Swapnil Saundarya e-zine # Vol -02 , Issue -04, Jan- Feb 2015

Swapnil Saundarya e-zine # Vol -02 , Issue -04, Jan- Feb 2015

| |    स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन  # Vol -02 , Issue -04, Jan - Feb 2015   | |


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स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन - परिचय


कला , साहित्य,  फ़ैशन, लाइफस्टाइल व सौंदर्य को समर्पित भारत की पहली हिन्दी द्वि-मासिक पत्रिका के दूसरे चरण अर्थात द्वितीय वर्ष में आप सभी का स्वागत है .

फ़ैशन व लाइफस्टाइल  से जुड़ी हर वो बात जो है हम सभी के लिये खास, पहुँचेगी आप तक , हर पल , हर वक़्त, जब तक स्वप्निल सौंदर्य के साथ हैं आप.

प्रथम वर्ष की सफलता और आप सभी पाठकों के अपार प्रेम व प्रोत्साहन  के बाद अब स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन  के द्वितीय वर्ष को एक नए रंग - रुप व फ्लेवर  के साथ प्रस्तुत किया जा रहा है  ताकि आप  अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया बनाते रहें. सुंदर सपने देखते रहें और अपने हर सपने को साकार करते रहें .तो जुड़े रहिये 'स्वप्निल सौंदर्य' ब्लॉग व ई-ज़ीन  के साथ .

और ..............

बनायें अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया .



Launched in June 2013, Swapnil Saundarya ezine has been the first exclusive lifestyle ezine from India available in Hindi language ( Except Guest Articles ) updated bi- monthly . We at Swapnil Saundarya ezine , endeavor to keep our readership in touch with all the areas of fashion , Beauty, Health and Fitness mantras, home decor, history recalls, Literature, Lifestyle, Society, Religion and many more.

Swapnil Saundarya ezine encourages its readership to make their life just like their Dream World .


Swapnil Saundarya e-zine's Volume - 01  ( 2013 - 2014 )

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Founder - Editor  ( संस्थापक - संपादक ) :  Rishabh Shukla  ऋषभ शुक्ला

Managing Editor (कार्यकारी संपादक) :  Suman Tripathi (सुमन त्रिपाठी)

Chief  Writer (मुख्य लेखिका ) :  Swapnil Shukla (स्वप्निल शुक्ला)

Art Director ( कला निदेशक) : Amit Chauhan  (अमित चौहान)

Marketing Head ( मार्केटिंग प्रमुख ) : Vipul Bajpai     (विपुल बाजपई)


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'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' में पूर्णतया मौलिक, अप्रकाशित लेखों को ही कॉपीराइट बेस पर स्वीकार किया जाता है . किसी भी बेनाम लेख/ योगदान पर हमारी कोई ज़िम्मेदारी नहीं होगी . जब तक कि खासतौर से कोई निर्देश न दिया गया हो , सभी फोटोग्राफ्स व चित्र केवल रेखांकित उद्देश्य से ही इस्तेमाल किए जाते हैं . लेख में दिए गए विचार लेखक के अपने हैं , उस पर संपादक की सहमति हो , यह आवश्यक नहीं है. हालांकि संपादक प्रकाशित विवरण को पूरी तरह से जाँच- परख कर ही प्रकाशित करते हैं, फिर भी उसकी शत- प्रतिशत की ज़िम्मेदारी उनकी नहीं है . प्रोड्क्टस , प्रोडक्ट्स से संबंधित जानकारियाँ, फोटोग्राफ्स, चित्र , इलस्ट्रेशन आदि के लिए ' स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता .


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चेतावनी : 'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' में घरेलु नुस्खे, सौंदर्य निखार के लिए टिप्स एवं विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के संबंध में तथ्यपूर्ण जानकारी देने की हमने पूरी सावधानी बरती है . फिर भी पाठकों को चेतावनी दी जाती है कि अपने वैद्य या चिकित्सक आदि की सलाह से औषधि लें , क्योंकि बच्चों , बड़ों और कमज़ोर व्यक्तियों की शारीरिक शक्ति अलग अलग होती है , जिससे दवा की मात्रा क्षमता के अनुसार निर्धारित करना जरुरी है. 









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संपादकीय


प्रिय पाठकों .......
आप सभी को नमस्ते !

स्वप्निल सौंदर्य ई- ज़ीन के द्वितीय वर्ष के चतुर्थ अंक में आप सभी का स्वागत है . महत्त्वकांक्षा वो होती है जो इंसान के दिमाग को दबोच कर बैठ जाती है और सपना वो होता है जो इंसान के दिल को हर पल दबोचता है . अक्सर लोगों को कहते सुना है कि  " बरसों के कठिन परिश्रम के बाद मैंने अपने सपने को पूर्ण कर दिखाया " ..... बहुत खुशनुमा अहसास होता है अपने स्वप्न को यथार्थ बनते देखना, उसे महसूस करना , अत्यंत आत्मसंतुष्टि की अनुभूति प्रदान करता है , यह अहसास ...... पर कुछ मूर्खों के सपने भी दूसरों के सपने पूरा होते देख बदलने लग जाते हैं .




बचपन में एक अबोध मानसिकता के बच्चे से पूछा गया, " बेटा ! बड़े होकर क्या बनोगे ??? " .... बच्चे ने तोतली भाषा में बोला , " चित्रकार " ......  लोग आश्चर्यचकित हो गए ... "अरे ! इतनी कम आयु के बच्चे को चित्रकारी के बारे में कहाँ से पता चला ????  इनके परिवार में तो दूर-दूर तक कोई कला जगत से संबंधित नहीं  है.".. .. बच्चे के माँ - बाप ने हँसते हुए कहा,  "अरे! हमें तो सीधी रेखा भी खींचनी नहीं आती .... देखते हैं क्या होता है भविष्य में " .... ....बच्चा बड़ा होने लगा ..... और उसकी चित्रकला का ऎश्वर्य पूरे शहर में फैलने लगा .... सब ने लिखित कह दिया , ये बच्चा बड़े होकर प्रसिद्ध चित्रकार बनेगा .... पर मात्र 14 वर्ष की आयु में दुर्भाग्यवश बच्चे का भयंकर एक्सीडेंट हो गया .... उसका पूरा शरीर लकवाग्रस्त हो गया .....पूरा शरीर पट्टियों से बंधा , कटा - फ़टा , टूटा- फ़ूटा, कमज़ोर....... डाँक्टर ने कहा कि अब वो आजीवन बोल नहीं पाएगा, चल नहीं पाएगा, सुन नहीं पाएगा और ज़िंदगी भर दूसरों पर आश्रित रहेगा और शायद सिर्फ 2 वर्ष का मेहमान है ....शायद हाथ में अभी थोड़ी जान बाकी हो ......... आप लोग इसकी जितनी सेवा कर सकते है, कर लीजिये ... लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता ........ पड़ोस के एक  ईर्ष्यालु दंपति इस बात से  बड़े खुश हुए और उन्होंने अपने बेटे से कहा  कि, " बेटा रास्ता साफ है  , सामने के घर में रहने वाले भविष्य के कलाकार 'कुत्ते'  की मौत मरने वाले हैं .......कुत्ते से बदतर ज़िंदगी है उनकी ... अब तुम्हारा रास्ता साफ है ! जाओ दिखा दो दुनिया को कि तुम हो सच्चे चित्रकार ..... और करो नाम रोशन अपना और हमारा "....... बच्चा भौंहे तान के बोला, "मेरा सपना पूरा हो गया अब मैं बनूँगा कलाकार" !!!!!!!




इधर भयंकर एक्सीडेंट के कष्ट से ग्रस्त बच्चे के माँ- बाप यह सब सुन और देख सन्न रह गए ..... वे विषाद में डूब गए ... खुद को संभालते हुए अपने आँसुओं को पोंछते हुए अपने दुर्भाग्यशाली बच्चे के पास जाने को हुए , तो उनकी आँखे फटी की फटी रह गईं , बच्चे ने मात्र 10 मिनट के अंतराल में अपने शरीर की पट्टियों को लेटे - लेटे लाल- काले रंग के संयोजन से रंग डाला और अपने माँ- बाप से इशारा कर एक जगह पे उनका ध्यान अंकित किया जहाँ रंगों द्वारा लिखा था .. माँ ! मुझे पैरों, ज़ुबान, कान की क्या आवश्यकता जब मेरे पास अभी भी ख्वाबों के पँख हैं , उड़  जाने के लिए........ माँ- बाप की आँखों में जल की बूँदे छलक पड़ीं ....... 2 साल बाद , उस बच्चे की मृ्त्यु हो गई .... दो साल में उसने मात्र 07  पेंटिंग्स पूर्ण करीं जिसमें उसने स्वयं के दर्द को , घुटन को दर्शाया. कैनव़स पर जो आकृ्तियाँ उभरीं , वो उसकी घुटन , कष्ट, दर्दका चित्रण था ..... मात्र 16 वर्ष के " विश्वप्रसिद्ध कलाकार " की मौत का मातम पूरी दुनिया ने बनाया . क्योंकि इन दो सालों में उसने अपनी चित्रकारी का लोहा आखिरकार मनवा ही लिया था . वो किसी पर आश्रित नहीं था बल्कि उसकी उन 07 पेंटिंग्स की आश्रित पूरी दुनिया हो गई , जिनमें ज़िंदगी की सत्यता, संघर्ष , परिश्रम , जुनून और ख्वाबों को पँख दे कर कैसे उड़ा जाता है , यह दर्शाया गया था .... शक्ति , हिम्मत , आत्मविश्वास का समावेश था, उसकी हर कलाकृ्तियों में  ..... वो बच्चा मर कर भी अमर हो गया . उसका ख्वाब,उसका सपना,  उसकी काबिलियत किसी के दिए हुए " चांस " की मोहताज़ नहीं थी . लोग आज भी उस बच्चे के द्वारा लिखे हुए शब्दों को याद कर स्तब्ध रह जाते हैं... वे शब्द थे ::  मैं पैदाइशी कुत्ता था .......मुझे कुत्ते की ज़िंदगी मिली........मुझे कुत्ते की मौत मिली .......मैं पैदाइशी कलाकार हूँ .

पड़ोसी का बच्चा 45 वर्ष का हो गया ...... उनके माँ- बाप इस दुनिया में नहीं रहे ....... और उसे अपनी पहली पेंटिग्स एक्सीबिशन लगाने का मौका मिल गया,  45 वर्ष की आयु में ....और तब वो अपनी डायरी में लिखता है ... बरसों के कड़े परिश्रम , लगन और मेहनत का नतीज़ा है कि आज मुझे मेरा सपना पूरा करने का मौका मिल रहा है ... मैं सफलता के पीछे नहीं भागूँगा बल्कि सीमित कार्य करके , अपनी पेंटिग्स की "क्वालिटी" को दिन- प्रतिदिन बढाऊँगा . मैं बहुत खुश हूँ ! मेरा सपना पूरा हुआ.

उपरोक्त लघु कहानी के बाद शायद अब कुछ और लिखने की आवश्यकता नहीं ...समझदारों को इशारा ही काफी है पर मूर्खों के लिए यह मुहावरा उपयुक्त नहीं. परंतु मूर्खों के साथ भलाई या उनकों सदुपदेश देना भयंकर दोष है क्योंकि मूर्ख उपकार को भी अपकार मानता है. अत: सभी समझदार मानुष अपने ख्वाबों को पूरा करें और मूर्खों को उनका अनुकरण करने के लिए माफ करें ...क्योंकि इसके अलावा और कोई विकल्प भी नहीं ..... अत: अपने सपनों को संजोए, सुंदर सपने देखिये ...उन्हें हक्कीकत के मुकाम तक पहुँचाएं और बनाएं अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया.

आप  सभी को जानकर कर हर्ष होगा कि स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन के इस अंक के साथ हम ' यादों के पन्नों से..... '  नामक एक नव सेगमेंट जोड़ने जा रहे हैं , जिसमें आप पाठकों की खूबसूरत स्मृ्तियों को हम अपनी ई-ज़ीन में सुसज्जित करेंगे और विभिन्न पाठकों के साथ उन्हें बाँट कर , आपकी स्मृ्तियों को अमरत्व प्रदान करने की कोशिश करेंगे . वो स्मृ्तियाँ जिन्होंने  आपकी ज़िंदगी बदल दी हो , आपके जीवन के तजुर्बों की स्मृ्तियाँ ... विरासत रुपी आपके बड़े- बुजर्गों की वो खास बातें जो आज भी आपके जीवन में प्रासंगिक हैं....... उन सुंदर , प्यारी , आशीर्वाद रुपी स्मृ्तियों....यादों को हम तक पहुँचाएँ ........... आशा है आपके प्रेम , टिप्पणियों व सलाहों द्वारा हर पल हमें और बेहतर कार्य करने की प्रेरणा मिलती रहेगी  ..... अंत में आप सभी को  नूतन वर्ष की व प्रेम से भरे प्रेम के पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं ....जुड़े रहिये ' स्वप्निल सौंदर्य ई- ज़ीन ' के साथ ........
और ...............
बनाइये अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया .



स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन के द्वितीय वर्ष के चतुर्थ अंक (  जनवरी- फरवरी 2015 )  में हम जिन विभिन्न पहलुओं व जानकारियों  को सम्मिलित कर रहे हैं वे निम्नवत हैं :

यादों के पन्नों से : दिनांक 21- फरवरी - 1960 में लिखा गया वो पत्र ........
सौंदर्य - बालों की समस्याओं को कहें अलविदा
विशेष : प्रेम से भरा प्रेम का पर्व  - वैलेन्टाइन डे
साहित्य - वो गली
पकवान -  मैक्रोनी - मकई सलाद
फैशन व लाइफ्स्टाइल - हॉट ज्वेलरी ट्रेंड्स
रत्न और आप - नीलम धारण करें , मगर ज़रा ध्यान से
इंटीरियर्स - अपने आशियाना को बनाएं ग्रीन होम
नानी माँ की बातें
कड़वा सच :  गंदा ट्च
शख़्सियत  : श्रीमती अमृ्ता शेरगिल




शुभकामनाओं सहित ,

आपका ,
ऋषभ
 www.rishabhrs.hpage.com




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यादों के पन्नों से :
दिनांक 21- फरवरी - 1960 में लिखा गया वो पत्र ........





यादों के दायरों में महकते ये पल ......
हसरतों के जहाँ में आ मेरे साथ चल.....
बीती हर बात तुझे याद आएगी........
मुहब्बत के आसमां को दिल की ज़मीं मिल जाएगी.

'यादों के पन्नों से' निकल कर आया है यह अनमोल पत्र जिसे हमारी पत्रिका की नियमित पाठिका  ' श्रीमती सदभावना दीक्षित ' ने हमें मेल किया है ....

सदभावना दीक्षित जी लिखती हैं, " स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन से मैं इसके प्रथम वर्ष से जुड़ी हूँ .......इसके एक - एक अंक को प्रिंट्स में निकलवा कर मैंने संजोया है. स्वप्निल सौंदर्य का हर एक लेख मुझे मेरी माँ की बातों की याद दिलाता है ......वे अब इस दुनिया में नहीं रहीं पर उनकी यादें आज भी मेरे हृदय में हैं . हिन्दी साहित्य में वे पी.एच.डी थीं .. फिर भी उन्होंने घर - गृ्हस्थी को तवज्जो दी .. उन्होंने विरासत के रुप में मुझे बहुत से बातें बताईं जो आज भी उनके आशीर्वाद से मेरे जीवन को संवार रही हैं. विवाह के उपरांत गृ्हस्थी की गाड़ी आगे बढ़ाना सरल नहीं ...बहुत से समझौते करने पड़ते हैं .... एक स्त्री पर विवाह और परिवार को सुखदाई बनाने का बोझ अधिक होता है ..समाज को हम स्त्रियों से अपार अपेक्षाएं होती हैं. मेरा विवाह हुआ ...बहुत परेशान थी मैं कि कैसे मैनेज करुँगी सब कुछ ...मेरी इस उलझन को सुलझाने के लिए मेरी माँ ने मुझे यह पत्र सौंपा जो कि साहित्य विशारद श्रीमती सावित्री देवी व एम0 ए0 , एल0 टी0 श्री कन्हैयालाल जी ने शशिकान्ता जी को दिनांक 21- फरवरी - 1960 में, उनके विवाह में दिया था ......उन्होंने जो इसमें लिखा मेरे अनुसार यही सफल वैवाहिक जीवन का सार है . और इसमें लिखी बातें आज के समय में भी कहीं न कहीं प्रासंगिक हैं.
अब इस अनमोल पत्र को 'स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन' को सौंप रही हूँ क्योंकि मेरी नज़र में आज के दौर में स्वप्निल सौंदर्य से अधिक इस पत्र की अहमियत को  और कोई नहीं समझ सकता ."

आभार
- सदभावना दीक्षित

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प्रस्तुत है साहित्य विशारद श्रीमती सावित्री देवी  व  एम0 ए0 , एल0 टी0 श्री कन्हैयालाल जी द्वारा लिखित शशिकान्ता जी को 'दिनांक 21- फरवरी - 1960' में, उनके विवाह के अवसर पर लिखा गया पत्र ::

हमारे अनेक आशीर्वाद
परम सौभाग्यवती प्रिय शशिकान्ता को !
( नव जीवन में प्रथम प्रवेश के शुभ अवसर पर )
' काँटों भरी शाखा को फूल सुंदर बन देते हैं, और गरीब से गरीब , आदमी के घर को एक गुणवती स्त्री सुंदर और स्वर्ग बना देती है ." तुम जिस पति- गृह मैं { अर्थात ससुराल में } प्रवेश पाने जा रही हो , उसका कोना- कोना तुम्हारे शुभागमन पर मुखरित और सजीव हो उठे , पवित्रता और स्वर्गिक आनंद से वह परिपूर्ण हो जाए क्योंकि जीवन में जो कुछ पवित्र  और धार्मिक है , स्त्रियाँ उसकी विशेष संरक्षिकाँए हैं. ध्यान रहे कि पुरुष जहाँ एक प्रेमल साथी , पत्नी चाहता है , वहाँ वह अपने लिए एक शांत , सुव्यवस्थित और सुंदर घर भी चाहता है. यहाँ वह हर ओर शोर- गुल , झगड़े- झँझट नहीं चाहता , यहाँ वह समस्याएँ पैदा करना नहीं चाहता , समस्याओं को हल करने का बल चाहता है. इसलिए अपने पति तथा पतिगृ्ह के अन्य लोगों के लिए एक सुखी, शांत और सुव्यवस्थित घर का निर्माण करना हर स्त्री का पुनीत कर्त्तव्य है.
संसार में तथा जीवन की लंबी यात्रा में एक नारी की जो कुछ करना है , वह पुत्री, बहिन, पत्नी और माता के पावन कर्त्तव्यों के अंतर्गत आ जाता है. जो लड़की इसे समझती है कि उसे समय- समय पर बेटी, बहिन , जीवन -संगिनी, दासी, रंभा- अप्सरा, मंत्री तथा माता सबके पार्ट अदा करने हैं, वही विवाहित जीवन में सफल होती है.हम चाहते हैं कि तुम्हारा दाम्पत्य जीवन सब प्रकार से सुखी और तुम्हारा सुहाग अमर हो . तुम्हारे सुख, सौभाग्य और सफलता के लिए हम सदैव कामना करते हैं.
इस शुभ अवसर पर तुम्हें अगणित सुंदर और अमूल्य वस्तुएँ उपहार - स्वरुप प्राप्त हुई होंगी मगर हम ' दीप- शिखा' नामक चित्रों सहित गीतों का यह संग्रह तुम्हें भेंट करते हैं.तुम इसे सहर्ष स्वीकार करो और सदैव प्रसन्नता के गीत गाती और उज्ज्वल भविष्य के सुंदर - सुंदर चित्र बनाती रहो.

हमारे अनेक आशीर्वाद

सावित्री देवी
साहित्य विशारद
21- 2- 60

कन्हैयालाल
एम्0 ए0, एल्0  टी0.
21- 2- 60





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सौंदर्य :
बालों की समस्याओं को कहें अलविदा ::




बालों का असमय सफ़ेद होना ::

- मेंहदी को चाय के पानी में मिलाकर छह महीनों तक हफ़्ते में एक बार बालों में लगाएं , इससे बालों में चमक बढ़ती है और सफ़ेदी भी दूर होती है.

- बालों में आयल मसाज करें. फिर 2 टीस्पून शिकाकाई पाउडर , आधा - आधा टीस्पून रीठा और आंवला पाउडर को पानी में भिगो लें और  उससे लें.

- 1-1 टीस्पून आंवला, बहेड़ा और हरड़ पाउडर मिलाकर रोज़ाना इस मिश्रण से बाल धोएं.


डैंड्रफ़ ::

- खट्टे दही या मट्ठे से बाल धोएं.

- नारियल तेल में नींबू का रस मिलाकर बालों की जड़ों में लगाएं और 20 मिनट बाद बाल धो लें.

- शिकाकाई , रीठा , बेसन, आंवला और मुलतानी मिट्टी में दही मिलाकर बाल धोने से रुसी  की समस्या से छुटकारा मिलता है.



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विशेष :

प्रेम से भरा प्रेम का पर्व  - वैलेन्टाइन डे ::



फरवरी माह के आते ही मौसम में एक खास तरह की रुमानियत घुल जाती है , हर ओर प्रेम व रोमांस से लैस हवा सी चलने लगती है . ये मौसम का प्रभाव होता है या कुछ और यह कहना मुश्किल है परंतु यह महीना प्रेम के पँछियों के लिए होता है बेहद खास क्योंकि इसी महीने पड़ता है प्यार का दिन यानी वैलेन्टाइन डे.  14 फरवरी , वैलेन्टाइन डे - अर्थात वो दिन जो मुख्यत: प्रेमी जोड़ों के लिए एक त्योहार की तरह होता है.  इस दिन प्रेमी जोड़ों को एक दूसरे को फूल, चॉकलेट, केक व ग्रीटिंग कार्ड आदि देने का प्रचलन है. ये वो खास दिन है जब आप अपने हमसफर से या अपने नज़दीकी से कर सकते हैं अपने प्यार का इज़हार और दिला सकते हैं अपने साथी को इस बात का यकीन कि कितने खास हैं वो , आप के लिए. वेलेन्टाइन डे , एक ऐसा खास दिन है जब किसी मुरझा रहे रिश्ते को दिया जा सकता है एक रोमांचक व खूबसूरत मोड़ या टूट रहे, दरक रहे रिश्ते को पुन: सजाया- सँवारा जा सकता है .



वैसे तो वैलेन्टाइन डे का प्रचलन पाश्चात्य सभ्यता की देन है . परंतु बदलते ज़माने और तेजी से आगे बढ़ने वाले, स्वतंत्र विचारों वाले व अपने दिल की सुनने वाली आज की युवा पीढ़ी ने इस पर्व को दिल से अपनाया है. वैलेन्टाइन डे पर मुख्यत: लाल और गुलाबी रंगों का प्रयोग , गुलाब के फूल व विभिन्न चिन्हों जैसे दिल के आकार की वस्तुएं , डव पक्षी, परों वाला क्यूपिड का अधिकतर उपयोग देखने को मिलता है . पर सबसे बड़ा प्रश्न हर प्रेमी जोड़े के सामने  यह आता है कि इस विशेष दिन पर वो अपने जीवन साथी , अपने हमसफर को ऐसा क्या तोहफा दें जो जीवन भर प्यार की निशानी बन उनके जीवनसाथी का साथ निभाये.

पारंपरिक तौर पर वैलेन्टाइन डे पर अपने हमराही को ग्रीटिंग कार्ड देना तो आवश्यक होता ही है पर उसके साथ ऐसा क्या तोहफा दिया जाए जो आपके साथी के साथ आपके रिश्ते को अटूट बनाए ?



बाज़ारीकरण के दौर में आज बाज़ार में ऐसी बहुत सी चीज़ें उपलब्ध हैं जो लुभावनी तो बहुत होती हैं पर शायद कुछ वर्षों बाद वही लुभावनी वस्तुएं अपनी रंगत खो देती हैं. यदि आपको तलाश है किसी ऐसे नायाब तोहफे की जो जीवन पर्यंत आपके हमराही का हमसफर बना रहे और आपके जीवनसाथी को हर पल आपकी याद दिलाता रहे,  तो विभिन्न ' ट्रेंडी एक्सेसरीज़ ' को हम बेहतरीन विकल्प के रुप में देख सकते हैं .

आज के दौर में हर कोई अपने स्टाइल स्टेटमेंट को लेकर काफी जागरुक रहता है . आज के समय की माँग भी यही है . खासतौर पर युवा पीढ़ी तो फैशन की दौड़ में सबसे आगे रहने को आतुर हैं . खैर, बात यदि वैलेन्टाइन डे पर तोहफे की हो तो आप अपने हमसफर को चंकी ज्वेलरी, एलीगेंट नेकपीस, इयररिंग्स , हूप्स, पर्ल ड्राप , डेलीकेट पेंडेंट्स , फिंगर रिंग्स , ब्रेसलेट्स आदि को तोहफे में देकर अपने हमसफर की खूबसूरती में चार- चाँद लगा सकते हैं.

ट्रेडी एक्सेसरीज़ व खूबसूरत आभूषणों की चमक हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है . व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाने में पहनावा जितना महत्वपूर्ण है, उतनी ही मायने रखती हैं एक्सेसरीज़ . आज के समय के लेटेस्ट ट्रेंड्स की बात करे तो चंकी ब्रेसलेट्स का चलन चरम पर है . यह फ़ैशन का ही असर है कि अब रिस्ट वॉच के बजाए चौड़े ब्रेसलेट को तरजीह दी जाने लगी है . इनमें वैरायटी की कमी नहीं .



अगर आपके साथी को  ड्रेस की मैचिंग की एक्सेसरीज़ पहनना पसंद है तो ब्राइट कलर में प्लास्टिक ब्रेसलेट परफेक्ट रहेंगे. इनके अलावा बीड्स एवं कलरफुल स्टोन्स स्टडेड ब्रेसलेट भी आजकल बेहद पसंद किए जा रहे हैं. यदि आपके साथी को मैटेलिक लुक भाता है तो भी कोई समस्या नहीं , क्योंकि इसमें भी उपलब्ध हैं ब्रेसलेट की ढ़ेरों डिज़ाइन्स .

चूड़ियाँ तो अक्सर पारंपरिक परिधानों के साथ अच्छी लगती हैं, पर ब्रेसलेट के साथ ऐसी कोई सम्स्या नहीं है . स्टाइलिश कट्स और डिज़ाइन्स के ये ब्रेसलेट वेस्टर्न परिधानों के साथ खूब जंचते हैं.

फ़ैशन ज्वेलरी आज युवा पीढ़ी की पहली पसंद हैं . बात चाहे कॉलेज गोइंग युवक - युवतियों की हो या वर्किंग प्रोफेशनल्स की , फ़ैशन ज्वेलरी का क्रेज़ लोगों के सिर चढ़ कर बोलता है. आप अपने साथी को सिंपल वुडन बीड् वर्क की ज्वेलरी या स्टोन्स की सिंपल स्ट्रिंग भी गिफ्ट कर सकते हैं , जो उन्हें एक्टिव व सोफिस्टिकेटेड लुक देंगी.

युवतियाँ अपने साथी को लेदर के डिज़ाइनर रिस्ट बैंड्स एवं चेन विद ज्योमैट्रिकल शेपड जैसे ओवल व रेक्टेंग्यूलर इत्यादि के लॉकेट गिफ्ट कर सकती हैं. ये उन्हें स्टाइलिश लुक देंगे और् उनके व्यक्तित्व को निखारने में सहायक होंगे.

मोती का सेट , सिंपल डायमंड लॉकेट विद चेन या जर्कन के सेट भी कुछ ऐसे विकल्प हैं जो आपके जीवनसाथी के चेहरे में मुस्कान बिखेरेंगे और आपके खूबसूरत रिश्ते के अनेकों खूबसूरत पलों के साक्षी भी बनेंगे.

इसके आलवा वैलेन्टाइन डे के मौके  पर अपने जीवनसाथी को गिफ्ट के तौर पर रत्न जड़ित आभूषण देना  भी बेहतरीन विकल्प है. इस कड़ी में पीयर शेपड रत्न सामान्यत: काफी पसंद किए जाते हैं. इसके अलावा ओवल शेपड, प्रिंसेस व मारकीज़ कट्स, रेडिएन्ट , हार्ट शेप्ड काफी प्रचलित हैं. आप अपने हमसफर को इस मौके पर खूबसूरत रिंग्स देकर भी इस हसीन पल को यादगार बना सकते हैं . गोल व चौड़े बैंड्स वाली रिंग्स, अंडाकार पत्थरों , रत्नों तथा सॉलिटेयर रिंग्स सर्वदा श्रेष्ठ मानी जाती हैं किंतु यदि कुछ डिफरेंट की तलाश है तो डोमनुमा उठे हुए रत्नों से लैस रिंग्स या कॉकटेल रिंग्स का चुनाव करें.

इसके अतिरिक्त  अपने जीवनसाथी के लिए वैलेन्टाइन डे को स्पेशल बनाने हेतु आप उन्हें ज्वेलड क्लच भी गिफ्ट कर सकते हैं . यदि आपके साथी  को फंकी लुक पसंद है तो ज्वेलड बक्कलवाली बेल्ट्स या फिर शिमरी बेल्ट्स भी एक बेहतरीन आप्शन है.

तो फिर देर किस बात की है , जाइये और उपरोक्त विकल्पों के आधार पर एक बढ़िया से तोहफे के ज़रिये अपनी भावनाओं को व्यक्त कीजिये और इस प्यार के दिन का दिल खोल के स्वागत कीजिये. और हाँ यदि आप किसी से प्यार में नहीं हैं तो फिक्र न करें.याद रखें वैलेन्टाइन डे है प्यार का दिन ,इसलिए यह जरुरी नहीं कि यह दिन सिर्फ प्रेमी जोड़ों के लिए ही बना है . अगर आपको है अपने परिवार से प्यार तो आप उनके साथ भी बना सकते हैं यह खूबसूरत प्रेम से भरा प्रेम का पर्व .



- स्वप्निल शुक्ला




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साहित्य :

वो गली ::



उस गली में रहती थीं हर ओर,
सन्नाटे का था न कोई वास्ता , उस गली की ओर .

हम पहुँचे थे उस गली में नई हसरतों को पूरा करने को ,
करना था बहुत कुछ , पाना था बहुत कुछ .

उस गली में हमें न था औरों से कोई गिला,
पर हमें न मिला इस गली से सुकून भरा सिला.

गली में आकर अपनी ही जद्दोज़ेहद से जूझ रहे थे हम ,
पर हमें क्या मालूम था कि इस गली में जहाँ
कुछ आवाज़े सुकून दे जाती हैं
तो इसी गली में कुछ आवाज़े ऐसी पनपती हैं जो
दर्द भरी चीखें कहलाती हैं.

हमें क्या मालूम था हमारी जद्दोज़ेहद ,
ज़िंदगी की कश्मकश को कुछ कमजर्फों ने बना दिया
गली में एक मखौल ,
उड़ रहा था मज़ाक हमारी ही ज़िंदगी का
हमारी ही उलझनों का हर ओर,

ज़िंदगी की जद्दोज़ेहद , ज़िंदगी की कश्मकश से लड़ रहे थे हम
मकाम अपना बनाना था, कुछ वायदे थे खुद से
उन वायदों को निभाना था.

पर वो गली तो थी कमजर्फों और नाकामयाबों की फौज,
फुरसत के क्षणों में ज़िंदगी औरों की हराम करना ही तो थी उनकी मौज.

उनकी हमसे बिन मतलब खामोशी भरी नफरत
कुछ इस कदर बढ़ती गई कि अब नफरत की कोई
हद ही न रह गई.

आखिरकार कब तक सिमटते अपने आप में ही हम
खुद की ही ज़िंदगी की कश्मकश क्या कम थीं जो
इन नकारों को नकारेपन का खेल खेलने देते हम
तो फिर आखिरकार , उठ गईं उँगलियाँ उस हर एक शख़्स पर
जिनको हमसे बिन मतलब का था गिला,
बिन मतलब की नफरत को आखिर दे ही दिया मतलब हमने
शुरु हुआ उँगलियों का खेल ऐसा कि
उँगलियों के उठते ही छा गया सन्नाटा हर ओर

बिन आवाज़ के इस खेल को दी जब हमने आवाज़ तो
छा गया सन्नाटा हर ओर
वो गली की आवाज़ें तब्दील हो गईं चीखों में
वो चीखें थीं घुटन की, चुभन की, दर्द की,
बदकिस्मती की , बेइज़्ज़ती की , बदसलूखियों की,
बेआब्रुही की, तड़प की , तिल- तिल मिलती मौत की.

हमें क्या था, हम तो थे खड़े अपने घर की दूसरी मँज़िल के चौबारे पर
देख रहे थे तमाशा उन नकारों का
डर उन कमजर्फों का .

बुझते दीपक , उनकी ख्वाहिशों के
सिसकती साँसे , घुटती चेतना , बदलते रिश्ते,
उड़ गए परखच्चे , उनकी झूठी शान के
तमाशा तिल- तिल की तड़प का

आवाज़ों की जगह पर मौजूद था सन्नाटा सिर्फ सन्नाटा
आखिर तब दी हमने अपने चौबारे से एक आवाज़
पर हमें क्या था मालूम
हमारी खामोशी की आवाज़ लगा देगी उस गली में ऐसी आग
कि राख हो गई कमजर्फों , नाकामयाबों की शाख
भटक गए रास्ते, भटक गई ज़िंदगी
थम गई रफ्तार , बदल गईं शक्लें , बदलने लगे दल
टूट गई दोस्ती, छूट गई यारी
गले लगी तो बस लगी महामारी .

फुरसत की ज़िंदगी में न रही अब
फुरसत का एक भी पल.
यही था उँगलियों का वो ऐसा खेल कि
उठ गईं उँगलियाँ हर एक शख़्स की हर एक शख़्स के गिरेबां पर
उठ गईं उँगलियाँ हर एक शख़्स की उनकी तरफ
जिनकी आवाज़ उठी थी कभी हमारी तरफ
उठ गया ज़लज़ला उस गली में , इस कदर कि
थम गईं साँसे, आवाज़ों के नाम पर सुनाई देती है सिर्फ सिसकियाँ
सिसकियाँ- दर्द की, घुटन की
सिसकियाँ - बदकिस्मती की , बर्बादी की.



- ऋषभ शुक्ला


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पकवान :

मैक्रोनी - मकई सलाद ::



सामग्री : 

- 100 ग्राम उबले हुए  स्वीट्कॉर्न
- 1 टेबलस्पून उबली हुई  मैक्रोनी
- 1 कप दही ( पानी निकाल लें )
- 1/2     टीस्पून टोबेस्को सॉस ( मार्केट में उपलब्ध )
- 1 टीस्पून शक्कर
- 1/2 टीस्पून कालीमिर्च पाउडर
- 1/2 टीस्पून सरसों पाउडर
- नमक स्वादानुसार
- पार्सले


विधि :   

एक बाउल में सभी चीज़ें डालकर अच्छी तरह से मिक्स कर लें . पार्सले से सजाकर सर्व करें.


- सुमन त्रिपाठी



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फै़शन व लाइफस्टाइल

हॉट ज्वेलरी ट्रेंड्स ::



हॉट ज्वेलरी ट्रेंडस की यदि बात की जाए तो आजकल कॉकटेल रिंग का क्रेज़ लोगों के सिर चढ़ बोल रहा है. फिंगर्स पर बड़ी कलरफुल कॉकटेल रिंग आपको स्टाइलिश लुक देती हैं.इसकी खासियत यह है कि अगर आप डिज़ाइन और शेप का थोड़ा सा ख्याल रखें तो ये लगभग हर तरह की पर्सनेलिटी को सूट करती है. तो आइये इस संदर्भ में जानते हैं कि किस तरह की फिंगर्स पर कौन से शेप और स्टाइल की रंग सूट करेगी.

अगर आपकी फिंगर्स लंबी और पतली हैं तो मारकीज शेप के बड़े स्टोन वाली रंग अवॉइड करें. इससे आपकी फिंगर्स बहुत पतली लगेंगी. ऐसी फिंगर्स पर ओवल और पीयर शेप की जगह राउंड शेप की कॉकटेल रिंग्स ज्यादा सूट करेंगी. अगर आपकी फिंगर्स ज्यादा पतली हैं तो पर्ल और मल्टीपल स्टोन वाली फ्लोरल रिंग सेलेक्ट करें.


शार्ट फिंगर्स के लिए मारकीज शेप स्टोन वाली रिंग सूटेबल है. इससे फिंगर्स पर लंबे होने का इल्यूज़न क्रिएट होगा. राउंड शेप की रिंग अवॉइड करें. ये आपकी फिंगर्स को छोटा दिखाती हैं. छोटी उंगलियों पर बड़ी सी रेक्टैंग्यूलर डिज़ाइन की रिंग काफी खूबसूरत लगती है.

नैरो फिंगर्स पर हार्ट और राउंड शेप की रिंग सूट नहीं करती . चौंड़े बैंड जैसी डिज़ाइन की रिंग से फिंगर्स थोड़ी वाइड लगेंगी. थिक बैंड रिंग पर हॉरिजाइंटल डिज़ाइन का एक बड़ा स्टोन भी सूट करता है साथ ही ये आपको क्लासी लुक देता है.

चौड़ी उंगलियों पर छोटी या क्लस्टर स्टोन रिंग्स ज्यादा सूट करती हैं. रिंग का डिज़ाइन ऐसा हो जिसमें आपकी फिंगर का वाइडर पार्ट शो ना हो. बैंड स्टाइल की रिंग पर एक बड़ा सा राउंड स्टोन आपकी फिंगर्स को सूट करेगा .



इसके अतिरिक्त हॉट ज्वेलरी ट्रेंडस  के अंतर्गत खूबसूरत मोती के आकर्षण को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता हैं. इन दिनों मोती के आभूषण कुछ बदले अंदाज़ में, युवतियों को लुभा रहे हैं. बड़े मोती के ऊपर मढ़े छोटे मोती काफी अलग व खूबसूरत लगते हैं. इन्हें जोड़्कर आप अपनी मन पसंद डिज़ायन की माला भी तैयार कर सकती हैं. ये आपको काफी फैंसी लुक देगी. इस माला में कई रंगों के मोती पिरोने पर आप अपनी विभिन्न रंगों की पोशाक के साथ इसे पहन सकती हैं. वही डबल शेड के आकर्षण से सजे मोती भी बेहद खूबसूरत लगते हैं. बड़ा मोती यदि सफेद रंग का है और उसके ऊपर किसी अन्य रंग के छोटे मोती लगे है तो इससे डबल शेड का आकर्षण उत्पन्न होगा. विभिन्न रंगों के मोती को आप इस डबल शेड के आकर्षण से सजाकर मोती की माला को अपनी खास फ़ैशन एक्सेसरीज़ बना सकती हैं.



विभिन्न त्योहारों के मौंकों  पर अलग - अलग एक्सेसरीज़ और आउटफिट खरीदने से बेहतर है कि कुछ ट्रेंडी पीस खरीदें और इन्हें मिक्स् - एंड- मैच करके हर दिन क्रिएट करें अपना एक अलग स्टाइल . ऐसे में आप अपने नेक के लिए लें मल्टीलेयर्ड चेन जिन्हें एक दिन आप बतौर नेक पीस पहन सकती हैं और चनिया- चोली के साथ इसे साइड वेस्ट बैंड की तरह भी ये काफी खूबसूरत लगेगा.



चंकी डैंगलर्स जिन्हें बतौर डैंगलर्स पहन सकती हैं, डिफरेंट लुक के लिए इसे मांग टीके के तौर पर और एक दिन इसे आप चेन के साथ अटैच करके पेंडेंट की तरह भी कैरी कर सकती हैं. डैंगलर्स पहनते वक़्त ध्यान रखें कि इनके साथ गले पर हैवी ज्वेलरी ना पहनें.

-  स्वप्निल शुक्ला




* फ़ैशन, आभूषण व लाइफस्टाइल से जुड़ी हर छोटी से छोटी बात व् विभिन्न स्टाइल मंत्रों द्वारा दीजिए अपने व्यक्तित्व को एक नया निखार और बन जाइये  फ़ैशन पंड़ित , ज्वेलरी डिजाइनर व फ़ैशन कंसलटेंट 'स्वप्निल शुक्ला' की नई पुस्तक ' फ़ैशन पंडि़त ' के साथ.

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रत्न और आप

नीलम धारण करें , मगर ज़रा ध्यान से .........




रत्न - उपरत्न जहाँ मानव जीवन को सुंदर और सुशोभित बनाने में सक्षम हैं , वहीं ये नक्षत्रीय दोषों को दूर करने तथा औषधीय गुण प्रदान करने में पूर्णतया समर्थ हैं. इनको धारण करने पर मनुष्य के उग्र ग्रह शांत होकर अनुकूल और शुभ फल प्रदान करने लगते हैं. ऐसे ही बहुमूल्य व शीघ्र प्रभाव डालने वाले रत्नों में से एक है ' नीलम ' .

नीलम एक अत्यंत खूबसूरत व शीघ्र प्रभाव दिखाने वाला रत्न है परंतु यदि इसे उचित तरीके व सावधानी के साथ धारण न किया जाए तो धारणकर्ता को इसके दुष्परिणामों से साक्षात्कार करना पड़ सकता है . नीलम का स्वामी शनि ग्रह है . विभिन्न भाषाओं में इसके भिन्न - भिन्न नाम हैं. संस्कृ्त में इसे नीलमणि , इंद्रनील मणि , तृ्षाग्राही , फारसी में नीलाबिल याकूत , कबूद, हिन्दी में नीलम और अंग्रेज़ी में सैफायर नाम से जाना जाता है . सर्वश्रेष्ठ नीलम भारत के कश्मीर राज्य में मिलते हैं. भारत के अतिरिक्त आस्ट्रेलिया , अमेरिका, अफ्रीका, म्यांमार तथा श्रीलंका आदि में भी नीलम पाया जाता है.


नीलम का इतिहास अति प्राचीन है . धार्मिक ग्रंथों के अनुसार दैत्यराज बलि के नेत्रों से नीलम का जन्म हुआ . भारतीय ग्रंथों में नीलम के दो प्रकार बताए गए हैं- पहला, जलनील और दूसरा, इंद्रनील . लघु नीलम के अंदर सफेदी होने पर उसे जलनील कहते हैं , जबकि श्याम आभायुक्त नीलिमा प्रस्फुटित करने वाला भारी नीलम इंद्रनील कहलाता है. वास्तव में यह नीले और लाल रंग का मिश्रण यानी बैंगनी रंग का होता है.

अन्य रत्नों की अपेक्षा नीलम ही ऐसा रत्न है जो देखते - देखते ही अपना असर दिखा देता है. इसलिये नीलम धारण करने में अति सावधानी बरतनी चाहिये. यदि नीलम धारण करने के उपरांत आँखों की पीड़ा बढ़ जाए या मुखाकृ्ति में अंतर आ जाए तो नीलम तुरंत उतार देना चाहिये. इसके अलावा रात को डरावने या बुरे स्वप्न आना, नीलम धारण करने के बाद कोई अनिष्ट हो जाए तो ऐसी स्थिति में नीलम की अंगूठी तुरंत उतार देनी चाहिये. वैसे मेष, वृ्ष , तुला एवं वृ्श्चिक लग्न वालों को नीलम धारण करना लाभदायक होता है और यदि शनि की साढ़ेसाती चल रही हो तो भी नीलम धारण करना श्रेष्ठकर  साबित होता है. परंतु सतर्कता बरतते हुए नीलम धारण करने से पूर्व इस विषय में किसी योग्य ज्योतिषाचार्य से परामर्श अवश्य लें.

आप जिस नीलम को धारण कर रहे हैं उसकी शुद्धता की जाँच आवश्यक होती है . नीलम की शुद्धता की जाँच के विभिन्न तरीके हैं . उदाहरण के लिए , यदि असली नीलम को धूप में रखा जाए तो यह प्रखर हो जाता है व इससे तेज किरणें निकलती हैं. यदि आप इसे दूध में रखें तो दूध नीला दिखने लगेगा . पानी के गिलास में नीलम डालते ही पानी से स्पष्ट नीली किरणें दिखाई देती हैं.

त्रुटिपूर्ण नीलम अत्यंत दुष्प्रभाव डालते हैं. अत: दोषपूर्ण नीलम से सदैव परहेज करना चाहिये . ऐसे नीलम कदापि धारण न करें जो दूधिया रंग का हो, जिसमें सफेद लकीरें हों, जिसमें चीरा हो, जो दुरंगा हो, जिसमें लाल रंग के छोटे- छोटे बिंदु हों, जिसमें सफेद धब्बे हों , जिसमें जाल या गड्ढा हो या जिसमें चमक न हो. ऐसे नीलम सर्वाधिक हानिकारक होते हैं.

यदि प्रमुख रुप से अच्छे नीलम की बात की जाए तो इसका रंग नीला हो , मोर पंख के रंग वाला नीलम श्रेष्ठ माना जाता है . इसके अतिरिक्त इससे नीली रश्मियां निकलती हों, चमकीला एवं चिकना हो , साफ व पारदर्शी हो . उपरोक्त गुणों से लैस नीलम अत्यंत शुभ फल दायक होते हैं.

नीलम के दो उपरत्न भी होते हैं. जो व्यक्ति नीलम नहीं खरीद सकते , उन्हें इन उपरत्नों को धारण करना चाहिये. ये उपरत्न हैं - लीलिया और जमुनिया . जो व्यक्ति नीलम या उसका उपरत्न खरीद पाने में भी असमर्थ हैं , उन्हें कटैला या लाजवर्द धारण करना चाहिये. ऐसे लोग नीला तामड़ा ( ब्लू गारनेट ) , नीला स्पाइनेल या पूर्ण रुप से पारदर्शक नीले रंग का तुरमली भी पहन सकते हैं. नीलम के साथ माणिक्य , मोती , पीला पुखराज या मूंगा कभी भी धारण नहीं करना चाहिये.

नीलम को शनिवार के दिन पंचधातु या स्टील की अंगूठी में जड़्वाकर , विधिनुसार उसकी उपासनादि करके सूर्यास्त से दो घंटे पूर्व मध्यमा उंगली में घारण करना चाहिये. नीलम का वज़न चार रत्ती से कम नहीं होना चाहिये.

आयुर्वेद के अनुसार नीलम से विभिन्न रोगों का उपचार भी संभव है. नीलम से कफ, पित्त तथा वायु के कष्टों का अंत होता है . मस्तिष्क की दुर्बलता , क्षय , हृ्दय रोग , दमा , खांसी आदि में भी यह अत्यंत लाभकारी है. आयुर्वेद के अनुसार पागलपन में नीलम का भस्म रामबाण औषधि है . परंतु इसका सेवन किसी योग्य आयुर्वेदाचार्य या अनुभवी रत्नाचार्य की सलाह  पर ही करना चाहिये अन्यथा फायदे के बदले नुकसान हो सकता है . खुराक के बारे में भी आप उसी वैद्य से परामर्श ले सकते हैं.



-  स्वप्निल शुक्ला

ज्वेलरी डिज़ाइनर
फ़ैशन कंसलटेंट

( swapniljewels.blogspot.com )




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इंटीरियर्स

अपने आशियाना को बनाएं ग्रीन होम ::



अक्सर ऐसा होता है कि कभी अचानक मन में विचार उफान मारता है कि क्यों न घर को एक नए सिरे से पुन: व्यवस्थित करके उसे एक नए साँचे में, एक नए परिवेश में ढालें और बात अगर किसी विशेष अवसर की हो या किसी त्योहार वगैरह की तो कुछ खूबसूरत फेरबदल द्वारा आपके घर व आपकी जीवन शैली में फ्रेशनेस सी आ जाती है . वैसे तो घर को पूर्ण रुप से रेनोवेट ( पुनरुद्धार ) करने के लिए आपको प्रोफेशनल इंटीरियर डिज़ाइनर की आवश्यकता होती है परंतु थोड़ी सी सूझ - बूझ व अपनी रचनात्मकता के दम पर आप स्वयं भी दे सकते हैं अपने घर को एक खूबसूरत व क्लटर फ्री व्यवस्था .


आज जब हर ओर इको फ्रेंडलि प्रोड्क्टस की धूम मची है तो क्यों न ' गो ग्रीन' के फंडे को अपने लिविंग स्पेस में भी अपनाएं व पूर्णतया स्वस्थ वातावरण की रचना करें. तो आइए जानते हैं कि किस प्रकार अपने आशियाने को बनायें इको फ्रेंडलि होम ताकि आपका आशियाना लगे हरदम सुहाना.

* इको फ्रेंडलि इंटीरियर डिज़ाइन के लिए अपने घर में उन्हीं मटैरियल्स का इस्तेमाल करें जो पूर्णतया नैचरल व आरगैनिक ( बाहय रसायनों के बिना उतपन्न ) हो.

* इको फ्रेंडलि  डिज़ाइन के अंतर्गत मटैरियल का चयन करते वक़्त इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जो मटैरियल आप उपयोग कर रहे हैं क्या वो रिन्यूऎबल ( नवीनीकरण ) या रीसाइक्लेबल ( पुनर्निमाण ) हैं और जिनको नष्ट करते वक़्त वातावरण दूषित न हो.

* उन सभी मटैरियल्स का उपयोग न करें जिसमें कैमिकल्स का प्रयोग किया गया हो या जिनके निर्माण में अत्यधिक ऊर्जा की खपत होती हो.

* क्रोम्ड मेटल, प्लास्टिक , पार्टिकल बोर्ड आदि जैसे मटैरियल्स को दरकिनार करें.

* हो सकता है कि इको फ्रेंडलि इंटीरियर डिज़ाइन के लिए आपको थोड़ा अधिक पैसा खर्च करना पड़े परंतु हम सभी जानते हैं कि नैचरल मटैरियल सदैव फायदेमंद व ड्यूरेबल होते हैं.

* दीवारों को सजाने के लिए आप इको फ्रेंडलि वॉल कवरिंग्स व पेंटस या स्टोन्स का उपयोग कर सकते हैं . दीवारों पर वुड , सरैमिक टाइल्स या कॉर्क द्वारा पैनेलिंग भी की जा सकती है.

* सीलिंग के लिए आप वुड पैनेल्स का प्रयोग कर सकते हैं.

* यदि फ्लोरिंग की बात की जाए तो स्टोन , वुड, बांस या कॉर्क का प्रयोग उचित रहता है .

* घर के विभिन्न हिस्सों में जहाँ वुड का काम किया गया हो वहाँ वुड के लाइटर व डार्कर काँबिनेशन द्वारा अपने स्पेस की ईस्थेटिक वैल्यू बढ़ा सकते हैं.

* फर्नीचर के लिए नैचरल वुड व पत्थर का प्रयोग करें. चेयर व टेबल के लिए वुड ब्लॉक्स  का प्रयोग करें .टेबल टॉप के लिए स्टोन्स का इस्तेमाल करें . आप चाहें तो मार्बल के फर्नीचर द्वारा भी घर की शोभा बढ़ा सकते हैं.

* इंटीरियर ऎक्सेसरीज़ के लिए ग्लास, क्ले, पत्थर, विकर ( टोकरा बुनने वाली खपची ) बास्केट जैसे विकल्प उपलब्ध हैं. वैसे अगर आप पेड़ों की शाखाओं को खूबसूरत अंदाज़ में सजाएं तो ये आपके घर को बेहतरीन लुक प्रदान करेगा.

* याद रखें कि जब हम बात इको फ्रेंडलि डिज़ाइन की कर रहे हिं तो पौधों की महत्ता को किसी  भी प्रकार से नकारा नहीं जा सकता . इसलिए घर के विभिन्न हिस्सों को पौधों से सुसज्जित करें.

* अपने गार्डन एरिया में एड्बल अर्थात खाने योग्य सब्ज़ी व फल लगायें.

* टेक्सटाइल की यदि बात करें तो आरगैनिक कॉटन , वूल , हेम्प आदि बेहतरीन विकल्प हैं.

* सदैव उन उपकरणों का इस्तेमाल करें जिसमें ऊर्जा की खपत कम हो या जो ऊर्जा बचाने में सक्षम हों.

* सदैव लो वॉलटाइल ( वाष्पशील ) आरगैनिक कमपाउन्ड्स ( low volatile organic compounds ) और टॉक्सिक फ्री पेंट , फिनिशेस व अडहीसिव का प्रयोग करें.

*वॉलपेपर या टेक्सचर्ड फिनिशेस का उपयोग न करें.

अंत में मेरी एक छोटी सी गुजारिश है आप सभी पाठकों से कि अपने आशियाने को एक खूबसूरत आयाम देने के साथ- साथ अपने घर के आस- पास के वातावरण को भी साफ - सुंदर और प्रदूषण रहित बनाने का संकल्प  लें.
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि पॉलिथीन बैग के कारण हमारे पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचता है. इसलिए खुद से ये वादा करें कि हम अपने घर में पॉलिथीन बैग के बजाए कपड़े से बने थैलों या कागज़ के लिफाफों का इस्तेमाल करेंगे.






- ऋषभ शुक्ल





अगर आप उन लोगों में से एक हैं , जो अपने आस - पास, सौंदर्यपरक , सुगम व सुव्यवस्थित वातावरण की संरचना करना चाहते हैं और अपने आशियाने को बनाना वाहते हैं अपने सपनों का घर , तो यकीन मानिये ' सुप्रीम होम थेरपि ' केवल आप के लिए ही लिखी गई है .

होम डेकॉर , ग्रीन इंटीरियर डि़ज़ाइन , डेकोरेटिंग में क्या करें और क्या न करें, वास्तु एवं फेंग शुई, कलात्मक वस्तुओं की मह्त्ता आदि तमाम मह्त्वपूर्ण जानकारियों से लैस है , डिज़ाइनर व पेंटर ' ऋषभ शुक्ला' द्वारा लिखित पुस्तक  ' सुप्रीम होम थेरपि ', जो आपके मकान को बना देगी आपके सपनों का घर .
पुस्तक : सुप्रीम होम थेरपि
लेखक :ऋषभ शुक्ला
विधा : नॉन- फिक्शन
भाषा : अंग्रेज़ी
विषय : होम डेकॉर
प्रकाशक : स्वप्निल सौंदर्य पब्लिकेशन्स
विसिट  करें : www.riatheestudio.blogspot.com






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नानी माँ की बातें :



दाँत का दर्द :


अमरुद के पत्तों के काढ़े से कुल्ला करने से दाँत और दाढ़ की भयानक टीस व दर्द दूर हो जाता है.


कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिये :

लहसुन का एक नग छीलकर , टुकड़े कर खाली पेट नित्य प्रात: थोड़े पानी के साथ चबाकर खायें, रोगी का रक्त में बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल घट कर बहुत जल्दी सामान्य स्तर पर आ जाता है.


मसूढ़ों से खून आने पर :

मेथीदाना उबाल कर पानी के कुल्ले करने से मसूढ़ों से खून आना बंद हो जाता है.



पेट में एसिडिटी च गैस की समस्या :

एक लौंग और एक इलायची प्रत्येक भोजन व नाश्ते के बाद ले लेने पर कभी भी एसिडिटी व गैस नहीं होती.



सर्दी जुकाम होने पर :

सर्दी जुकाम में एक कप दूध में एक चम्मच हल्दी डालकर गर्म करें और शक्कर मिलाकर पीयें , एक दो दिन में आराम मिल जाएगी.




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कड़वा सच :

गंदा ट्च



गंदा ट्च अर्थात गलत स्पर्श क्या है? इस मुद्दे पर चर्चा करते हुए आप में से बहुत से लोगों को हो सकता है कि हिचकिचाहट सी मह्सूस हो पर हमारे समाज में न जाने कितने ही अबोध मासूम बच्चों व लड़कियों के साथ इस प्रकार का शोषण हो रहा है अतः इस गंभीर विषय पर प्रकाश डालना और इससे आप सबको अवगत कराना मैं अपना कर्तव्य समझता हूँ......

किसी अन्य व्यक्ति का आपके शरीर पर वो स्पर्श जो आपको असहज करे , आपको घृ्णित अहसास कराये, अप्रिय हो , जिसके बाद बैचेनी हो वो गंदा / गलत स्पर्श है और उसे स्वीकार करना गलत है जैसे पीठ सहलाना , छाती पर हाथ फेरना , मुँह , कंधे , पेट, जांघ और पांव को सामान्य से अधिक स्पर्श करना , शरीर के प्राइवेट पार्टस को छूने का प्रयत्न करना आदि .

चीनू [ नाम बदल दिया गया है ] जो एक संयुक्त परिवार में रहने वाला 10 वर्षीय लड़का है ......परिवार में उसके माता- पिता व बड़े भाई के अलावा उसके दो चाचा , दादा- दादी और अविवाहित बुआ रहती है .एक दिन लाइट की कटौती के चलते पूरा परिवार छत पर ही एक साथ सो गया ..जगह कम होने के कारण चीनू अपने छोटे चाचा [ उम्र करीब 29 वर्ष ] के साथ सो गया ..पर आधी रात बीत जाते ही चीनु के चाचा ने सबसे पहले उसके पेट ...फिर छाती .....फिर होंठो तक सामान्य से अधिक स्पर्श व दबाव बनाना शुरु कर दिया ...इससे पहले कि चीनु कुछ समझ पाता उसके चाचा उससे चुंबन करने लगे .....चीनू की अबोध मानसिकता के कारण वो अपने चाचा के इस गलत स्पर्श को उनका प्यार भरा स्पर्श समझता रहा.....परंतु जब चाचा न रुका तब अंततः चीनु असहज होकर उठ खड़ा हुआ ....हड़बड़ाहट के चलते और इस डर से कि कहीं चाचा उसे वापस न पकड़ ले इसलिये चीनू जीनों से नीचे की ओर भागा परंतु अंधेरा होने के कारण व घबराहट के चलते चीनू का पैर फिसल गया व उसका सिर लहु-लुहान हो गया....खैर , चोट ज्यादा गंभीर न थी....पर चाचा की हरकत से चीनू के भीतर असुरक्षा की भावना व्याप्त हो गई .....एक दिन जब मैं उससे मिलने उसके घर गया तो उसकी आँखों में डर और असहजता देख मैं विचलित हो उठा .......फुसलाकर जब मैंने चीनू से थोड़ी बात की , उससे उसके डर की वज़ह पूछी तब चीनू ने रो-रो कर सारी बातें मुझे बता दीं...

मैं स्तब्ध था ...आँखे फटी की फटी रह गईं.....किसी तरह चीनू का हौसला बढ़ाया और उससे कहा कि अच्छा हुआ जो उसने अपने चाचा के गलत स्पर्श का विरोध किया और भविष्य में यदि उसके चाचा कोई भी ऐसी घिनौनी हरकत करे या कोई भी ऐसा स्पर्श जो उसके लिये घृ्णित हो तो तुरंत उसको अस्वीकार कर वहाँ से चला जाए और तुरंत अपने माँ -बाप या बड़े भाई को बताये .......सुरक्षा की दृष्टि से चीनू के बड़े भाई, जो मेरा अच्छा दोस्त है , उसे मैंने सारी बातें बता दीं और चीनू का ध्यान रखने को कहा.........

ये कहानी सिर्फ चीनू की नहीं बल्कि चीनू की तरह ही न जाने कितने मासूम बच्चे व लड़कियाँ इस तरह के शोषण का शिकार होते हैं ....कभी बस में चढ़ते वक्त भीड़ का फायदा उठा कर चिपकते हुए दूषित विचारों के लोगों के कारण तो कभी सह्पाठियों के कारण तो कभी अपने ही कज़िन्स के द्वारा शारीरिक उत्पीड़न का शिकार होते हैं मासूम बच्चे व लड़कियाँ.

यहाँ मैं यह बात भी स्पष्ट करना चाहूँगा की हर स्पर्श गलत स्पर्श नहीं .......माता- पिता, बहन- भाई के साथ प्यार से गले मिलना, दोस्तों के साथ हाथ मिलाना या ऐसा कोई भी स्पर्श जो प्रेम से भरा हो वह गलत नहीं .......परंतु अच्छा स्पर्श व गलत स्पर्श क्या है ? बच्चों के लिये अक्षर ज्ञान से पहले ये सब जानना कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है ...बच्चों का सही विकास हो , वे किसी भी प्रकार के शोषण का शिकार न बनें व खुद को सुरक्षित महसूस करें इसलिये ये बेहद जरुरी है कि हम बड़े इस बात को समझे कि ये हमारी ही ज़िम्मेदारी है कि केवल लड़कियों को ही नहीं बल्कि लड़कों को भी उनके खिलाफ हो रहे गलत बर्ताव को पह्चानने और उसके खिलाफ कदम उठाने की जानकारी देकर उनके लिये एक सुंदर संसार की स्थापना करें......


- ऋषभ शुक्ल


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शख़्सियत

श्रीमती अमृ्ता शेरगिल ::



कला जगत में अमृ्ता शेरगिल की शख़्सियत किसी पहचान की मोहताज़ नहीं है.भारत की सर्वश्रेष्ठ चित्रकार अमृ्ता शेरगिल का जन्म सन 1913 ई0 में हँगरी की राजधानी बुडापेस्त में हुआ . सन 1934  ई0 के अंत में पेरिस की चित्रशालाओं तथा अकादमियों में चित्रकला का प्रशिक्षण प्राप्त कर अमृ्ता शेरगिल  भारत आईं तथा अपने माता- पिता के निवास स्थान में इन्होंने अपनी चित्रशाला स्थापित की . उस समय उनकी अवस्था लगभग इक्कीस- बाईस वर्ष की थी. पेरिस में उन्होंने पियर वैया तथा प्रो0 लूसियासीमो की चित्रशालाओं में कला का गहरा अध्ययन एवं अभ्यास किया . 1931  ई0 के प्रथमार्ध में पेरिस के ' ग्रांद सलों ' नामक स्थान में इनके चित्रों का सर्वप्रथम प्रदर्शन हुआ. प्रदर्शित चित्रों में ' धड़' नामक चित्र जिसमें एक महिला की नग्न पीठ का प्रकाश तथा छाया का उत्तम संयोजित चित्रण की कला की पारखियों ने भूरी- भूरी प्रशंसा की . इसी प्रकार अमृ्ता शेरगिल ' युवतियाँ ' नामक चित्र प्रदर्शित कर फ्रांस भर में प्रसिद्ध हो गईं. इनकी सभी रचनायें ' एकेडेमिक शैली ' के मॉडल -पद्धति के थे.कठिन परिश्रम और दुर्दमनीय प्रतिभा के क्रमिक विकास के साथ ही मुग्ध होकर एक मौलिक दिशा की ओर अग्रसर होती गई. सन 1934 ई0  में लगभग पेरिस की विभिन्न चित्रशालाओं से चित्रकला का उत्तम अभ्यास प्राप्त करके कुमारी अमृ्ता शेरगिल भारत में आकर शिमला में रहने लगीं. उस समय वह मात्र 20 वर्षीय सुंदर युवती थीं किंतु उनकी चित्रशाला गोग्याँ, सेजाँ, मातीश जैसे महान चित्रकारों की तलस्पर्शिनी कला- परंपरा एशियाई अंकुरों में पनप रही थी.





सन 1934 ई0 में अमृ्ता शेरगिल पुन: भारत वापस आकर ' कुछ भारतीय लड़कियाँ' नामक चित्रपर दिल्ली की आल इंडिया फाइन आर्ट एंड क्राफ्ट्स सोसाइटी द्वारा स्वर्ण पदक प्राप्त किया. इस प्रकार यहाँ से अमृ्ता शेरगिल की महान कला यात्रा आरंभ हुई . सन 1936-37 ई0 में भारत के महत्वपूर्ण स्थानों का भ्रमण किया. इस समय अनेक स्थान में इनके चित्रों की भी प्रदर्शनियाँ हुईं. भ्रमणकालीन ये अजंता चित्रकला से भी परिचित हुईं. अजन्ता देखने के बाद आँके गए चित्रों में पूर्वकालिक चित्रों से विशेष अंतर है . अजन्ता चित्र शैली का अनुकरण न करने पर भी अजन्ता चित्रकारी  का उन पर अकल्पनीय प्रभाव पड़ा है. अमृ्ता शेरगिल ' गोग्याँ' की शिष्य होने के कारण उन्होंने आकृ्तियों को सरल बनाया. गुरु अवीन्द्रनाथ ठाकुर की बातों को सार्थक एवं सत्य कर देने वाली कलाकार श्रीमती अमृ्ता शेरगिल का जन्म हंगरी की राजधानी बूदापेस्त नगर में हुआ था . माता हंगरी की तथा पिता सरदार उमराव सिंह , अमृ्तसर के एक धनी परिवार के थे. बचपन से ही चित्रकला की ओर विशेष रुचि होने के कारण 11 वर्ष की अवस्था में ही अपनी हंगरी निवासी माता के साथ इटली जाकर फ्लोरेन्स की एक चित्रशाला की छात्रा बन गईं. वहाँ कुछ दिन मॉडल पद्धति पर कला अध्ययन कर कुछ समय के बाद उन्हें और गहरी तथा बुझी रेखाओं ने घेरा. गोग्याँ इनके कला गुरु, के विषय कल्पनाशील तथा अलंकरण की ओर उन्मुख हुए जा रहे थे. किंतु शिष्या अमृ्ता शेरगिल के विषय सामाजिक यथार्थवादी होते हुए निरलंकार की ओर बढ़ते गए. कुषाणकालीन मूर्तिकला से आकृ्ष्ट होकर अपने चित्रों में तीन आयामों वाले शिल्प का प्रयोग किया. हेब्बर, वेंद्रे , हुसैन, रामकुमार आदि की कला पर अमृ्ता शेरगिल  का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा.अमृ्ता शेरगिल  के भारतीय चित्र विषय की नवलता , टेकनीक की ताज़गी, रंगों की दृ्ष्य चेतना और रेखांकन का मर्म संबलित है. इनके चित्रों में वधू का श्रृंगार, गणेश पूजा, ट्रावणकोर के बच्चे और स्त्रियाँ , ब्रह्मचारी और नील वसना नामक चित्र उनकी अद्वितीयता के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं .अमृ्ता शेरगिल ने स्वयं कहा कि, "रंगों को मैं पूजती हूँ" . उनके अपने चित्रों में सर्वत्र ही साफ ही साफ रंग, अनंगरंग , रतरंग की रंगभरी पिचकारियाँ हैं. इनके जैसे लाल रंग को विभिन्न शेडों में प्रयोग अन्य किसी चित्रकार ने नहीं किया. इनके रंग इनके जीवन की प्रणयाकुल प्यास, नारी सुलभ, कोमलता और जीवन संघर्ष का बेहतरीन अध्ययन प्रस्तुत करते हैं. उनके चित्रपदों में प्रवाहित तूलिका के साथ -साथ स्थान को भरने के लिए रंगों के चौड़े तल भी प्राप्त होते हैं.




अमृ्ता शेरगिल  ने अपने चित्रों में ग्रामीण पहाड़ी स्त्रियाँ , याचक कोणों में वर्तुलम घुमावों तथा घनत्व करके अपनी अद्वितीय शक्ति तथा व्यापक प्रभाव उत्पन्न कर दिया. उनके कुछ चित्रों में कांगड़ा कलम और मथुरा की दक्षिणी कला के अभिप्राय प्राप्त हो जाते हैं. उन्होंने अपने प्राथमिक जीवन में वॉन - गॉग की तरह अपना जीवन और कृ्तित्व भारत को जर्जर , दरिद्र, दुखी मानवता को अंकित करने में अर्पित किया. अमृ्ता शेरगिल ने अपने चित्रों में भारतीय जन-जीवन की आत्मा की अमरता खोजकर एक स्वस्थ सामाजिक यथार्थ के अच्छे उदाहरण प्रस्तुत किये. केवल यही नहीं , उन्होंने उत्सव, मंगलकार्य , पर्व - त्योहार जीवन के विभिन्न पहलुओं को अपने चित्रों में दर्शाया है.


अमृ्ता शेरगिल ने भारत जीवन में सक्रिय रुप से एकात्म होकर जनता को अमर आत्मा, भारतीय महान संस्कृ्ति और मानवता की विरासत को अपने चित्रों में नि:संकोच अंकित किया. वे यथार्थ के संघर्षों में जूझकर रोमांचित सत्य को खोजने में लग गईं. उनके चित्रों में यह स्पष्ट होता है कि उनकी प्रकृ्ति विषादपूर्ण विषयों पर ज्यादा महान होकर उभरी. ग्रामीण, भिखमंगे, पिता का चित्र, स्वचित्र आदि चित्रों को पर्याप्त प्रशंसा मिल चुकी है.  सन 1938 ई0 में बुदापेस्त के डाक्टर विक्टरईगान से विवाह किया तथा उसी वर्ष वे भारत लौट आईं. परंतु अपने वेवाहिक जीवन का सुख प्राप्त न कर सकीं और 28 वर्ष की आयु में सन 1941 ई0 में उनका देहांत हो गया. उनके चित्र में विषाद स्पष्ट दिखाई देता है:: भिखमंगे, ग्रामीण  तथा अपने निजि चित्र सब ही चित्रों में उनकी विषादमय भावना दिखाई पड़ती है.




आज अमृ्ता शेरगिल  हमारे बीच नहीं हैं किंतु उनकी कला कृ्तियाँ आज भी हमें उनकी याद दिलाती हैं .अमृ्ता शेरगिल के ठोस प्रयोगों से आधुनिक कला जगत में पुनर्जीवन आंदोलन का प्रारंभ होता है .



- ऋषभ शुक्ला .


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आपके पत्र

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*स्वप्निल सौंदर्य प्रकाशन द्वारा प्रकाशित " फ़ैशन पंडित ' अत्यंत पसंद आई.एक - एक लेख द्वारा साफ तौर पर स्पष्ट होता है कि  लिखिका ने प्रत्येक विषय को कितनी गहराई और बारीकी से समझा और पन्नों पर उतारा है ..आपको बहुत - बहुत बधाई .
फ़ैशन व आभूषणों की अनमोल व अनुपम जानकारी रुपी खजाने को पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए बहुत - बहुत आभार व शुभकामनाएं.

- गीता सिंह, शिमला




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Warm regards

- Atul Tewari, Pune


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