बरती है . फिर भी पाठकों को चेतावनी दी जाती है कि अपने वैद्य या चिकित्सक आदि की सलाह से औषधि लें , क्योंकि बच्चों , बड़ों और कमज़ोर व्यक्तियों की शारीरिक शक्ति अलग अलग होती है , जिससे दवा की मात्रा क्षमता के अनुसार निर्धारित करना जरुरी है.




संपादकीय

प्रिय पाठकों .......

आप सभी को नमस्ते !

स्वप्निल सौंदर्य ई- ज़ीन के द्वितीय वर्ष के पंचम अंक में आप सभी का स्वागत है . मार्च माह के आते ही होली और नव संवत्सर अर्थात गुड़ी पड़वा जैसे त्योहार की तैयारी जोर-शोर से होने लगती है. हिंदू संस्कृति के अनुसार नव संवत्सर पर कलश स्थापना कर नौ दिन का व्रत रखकर मां दुर्गा की पूजा प्रारंभ कर नवमीं के दिन हवन कर मां भगवती से सुख-शांति तथा कल्याण की प्रार्थना की जाती है। जिसमें सभी लोग सात्विक भोजन व्रत उपवास, फलाहार कर नए भगवा झंडे तोरण द्वार पर बांधकर हर्षोल्लास से मनाते हैं।आंध्रप्रदेश में इसे युगदि या उगादि तिथि कहा जाता है.सिंधु प्रांत में इस नव संवत्सर को 'चेटी चंडो' चैत्र का चंद्र नाम से पुकारा जाता है जिसे सिंधी हर्षोल्लास से मनाते हैं। कश्मीर में यह पर्व 'नौरोज' के नाम से मनाया जाता है , नव वर्ष प्रतिपदा 'नौरोज' यानी 'नवयूरोज' अर्थात्‌ नया शुभ प्रभात. इस दिन सभी लोग नए वस्त्र पहनकर इसे बड़े धूमधाम से मनाते हैं। गुड़ी पड़वा को सृ्ष्टि का जन्मदिवस भी माना जाता है . अत: आप सभी पाठकों को होली, गुड़ी पड़वा,  नवरात्रे, उगादि, चेटी चंडो,  नौरोज की हार्दिक शुभकामनाएं.

दंड न्याय का पर्यायवाची है. दंड ही न्याय है . प्राचीन काल में राजा - महाराजाओं के यह विचार हुआ करते थे कि प्रजा दंड से ही वश में रहती है . राज्य में दंड व्यवस्था न रहने पर बड़े लोग छोटों को लूट्कर खाने लगते हैं.  यदि तुम्हारी दंड नीति ढीली होगी, यदि तुम राष्ट्रीय अपराध करने वाले शत्रुओं के अपराधों की उपेक्षा कर रहे होगे , तो तुम्हारे शत्रु प्रबल हो जाएंगे और उन्हें तुम्हारे विरुद्ध खुलकर खेलने का अवसर मिल जाएगा . आज के समय में भी दंड नीति की महत्ता को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता . किसी राष्ट्र के सख़्त कानून व संविधान के आधार पर  विभिन्न अपराधों, गैर कानूनी व अनैतिक कार्यों में लगाम कसी जा सकती है .पर कुछ अपराध ऐसे होते हैं जिन्हें पाप कहते हैं .... पापी मनुष्य न किसी कानून से डरता है न किसी संविधान से.... पापी मनुष्य न ही धर्म को मानता है न ही ईश्वर को........ फिर भी, दूसरों पर अन्याय करने वालों को कभी न कभी , किसी न किसी रुप में परोक्ष अथवा अपरोक्ष रुप में उनके काले कारनामों व अधर्मों के लिए दंड जरुर मिलता है ...... यही प्रकृ्ति का नियम है , जो बोया है वही काटोगे .

उपरोक्त सीख व  ज़िंदगी की कड़वी हक़्कीतों को बयां करती, स्वप्निल सौंदर्य प्रकाशन की नव पेशकश ' एसिड - डाइल्यूट या कॉनसनट्रेटेड ?????? '( Acid :: Dilute or Concentrated ????? ) ,  नामक ई- पुस्तक प्रस्तुतु है सात ऐसी कहानियों के साथ जो ज़िंदगी के उन पहलुओं को कुरेदेंगी जिन पहलुओं पर अमूमन हम कभी ध्यान ही नहीं देते. छोटी- छोटी बातें,  ईर्ष्या, लालच , पक्षपात , एक - दूसरे को बिना सोचे समझे कुछ भी बोल देना, प्यार में धोखा, किसी के लिए अपशब्द का प्रयोग ........ शायद ये सभी आम बातें हैं .. पर ये आम बातें भी किस हद तक किसी की ज़िंदगी को झुलसा सकती हैं , इस तथ्य को उजागर करती हैं ये सात कहानियाँ..........




सड़क पर कुछ देर पहले हुए एक दिल दहला देने वाले हादसे की चर्चा हो रही थी कि ......उस लड़के ने लड़की पर एसिड क्यों फेंका ??  कुछ लोगों ने कहा लगता है कि कुछ चक्कर चल रहा था , बाद में कुछ कहा सुनी हो गई होगी .. अब आजकल के लड़के हैं , आ गया होगा क्रोध तो लड़के ने फेंक दिया होगा एसिड ... दूसरे व्यक्ति ने कहा कि लड़की की हालत बहुत गंभीर है , देखो बचती भी है कि.....................
अन्य व्यक्ति ने कहा, "अरे ! अब बच भी गई तो क्या ज़िंदगी होगी ... ऐसी ज़िंदगी से तो बेचारी को मौत ही नसीब हो, वही उसके लिए वरदान होगा ".........पास खड़े एक अन्य व्यक्ति ने कहा , "जिसने एसिड फेंका था , उस लड़के को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है  , पूछ - ताछ जारी है. देखो भाई क्या होता है , कल अखबार में पढ़ेंगे... चलो अभी सब अपने - अपने काम पर जाओ."

दूसरी ओर् अस्पताल में डॉक्टर ने लड़की के माता - पिता से कहा , "हमने अपनी पूरी कोशिश की , आपकी बिटिया की जान तो बच गई पर उसका चेहरा एसिड के कारण बुरी तरह झुलस गया है ..वह नेत्रहीन भी हो गई है .. अब  उसे इस कष्ट के साथ जीवन पार करना होगा ." ............माँ- बाप यह सुन अधमरे से हो गए. उन्हें अब ज़िंदगी की अंधेरी सुरंगों में भटकने के अलावा कोई विकल्प न दिख रहा था .

उधर पुलिस हिरासत में लड़की पर एसिड फेंकने वाले लड़के से प्रश्न किया गया कि तुमने ऐसा घृ्णित कार्य क्यों किया ? तो लड़के ने दो टूक शब्दों में उत्तर दिया, " अजी घृ्णित - वृ्णित क्या ????  लड़की पर दिल आया ... पर लड़की ने घास भी न डाली .......साली को अपने चेहरे , अपने हुस्न पे बड़ा गुमान था , तो बस एसिड से मुँह धुला दिया साली का , अब ज़िंदगी भर एसिड के द्वारा जो उसकी सुंदरता के चीथड़े उड़ाएं हैं, उन्हें आईने में देख खुद के अक्स से भी भय लगेगा साली को ."
 पुलिस वाले ने दो डंडे घसीट के मारे .... अन्य पुलिस वाले ने पूछा, "लड़की तुम्हें जानती थी क्या पहले से ? "..... लड़के ने जवाब दिया , "अरे मारते क्यों हो जनाब , मेरे पिता बहुत बड़े सत्ताधारी हैं, बाकी आप खुद ही समझदार हो ........ रही बात लड़की की....अरे जनाब ! वो तो साली रोज सुबह 8 :00 बजे बस नं0 365 पकड़ती और शाम 6 :00 बजे से पहले इसी बस से वापस आती थी......... बस स्टाप से घर तक जाते - जाते उसको 15 मिनट का समय लगता ..... अब उसे तो  पता भी नहीं था कि पिछले 2 महीने से हमारा दिल उस पर आ गया था ... पर जब एक दिन हमने उसका हाथ पकड़ कर उसे चूम कर अपने प्यार का इज़हार करने की कोशिश करी तो हमको कँटाप मार दिया साली ने ... तो हमने भी अगले दिन उसके चेहरे पर एसिड उड़ेल् कर कंटाप मारा अपने इश्टाइल में , जिसके निशां अब ताह भर उसके चेहरे पे दिखाई देंगे."
पुलिस वाले लड़के की बदसलूखी और नपुंसकता की घिनौनी कहानी सुन बेहद आक्रोशित हो उठे और उसको दो- चार घूंसे मारे..... तभी लड़के की पत्नी और घरवाले भागते हुए आए.......... पुलिस यह देख दंग थी कि यह लड़का जो अपनी आशिकी की घिनौनी कहानी बेशर्मों की तरह बयां कर रहा है , वो शादी- शुदा है ... तब तक लड़के की पत्नी ने कहा, "अरे! आप लोग इन पर रहम करो , इन्होंने इतनी कोई बड़ी बात नहीं कर दी ....वो लड़की ही चरित्रहीन थी .. अपनी खूबसूरती पर इतना भी गुरुर किस बात का ... अब आदमी लड़के हैं.... गर्म खून के हैं, आ गई होगी गुस्सा ."........... एक पुलिस अधिकारी ने ड्पटते हुए कहा, "आप के पति ने जो किया है वो संगीन जुर्म है , और आप दुनिया भर के मर्दों की तुलना अपने पति के साथ न ही करे,  इसने जो किया है वो माफी के योग्य नहीं बल्कि घोर अपराध है जिसके लिए इसको कड़ी- से कड़ी सजा मिलेगी और जेल तो जाना ही पड़ेगा ."
लड़के की पत्नी ने कहा , " क्या बात आप कर रहें हैं सर ? ?????  जेल ! अपराध ! क्या बकवास है .. सिर्फ एसिड ही तो डाला है ....... लड़की जीवित है, मरी तो नहीं ......पैसा दे देंगे हम लोग ...........इतने भी बुरे नहीं हैं और आप लोगों ने ये क्या लगा रखा है संगीन जुर्म वगैरह ..........एसिड फेंकना संगीन जुर्म होता तो बचपन में मैंने खेल- खेल में  अपनी ही कक्षा में अपनी सहपाठी को सबक सिखाने हेतु, उस पर जबरन एसिड खुद अपने हाथों से फेंका था ...... वो बेचारी तो अब तक अपना मुँह किसी को दिखाने लायक नहीं रही ........... मैंने उस पर एसिड फेंका और उलटा उसी को फँसा दिया यह कहकर कि देखो ये लड़की टीचर जी पर एसिड फेंक रही थी पर इसका पैर लड़खड़ा गया तो खुद ही पर उड़ेल लिया और विद्यालय प्रशासन ने भी तब मेरा साथ दिया था......... एक तरफ उस लड़की की ज़िंदगी बर्बाद हुई तो दूसरी तरफ मेरी टीचर की मैं, सबसे पसंदीदा छात्रा बन गई ....... अब आप ही बतायें कि अगर एसिड फेंकना इतना बड़ा अपराध होता तब तो आज मैं उसी विद्यालय में रसायन विज्ञान की शिक्षिका न होकर , जेल में चक्की चला रही होती."

पुलिस वाले स्तब्ध व निरीह आँखों से उस महिला को देखते रह गए और एक गहरे द्वंद्व में डूब गए.

कहानी हमारे समाज की विकृ्त सोच , भावना को सामने लाती है ............. यह कहानी नहीं, सच्चाई है ......ज़िंदगी की वो धिनौनी सच्चाई जिस पर हम अमूमन पर्दा डालते रहते हैं. कहा जाता है कि कुछ बातें पर्दे के पीछे रहें तो ही बेहतर रहता है , सामने आ जाएं तो चेहरे पर से नकाब हटा देती हैं .. वैसे सच तो यह भी है कि बातें ही होती हैं जो लोगों को हाथी पर सवार करा देती हैं........ और बातें ही होती हैं जो लोगों को हाथी के पैरों तले कुचलवा देती हैं. पर यह बात सबको समझ नहीं आती . भाई ऊट- पटाँग  बात करना ,किसी के लिए अपशब्दों का प्रयोग करना आदि बातेँ  कोई इतने बड़े अपराध की श्रेणी में तो आती नहीं ...... लोग अक्सर सुझाव देते हैं कि  यदि किसी को किसी की बातें ज्यादा बुरी लगें तो सीधा व साफ रास्ता है कि अपने कानों में अँगुली डाल लें ..... " वाओ...... सो कूल "............
परंतु यह सुझाव मेरी दृ्ष्टि में इतना भी 'कूल' नहीं ............ घरेलु हिंसा की नींव छोटी- छोटी अमर्यादित बात- चीत से शुरु होकर , मार - पीट , शारीरिक - मानसिक व यौन शोषण तक की सारी हदों को पार कर ही पड़ती है.

ताकत की ये फितरत होती है कि वो व्यक्ति के पैर पकड़्कर नहीं रहती बल्कि व्यक्ति के सिर चढ़कर तांडव करती है और व्यक्ति को मिट्टी में मिला देती है . स्वप्निल सौंदर्य प्रकाशन की नव पेशकश ' एसिड  - डाइल्यूट या कॉनसनट्रेटेड ?????? ', नामक ई- पुस्तक  में सम्मिलित कहानी ' पंडित जी ', ऐसी ही एक ताकतवर शख्सियत की कहानी है जिसको जीवन में रेशम के डंक द्वारा मात मिलती है.

प्रेम कहानियाँ तो बहुत सी होती हैं और सागरिका और राहुल की कहानी उन्हीं में से एक है . सागरिका और राहुल की कहानी , जो एक समय में अच्छे दोस्त ही नहीं बल्कि एक दूसरे से बेपनाह मोहब्बत करते थे. और आज इन दोनों की कहानी कुछ और ही बयां करती है. क्या दूरियों के बावजूद प्रेम को कायम रखा जा सकता है ? क्या एक लॉग - डिस्टेंस  रिलेशनशिप को कायम रखना आसान है या मुश्किल ? सागरिका व राहुल की कहानी आपको इन पहलुओं पर सोचने पर विवश जरुर करेगी ...... ' एसिड  - डाइल्यूट या कॉनसनट्रेटेड ?????? ' ( Acid :: Dilute or Concentrated ????? ) , में सम्मिलित प्रेम की एक ऐसी कहानी जो प्रेम की परिभाषा पर  पुन: आपको विचार करने पर मजबूर कर देगी .

आसमां को धूल में मिलाने की जो सोचता भी है तो उसको दो गज जमीं भी नसीब नहीं होती........... ' बिछ गए फूल ' , इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली एक ऐसी कहानी जो मन- मस्तिष्क को झकझोर कर रख देती है. क्या इंसान की नीचता व कुत्सित मानसिकता पाताम से भी अधिक नीचे गिरती जा रही है ?
' नाजायज़ ', एक युवक की दिल दहला देने वाली ऐसी दास्तां जिसने अपने जीवन में देखे थे कुल 21 बसंत कि अचानक उसके खुद के अस्तित्व पर , उसके जीवन पर ही सवाल उठ खड़ा होता है .........  वरुण के समक्ष उठाए गए वे प्रश्न जो उसके जीवन को बेचैनी और छ्टपटाहट से भर देते हैं.

अंत में निम्न पंक्तियों के साथ अपनी कलम को विराम दे रहा हूँ ...  '

वक़्त को समझ न सका जो तो तलवार.....
नहीं तो फूल से कटना पड़ा है...
जितनी भी कठिन हो डगर पर ......
नदी के रास्ते से चट्टान को हटना पड़ा है.

आशा है स्वप्निल सौंदर्य प्रकाशन की इस नवीनतम प्रस्तुति को आप सभी पाठक गण अपना बहुमूल्य समय प्रदान करेँगे. हमें बेसब्री के साथ इंतज़ार रहेगा आप सभी की प्रतिक्रियाओं का जिसके जरिये हम भी जान सकेंगे  कि  ' एसिड ' में सम्मिलित इन  07 कहानियों के संग्रह को किस श्रेणी में रखेंगे आप :: डाइल्यूट या कॉनसनट्रेटेड ??????

इसके अतिरिक्त  स्वप्निल सौंदर्य ई- ज़ीन का पंचम अंक प्रस्तुत है फैशन , लाइफस्टाइल, इंटीरियर्स, घरेलु नुस्खे़, कला, साहित्य, सौंदर्य आदि से लैस उन तमाम जानकारियों के साथ जो बनायेगीं आप सभी की ज़िंदगी को उनके सपनों की दुनिया .

स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन के द्वितीय वर्ष के पंचम अंक   में हम जिन विभिन्न पहलुओं व जानकारियों  को सम्मिलित कर रहे हैं वे निम्नवत हैं :

यादों के पन्नों से - चप्पल और औकात ( लेखिका :: शालिनी  अवस्थी )
सौंदर्य - बॉडी केयर
साहित्य - वो दिव्यपुँज , चेहरे   9  ( कवियत्री :: स्वप्निल शुक्ला )
पकवान -  मेथी परांठा ( लेखिका :: सुमन त्रिपाठी )
फैशन व लाइफ्स्टाइल - आभूषण धारण करने से पूर्व बरतें सावधानी....
रत्न और आप - रुद्राक्ष
इंटीरियर्स - स्टाइलाइज़ योर होम विद सॉफ़्ट फ़र्निशिंग्स
नानी माँ की बातें
कहानी - लव इमपॉसबल : लेखक - कुमार प्रतीक 





शुभकामनाओं सहित ,

आपका ,
ऋषभ



यादों के पन्नों से :




श्रीमती शालिनी अवस्थी द्वारा लिखित यह काल्पनिक पत्र वैसे तो एक कहानी है ... एक ऐसी कहानी जिससे शायद हर स्त्री कहीं न कहीं, किसी न किसी रुप से खुद को जोड़ेगी.  कहा जाता है कि उम्मीद पर तो दुनिया कायम है... शायद यह सही भी है पर अच्छे दिनों के इंतेज़ार में न जाने कितनी ही स्त्रियाँ अपने ऊपर घरेलू हिंसा करवाती रहती है, अन्याय सहती रहती हैं इस आशा व उम्मीद के साथ कि एक दिन सब कुछ ठीक हो जाएगा पर दुर्भागयवश उनके जीवन में शायद ही कभी सब कुछ ठीक हो पाता है............................


चप्पल और औकात ::

प्रिय सुनील,

आप को यह पत्र लिख जरुर रही हूँ पर इसे आपको भेजूँगी नहीं क्योंकि आप विदेश में अपने कार्य में व्यस्त हैं . आपके कंधों पर हमारी पूरी ज़िम्मेदारी है जिसे आप भली- भाँति संभाल रहे हैं व निभा रहे हैं. आपने विदेश जाने से पूर्व मुझे समझाया था कि आपकी माँ को मैं अपनी माँ समझूँ , आपकी भाभियों को अपनी सगी बहनों से भी अधिक मान- सम्मान दूँ. आपके भाईयों को अपने बेटों की भाँति प्रेम करुँ और सभी का ख्याल रखूँ , सबकी संपूर्ण निष्ठा श्रृद्धा भाव से सेवा करुँ. पर शायद मैं आपकी आशाओं पर खरी नहीं उतर पा रही हूँ. निरंतर कोशिशों के बावजूद मैं आपके परिवार की नज़रों में एक अच्छी बहू, देवरानी या भाभी आदि नहीं बन पा रही हूँ. हर रोज मुझे अपनी आत्मा को मारना पड़ रहा है. मैं हर पल घुट रही हूँ . मैं रुपवती नहीं, मैं गुणवान नहीं , मैं आपके लायक नहीं , मेरी काली ज़ुबान है ... मेरी नज़र पड़ने के कारण आपके परिवार वालों की खुशियों को नज़र लग गई...... इन बातों को सुन- सुन कर मैं, थक गई हूँ. पूरी कोशिश करती हूँ कि माँजी के दिशा- निर्देश के अनुसार रसोईघर में खाना बनाऊँ, साफ- सफाई करूँ और स्वयं को भी आपके संभ्रांत परिवार व रईस खानदान के लायक बना सकूँ. पर शायद इस प्रयास में मैं, हर रोज़ विफल  हो रही हूँ . माँजी , बड़ी भाभी, छोटी भाभी को मेरी हर बात बुरी लगती है . काम निपटा के यदि मैं, दो मिनट उनके पास बैठना चाहूँ तो वो लोग उस जगह का त्याग कर देते हैं. मैं एकाकीपन से जूझ रही हूँ . आपका बेटा चिराग सातवीं कक्षा में पहुँच गया है. मैं, उसका ख्याल नहीं रख पा रही हूँ.. उसकी पढ़ाई- लिखाई पर भी ध्यान नहीं दे पा रही हूँ.  मैं, एक असफल माँ बन गई हूँ . पर मैं, क्या करुँ , आपके बड़े बँगले को घर बनाते- बनाते कब सुबह के चार बजे से रात के 11:30 बज जाते हैं....पता ही नहीं चलता .
आपको याद होगा कि आप अक्सर कहा करते थे कि, " मृ्दुला , तुम्हारे कमर के नीचे तक लहराते बाल, एक इंच भी अगर कम हुए या कभी तुमने इन्हें काटा तो उसी क्षण मैं , तुम्हारा परित्याग कर दूँगा . और मैं, आपकी इन बातों पर हँसा करती थी. पर अब आपकी मृ्दुला आपकी अमानत इन घने- रेश्मी बालों को भी नहीं संभाल पाई है. माँजी के खाने में एक दिन एक बाल निकल आया. मैंने माँजी को लाख समझाया कि यह बाल मेरा नहीं है..पर उन्होंने मेरी एक न सुनी और स्वयं कैंची लेकर उन्होंने मेरे सारे बाल काट दिए हैं. अब मेरी कान की बालियाँ भी मेरे कानों के बराबर मेरे बालों की लंबाई देख हवा में झूल -झूल उनसे उलझती हुईं , उनकी कमज़ोरी का मज़ाक उड़ाती हैं और मेरी लाचारी का हर पल मुझे अहसास कराती हैं. जी करता है कि इन स्वर्णाभूषणों को .. इन स्वर्ण की बालियों को निकाल फेंक दूँ .. पर यह आपके संभ्रांत परिवार की शान के खिलाफ होगा ........क्योंकि आपके रईस परिवार की बहू की पहचान उसके चरित्र से नहीं अपितु उसके स्वर्णाभूषणों से होती है.
कल की ही बात है... चिराग विद्यालय से वापस 2:30 बजे आया ..वो ऊपर के कमरे में टी.वी देखने लगा ...माँजी , बड़ी भाभी और छोटी भाभी  भी वहाँ मौजूद थीं.  मैं, रसोईघर में गई ...मैंने चिराग को खाना दिया और माँजी और भाभियों से भी पूछा परंतु उन्होंने मेरी बात का उत्तर नहीं दिया . वे शायद टी.वी धारावाहिक को बड़े ही गौर से देख रही थीं . टी.वी पर नया धारावाहिक ' हाई प्रतिमा ' शुरु हुआ है. एक सैकेण्ड मुझे भी धारावाहिक की पट्कथा आकर्षित करने लगी और मैं देखने लगी. पर अचानक माँजी और बड़ी भाभी को क्या हुआ कि उन्होंने कमरे के अंदर पड़ी चप्पल को देख मेरी ओर इशारा किया. इससे पहले कि मैं, कुछ समझ पाती ..छोटी भाभी ने कहा कि ये चप्पल कहाँ से आई...... कैसे आई ??  बड़ी भाभी ने कहा कि उड़ कर तो नहीं आई होगी ....जरुर कहीं न कहीं से तो आई ही होगी .... माँजी  ने कहा कि प्रश्न वही उठता है कि ये चप्पल कहाँ से आई़..... छोटी भाभी ने कहा चप्पल सफेद रंग की है.. मेरी नहीं है ... बड़ी भाभी ने कहा कि , " अरे ! चप्पल , चप्पल है ... सफेद हो या काली ...लाल हो या गुलाबी... उसे पैरों पर ही पहना जाता है ताकि पैर गंदे न हों, उन्हें सिर पर नहीं बैठाया जाता है....".........  माँजी ने कहा, " सिर पर कौन बैठा रहा है ...ये चप्पल अभी तक तो यहाँ नहीं थी ... अभी जब हम तीनों यहाँ बैठे थे तब तक तो चप्पल यहाँ नहीं आई .... अभी एकदम से अचानक ये चप्पल कहाँ से आई??? .... इससे पहले कि मैं कुछ बोल पाती कि ये चप्पल मैं भी यहाँ नहीं लाई पर मुझे कुछ बोलने का किसी ने मौका ही नहीं दिया और सीधे माँजी ने उस चप्पल को पैर से जोर से उछाल कर फेंका और वो चप्पल सीधे मेरे पेट पर बहुत तेज लगी ...  वो मेरी सास हैं, माँ समान हैं........उन्होंने ऐसा जानबूझ कर नहीं किया होगा पर मैं क्या करुँ चप्पल पेट पर लगने से मुझे दर्द हुआ.... अभी मुझमें जान बाकी है..............शायद इसलिये दर्द का अहसास हुआ होगा .... माँजी और दोनों भाभियाँ वापस ' हाई प्रतिमा'  देखने लगीं और मैं, चुपचाप उस सफेद चप्पल को लेकर नीचे अपने कमरे में आकर उस चप्पल को घंटों तक निहारती रही. पता नहीं क्यों मेरे आँसू घंटों बाद भी नहीं रुके . पता नहीं क्यों स्वयं पर बार- बार नियंत्रण करने के बाद भी आखिरकार मैंने उस चप्पल को अपने मुँह पर जोर से दे मारा और उसे सिरहाने से लगा कर फूट- फूट कर रोती रही........ इसके बाद जब मेरी आँख खुली तो शायद दिन , रात में तब्दील हो गया था . शायद बारिश हो रही थी . मेरे चेहरे पर पानी की दो बूँद गिरीं , जिससे मेरी आँख खुली पर मेरी बुरी किस्मत कि वो बारिश की बूँदें नहीं थीं अपितु मेरे सिरहाने बेठे मेरे बेटे चिराग की आँखों से झलकी आँसू की बूँदें थीं.
मैं, बेहद शर्मिंदा हूँ कि मैं अच्छी माँ , बहू, भाभी , पत्नी आदि नहीं बन पाई . मैं , शर्मिंदा हूँ - बेहद शर्मसार हूँ . पर मैं, कोशिश करती रहूँगी कि आपके संभ्रांत व रईस खानदान के तौर- तरीकों को समझ सकूँ , जान सकूँ और एक दिन आप सबका मन व दिल जीत सकूँ . मुझे पूरा विश्वास है कि मेरी ज़िंदगी में भी कभी न कभी एक दिन ऐसा आएगा जब मेरी ज़िंदगी का अंधकार मिट जाएगा और सूरज की चमचमाती किरणों की तरफ मेरा जीवन भी उज्ज्वल व कांतिमय होगा. एक दिन ऐसा जरुर आएगा जब सब ठीक हो जाएगा . तब तक मैं, प्रयास करती रहूँगी . आप विदेश में कार्य करिये और मैं यहाँ माँजी और भाभियों के समक्ष हर दिन अपनी काबिलियत को सिद्ध करती रहूँगी . उम्मीद है कि मेरी इस कश्मकश में मेरी बेटा मुझे समझ सके.

आपकी अभागी
मृ्दुला .





- शालिनी अवस्थी





अंग्रेज़ी साहित्य में परास्नातक श्रीमती शालिनी अवस्थी जिंदगी की कठोर व कड़वी सच्चाईयों को साहित्य के रंग में रंगना बखूबी जानती हैं. स्त्री विमर्श , स्त्री संघर्षों को उजागर करती ऐसी कहानियाँ जो हमारे मस्तिष्क को ही नहीं अपितु हमारी आत्मा तक को हिला कर रख दें. श्रीमती शालिनी अवस्थी के  द्वारा रचित  दिल में कचोटन पैदा करने वाली कहानियाँ अब स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन का निरंतर हिस्सा होंगी.









सौंदर्य :

बॉडी केयर 

* गर्मी के मौसम में पसीने की चिपचिपाहट के कारण त्वचा पर गंदगी जम जाती है और त्वचा ज्यादा आयली हो जाती है और मुहांसे होने का डर रहता है . इससे बचने के लिये सही तरीके से क्लींजिंग करें.

* रोजाना सोने से पहले चेहरे को क्लींजिंग  मिल्क से साफ करें. तत्पश्चात मॉइश्चराइजर लगाएं. स्किन टोन करने के लिए गुलाबजल का प्रयोग करें .

* दिन में कई बार चेहरे को ठंडे पानी से धोएं जिससे त्वचा खुल कर साँस ले सके.

* एलोवेरा, आवला , शहद, नींबू, हल्दी युक्त मॉइश्चराइजर को इस्तेमाल करें.

* चेहरे को फ्रेश रखने के लिए नियमित फ्रूट फेशियल करवाएं.

* चेहरे पर साबुन का प्रयोग न करें . दिन में 2-3 बार साफ्ट फेसवाश से चेहरा धोएं.

* रात को सोने से पहले बादाम व शहदयुक्त नाइटक्रीम लगाएं, इस समय त्वचा का पुनर्निर्माण होता है .

* त्वचा को ठंडक पहुँचाने वाले फेसपैक लगाए. कपूर, चंदन, गुलाबजल, नीम की पत्तियाँ आदि से युक्त फेस पैक लगाएं.

* सप्ताह  में एक बार स्क्रब करें जिससे मृ्त त्वचा निकल जाएं.

* स्नान करते समय पानी में गुलाब की पत्तियाँ या नींबू निचोड़ लें. यह त्वचा को ताज़गी देता है.

* अपनी त्वचा को धूप से बचाएं. घर से निकलने के 15 मिनट पहले सनक्रीम अवश्य लगाएं.

*जब भी धूप में निकलें, सनग्लास अवश्य लगाएं.

* होठों की रक्षा के लिए सोने से पहले बादाम का तेल लगाएं.


साहित्य :





वो दिव्यपुँज ..

हम तो निकल पड़े थे राह में अपनी,
मंज़िल अपनी पाने को ,
पाना था वो दिव्यपुँज ,
जो करता है रोशन पूरे इस जग को,
यह दिव्यपुँज है,
जो जितना है जलता,
उतना होता है रोशन.
जो जितना है तपता ,
उतना होता है दिव्य.
यह दिव्यपुँज है ,
जिसे पाना है मेरा लक्ष्य.
एक स्वप्निल प्रेरणा है ,
यह दिव्यपुँज,
जिसे पाना है मेरा कर्त्तव्य सहर्ष .

सपने आँखों में समेटे
घर से हम चले निकल
पर मालूम न था हमें
कि मुश्किल है राह बहुत
हम अकेले थे,
राह में थे लोग बहुत,
हौसला था हममें, विश्वास था हममें बहुत ,
धैर्य था हममें , संतोष था हममें बहुत,
लंबा सफर था , धुँधला ड्गर था,
करने को हमारा स्वागत,
बिछी थी धूल सड़क पर,
चलना था , बस चलना था
पर चलना था संभल -संभल कर.

कुछ निकल गए आगे,जो दिखते थे नहीं,
और कुछ दिखते थे , धुँधले से कहीं.
कुछ रह गए थे पीछे, जो गए थे खो कहीं,
और कुछ थक कर सो चुके थे ,
ओढ़ कर चादर धूल मिट्टी की.

साथ छूट चुका था सबका,
कुछ आगे थे और कुछ
रह गए थे पीछे कहीं.
और हम अकेले थे चले जा रहे थे,
बढ़े जा रहे थे .
दूर थी मंजिल , राह थी मुश्किल
कहीं ईंट, कहीं पत्थर
कहीं पहाड़ , कहीं दलदल
कहीं मोह , कहीं माया.
कहीं लालच, कहीं धोखा खाया.

पर हौसला आगे बढ़ने का न हमने भुलाया,
रास्ते के हर एक काँटे को,
जड़ से मिटाया.
और पाया वो मकाम ,
जिसका था हमें सपनों में इंतज़ार,
वो स्वप्निल प्रेरणा कि पाना है वह दिव्यपुँज
जो करता है रोशन पूरे इस जग को,
जो जितना है जलता,
उतना होता है रोशन.
जो जितना है तपता ,
उतना होता है दिव्य.
वह दिव्यपुँज ,
जिसे पाना है मेरा लक्ष्य सहर्ष ,
एक स्वप्निल प्रेरणा ,
वह  दिव्यपुँज.




चेहरे

क्यों कुछ चेहरे  दिल को यूँ छू जाते हैं
क्यों कुछ चेहरे दिल में बस यूँ ही उतर जाते हैं
कुछ चेहरे भर देते हैं जीवन में नई उमंग ,
कुछ चेहरे बना देते हैं जीवन ही एक भँवर .
कुछ चेहरे बन जाते हैं हमारे लिये इतने खास,
चेहरे के आगे फिर नहीं मायने रखती उनकी पहचान.
कुछ चेहरे याद दिला देते हैं ,उन अपनों को जो
ज़ेहन से खो गए थे कहीं .
बस ऐसे ही बन जाते हैं खास कुछ चेहरे ,
जो बिन् पहचान भी बहुत कुछ दे हमें हैं देते.


- स्वप्निल शुक्ल


पकवान :
 
मेथी परांठा ::



सामग्री : 

- 1 कप आटा
- आधा कप बारीक कटी हुई मेथी
- 2 टीस्पून मक्खन
- 3 हरी मिर्च बारीक कटी हुई
- 100 ग्राम रिफाइंड तेल परांठा सेंकने के लिए
- आधा कप प्याज़ बारीक कटा हुआ
- 2 टीस्पून क्रीम
- 50 ग्राम शक्कर
- आधा टीस्पून नमक


विधि :  

आटे में नमक व मक्खन मिलाकर अच्छी तरह से गूंध लें. मेथी में नमक डालकर थोड़ी देर रखें. फिर पानी निचोड़ लें. अब मेथी में कटी हुई मिर्च , बारीक कटा हुआ प्याज़ , क्रीम तह्था शक्कर मिला लें.आटे की लोई में मेथी वाला मिश्रण भरकर परांठे जैसा बेल लें और रिफाइन्ड तेल लगाकर करारा होने तक सेंकें और  गरम - गर्म सर्व करें.


- सुमन त्रिपाठी


फै़शन व लाइफस्टाइल 


आभूषण धारण करने से पूर्व बरतें सावधानी.........






इस बात में तनिक भी संदेह नहीं कि आभूषण हमारे व्यक्तित्व में चार- चाँद लगाते हैं. पर इनसे होने वाली परेशानियों को नज़र अंदाज़ करना उचित नहीं . आभूषणों से होने वाले त्वचा के विकारों की सब से सरल पहचान यह है कि उन का असर प्राय: उसी अंग तक सीमित रहता है, जिस के ये सीधे संपर्क में आते हैं . उदाहरण के लिए , कंठमाला से तकलीफ होती है , तो गले पर ही डर्मेटाइटिस या आर्टिकेरिया के लक्षण उभरते हैं, अंगूठी का असर उंगली पर ही होता है , कांटों या बालियों का कष्ट कानों को ही उठाना पड़ता है , कड़े और चूड़ियां बांहों पर असर दिखाते हैं, बिछिया से पैरों की उंगलियों में तकलीफ हो सकती है. यहाँ तक की कलाई पर पहनी हुई घड़ी भी कई लोगों को तकलीफ दे सकती है. ऐसी तकलीफें सिर्फ  आर्टिफीशियल आभूषणों के साथ हो , यह भी आवश्यक नहीं . स्वर्णकारों द्वारा आभूषणों के निर्माण में इस्तेमाल किया जाने वाला शुद्ध सोना , 18 कैरेट और 14 केरेट सोना जिसमें निकल, तांबा, जस्ता और चाँदी मिली रहती है , 'ज्वेलर्स मेटल'  जिसमें टिन, तांबा और जस्ता मिला होता है , पेलैडियम, प्लेटिनम और खास कर निकल सभी कष्ट्कारी साबित हो सकते हैं.



प्रश्न महंगे या सस्ते आभूषणों का नहीं है. सभी धातुओं में निकल अधिक एलर्जीकारक है इसलिए आर्टिफीशियल ज्वेलरी सार्वधिक बदनाम हैं. परंतु  समस्या प्लेटिनम में गढ़े गए महंगे आभूषणों के साथ भी हो सकती है.  शुद्ध स्वर्ण आभूषणों के साथ एलर्जी के मामले कम  होते हैं  लेकिन सोना चूंकि बहुत पहना जाता है इसलिए प्रभावित होने वाले लोगों की कुल संख्या काफी बड़ी है.

आभूषण बनाने में  काम आने वाली सभी धातुओं में सब से निर्मल चाँदी है. सच यह है कि शुद्ध चाँदी से बने आभूषण कभी एलर्जी उत्पन्न नहीं करते . हाँ, चाँदी में यदि मिलावट हो तो , यह चाँदी का दोष नहीं.

यदि अंगूठियों की बात करें तो, शुद्ध सोने की अंगूठी पहनने पर डर्मेटाइटिस के ममले बहुत कम होते हैं. पर सफेद सोना जिस में 58 प्रतिशत सोना, 5-17 प्रतिशत निकल, 2 प्रतिशत जस्ता और शेष तांबा होता है, के साथ एलर्जी जन्य डर्मेटाइटिस होने की संभावना अधिक होती है. पेलैडियम या प्लेटिनम से बनी अंगूठियाँ भी परेशानी उत्पन्न कर सकती हैं. लेकिन पीला या हरापीला सोना निकल से मुक्त होता है और इसलिए सामान्यत: तंग नहीं करता .

अंगूठियों के साथ त्वाकशोथ ( डर्मेटाइटिस ) होने पर कुछ अन्य प्रेरक चीज़ों के प्रति सावधानी बरतनी आवश्यक है. अगर अंगूठी के नीचे साबुन , रसायन , गंदगी या बैक्टीरिया जमा हो जाए या बारबार चोट लगती रहे तब भी त्वाकशोथ अर्थात डर्मेटाइटिस उत्पन्न हो सकता है.

कुछ लोगों के उंगली की त्वचा पर इस बार-बार के प्रहार से दाने भी निकल सकते हैं और कुछ की त्वचा पर काले मानचित्र से उभर आते हैं. यह विकार ब्लैक डर्मोग्राफिज़्म कहलाता है. पसीने में उपस्थित सल्फाइड और क्लोराइड अणु भी धातुओं से मिल कर त्वचा का रंग बिगाड़ सकते हैं.

इसके अलावा कांटेक्ट डर्मेटाइटिस  होने पर आभूषण के संपर्क में रहने वाले अंग में सूजन आ जाती है . त्वचा दहक कर लाल हो सकती है . उस पर पानी से भरे दाने उठ सकते हैं . उन से पानी रिस सकता है. पपड़ी जम सकती है . त्वचा का कोमलपन नष्ट हो सकता है. त्वचा खुरदरी और मोटी हो जाती है. संक्रमण हो जाने पर मवाद भी पड़ सकती है. उस हिस्से में खूब खुजली मचती है . जलन होती है . कभी लगता है जैसे डंक लगा हो . पित्ती ( कांटेक्ट आर्टिकेरिया) होने पर त्वचा सूज जाती है , उस पर किसी भी रुप - आकार के ददोरे उत्पन्न हो जाते हैं , जिसमें खुजली होती है.
क्षोभक ( इरिटेंट ) डर्मेटाइटिस  में भी शरीर के पीड़ित अंग में दाने उठ जाते हैं . खुजली होती है लेकिन ब्लैक डर्मोगाफिज़्म में त्वचा का रंग ही बिगड़ता है . उस पर काले रंग का नक्शा सा खिंच जाता है.



यदि आपकी त्वचा पर कभी भी एलर्जी उभरे तो उस की वास्तविकता को समझने में देर न करें. सब से बेहतर होगा कि किसी योग्य डर्मेटोलॉजिस्ट से सलाह लें और विकार की पुष्टि होने पर इस समस्या को पैदा करने वाले आभूषणों का परित्याग कर दें . अगर त्वचा पर बैक्टीरिया के संक्रमण के लक्षण हैं तो डॉक्टर अन्य दवाओं के साथ एंटिबायोटिक मरहम लगाने का परामर्श भी दे सकते हैं.

एलर्जी से छुट्कारा दिलाने में स्टीरायड दवाएं प्रभावी साबित होती हैं. अधिक उग्र मामलों में इन्हें कुछ दिनों तक मुंह से लेना पड़ सकता है . पर पीड़ित अंग पर डॉक्टर के निर्देशन पर स्टीरायड क्रीम लगाने से भी लाभ पहुंचता है.

इसके अतिरिक्त जिस धातु से परेशानी हुई है , उससे आगे से परहेज बरतना ही हितकर है. परंतु यदि समस्या अंगूठी के नीचे साबुन, केमिकल, गंदगी या बैक्टीरिया जमा होने से जुड़ी हो तो कुछ दिनों बाद आभूषण दोबारा भी पहना जा सकता है . पर यह सावधानी बरतना ज़रुरी हो जाता है कि आगे वे परिस्थितियाँ पुन: उत्पन्न न हों , जिनके कारण पहले समस्या हुई थी.

आभूषण धारण करने पर यदि पाबंदी भी लग जाए तो भी मन छोटा न करें . वैसे भी जिसे खुदा ने ही खूबसूरती से नवाज़ा हो उसे किसी आभूषण की क्या आवश्यकता . आखिर चाँद भी तो बिन आभूषण अपनी खूबसूरती की चमक चारो ओर बिखेरता है.


-  स्वप्निल शुक्ला





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रत्न और आप

रुद्राक्ष से लाभ , आइये जानें हम और आप  ...........




हमारे प्राचीन इतिहास से ही लोगों के बीच रुद्राक्ष एक आकर्षण का विषय बना हुआ है व इसकी असीम शक्तियों की चर्चा भी होती आ रही . आज के आधुनिक परिवेश में भी रुद्राक्ष के प्रति लोगों का झुकाव बना हुआ है. लोगों को इसकी चमत्कारी शक्तियों के बारे में जिज्ञासा बनी ही रहती है. अगर हम धार्मिक ग्रंथों की बात करें तो शिव महापुराण , श्रीमदभगवत, पदमपुराण , लिंगपुराण , अष्ट्मलिक उपनिषद , निर्णयसिंधु , महाकाल संहिता, रुद्राक्ष जबल उपनिषद इत्यादि धर्मग्रंथों में रुद्राक्ष की अदभुत महिमा का वर्णन किया गया है . तो आइये इस संदर्भ में जानते हैं कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण बातें रुद्राक्ष `के बारे में-

'रुद्राक्ष'- अर्थात भगवान शिव की सार्वधिक प्रिय वस्तु जिसकी उत्पत्ति पौराणिक मान्यताओं के अनुसार साक्षात भगवान शिव के नेत्रों से हुई है . असल में रुद्राक्ष  एक फल का बीज है परन्तु इसमें विद्यमान अनेकों गुणों के कारण ये आध्यात्मिक व भौतिक विज्ञान एवं चिकित्सा जगत में बेहद पवित्र , पूज्यनीय व लाभकारी रुप में स्वीकार किया गया है.


रुद्राक्ष  धारण करने वाला व्यक्ति अनेकों प्रकार की व्याधियों व आपदाओं से सुरक्षित रहता है . साथ ही साथ इसके दानों से बनी माला जप के लिये सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है .प्राचीन काल के साथ-साथ आज के आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने भी रुद्राक्ष के दानों में विद्यमान अदभुत चुम्बकीय व विद्युत शक्ति को स्वीकारा है जो इसको धारण करने वाले को अनेक प्रकार से प्रभावित करता है .

रुद्राक्ष  के चमत्कारी प्रभावों के कारण लोग इसके दानों को शिवलिंग की भाँति ही पूजते हैं और कहा जाता है कि इसको धारण कर प्रभावी मंत्र 'ऊँ नम: शिवाय' का जप करने से व्यक्ति ज्वर उत्तेजना , रक्तचाप , बुरे स्वप्न, अनिद्रा, चर्मरोग आदि परेशानियों से निजात पा जाता है. वनस्पति विज्ञान ( Botany ) के अन्तर्गत रुद्राक्ष  के पेड़ को ELAECARPUS GANITRUS ROXB कहते हैं और अंग्रेजी भाषा में  UTRASUM BEAD TREE कहते हैं .

रुद्राक्ष  की कई जातियाँ होती हैं जैसे एक मुखी , दो मुखी आदि. व्यक्ति विशेष को रुद्राक्ष  की विभिन्न जातियों के बारे में जानने के बाद अपने भीतर की कमियों को दूर करने व परेशानियों से मुक्ति पाने के लिये इसको धारण करना चाहिये .

मुख्यत: रुद्राक्ष के दानों को गले या बाँह में धारण किया जाता है. पर आज के आधुनिक युग में इसको फैशन स्टेट्मेंट के तौर पर लोग ब्रेसलेट के रुप में भी धारण कर लेते हैं . ज्यादातर युवाओं को रुद्राक्ष  एक आकर्षक एक्सेसरी के तौर पर लुभाता है जो उन्हें बेहतरीन लुक के साथ साथ उनके लिये अनेक लाभकारी परिणाम भी सामने लाने में मददगार साबित होता है. तभी अक्सर युवा वर्ग इसके दानों को गले में लॉकेट व ब्रेसलेट की तरह पहनना पसंद करते हैं परंतु ऐसी स्थिति में  यदि आप रुद्राक्ष को धारण करते हैं तो पवित्रता का ध्यान रखते हुए प्रतिदिन प्रात: उठते ही सबसे पहले इसे अपने माथे से लगायें व ऊँ नम: शिवाय का जाप करें , आपको नि:संदेह अनेकों सुखों की प्राप्ति होगी .

आइये अब जानते हैं कि कौन सा मुखी रुद्राक्ष धारण करने से आप किस प्रकार से लाभान्वित हो सकते हैं -

एकमुखी :  यह भगवान शिव क स्वरुप है. इसे धारण करने वाले व्यक्ति में एकाग्रता बढ़ती है व भक्ति एवं मुक्ति दोनों की ही प्राप्ति होती है.

दोमुखी:    अर्धनारेश्वर अर्थात शिव व शक्ति का स्वरुप है . इसे धारण करने से पति-पत्नी में एकात्मक भाव उत्पन्न होता है व धन - धान्य से युक्त्त होकर व्यक्ति पवित्र गृ्हस्थ जीवन व्यतीत करता है.

तीनमुखी:  अग्नि का स्वरुप है. धारणकर्ता अग्नि के समान तेजस्वी हो जाता है. आत्मविश्वास की कमी वाले लोगों के लिये बेहद लाभकारी है.

चारमुखी :  भगवान ब्रह्मा का स्वरुप है. धारणकर्ता अनेकों कलात्मक व रचनात्मक गुणों को व बुद्धिमत्ता को प्राप्त करता है .

पंचमुखी:   पंचब्रह्म स्वरुप है. धारणकर्ता को अच्छा स्वास्थ व शांति प्रदान करता है .साथ ही साथ धारणकर्ता अनेक पापों से मुक्त हो जाता है. आत्मविश्वास बढ़ोत्तरी में लाभदायक.

छ:मुखी :   भगवान कार्तिकेय का स्वरुप है. बुद्धिमत्ता व विद्याप्राप्ति के लिये श्रेष्ठ है.

सातमुखी:  यह देवी महालक्ष्मी का स्वरुप है. धारणकर्ता को धन, संपत्ति ,यश , कीर्ति, ऎश्वर्य , व्यापार व नौकरी में सफलता प्रदान करता है.

आठमुखी:  भगवान गणेश का स्वरुप है. विघ्नहर्ता मंगलकर्ता है. रिद्धि-सिद्धि प्रदान करने के साथ- साथ इसे धारण करने से विरोधियों की समाप्ति हो जाती है.

नौमुखी :   यह देवी दुर्गा माँ का स्वरुप है. यह धारणकर्ता को वीरता, शक्ति, साहस, कर्मठता , अभय व सफलता प्रदान करता है.

दसमुखी:   भगवान विष्णु का स्वरुप है . इसको धारण करने से सर्वगृ्ह शांत हो जाते हैं . धारणकर्ता को भूत, पिशाच सर्प आदि का भय नहीं रहता है. साथ ही साथ  शारीरिक सुरक्षा भी प्रदान करता है.

ग्यारहमुखी:  भगवान हनुमान का स्वरुप है. भाग्य वृ्द्धि , धनवृ्द्धि , शक्ति, अभय व सफलता प्राप्ति के लिये श्रेष्ठ है. धारणकर्ता की दुर्घटनाओं से रक्षा होती है.

बारहमुखी:   भगवान सूर्य का स्वरुप है. धारणकर्ता तेजस्वी व आत्मविश्वास से परिपूर्ण हो जाता है. यह धारणकर्ता की चिंताओं व परेशानियों का अंत करता है.

तेरहमुखी :   भगवान इंद्र का स्वरुप है. ये धारणकर्ता की संपूर्ण कामनाओं को पूर्ण करता है व जीवन में सुख - शांति प्रदान करता है.

चौदहमुखी: भगवान हनुमान का स्वरुप है . अति दुर्लभ व प्रभावशाली . इसे देवमणि भी कहा जाता है. ये हानि , दुर्घटना, रोग व चिंता से मुक्त रखकर धारणकर्ता की सुरक्षा करता है. व्यक्ति की छठी इंद्री भी जाग्रत करने की इसमें शक्ति होती है. धारणकर्ता को धन-संपदा , सुख व शांति की प्राप्ति होती है.

पंद्रहमुखी:    भगवान पशुपति का स्वरुप है. धारणकर्ता को धन प्रदान करता हैव चर्मरोगों में अत्यंत लाभदायक होता है.

सोलहमुखी:  यह धारणकर्ता को सफलता प्रदान करता है व सर्दी और गर्मी के कारण होने वाले रोगों से रक्षा करता है. . यदि घर पर इसको रखा जाए तो चोरी, ड्कैती व आग लगने का खतरा नहीं रहता है.

इसके अलावा रुद्राक्ष धारण करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना अति आवश्यक है :

* रुद्राक्ष ऐसा हो जो खंडित न हो, काँटों के बिना हो .

* जो रुद्राक्ष कीड़े द्वारा खाए गय हों , उन्हे कदापि धारण न करें.

* जो रुद्राक्ष छिद्र करते हुए फट गए हों , उन्हें धारण न करें.

* परीक्षण कर ले कि रुद्राक्ष नकली न हों . यदि नकली होगा तो पानी में तैरने लगेगा और असली होगा तो पानी में डूब जाएगा.

* रुद्राक्ष किसी की मृ्त्यु में जाने से पूर्व उतार दें.

* रुद्राक्ष को हर 15-20 दिनों में हल्के  गर्म पानी में हल्का सा साबुन डालकर साफ करना चाहिये . उबलते पानी या केमिकल्स में रुद्राक्ष को कभी भी न डालें.

* कभी- कभी  रुद्राक्ष को  चंदन के तेल या सरसों के तेल से पोंछ देना चाहिये ताकि वह चमकदार और खुशबूदार बन रहे.



-  स्वप्निल शुक्ला

ज्वेलरी डिज़ाइनर
फ़ैशन कंसलटेंट




इंटीरियर्स

स्टाइलाइज़ योर होम विद सॉफ़्ट फ़र्निशिंग्स


घर के लिए लिनेन , कर्टन या बेड कवर लेते समय ना सिर्फ घर के फर्नीचर को ध्यान में रखना जरुरी है बल्कि प्रेजेंट ट्रेंड्स के बारे में अपडेट होना भी अति आवश्यक है . इस संदर्भ में आइये जानते हैं कि सॉफ़्ट फ़र्निशिंग्स  के द्वारा आप कैसे दे सकते हैं अपने घर को एक बेहतरीन लुक .




बेड शीट या बेड कवर का खूबसूरत होने के साथ कंफर्टेबल होना बेहद आवश्यक है .इसलिए बेड्शीट की डिज़ाइन के साथ फैब्रिक का भी ध्यान रखना चाहिये. बेडशीट्स में एनिमल प्रिंट इन हैं. जेबरा , जिराफ और लेपर्ड प्रिंट के साथ लाउड कलर की बेडशीट लाउड होम डेकोर के लिए चूज़ करना प्रिफर करें.

ज्योमेट्रिकल डिज़ाइन्स भी इन हैं . ये बेडरुम को नीट व क्लीन लुक देती हैं. फ्लोरल प्रिंट , पोलका डॉट्स के बेड कवर्स डेकोर को फ्लैशी लुक देते हैं . विंटर्स में वार्म फ्लोरल प्रिंट सूदिंग लगते हैं. ये किड्स रुम के लिए बेस्ट च्वाइस हैं. हैंड इम्ब्रॉइडरी वाले बेड कवर भी होम डेकोर को लक्जूरियस लुक देते हैं .

लक्जूरियस लुक के लिए इम्ब्रॉइडरी वाले सिल्क बेड्कवर बेहतर विकल्प को सकते हैं . प्योर सिल्क का बेडकवर काफी एक्सपेंसिव होता है . सिल्क - कॉटन के बेड कवर्स भी आजकल काफी ट्रेंडी हैं . इस फैब्रिक के साथ इम्ब्रॉइडरी ज्यादा अच्छी लगती है.

इसके अलावा साटिन के बेड कवर भी बेहतर विकल्प हैं . ये काफी सॉफ़्ट होते हैं और इन्हें मेंटेंन करना भी आसान होता है. साटिन के बेडकवर्स में पर्पल , पिंक  और ब्लैक कलर्स अच्छे लगते हैं.


कुशन कवर  -

अट्रैक्टिव कुशन कवर्स किसी भी रुम को हाईलाइट करने के लिए काफी हैं. ये सोफा -सेट, बेड , काउछ को खूबसूरत लुक देते हैं . कुशन कवर्स की कुछ एवर- ग्रीन वैराइटीस निम्नलिखित हैं :-

जरदोज़ी वर्क : जरदोज़ी वर्क कुशन कवर्स को अट्रैक्टिव लुक देता है. जरदोज़ी वर्क के लिए सिल्क का फेब्रिक सेलेक्ट करना चाहिये .फेस्टिव सीज़न में घर को डेकोरेट करने के लिए यह ट्रेंडी आप्शन है.

हैंड इम्ब्रॉइडरी : काफी एलिगेंट अय्र क्लासी लगती है. पारसी , कश्मीरी वर्क कुशन्स पर फबता है . कॉटन या साटिन फैब्रिक पर ये काफी सूट करती है. बुटीक से अपनी पसंद के अनुसार कवर्स डिज़ाइन करवाए जा सकते हैं.

सीक्वेंस व बीड वर्क : कुशन्स पर सीक्वेंस व बीड वर्क आपके डेकोर को बेहतरीन लुक देते हैं. सिल्क फैब्रिक पर सीक्वेंस या बीड वर्क काफी खूबसूरत लगता है.

स्ट्राइप्स : मॉडर्न डेकोर चाहते हैं तो स्ट्राइप्स , डॉट्स वाले कुशन्स ट्राई करें . स्ट्राइप्स , डॉट्स आदि डिज़ाइन पैटर्न्स वॉर्म कलर्स पर अधिक फबेगी.

लेदर डिज़ाइन्स : के कुशन्स भी काफी ट्रेंड्स में हैं ये काउच वगेरह पर सूट करते हैं. माडर्न इंटीरियर्स के अंतर्गत लेदर डिज़ाइन्स के कुशन्स काफी सूट करेंगे.

ट्रेडीश्नल : राज्स्थानी या गुजराती थीम हमेशा ही ट्रेंड में रहती है. यदि इस प्रकार की डिज़ाइन्स से लैस कुशन्स ले रहे हैं तो कॉटन फेब्रिक का उपयोग बेहतर रहता है.


कर्टंस ::

दूसरे कर्टंस के मुकाबले शीयर कर्टंस आजकल सबसे ज्यादा ट्रेंड में हैं . इन्हें खरीदते समय कुछ बातों का खासतौर पर ध्यान दें .

- शीयर कर्टन होम डेकोर को लक्जूरियस लुक देते हैं. ये काफी डेलिकेट होते हैं.

- यदि आप इन्हें अपने बेड रुम के लिए खरीद रहें हैं तो सेमी शियर कर्टन खरीदें. इससे आपके बेडरुम की प्राइवेसी बनी रहेगी.

- बेड्रुम में शिअर कर्टन डाल रहे हैं तो उसके साथ लाइनिंग अव्श्य डाल दें.

- शीयर कर्टन में लेस, लाइट फ्लोरल प्रिंट , स्ट्राइप और इम्ब्राइडरी आते हैं. अपने होम डेकोर से इन्हें कांप्लिमेंट करा सकते हैं.

- सिल्क , वेलवेट  और साटिन के फैब्रिक शीयर कर्टन को रिच लुक देते हैं.


- ऋषभ शुक्ल



अगर आप उन लोगों में से एक हैं , जो अपने आस - पास, सौंदर्यपरक , सुगम व सुव्यवस्थित वातावरण की संरचना करना चाहते हैं और अपने आशियाने को बनाना वाहते हैं अपने सपनों का घर , तो यकीन मानिये ' सुप्रीम होम थेरपि ' केवल आप के लिए ही लिखी गई है .

होम डेकॉर , ग्रीन इंटीरियर डि़ज़ाइन , डेकोरेटिंग में क्या करें और क्या न करें, वास्तु एवं फेंग शुई, कलात्मक वस्तुओं की मह्त्ता आदि तमाम मह्त्वपूर्ण जानकारियों से लैस है , डिज़ाइनर व पेंटर ' ऋषभ शुक्ला' द्वारा लिखित पुस्तक  ' सुप्रीम होम थेरपि ', जो आपके मकान को बना देगी आपके सपनों का घर .
पुस्तक : सुप्रीम होम थेरपि
लेखक :ऋषभ शुक्ला
विधा : नॉन- फिक्शन
भाषा : अंग्रेज़ी
विषय : होम डेकॉर
प्रकाशक : स्वप्निल सौंदर्य पब्लिकेशन्स
विसिट  करें : www.riatheestudio.blogspot.com






नानी माँ की बातें :


गंजापन दूर करें :

- हरे धनिया को पीसकर उसका रस निकालें , उस रस से बालों में नियमित मालिश करें.

- सूखे आंवले को सुपारी की तरह थोड़ा - थोड़ा करके खाते रहिये. निश्चित की गंजेपन की शिकायत धीरे- धीरे दूर हो जाएगी.


उच्च रक्त चाप से बचने हेतु :

- 2 चम्मच शहद में 1 चम्मच नीबू का रस मिलाकर सुबह शाम पीने से उच्च रक्त चाप कम हो जाता है .

- लहसुन रोज खायें या इसका रस पीयें .

- छाछ उच्च रक्त चाप के लिये अत्यंत लाभकारी है.


पुराना कब्ज दूर करने हेतु :

- रात को सोते समय दूध के साथ ईसबगोल की भूसी लें अथवा दूध में मुनक्का उबालकर पीयें, पुराना कब्ज भी दूर हो जाएगा.


डिप्रेशन में राहत के लिए :

- दूध या शहद के साथ एक सेब खाने से मूड अच्छा होता है.


बुखार में राहत के लिए :

- तुलसी की चाय का सेवन बुखार में लाभकारी होता है.


कहानी :

लव इमपॉसबल ::



प्रेम कहानियाँ तो बहुत सी होती हैं और ये कहानी उन्हीं में से एक है . सागरिका और राहुल की कहानी , जो एक समय में अच्छे दोस्त ही नहीं बल्कि एक दूसरे से बेपनाह मोहब्बत करते थे. और आज इन दोनों की कहानी कुछ और ही बयां करती है. क्या दूरियों के बावजूद प्रेम को कायम रखा जा सकता है ? क्या एक लॉग - डिस्टेंस  रिलेशनशिप को कायम रखना आसान है या मुश्किल ? सागरिका व राहुल की कहानी आपको इन पहलुओं पर सोचने पर विवश जरुर करेगी ...... प्रेम की एक ऐसी कहानी जो प्रेम की परिभाषा पर पुन: आपको विचार करने पर मजबूर कर देगी .



राहुल - श्याम वर्ण , खूबसूरत , लंबा, सुगठित देह , बड़ी- बड़ी आँखे , थोड़ा अंतर्मुखी, अपने घर पर सबसे छोटा व प्यारा , पटना, बिहार के एक रईस खानदान का बेटा था .राहुल ने अभी हाल ही में एम. बी.ए की विधिवत शिक्षा संपूर्ण की थी और अब वह दिल्ली में एक बेहतर जॉब की तलाश में था . आज की सुबह राहुल के लिए बहुत खास थी क्योंकि वो आज ही अपने चंद खास दोस्तों के साथ दिल्ली पहुँचा था . राहुल अपने सभी दोस्तों को लेकर अपने कज़िन् के घर पहुँचा और सभी दोस्तों ने दिल्ली की भाग- दौड़ भरी ज़िंदगी में खुद को शामिल कर लिया.
राहुल दिल्ली पहली बार आया था . उसका उत्साह व जोश अपने चरम पर था . जिसका एक कारण यह भी था कि दिल्ली में उसके और भी पुराने दोस्त जो बचपन के साथी थे, वे भी दिल्ली में कार्यरत थे . राहुल ने अपने बेस्ट फ्रेंड ' विष्णु' को फोन करके बताया कि वो भी दिल्ली आ गया है और दोनों ने मिलने की योजना बनाई. राहुल अपने सभी दोस्तों को लेकर विष्णु के फ्लैट पहुँचता है और दोनों दोस्त इतने वर्षों के बाद पुन: मिलकर भावविभोर हो उठे . यह मुलाकात एक यादगार मुलाकात थी .

अगले ही दिन राहुल व उसके अन्य दोस्त इंटरनेट व अखबार आदि के माध्यम से नई जॉब ढूढ़्ने लगे . इस दौरान राहुल कई जगह साक्षात्कार देने गया . एक बेहतर जॉब को तलाशने की जद्दोज़ेहद में आज राहुल बहुत अधिक थक चुका था . शरीर का एक - एक अंग थकावट से भर गया था इसलिये राहुल ने विष्णु को फोन किया और कहा कि मैं, तुम्हारे घर आ रहा हूँ , प्लीज़ खाने में कुछ जबर्दस्त  बना कर रखना क्योंकि मेरे शरीर में आज जरा सा भी बल नहीं और भूख के कारण जान मुंह को आ गई है . राहुल विष्णु के घर पहुँचता है और दोनों दोस्त दोपहर के खाने के बाद चाय की चुसकियों के साथ स्कूल डेस के मस्ती भरे दिनों की यादों को ताजा करने में लग गए. इसी बीच राहुल ने विष्णु के लैपटॉप से अपना फेसबुक प्रोफाइल चेक किया .....इस उम्मीद के साथ किसी खूबसूरत युवती की फ्रेंड रिक्वेस्ट आई हो तो दिन सफल हो जाए { अमूमन हर लड़के की यही सोच होती है .. मैन विल बी मैन ... }..... इस बीच राहुल ने विष्णु से पूछा कि क्यों यार ? तुम्हारी किसी दिल्ली की लड़की से दोस्ती हुई .. विष्णु ने कहा , हाँ पर ज्यादा नहीं सिर्फ 14- 15 होंगी. यह सुनने के बाद राहुल उत्साह से भर गया और विष्णु की फ्रेंड्स लिस्ट देखने लगा. राहुल  ने विष्णु से पुन: पूछा , " अरे यार ! अगर मैं भी इन सबको फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजूँ तो क्या ये मुझे एड करेंगी ? " ...विष्णु ने जवाब दिया, " भाई कर के देख ले ..वैसे दिल्ली की ये कुड़ियाँ बहुत भाव खाती हैं. इतनी जल्दी एड नहीं करेंगी .. जो मेरी फ्रेंड लिस्ट में एडेड हैं वे आफिस की हैं और कुछ बाहर की हैं. कर ले तू भी ट्राई. "

राहुल ने योजना बनाई कि सबको नहीं भेजूँगा .. इनमें से किन्हीं दस लड़कियों को यादृ्च्छिक ( रैनडमली ) तरीके सी भेज देता हूँ जिसे एड करना है वो कर लेंगी वरना कौन सा मैं उनको और वो मुझको जानती हैं. और राहुल ने दस लड़कियों को फ्रेंड़ रिक्वेस्ट भेज दी और ईश्वर से प्रार्थना करी कि ," हे भगवान ! फ्रेंडशिप एड करवा देना प्लीज़ ! "

एक सप्ताह बाद राहुल को अपने घर जाना पड़ा . उसी दौरान समय निकाल कर उसने अपना फेसबुक प्रोफाइल चेक किया. तीन नोटिफिकेशन्स देख राहुल का मन उमंग से भर उठा . और् उसकी खुशी का तब कोई ठिकाना ही नहीं रहा जब उसने देखा कि एक लड़की ने उसकी फ्रेंड रिक्वेसट एक्सेप्ट कर ली है. राहुल ने तुरंत उस युवती का प्रोफाइल खोला पर वह लड़की दिल्ली की नहीं बल्कि बिहार की थी . राहुल की उमंग , जोश व खुशियों की इमारत एकाएक टूट गई . फिलहाल राहुल ने दिल पर पत्थर रख कर मन ही मन वो गाना गुनगुनाया ......... जब दिल ही टूट गया तो जी के क्या करेंगे ......... और लैपटॉप बंद कर दिया.

काफी दिन बीत गए.. अचानक एक दिन राहुल के फेसबुक प्रोफाइल पर उसी लड़की का मैसेज आया .

सागरिका : हाई .

राहुल इस कश्मकश में था कि मैसेज का रिस्पांस करे या न करे ...अखिरकार उसने चैटिंग जारी रखी.

राहुल : हैलो .. हाउज़ यू .

सागरिका : फाइन .. व्हॉट एबाउट यू ?

राहुल : आई एम फाइन टू ... थैंक्स . असल में मैं, आपसे माफी चाहूँगा ..मैंने गलती से आपको फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दी थी उस दिन .

सागरिका : माफी ? कोई बात नहीं ...क्या पता भविष्य में हम अच्छे दोस्त बन जाएं.

राहुल : हो सकता है .. आप क्या करती हैं?

सागरिका : अच्छा चलो ..सबसे पहले मैं अपना परिचय आपको देती हूँ .


और दोनों में बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ा और बढ़्ता चला गया .

सागरिका-   सरल स्वभाव , दूसरों पर आसानी से विश्वास करने वाली , कभी - कभी कठोर , पाक कला प्रवीण , बी.एड की विधिवत शिक्षा ग्रहण करने वाली , बिहार की मूल निवासिनी और दिल्ली में रहने वाली , एक सुंदर युवती थी .

राहुल और सागरिका , फेसबुक के माध्यम से ही अच्छे दोस्त बनते जा रहे थे. दोनों एक दूसरे से घंटों ढेर सारी बाते करते. एक दूसरे की परेशानियों को समझते व उसका हल निकालते ..वे निस्वार्थ भाव से एक दूसरे से जुड़े हुए थे .

एक बेहतर जॉब की तलाश में राहुल और उसके साथी एक फ्रॉड कंसलटेंसी फर्म के चक्कर में फँस कर एक लाख रुपए गँवा बैठे. राहुल इस घटना को भुला नहीं पा रहा था .. वह इसके लिए स्वयं को ज़िम्मेदार ठहरा रहा था . राहुल ने सागरिका को भी इस घटना से अवगत कराया ... वह काफी उदास था पर सागरिका ने एक अच्छे  दोस्त की तरह  , उसका ढांढस बढ़ाया और कहा अरे यार ! जो गलत होना था ...पहले हो गया , हमेशा ये याद रखना कि जब भी कुछ बुरा हो तो इसका मतलब ये नहीं कि तुम्हारा भाग्य खराब है .... बल्कि इसका मतलब ये है कि भगवान ने इससे भी ज्यादा अच्छा कुछ तुम्हारे लिए सोच रखा है.  समझे मिस्टर बुद्धू !

एक दिन आम चैटिंग के दौरान राहुल ने अचानक सागरिका से प्रश्न किया, "सागरिका क्या तुम्हारा ब्वॉय फ्रेंड ( पुरुष मित्र ) है ? " ........ सागरिका राहुल की बात पर हँसी और उससे कहा कि अभी  3  महीनों से हम दोस्त बने हुए हैं, तुम्हें एकदम से ये प्रश्न कहाँ से याद आ गया .

राहुल ने कहा , "बस अब आ गया है तो बता भी दो प्लीज़ ."............... सागरिका ने कहा , " ठीक है .. माफ करना आज तक तुम्हें बताया नहीं पर हाँ , मेरा ब्वॉय फ्रेंड है और उसका नाम है आशीष ."

राहुल : ये देखो ! मैंने कहा था न कि तुम  हमेशा मुझसे बाते छिपाती हो क्योंकि आज भी तुम मुझे अपने विश्वसनीय दोस्तों की श्रेणी में नहीं देखती हो .

सागरिका : नहीं यार ! बस तुमने पूछा नहीं , मैंने बताया नहीं .

राहुल : ठीक है यार ! गुस्सा मत करो . मैं सिर्फ मज़ाक ही कर रहा था .

और राहुल ने बातचीत का विषय बदल दिया .

राहुल : हे सागरिका ! अगर हम अच्छे दोस्त हैं तो क्या हमें एक दूसरे की आवाज़ नहीं सुननी चाहिये . इसके लिए क्या करें?

सागरिका : रुको ! मैं अभी तुमसे बात करती हूँ  .

2 मिनट बाद राहुल का मोबाइल बजा , राहुल के फोन रिसीव करते ही , वो मधुर आवा़ज़ ..." हेलो राहुल !!!!! "

हे प्रभू ! क्या आवाज़ है ...कितनी मधुरता ..कितनी मिठास ...मानो ईश्वर साक्षात फूल बरसा रहे हों..... रहुल मन ही मन प्रसन्नता से गुदगुदाए जा रहा था . राहुल ने स्वयं को संभालाते हुए सागरिका की बातों का जवाब देना शुरु किया . यह चंद पलों की बातचीत सागरिका व राहुल की परोक्ष बातचीत की शुरुआत थी .

राहुल, सागरिका की आवाज़ की मिठास में मानो खो सा गया था . उस वक़्त उसे सागरिका की मीठी बोली के अलावा कुछ और सुनाई नहीं दे रहा था.

काफी दिन बीत दोनों को एक दूसरे के मैसेज का इंतज़ार रहता . मौका मिलते ही दोनों एक दूसरे से बातचीत में लगे रहते . वे भावनात्मक स्तर पर पूर्णतया एक दूसरे से जुड़ गए थे . सागरिका राहुल को और राहुल सागरिका के सुख- दुख को इतना अच्छे से समझने लगे थे कि कौन सा दुख किसका है या कौन सा सुख किसका है , इसमें कोई अंतर ही न रह गया था .


एक दिन राहुल ने सागरिका को फेसबुक पर मैसेज किया . आज सागरिका कुछ उदास लग रही थी. राहुल के बार- बार पूछ्ने पर सागरिका ने राहुल को बताया कि आज वो अपने ब्वॉयफ्रेंड आशीष के साथ एक पार्क गई थी .. सब तरफ बहुत भीड़ थी .....फेमिली , कपल्स, किड्स वगैरह - वगैरह पर कुछ ही देर में वहाँ पुलिस कांसटेबल आ गए और  चिल्लाने लगे कि यहाँ बैठना मना है , उन्होंने औरों पर ध्यान न दिया ......केवल मुझ पर और आशीष पर ही भड़कने लगे . राहुल ने पूछा तो तुम्हारा ब्वॉयफ्रेंड तो तुम्हारे साथ ही था फिर क्या प्रेशानी हुई . सागरिका ने बताया कि पुलिस कांसटेबल ने कहा कि घरवालों को बुलाओ तभी जाने देंगे लेकिन आशीष ने उसे अपनी सोने की चेन देकर मामला रफा- दफा किया . राहुल ने कहा, " लगता है तुम्हारा ब्वॉयफ्रेंड कुछ ज्यादा ही पैसे वाला है . सोने की चेन देने की जगह थोड़ा कन्वेंस भी कर लेता तो शायद वे पुलिस कांसटेबल मान जाते . खैर, अपने आशीष के बारे में कुछ बताओ तो जरा .... मैं भी तो जानूँ कि कौन है वो खुशनसीब जिसे आप मिलीं. "

सागरिका ने बताया कि आशीष एक नामचीन बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करता है , नोएडा में.... पेशे से वह सॉफ्ट्वेयर इंजीनियर है . उसका घर गाज़ियाबाद में है . बड़ा ही नेकदिल बंदा है ..बहुत ख्याल रखता है मेरा ..हम अमूमन मिला करते हैं.

राहुल ने कहा , " बहुत अच्छा !"

सागरिका : पर उसकी एक बात मुझे कतई पसंद नहीं . उसने हमारे रिश्ते को अभी तक सबसे छिपा कर रखा है . मेरे बार - बार दबाव बनाने पर उसने बताया कि घर पर अपनी बहन और भाई को उसने मेरे बारे में बताया है पर जब मैं , कहती हूँ कि बात कराओ तो मेरी बात को टाल देता है . मुझे समझ नहीं आ रहा कि आखिर उसके दिमाग में क्या चल रहा है.

राहुल : अरे यार ! परेशान न हो. उसको थोड़ा समय दो . शायद घर पर कुछ परेशानी हो . इसलिए अभी वो थोड़ा समय चाहता हो . बाकी सब ठीक होगा. थिंक पॉसिटिवली और इतना गुस्सा मत  किया करो . इसलिये मैं, प्यार- व्यार के लफड़ों से दूर ही रहता हूँ... वैसे भी कौन तुम लड़कियों के इतने नखरे झेले .... हा हा हा हा .....

सागरिका : हा हा हा हा .... तुम्हें भी भगवान करे ऐसी की लड़की मिले जिसके नखरे झेलते झेलते तुम थक जाओ .. तथास्तु !

और इस प्रकार दो दोस्तों की दोस्ती दिनों- दिन मजबूत होती चली गई .

6 महीने बीत गए . राहुल और सागरिका दोनों को शीत ऋतु अत्यंत प्रिय थी . अभी तक राहुल और सागरिका प्रत्यक्ष तौर पर एक - दूसरे से कभी नहीं मिले थे . राहुल को किसी कारण वश कुछ समय के लिए पटना वापस जाना पड़ा . काफी दिन बीत गए , सागरिका का काई मैसेज या फोन नहीं आया. अब राहुल को सागरिका की चिंता सताने लगी क्योंकि काफी दिन बीत गए थे और इससे पहले ऐसा कभी न हुआ था. राहुल परेशान था , उसे कुछ समझ न आ रहा था और साथ ही राहुल को सागरिका को फोन करने पर संकोच भी हो रहा था . राहुल इस कश्मकश से जूझ ही रहा था कि अचानक सागरिका का फोन आ गया . राहुल ने तुरंत फोन उठाया और बिना साँस लिए सागरिका के समक्ष प्रश्नों की झड़ी लगा दी . ..... "कहाँ हो , कैसे हो ? तबियत तो ठीक है न ? इतने दिनों से तुमने एक मैसेज करना भी मुनासिब न समझा? " सागरिका ने कहा, " नहीं यार ! कुछ नहीं ..बस .... "

राहुल : क्या बस ? साफ - साफ बताओ .

सागरिका  अचानक रोने लगी . अब राहुल विचलित होकर अपने कमरे के एक छोर से दूसरी छोर तक चलता हुआ परेशान हो गया . सागरिका की रोती हुई लड़्खड़ाती आवाज़ उसे पागल कर रही थी .

सागरिका : मेरी मदद करो राहुल ! आशीष पिछले एक माह से अपने घर गया है और अभी तक उसका न कोई फोन आया न ही कोई मैसेज ..उसने मुझे उसके घर पर फोन करने के लिए सख़्त मना किया है . मुझे बहुत उलझन हो रही है . जाने क्या बात है .... दिल में अजीब - अजीब से ख्याल आ रहे हैं.

राहुल : बस इतनी सी बात ! पागल , आज तो तुम्हारे कारण मुझे हार्ट अटैक ही पड़ जाता . फटाफट अपने प्यारे- दुलारे आशीष का नंबर दो . अभी जनाब को फोन करता हूँ. बस चलेगा तो फोन के भीतर से ही हाथ डाल कर  कान मरोड़ कर जनाब को कहूँगा कि तुमसे तुरंत बात करे .

सागरिका जोर- जोर से हँसने लगी. सागरिका की हँसी  सुन राहुल ने राहत की साँस ली.

राहुल ने आशीष के घर पर फोन करा .

राहुल : हैलो ! क्या मैं आशीष से बात कर सकता हूँ .

उधर से आवाज़ आई ... " रुकिये ! अभी बात कराती हूँ .

आशीष : हाँ जी ! कौन ?

राहुल :  राहुल बोल रहा हूँ , सागरिका का दोस्त .. क्या यार .. क्या आदमी हो तुम . घर पर आराम फरमा रहे हो ..  दिल है भी  शरीर में या नहीं ..सागरिका ने एक माह से तुम्हारे फोन का इंतज़ार कर रो- रो कर बुरा हाल कर लिया है . जरा सी भी शर्म हो तो उसे तुरंत फोन करो .

आशीष : अच्छा ! ठीक है .

राहुल ने सागरिका को फोन पे बताया , " हैलो सैग ! मेरी तुम्हारे प्यारे आशीष से बात हो गई . नथिंग टू वरी .. वो 1 घंटे के अंदर तुम्हें फोन करेगा . सो जस्ट चिल !!

प्यार और दोस्ती !!!!! सागरिका और राहुल ने अपने इस रिश्ते में दोस्ती को अहमियत दी . दोनों ने एक दूसरे से वायदा किया कि हम जीवन पर्यंत एक दूसरे के अच्छे व सच्चे दोस्त बने रहेंगे.


साल बीतते गए सागरिका को आशीष ने धोखा दिया .. अब वह टूट चुकी थी . सब ने सागरिका का साथ छोड़ दिया पर राहुल अभी भी एक मजबूत स्तंभ की तरह सागरिका के साथ था . सागरिका भी राहुल पर अब आँख बंद कर विश्वास करने लगी थी . सागरिका के बुरे समय में राहुल ने उसे संभाला . ज़िंदगी से हताश हो चुकी सागरिका को पुन: ज़िंदगी जीना सिखाया . अब सागरिका राहुल को चाहने लगी थी . उसे यकीं था कि राहुल उसे कभी अकेला नहीं छोड़ेगा .

इत्तेफ़ाक से फेसबुक के ज़रिये बना रिश्ता प्रेम और विश्वास की मजबूत नींव पर खड़ा हो चुका था . पर अभी भी दोनों एक दूसरे से मिले नहीं थे . फोन पर भी न के बराबर वार्तालाप होती......... फेसबुक पर घंटों बेबाकी से बातचीत करने वाले सागरिका और राहुल अचानक फोन पर बात करते वक़्त असहज हो जाते .

आखिरकार वह दिन आ ही गया जब राहुल ने हिम्मत जुटा कर सागरिका को अपने दिल की बात कही वो भी फेसबुक पर . ........ रात के 2 बजे थे ............

राहुल : सागरिका ..मुझे तुम्हें आज ये सच बताना है कि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ . आई लव वी (  i love V ).

सागरिका : मेरे प्यारे से ..... नटखट से भोले भाले ... बुद्धू कम से कम प्रपोज़ करते वक़्त  तो थोड़ा सीरियस रहो ... आई लव वी नहीं आई लव यू .

राहुल ने अपना मैसेज दोबारा पढ़ा और स्वयं की बेवकूफी पर उसे बहुत हँसी आई ......... उसने सागरिका को लिखा , " अरे यार ! नर्वस हो गया था . खैर ! छोड़ो ..... अगर तुम्हें बुरा लगा हो तो मुझे माफ करो . मैं, नहीं चाहता था कि तुम किसी भी तरह से दुखी हो . न ही तुम्हें हर्ट करने का मेरा कोई इरादा था . तुम चुप क्यों हो ..कुछ मैसेज क्यों नहीं करती . सागरिका .. सॉरी प्लीज़ .

सागरिका : ओए बुद्धू ! चिंता मत करो .. वैसे तुम सच कह रहे हो न.. ये मज़ाक तो नहीं क्योंकि तुम जानते हो कि मैं कैसी हूँ और मुझे मज़ाक पसंद नहीं . तो क्या जो तुम कह रहे हो वो वाकई दिल से कहा गया सच है ?

राहुल : हाँ , ये शत प्रतिशत सच है .

सागरिका : राहुल ! आई लव यू टू .


सागरिका का जवाब पढ़ने के बाद राहुल मानों सातवें आसमां पर उड़ने लगा ( और मन ही मन गुनगुनाने लगा ......... आज मैं ऊपर आसमां नीचे , आज मैं आगे .. ज़माना है पीछे . )


राहुल : सागरिका मैं तुमसे बस दो मिनट बात करना चाहता हूँ ... फोन पर अगर तुम बुरा न मानो तो .

सागरिका : करो ..

सुबह के चार बजे राहुल ने सागरिका को फोन किया . सागरिका की शहद में घुली आवाज़ सुन राहुल के पूरे शरीर में कँपन सी होने लगी पर स्वयं पर नियंत्रण करते हुए राहुल सगरिका से बातचीत शुरु करता है और दोनों लगभग 2 मिनट तक मौन हो जाते हैं  ...किसी को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर क्या बात करें.  या कहाँ से बात शुरु करें ..... राहुल ने हिम्मत जुटा के कहा , "सागरिका तुमने जो मैसेज किया था वो मैं तुम्हारे मुँह से सुनना चाहता हूँ ...प्लीज़ ..फिर तुम फोन रख देना ."

2 मिनट का पुन: सन्नाटा .................

राहुल : हैलो सागरिका ! तुम हो वहाँ ?

सागरिका : हाँ राहुल ... मैं हूँ यहाँ और मैं , तुमसे बहुत प्यार करती हूँ .


"ओ मेरे प्रभू !" .......... राहुल तो बस बेहोश होकर जमीं पर गिरने वाला ही था कि सागरिका ने फोन काट दिया . स्वयं को संभालते हुए राहुल ने सागरिका को मैसेज किया ..... शुक्रिया ..शुक्रिया ..... आज बहुत सुकून भरी नींद आएगी और अब तुम भी सो जाओ क्योंकि इससे ज्यादा खुशी एक दिन में मैं , नहीं झेल पाऊँगा.

दोनों में फोन पर बातें होती रहती थीं . राहुल की एक बड़ी कंपनी में बतौर मैनेजर के पद पर नियुक्ति हुई. पर वह कंपनी की किस ब्रांच आफिस को संभालेगा व किस शहर में उसकी नियुक्ति की जाएगी , यह अभी तय न था. मध्य प्रदेश के रीवा शहर में राहुल को आरिएंटेशन पर्पस से जाना पड़ा , जहाँ उसने 15 दिन गुज़ारे.  उसके बाद इलाहाबाद ..फिर बस्ती ......इसी प्रकार काम के सिलसिले में राहुल को एक शहर से दूसरे शहर जाना पड़ रहा था . इसी दौरान सागरिका फोन पर राहुल को मोटिवेट करती रहती. राहुल को भी सागरिका के फोन का हर पल इंतज़ार रहता .


आखिर राहुल दिल्ली वापस आ ही गया पर एक हादसे ने राहुल और सागरिका को हिला दिया . बस के सफर के दौरान राहुल की बस का भयंकर ऎक्सीडेंट हो गया ...ईश्वर की कृ्पा से सभी यात्री सुरक्षित थे . पर राहुल को काफी चोट आई .. उसने यह बात सागरिका को बताई .... सागरिका के पैरों के नीचे से मानो ज़मीन खिसक गई ..वह  अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं कर पायी ... सागरिका का रो - रो कर बुरा हाल था ... अब सागरिका राहुल से मिलने को आतुर थी .

 आखिर वो दिन भी करीब था जब सालों पुराने दोस्त ...बहुत जल्द एक दूसरे के आमने- सामने आने वाले थे.

राहुल , अपनी पसंदीदा नीले रंग की टी- शर्ट , ब्लैक डेनिम जींस , हाथों में लेदर रिस्ट बैंड में किसी राजकुमार से कम न लग रहा था . पर राहुल सागरिका को, मिलने के तय स्थान पर ढूँढ़ पाने मैं असमर्थ था . तभी सागरिका ने राहुल को फोन किया और कहा, " बहुत सुंदर लग रहे हो राहुल और नीला रंग तुम पर बहुत फबता है . राहुल बेचैनी से अपनी नज़रें एक छोर से दूसरे छोर पर दौड़ाने लगा ... सागरिका कहाँ हो तुम ...कहाँ से देख रही हो मुझे ?" ...राहुल ने कहा .

सागरिका : तुम्हारे सामने ही हूँ.

और सगरिका एकाएक राहुल के सामने प्रकट हो गई . दोनों एक दूसरे  के सामने होकर भी बेहद बेचैन थे . राहुल और सागरिका को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वे क्या बात करें. तभी राहुल ने कहा .. " हैलो ! आई एम राहुल " ............ सागरिका ने मुस्कुराते हुए कहा , " हैलो ! आई एम सागरिका "..... और दोनों के बीच हँसते ठिलठिलाते हुए बातचीत का सिलसिला चलता रहा ..... यह पहली मुलाकात एक यादगार मुलाकात थी.

रात का समय था .. अचानक राहुल के पास सागरिका का फोन आता है .

सागरिका : हैलो राहुल ! आज तुम्हारे साथ मेरी पहली मुलाकात बहुत शानदार थी .. वैसे तुमने मुझमें क्या नोटिस किया ?

राहुल : तुम्हारी लंबाई .. कितनी लंबी हो यार तुम .. मेरी लंबाई के हिसाब से परफेक्ट मैच हैं हम दोनों.

सागरिका : बस तुमने मेरी लंबाई ही नोटिस करी ..

राहुल : अरे नहीं ! तुम्हारी आँखें भी बेहद खूबसूरत हैं. कितनी बड़ी- बड़ी आँखें हैं तुम्हारी ......... तुम्हारा पहनावा ... तुम्हारा हेयर स्टाइल और नाक पर तुम्हारा वो प्यारा सा तिल .

सागरिका : हे भगवान ! चलो तुमने मुझमें बहुत कुछ नोटिस किया और  तुमसे मिलकर मुझे बहुत अच्छा लगा . ऐसा लगा कि कोई अपना है मेरे साथ जिस पर मैं , आँख बंद कर भरोसा कर सकती हूँ .... जिससे मुझे कोई डर नहीं .... जो हमेशा मेरे साथ रहेगा ... आज वो शख़्स मेरे साथ है , मेरे पास है . मैं, उस पल को अभी भी याद कर रही हूँ .. जब पहली बार तुमने मेरा हाथ छुआ ..तुमने मेरा हाथ ही नहीं राहुल .... तुमने मेरी आत्मा को छुआ  है .

राहुल के मुख से एक शब्द भी न निकला .. उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो सागरिका की बातों का क्या जवाब दे ........थोड़ी देर बाद राहुल ने सागरिका से कहा कि मैंने भी कभी नहीं सोचा था सागरिका कि मुझे तुमसे इतना प्यार हो जाएगा ..कि हर तरफ तुम ही तुम दिखोगी . . जब से तुमसे मिलकर मैं, वापस आया हूँ बस तुम्हारी ही यादों में खोया हूँ . यहाँ तक की मैं पागलों की तरह तुम्हारी तस्वीर से बातें किए जा रहा था .. तुम्हारे इतने करीब होने का यह अहसास...... . दुनिया का सबसे अच्छा अहसास है . जब तुम मुझसे आज सुबह बात कर रही थी तो मैं तुम्हारी एक - एक अदा का कायल हो रहा था . तुम्हारी वो उलझे लटें ..तुम्हारी मीठी- मीठी बोली ...तुम्हारे प्यारे - प्यारे होंठ ....बस हर जगह तुम ही तुम दिख रही हो सागरिका .

सागरिका : बस करो राहुल ! अब सो जाओ ...शुभ रात्रि .

राहुल : शुभ रात्रि ! सुहाने सपने देखो सागरिका .



नई सुबह , नए सपने न नई आशाओं से भरा . एक नया दिन . आज राहुल को पता चलने वाला था कि उसकी नियुक्ति किस शहर में होने वाली थी. दुर्भाग्यवश राहुल की नियुक्ति उसकी उम्मीद से उलट दिल्ली से दूर एक छोटे से कस्बे बहराइच जो कि लखनऊ से 140 कि.मी.  की दूरी पर है , वहाँ कर दी गई. राहुल का दिल टूट गया . उसे इस बात का बेहद अफसोस था कि अब वो सागरिका से दूर हो जाएगा पर सागरिका ने राहुल को समझाया कि दूरियों से प्यार कम नहीं होता बल्कि एक दूसरे से दूर हो जाने पर तो रिश्ता और मजबूत होता है यदि एक दूसरे पर भरोसा हो तो .

राहुल बहराइच पहुँच गया . उसने अपना कार्य संभाला . वह सागरिका से फोन पर बातचीत करता रहता था. बहराइच बहुत छोटी जगह है ...रात के 9 बजे तक सभी दुकाने भी बंद हो जाती है. अत: राहुल पहले दिन से ही उस जगह में एडजस्ट हो पाने में असमर्थ महसूस कर रहा था . पर पहली नौकरी थी . अत: राहुल इस नौकरी के ज़रिये अपनी काबिलियत को हर हाल में साबित करना चाहता था ... .. दिन बीतते गए . सागरिका का एम. एड पूरा हो गया . राहुल सागरिका को दिन- रात इंटरव्यू की तैयारी करने में मदद करता . वे दोनों फोन पर ही एक दूसरे से सारी बातें सांझा करते . आखिरकार सागरिका और राहुल की मेहनत रंग लाई और सागरिका बतौर टीचर एक नामचीन विद्यालय में पढ़ाने लगी. सागरिका ने अपने घर पर अपनी माँ को राहुल के बारे में बता रखा था . सागरिका की माँ को राहुल पसंद था . सागरिका के पिता आर्मी में अफसर थे और काफी सख़्त मिजाज़ के थे . राहुल सागरिका के करियर को नई ऊँचाईयों तक पहुँचाने के लिए उसकी यथासंभव मदद करता रहता और बराबर से संघर्षरत रहता .


इसी बीच अचानक सागरिका के पिता ने उसकी शादी की बात शुरु कर दी . इधर सागरिका की भी तबियत कुछ खराब रहने लगी . उसके शरीर का भार भी बढ़्ने लगा . हालांकि धीरे- धीरे उसने 10 कि. ग्रा. वजन कम कर लिया . राहुल इस बात से बहुत खुश था कि सागरिका अपनी ज़िंदगी में खुश है .

अचानक किसी कारणवश सागरिका को वापस बिहार जाना पड़ा.  अब वह अपने माता- पिता के साथ रहने लगी . वहाँ जाकर सागरिका और राहुल के बीच बातचीत व मुलाकात का सिलसिला मानो थम सा गया . इस दौरान सागरिका कभी- कभी राहुल से बहुत कठोरता से बात करने लगती . राहुल को उसके बर्ताव में आए इस चिढ़चिढ़ेपन की वजह समझ नहीं आ रही थी . पर फिर भी वह उसे हर पल खुश रखने की कोशिश करता .

खैर !  राहुल और सागरिका का रिश्ता वापस पुन:  मजबूत व सुदृ्ढ़ हो चुका था . वे अपनी ज़िंदगी से खुश थे. इस बीच सागरिका ने अपनी माँसी से राहुल की बात करायी . यह पहला अवसर था जब राहुल ने सागरिका के घर के किसी सदस्य से बात चीत करी हो .

हमारे समाज में शादी- ब्याह के विषय में सबसे पहले जिस मुद्दे पर गौर फरमाया जाता है , वह मुद्दा है जाति का अर्थात कास्ट .

सागरिका एक बहुत उच्चजाति से थी .वह राजपूत घराने से थी और राहुल दूसरी जाति से ( ओ.बी.सी ) था . और दोनों  की शादी में यदि कोई अड़चन हो सकती थी तो शायद यही थी . राहुल ने सागरिका से पहले ही कह दिया था कि वो अपने परिवार के साथ आएगा और सागरिका के पिता से उसका हाथ माँगेगा . फिर भी यदि सागरिका के पिता को यह रिश्ता नामंजूर हुआ तो हम सदैव अच्छे दोस्त बने रहेंगे .वैसे राहुल को पूरा भरोसा था कि इन दोनों को ऐसी किसी परेशानी का सामना करना नहीं पड़ेगा क्योंकि राहुल भी एक खानदानी परिवार से ताल्लुक रखता था . उसके पिता कमिश्नर  के पद पर कार्यरत थे . अत: उसे यकीन था कि सागरिका के पिता और उसके परिवार वाले राहुल की भावनाओं का मान रखेंगे.

समय बीतता गया ..धीरे- धीरे कार्य भार के चलते दोनों के बीच बात- चीत कम हो गई थी. जनवरी माह के अंत में राहुल सागरिका से मिलने गया . दोनों इतने समय के बाद एक दूसरे से मिलकर बेहद खुश थे . पर इस बार सागरिका से मिलकर राहुल को कुछ अजीब महसूस हो रहा था . मानो उसके और सागरिका के बीच एक पारदर्शी दीवार खड़ी हो गई हो.

उसी रात , राहुल के पास सागरिका का फोन आया ....... और  इस फोन ने राहुल और सागरिका की ज़िंदगी बदल दी .

सागरिका जोर- जोर से रो रही थी ...

राहुल : ओए ! क्या हुआ ! पापा से लड़ाई हुई क्या या किसी ने कुछ कह दिया .

सागरिका :  राहुल मुझे माफ कर दो ..मेरी शादी तय हो गई . तुमसे मिलने के बाद जैसे ही घर पहुँची तो देखा घर पर लड़का आया है  मुझे देखने  . मुझे कुछ समझ न आया और मैंने उसे हाँ कह दिया .

राहुल : उल्लू मत बनाओ मुझे ..प्लीज़ ऐसा मज़ाक मत करो . पहले भी तुम ऐसे ही मुझे परेशान करती थी . पर अब मैं तुम्हारी बातों में नहीं फँसने वाला .

सागरिका : राहुल तुम्हारी कसम . यह सच है . मेरी शादी तय हो गई है और मैंने भी हाँ कर दी है.

राहुल का शरीर बर्फ की भांति ठंडा पड़ चुका था . वह स्तब्ध  था . उसके हाथों से मोबाइल छूट पड़ा और आँखों से अश्रुओं की गंगा बहने लगी . वह ज़मीन पर घुटनों के बल स्तब्ध होकर बैठ गया . उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या हुआ है उसके साथ . अभी कुछ देर पहले जिस लड़की के साथ वो अपने भविष्य के सुनहरे सपने संजो रहा था ...उसी लड़की ने एक पल में ही उन सारे सपनों के चीथड़े उड़ा दिये.


खुद को संभालते हुए राहुल ने कपकपाते हुए हाथों से पुन: सागरिका को फोन किया पर सागरिका ने उसके फोन का जवाब नहीं दिया . राहुल पागलों की तरह फूट- फूट कर रोने लगा . वह स्वयं को संभाल नहीं पा रहा था . वह अकेले था . अत: आसपास भी कोई न था जो उसके सिर पर हाथ तक रख पाए. देर रात सागरिका का पुन: फोन आया . राहुल ने तुरंत फोन उठाया , उसने सागरिका से पुन:  पूछा कि " सागरिका ये क्या कह रही हो तुम? ये सब क्या है?"

सागरिका : राहुल मेरे पापा को लड़का बहुत अच्छा लगा और मैं अपने पापा को मना नहीं कर सकती  और मैंने पहले ही तुमसे कह दिया था कि अगर घरवालों को हमारे रिश्ते से परेशानी हुई तो हम अपने रिश्ते का अंत कर देंगे .

राहुल सागरिका से बहुत कुछ कहना चाहता था पर उसके शरीर, दिल व दिमाग ने उसका साथ छोड़ दिया ... वह अपने दिल की बातों को अपने दिल में ही दफन कर रात भर फबक- फबक कर रोता रहा.... घुटता रहा.  राहुल बार- बार सोचता रहा कि राहुल ने सागरिका के बारे में अपने परिवार को पहले ही सब कुछ बता दिया था और राहुल के घरवाले इस रिश्ते के लिए राज़ी भी थे . बस इंतज़ार था तो सागरिका का कि कब वो अपने घर वालों को उनके रिश्ते के बारे में बताएगी.

पर सागरिका ने अपने घरवालों से कभी राहुल के बारे में और उसके और अपने रिश्ते के बारे साफ- साफ बात नहीं करी . सागरिका चाहती तो एक बार वो अपने माँ- बाप को साफ- सास उनके रिश्ते के बारे में बताती ..फिर यदि उन्हें यह रिश्ता नामंजूर होता तो राहुल को इतनी तकलीफ न होती. क्या सागरिका के लिए अपने प्यार को पाने की कोशिश करना इतना कठिन था ?

राहुल बिल्कुल टूट चुका था . वह अपने आप को बिल्कुल अकेला महसूस कर रहा था . उसे लग रहा था कि उसकी ज़िंदगी में सब कुछ खत्म हो चुका है . उसे अपने आप से घृ्णा हो रही थी . वह दिन - रात रोता रहता .....न खाने- पीने का होश ...न दुनिया दारी की फिक्र .....वह दिनों- दिन अपने आप में सिमटता- खोता जा रहा था . और हर वक़्त स्वयं को कोसता रहता ..घुटता रहता .

एक दिन राहुल ज़िंदगी से इस कदर हताश हो गया कि उसने आत्मघात करने की कोशिश तक कर डाली. अचानक उसकी आँखों के सामने उसे अपनी माँ का चेहरा दिखाई दिया . उसके पिता और उसकी बहन का वो खिलखिलाता चेहरा उसकी नज़रों के सामने घूमने लगा ...... जब वह एम.बी.ए. की पढा़ई संपूर्ण  कर वापस अपने परिवार के पास गया था ... माँ की आँखों में तो आंसू झलक गए थे. और पापा की छाती तो गर्व से फूली जा रही थी . उन्होंने जोर से राहुल को गले से लगा लिया था और बहन ने तो अपने हाथों से बनाए राहुल के पसंदीदा रसगुल्ले उसके मुँह में एक के बाद एक ठूँस दिए थे.

अचानक राहुल अपने ही आप में खिलखिलाने लगा . उसके हाथों की नस पर रखा चाकू एकाएक उसने जोर से दूसरी ओर फेंक दिया . स्वयं को संभाला . ये क्या करने जा रहा था मैं..... मेरे यह करने  से मेरे परिवार का क्या होगा ..सागरिका ने एक पल में मुझे खुद से दूर कर दिया ...मैं उस लड़की के लिए खुद को खत्म कर दूँ ..... नहीं ! मैं, जियूँगा , अपने परिवार के लिए जियूँगा और सागरिका की यादों को अपने दिलो- दिमाग से मिटा दूँगा ."

पर कहा जाता है न कि कथनी और करनी में बहुत अंतर होता है . राहुल चाहकर भी सागरिका के लिए अपने प्यार को भुला नहीं पा रहा था . अचानक एक दिन राहुल के पास  सागरिका का फोन आया.

सागरिका : कैसे हो राहुल ?

राहुल : ठीक हूँ . अभी व्यस्त हूँ काम में .... बाद में फोन करता हूँ.

सागरिका : तू मुझसे नाराज़ है ?

राहुल  : मैं कौन होता हूँ नाराज़ होने वाला . मैंने अब तुम पर से सारे हक खो दिए हैं. तुम्हें तुम्हारी नई ज़िंदगी के लिए शुभकामनाएं ... आगे बढ़ ..पीछे मुड़ कर अब कभी न देखना सागरिका. अपना ख्याल रखना और प्लीज़ अब आगे से फिर कभी मुझे फोन मत करना .

सागरिका  ( रोते हुए ) : प्लीज़ राहुल ... ऐसा मत कहो . हमने वादा किया था कि हम हमेशा अच्छे दोस्त रहेंगे और साथ रहेंगे .

राहुल : सही कह रही हो ..पर मुझे थोड़ा समय चाहिये .. कृ्प्या कर अपनी शादी पर ध्यान दो और मुझे काम करने दो .

राहुल ने सागरिका से यह कहते हुए फोन काट दिया .

जब किसी इंसान के साथ ऐसा कुछ हो जाए जो उसने कभी न सोचा हो तो उस वक़्त ज़िंदगी मानो थम सी जाती है .. जैसे ज़िंदगी में कुछ बचा ही नहीं . वक़्त की चोट भी बहुत खतरनाक होती है , इंसान को कभी- कभी ले डूबती है पर राहुल ने खुद को संभालने का भरकस प्रयास किया . वह अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ना चाहता था ....पर उसकी ज़िंदगी का अकेलापन , उसकी तन्हाई उसे दिनों- दिन गलाए जा रही थी. दिन भर आफिस के काम में खुद को व्यस्त रखता पर जब घर पर अकेले होता तो अपने ही आप से बाते करता ..खुद को कोसता रहता.

राहुल खुद को संभालने की जितनी बार कोशिश करता , बार- बार सागरिका का फोन कॉल उसे विचलित कर देता . आखिरकार एक बार राहुल ने सागरिका से पुन: बात करी. तब सागरिका ने राहुल को बताया कि जब वह उससे आखिरी बार मिली थी , उससे पहले से उसकी शादी की बात चल रही थी पर यह बात वह राहुल को बता न पाई. इतना ही नहीं सागरिका और उसके होने वाले पति की बातचीत भी हो चुकी थी . यह सब सुन राहुल क्रोध की अग्नि में जल उठा . उसने सागरिका से कहा, " तुम सब कुछ पहले से जानती थी फिर भी तुमने मुझसे यह बात छिपाई ." ........  अगर सागरिका राहुल को यह सारा मामला उसी समय पर बता देती तो शायद वो कुछ कर पाता . सागरिका की बातों से साफ हो गया था कि शायद वो खुद ही नहीं चाहती थी कि राहुल और सागरिका का रिश्ता अपने जायज़ मुकाम पर पहुँच सके.

अब राहुल शीशे की तरफ बिखर कर टूट चुका था. सागरिका राहुल को उसकी शादी की तारीख भी मैसेज करती है.

राहुल, एक दर्द से खुद को उबार नहीं पाता कि दूसरा दर्द उसके दिल के दरवाज़े पर दस्तक सा देता रहता था . सागरिका की शादी का दिन भी आ ही गया . एक ओर आतिशबाजियाँ , खुशियाँ, खिलखिलाहट , साज- श्रृंगार , बधाईयाँ व शुभकामनाएं , सागरिका की झोली में . वहीं दूसरी ओर निराशा, उदासी , ग़म , हताशा , बेरुखी, मातम, घुटन  व तड़प , राहुल की झोली में.

राहुल बिल्कुल अकेला था . उसे सहारा देने के लिए कोई उसके आसपास न था . बिल्कुल तन्हा. राहुल अपनी मानसिक स्थिति चाहकर भी संभाल नहीं पा रहा था . प्यार मैं धोखा , दर्द  उससे बर्दाश्त न हो पा रहा था . वह घुटन की घुटन में तड़प रहा था . ..... जिससे निजात पाने के लिए उसने शराब का सहारा लिया . वह बर्बादी की ओर बढ़ते अपने कदमों को रोक न पा रहा था . अपने ही फ्लैट में एक जगह से दूसरी जगह भागता , ठोकर खाकर गिर जाता , चीखता - चिल्लाता , "बधाई हो सागरिका ,  बधाई सागरिका " कह - कह कर फूट - फूट कर रोता रहा , चीखता रहा , तड़पता रहा . अपने हाथों से अपने बालों को नोचता तो कभी खुद को आईने में देख घृ्णित महसूस करता . वह बिल्कुल टूट कर बिखर गया था ...अखिरकार थक -हार कर राहुल कमरे के एक कोने में ज़मीन पर ही दीवार से टेक लगाकर ही सो गया .

धीरे- धीरे राहुल की तबियत दिनों- दिन बिगड़ती जा रही थी .जिसके कारण उसे अस्पताल भर्ती कराया गया . जहाँ उसको दो महीने बिताने पड़े . राहुल के माता- पिता को जैसे ही इन बातों की खबर मिली , वे फौरन राहुल को अपने घर वापस ले आए. राहुल के माता- पिता अपने लाडले बेटे की यह हालत देख सिहर उठे. बहन ने तो रो- रो कर बुरा हाल कर लिया . किसी तरह राहुल के बारे में सागरिका को मालूम पड़ा और उसने राहुल को फोन किया . सागरिका ने राहुल से मात्र पाँच मिनट बात करने के बाद फोन काट दिया . यह एक बेहद असंवेदनशील .... साफ तौर पर दिखावटी बातचीत थी . राहुल आश्चर्यचकित था कि इस लड़की के कारण उसने स्वयं को बर्बाद कर डाला .. आज उसकी इस हालत की ज़िम्मेदार भी सागरिका ही है पर सजा किसको मिली ...सिर्फ और सिर्फ राहुल को.

राहुल गहरी सोच में था ... क्या वाकई इसी सागरिका से उसने इतनी मोहब्बत करी थी... क्या वाकई सागरिका को कभी राहुल की फिक्र भी थी.....जो आज राहुल की इतनी खराब हालत होने पर उसे कोई परवाह तक नहीं . वो भीतर ही भीतर अपनी हालत पर हँस रहा था  . नि: संदेह यह हँसी उसकी घुटन थी....... गहरी साँस लेकर राहुल ने  अपनी  आँखे बंद कर लीं .. पर फिर भी  सागरिका की यादें अश्रु बन  उसकी आँखों से बहे जा रहीं थीं.



ठीक होने  के बाद राहुल  अपने काम पर वापस चला गया . सागरिका अभी भी उसे फोन करती रहती थी  और अपने पति व ससुराल की बातें बताती रहती थी . राहुल न चाहते हुए भी अभी भी उसकी बातों के जादू से बंधा हुआ था . सागरिका की शादी को एक वर्ष बीत गया और राहुल ने अपनी पुरानी जॉब से इस्तीफा देकर दूसरी कंपनी ज्वाइन कर ली . यह एक समाज सेवी संस्था थी जो बाल शोषण व कल्याण के लिए आवाज़ उठाती थी . वहाँ राहुल ने ज़िंदगी को नए तरीके से जीने की शुरुआत करी. उसने स्वयं यह प्रण लिया  कि अब वह सागरिका से सारे संबंध तोड़ देगा और अपने नव जीवन के सवेरे में अतीत के काले अंधेरों को शामिल नहीं होने देगा . सागरिका को जैसे ही पता चला कि राहुल वापस दिल्ली आ गया है ... वह बार- बार फोन कर उससे मिलने की अपनी अधीरता व आतुरता को उसके समक्ष प्रकट करती रहती थी. पर इस बार राहुल ने सागरिका को साफ मना कर दिया और सागरिका के साथ जुड़े सभी संपर्क सूत्रों को भी नष्ट कर दिया ..............

अब राहुल निकल पड़ा था  एक नव जीवन पथ पर जहाँ उसने अपनी ज़िंदगी को औरों की सेवा के लिए समर्पित कर दिया . प्यार जैसे शब्द से उसका विश्वास उठ गया था पर छोटे- छोटे मासूम बच्चों की ज़िंदगी सवार कर , औरों के लिए ज़िंदगी जी कर राहुल को यह विश्वास हो गया कि सागरिका , उसके जीवन का कड़वा सच थी , एक कड़वा समय जो बीत गया है....सागरिका को प्रेम का पर्याय नहीं माना जा सकता ... राहुल सोचता है ... "तो क्या हुआ जो मैं, अपने पहले प्यार में असफल हुआ था या मेरे प्यार ने मुझे धोखा दिया...... ज़िंदगी मुझे पुन:  प्यार करना सिखाएगी और यूँ ही जीवन पथ पर एक दिन वो मुझे जरुर मिलेगी जो मुझे दिलो जाँ से भी ज्यादा प्रेम करेगी और मैं भी उससे प्रेम करुँगा .... एक न एक दिन मुझे जरुर मिलेगा मेरा सच्चा 'प्यार '.


- कुमार प्रतीक







एम. बी. ए. डिग्री होल्डर ' प्रतीक ' की ज़िंदगी अधिकतर कॉर्परट (Corporate ) जगत के इर्द- गिर्द ही घूमती रहती है. फिर भी इस भाग- दौड़ भरी ज़िंदगी में भी उन्होंने अपने लेखन के शौक़ को पंख दिए हैं. इनकी रचनाएं ज़िंदगी की सत्यता, तन्हाई व श्रृंगार रस पर केन्द्रित हैं.










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'Swapnil Saundarya Label' is a collaborative effort between Rishabh Shukla ( Rishabh Interiors & Arts )  and Swapnil Shukla  ( Swapnil Jewels & Arts ) . We feel that life is all about good living . That is why our label has unique products at great value . Swapnil Saundarya Label is great at having unusual aesthetic design sensibility which is reflected in our products ranging from Jewellery , Clothes , Accessories, Furnishings, Furniture, Interior Products , Knick Knacks, Paintings , Paraphernalias to Lifestyle Books .

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आपके पत्र

आपके पत्र ..... आपका नज़रिया :




* आपकी ई- पत्रिका का पिछला अंक लाजवाब था . महान शिल्पी अमृ्ता शेरगिल की जीवनी अत्यंत रोचक लगी .
पत्रिका की विषय - वस्तु व प्रारुपण अत्यधिक सुंदर है .. जस नाम तस गुण . बधाई

- विद्युत शर्मा
( आगरा )


* आदरणीय संपादक महोदय ,

पत्रिका का नवीनतम फारमेट अत्यधिक सुलभ व मनोहर लगा. वर्ष दो के सभी अंक बेमिसाल लगे. अतुल्य सुंदरता का पिटारा है स्वप्निल सौंदर्य ई- पत्रिका .
संपादकीय में आप के द्वारा लिखित लघु कहानी ने अत्यंत भावविभोर कर दिया साथ ही झकझोर कर भी रख दिया .
प्रेरणादायी व सुंदरता के सही मायनों को प्रकाशित करती एक अनमोल पत्रिका .

शुभकामनायें.

- निहारिका जैन.
( दिल्ली )


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