'BALANCE FOR BETTER WOMEN'S POLITICAL PARTICIPATION'


SWAPNIL  SAUNDARYA e-zine  
( Vol- 06, Year - 2018, SPECIAL  ISSUE  )




'BALANCE  FOR  BETTER  WOMEN'S POLITICAL  PARTICIPATION' 



Organised By ~  SAKHI  KENDRA ~



~  Published By ~ 
ATEN  PUBLISHING  HOUSE




SWAPNIL   SAUNDARYA   ezine 's  New Avatar , brimming  with   info  on  Fashion, Lifestyle,  Arts , Culture  , Sports ,  Health  , Literature , travel  and  leisure .............



New Stories,  New  Segments .......


With  New  Dreams, New  Hopes, New  Aspirations  and  a Desire to achieve  new  horizons .................

After nearly 5 years , Aten   Publishing  House   proudly brings  to  you  “Swapnil  Saundarya  Ezine ” in its newest avatar! 


It  is  truly  a  privilege  to  celebrate  this  milestone  with  our  readers, as  we  reach  out  to  a  wider  audience.  The  editorial  team  appreciates  the  encouraging  feedback  and  your  continued  support .

Happy  Reading !

CELEBRATING 38 GLORIOUS YEARS 
LONG LIVE MAHILA MANCH, UTTAR PRADESH 




कानपुर || दिनांक 01 मार्च 2019  को सखी केंद्र (Sakhi Kendra) एवं व महिला मंच के संयुक्त तत्वावधान में महिलाओं की राजनीति में भागीदारी बढाने हेतु कार्यक्रम 'बैलेंस फ़ॉर बेटर विमेंस पॉलिटिकल पार्टिसिपेशन' का आयोजन दोपहर 12:30 बजे से 'मर्चेंट चैंबर हॉल' में किया गया | सखी केंद्र व महिला मंच द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में पांच क्षेत्रों से लोगों की भागीदारी रही जिसमें विभिन्न राजनीतिक दलों के शीर्षस्थ लोग, धार्मिक संस्थाएं, शैक्षिक संस्थाएं,  बुद्धजीवी व अन्य वर्ग सम्मिलित हुए व सभी ने अपने महत्वपूर्ण विचार व सुझाव व्यक्त किये|



















प्रमुख अतिथियों के रुप में आर्ट ऑफ लिविंग की प्रोमिला वैद, डॉ नवीन मोहिनी निगम, मोहकम सिंह, हाजी मोहम्मद सलीस, डॉ हीना ज़हीर, शिक्षाविद डॉ एम.ए.नकवी, पत्रकार व एक्टिविस्ट मीर रज़ा, छोटे भाई नरोन्हा, पनकी मंदिर के महंत जितेंद्र दास, डॉ लकी चतुर्वेदी, महिला महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ बी.आर.अग्रवाल आदि ने शिरकत की।

सखी केंद्र की महामंत्री सुश्री नीलम चतुर्वेदी ने सभी आगंतुकों का स्वागत करते हुए कहा कि  विगत वर्षों की भाँति सखी केंद्र इस वर्ष भी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का पखवाड़ा 'बैलेंस फ़ॉर बेटर इंडिया' की थीम के अंतर्गत पूरे हर्षोल्लास के साथ दिनांक 26 फरवरी 2019 से 12 मार्च 2019 तक मना रहा है जिसमें सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने व महिला हितों की रक्षा की दिशा में कार्य किया जाएगा |
















महिलाओं की राजनीति में भागीदारी बढाने के संदर्भ में नीलम चतुर्वेदी ने कहा कि विश्व में हुए हाल ही में चुनावों में रवांडा, बॉल्विया, क्यूबा, स्वीडन आदि 15 देश सबसे आगे हैं जहां की सांसदों  में महिलाओं का रेशियो 44%  से 64% तक है । रवांडा में 36%  पुरूष और 64%  महिलाएं हैं। दरअसल, हमें गम्भीरता से समझना होगा कि चुनाव सिर्फ संसद और विधानसभा में कुछ लोगों को पहुँचाकर सरकार बनाने का ही नहीं बल्कि लोकतान्त्रिक व्यवस्था का अभिन्न अंग है जो सामाजिक मूल्य तय करता है लेकिन ज्यादातर जगह महिलाओं को हमारी पारिवारिक, परम्पराओं वा रीति-रिवाजों के अन्तर्गत देखने की आदत पड़ गयी है,वही राजनीति में भी असर डालता है। हमारे देश के शीर्षस्थ लोग अभी तक महिला राजनैत्रियों की ठीक से भूमिका ही नहींं तय कर पाए हैं । कुछ उंगलियों में गिनी जाने वाली राजनैत्रियों को छोड़कर बाकी को संसद व विधान सभा मे  डेकोरम पूरा करना मात्र मान लिया जाता है। पुरूषों को खासतौर से समाज और राजनैतिक पार्टी के शीर्षस्थ लोगों को यह स्वीकारना होगा कि महिलाओं को राजनीति में बराबर की भागीदारी देनी होगी तभी देश का बेहतर व स्वस्थ निर्माण होगा।

इसके उपरांत नीलम चतुर्वेदी जी ने सभी आगंतुकों से कार्यक्रम के विषय पर अपने विचार साझा करने की अपील की । इसके साथ ही उन्होंने सभी से कहा कि समस्त वक्ता इस बात का विशेष ध्यान रखेंगे कि अपने विचार व्यक्त करते वक़्त आप किसी अन्य राजनीतिक दल, व्यक्ति-विशेष, धर्म, जाति की आलोचना नहीं करेंगे।





शिक्षाविद डॉ एम.ए.नकवी ने सुझाव दिया कि इस बार चुनाव से पूर्व इस बात की घोषणा की जानी चाहिये कि जो राजनैतिक दल ईमानदारी से 33 प्रतिशत महिला उम्मीदवारों को खड़ा करेंगे, उसी पार्टी को जनता का समर्थन व साथ मिलेगा । महिलाओं की राजनैतिक भागीदारी में कमी होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे गृहस्थी का बोझ, इच्छा शक्ति का अभाव व परिवारजनों का सपोर्ट न मिलना आदि। इस स्थिति से उबरने हेतु महिलाओंं को अपनी इच्छा शक्ति सुदृढ़ करनी होगी और अपने सामर्थ्य को पहचानना होगा।



डॉ नवीन मोहिनी निगम ने महिलाओं को 'शक्ति स्वरुपा' की संज्ञा देते हुए कहा कि महिलाएं असाधारण शक्ति की धनी होती हैं। हम महिलाएं किसी भी प्रदूषित वातावरण का सामना मजबूती के साथ कर सकते हैं। हमें स्वयं पर विश्वास कायम रखना होगा। उचित अवसर का सही प्रयोग करते हुए हम राजनीति हो या कोई भी क्षेत्र हो, उसमें प्रेरणादायी मुकाम बना सकते हैं।






दिल्ली से कार्यक्रम मेंं शिरकत करने आए पत्रकार व एक्टिविस्ट मीर रज़ा ने कहा कि आज भी समाज में बहुत से ऐसे लोग हैं जो महिलाओं के लिए 'बेचारी' शब्द का प्रयोग करते हैं। हमें महिलाओं के लिए प्रयुक्त किये जाने वाले ऐसे शब्दोंं का खंडन करना होगा।यदि महिलाओं की सामाजिक-राजनीतिक स्थिति को सुधारना है तो सबसे पहले महिलाओं को खुद को सम्मान देना सीखना होगा। जब तक महिलाएं खुद को सम्मान नहींं देंगी तब तक समाज भी उनका सम्मान नहीं करेगा।




पनकी  मंदिर के महंत जितेंद्र दास ने कहा कि धर्म में महिलाओं को सर्वोपरि माना गया है। राम से पहले सीता का नाम लिया जाता है। कृष्ण से पहले राधा का। दुर्गा सप्तशती में महिला की शक्ति की विवेचना की गई है। अत: महिलाओं को स्वयं के लिए लड़ना होगा और दूसरों के समक्ष एक सकारात्मक उदाहरण बनना होगा।






कार्यक्रम में शिरकत करने वाले धार्मिक संस्थाओं के सदस्यों ने  यह स्वीकारा कि मानवीय गुणों को घारण करना ही सच्चा धर्म है| कोई भी धर्म महिला व पुरुष के बीच भेदभाव नहीं करता| धार्मिक परिप्रेक्ष्य में महिलाओं की किसी भी सूरतेहाल में कमतर नहीं माना गया है। फिर भी आज भी आबादी के हिसाब से महिलाओं की राजनीति में भागीदारी उतनी नहीं है, जितनी होनी चाहिए। वर्तमान में संसद के दोनों सदनों में कुल मिलाकर 94 (65 लोक सभा व 29 राज्य सभा) महिला सांसद हैं, जो कि कुल सदस्यता का लगभग 12% है। राज्यों की विधान सभाओं में महिलाओं का प्रतिनधित्व तो और भी चिंताजनक है।

राजनीतिक दलों से आए लोगों के सुझावों के आधार पर यह निष्कर्ष निकला कि महिलायें प्रेम, दया, करुणा जैसे गुणों से लैस होने के साथ-साथ स्वतंत्र, महत्वाकांक्षी और स्वाभिमानी नागरिक भी हैं। अपनी इन्हीं क्षमताओं के कारण और सही अवसर मिलने पर महिलाएँ हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। राजनीति का क्षेत्र हो, विदेशों में देश का प्रतिनिधिघ्त्व करना हो, न्याय पालिका हो, नौकरशाही हो, खेल हो, सेना या सुरक्षा हो, साहित्य कला हो, व्यापार हो, विज्ञान एवं शिक्षा का क्षेत्र, भारतीय नारी ने हर क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। मौजूदा दौर की नारी हर क्षेत्र में आगे हैं। हमारे कई महत्वपूर्ण संस्थानों और विभागों में महिलाओं की  नेतृत्व क्षमता को सभी ने सराहा है। हाल के वर्षों में कई राज्यों की मुख्यमंत्री भी महिलाएँ रही हैं। कई राजनैतिक दलों का नेतृत्व भी महिलाओं के हाथ में रहा है।

कार्यक्रम में आए शैक्षिक संस्थाओं के शिक्षाशास्त्रियों के मतानुसार, आज एक ओर हम महिलाओं के राजनैतिक सशक्तिकरण के लिए प्रयास कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर हाल की कुछ खेदजनक घटनाएँ उनके सामाजिक सशक्तिकरण पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती हैं। हमें एकजुट होकर ऐसे खेदजनक अपवादों का सशक्त प्रतिवाद करना होगा जिससे महिलाओं के राजनैतिक और सामाजिक सशक्तिकरण का मार्ग प्रशस्त हो सके।


































बुद्धजीवियों ने इस मुद्दे पर अपने विचार रखते हुए एक स्वर में इस बात को माना कि विश्वभर में आज यह महसूस किया जा रहा है कि विधायी निकायों (Legislatures) में पुरुषों और महिलाओं के संतुलित प्रतिनिधित्व से जटिल सामाजिक-आर्थिक समस्याओं को प्रभावी तरीके से हल किया जा सकता है। महात्मा गांधी ने 1930 में कहा था कि  यदि भारत की भावी विधायिका में पर्याप्त संख्या में महिलाएँ नहीं हुईं तो वे इसका बहिष्कार कर देंगे। हमारी  आज़ादी की लड़ाई  ने महिलाओं को राजनीतिक और सार्वजनिक  जीवन में अपनी भूमिका निभाने का अवसर दिया और सभी स्तरों - स्थानीय, प्रांतीय और राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी संख्या में महिला नेता और कार्यकर्ता उभर कर सामने आईं। पर गत वर्षों में  महिलाओं की राजनैतिक भागीदारी  की  स्थिति निराशाजनक है, जिसके लिए कठोर कदम व सार्थक प्रयासों की आवश्यकता है ।







इस मौके पर महिला मंच, उत्तर प्रदेश के 38 स्वर्णिम वर्ष पूर्ण होने पर संस्था के सदस्यों ने सभी आगंतुकों  के साथ मिलकर महिला मंच के स्थापना दिवस का जश्न मनाया. नीलम चतुर्वेदी जी ने महिला मंच के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 28 फरवरी व 01 मार्च , 1981 को कानपुर के क्राइस्ट चर्च कॉलेज में दो दिवसीय प्रादेशिक सम्मेलन का  आयोजन किया  गया था  जिसमें  कानपुर, आगरा, बुंदेलखंड, जालौन, इटावा, गोरखपुर, बलिया, लखनऊ जैसे लगभग 22 जिलों व नगरों से लोगों ने शिरकत की .इस सम्मेलन में महिलाओं से जुड़े Women & Politics,Women & Workplace, Women & Culture, Women & Religion, Women & Economy  जैसे अनेकों मुद्दों  पर खूब विचार - विमर्श हुआ और उनकी समस्याओं पर विस्तृत चर्चा हुई और सर्वसम्मत से 'महिला मंच उत्तर प्रदेश' ( Mahila Manch , Uttar Pradesh ) का गठन हुआ. इसके बाद समाज में  अलख जगाने हेतु बगैर रुके लगातार आंदोलनों , अभियानों के दौर शुरु हुए  जिसमें पीड़ितों को न्याय दिलाना, नर्सेज़, शिक्षिकाओं, मजदूर, दलित और खासतौर पर बहिष्कृत  समाज के लोगों को न्याय  दिलाने के आंदोलन शामिल रहे. इन जबरदस्त अभियानों के दौर ने कानपुर और प्रदेश के तमाम जिलों में लोगों की सोच खासतौर पर महिलाओं एवं जेंडर के बारे में संकीर्ण व तंग नज़रिये को बदलने पर मजबूर किया . उस वक़्त महिलाओं के साथ निरंतर हो रहे अपराधिक मामलों को मद्देनज़र रखते हुए एक ऐसे मंच की आवश्यकता थी जो महिलाओं की समस्याओं से निपट्ने के लिए ठोस कदम उठाने की ताकत रखता हो और उनके अधिकारों , हितों व न्याय के लिए आवाज़ बुलंद करे. अजय मित्तल जी ने प्रस्ताव रखा कि इस मंच का नाम महिला मंच होना चाहिये. इस प्रकार सर्वसम्मत से 'महिला मंच उत्तर प्रदेश' ( Mahila Manch , Uttar Pradesh ) का गठन हुआ. 















कार्यक्रम में सखी केंद्र व महिला मंच, उत्तर प्रदेश से प्रमुख रुप से प्रभावती, अर्चना पाण्डेय, माया कुरील,  प्राची त्रिपाठी, शीला सिंह, माया सिंह, अराधना रावत, ममता गुप्ता, उमा, अनुपमा तिवारी, स्वप्निल शुक्ला, राकेश अग्रवाल व ऋषभ शुक्ला ने अपनी भागीदारी दर्ज कराई ।









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(संस्थापक-संपादक, स्वप्निल सौंदर्य ई ज़ीन)




(Sakhi Kendra is working for the empowerment of women, gender equality and gender justice with aims to build a healthy society. Our vision for equality, justice and non-violence has been prevailing since last 36 years with the goals to build a healthy Society free from all kinds of discriminations, violence and gender based inequality. We are working to expand the reach of people of excluded communities towards all spheres of society and integrate them into the mainstream society. We empower oppressed women and girls to rise above all the odds and fight their own battle with courage and lead a dignified life)


Swapnil Saundarya ezine : An Intro

Launched  in  June  2013,  Swapnil  Saundarya  ezine has  been  the  first  exclusive  lifestyle  ezine  from  India  available  in  Hindi  language  ( Except  Guest  Articles )  updated  bi - monthly .  We  at  Swapnil  Saundarya  ezine ,  endeavor  to  keep  our  readership  in  touch  with  all  the  areas  of  fashion ,  Beauty, Health  and  Fitness  mantras,  home  decor,  history  recalls,  Literature,  Lifestyle,  Society,  Religion  and  many  more.  Swapnil  Saundarya  ezine  encourages  its  readership  to  make  their  life  just  like  their  Dream  World . 







स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन - परिचय





 कला , साहित्य,  फ़ैशन व सौंदर्य को समर्पित भारत की पहली हिन्दी लाइफस्टाइल  ई- पत्रिका के षष्ठम चरण अर्थात षष्ठम वर्ष में आप सभी का स्वागत है . 

फ़ैशन व लाइफस्टाइल  से जुड़ी हर वो बात जो है हम सभी के लिये खास, पहुँचेगी आप तक , हर पल , हर वक़्त, जब तक स्वप्निल सौंदर्य के साथ हैं आप. गत वर्षों की सफलता और आप सभी पाठकों के अपार प्रेम व प्रोत्साहन  के बाद अब स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन  ( Swapnil Saundarya ezine )   के षष्ठम वर्ष को एक नई उमंग, जोश व लालित्य के साथ प्रस्तुत किया जा रहा है ताकि आप अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया बनाते रहें. सुंदर सपने देखते रहें और अपने हर सपने को साकार करते रहें .तो जुड़े रहिये 'स्वप्निल सौंदर्य' ब्लॉग व ई-ज़ीन  के साथ .

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बनायें अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया .
( Make your Life just like your Dream World ) 


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India's  First  Chemo  Dolls  By  Swapnil  Saundarya




Luxury crafts manufacturing firm  'Swapnil Saundarya Label' takes great pride to create its exclusive range of chemo dolls which can help in conveying the psychosocial effects of treatment to cancer patients . 

Swapnil Saundarya Chemo Dolls are created with an extremely rare condition where they do not have hair , they went through all their cancer treatments with their chemo, radiation and surgery . 

These Chemo Doll with the ' Fighting Spirit ' help to affirm and support the struggles of cancer patients. These dolls are designed to encourage Cancer patients who have to go through chemo therapy and will likely lose their hair. Swapnil Saundarya Chemo Dolls are dolls for children as well as for adults in treatments for cancer.

Swapnil Saundarya Label manufactured their first Chemo doll in 2017, but instead of placing them on sale for profit, distributed them to various NGOs.



Doll Designer 'Swapnil' has designed chemo dolls which are simply beautiful and bald , each with their own removable colorful hat adjoining with the doll's hand representing the power to fight against the terrible disease Cancer . These dolls are dedicated to all of them battling this awful disease. 

"Our goal is to place  Swapnil Saundarya Chemo Dolls in the arms of all cancer patients who need a hug and to put big smiles on their faces .You can nominate any child with cancer who needs a new best friend Doll and the firm will ship his or her new doll with lots of love and care from Swapnil Saundarya Label", said Swapnil,  co -owner.



Rishabh , co-owner of Swapnil Saundarya Label said "we hope our dolls have the magic to make their own best friends feel super brave and courageous. Our mission is to provide emotional support to children and adults in treatment for cancer and other serious illnesses through our chemo dolls " 


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Talkistaan  ::  The  Talk  Show  || Success  Stories  with  Anurag 





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~  Trailblazer  
in  Hindi  Fashion :: Swapnil




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Champion  of  Art  !  An  Interview  with  Painter  and  Editor  Rishabh  




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