DIWALI SPECIAL

SWAPNIL   SAUNDARYA  e-zine  

( Vol- 05, Year - 2017 , DIWALI  SPECIAL  )


Presents

फेस्टिव सीज़न ने दी है पुन: दस्तक 





Published by : Aten Publishing House 


Nidhi Tomar ~ On the Cover Page 




Swapnil Saundarya ezine : An Intro

Launched in June 2013, Swapnil Saundarya ezine has been the first exclusive lifestyle ezine from India available in Hindi language ( Except Guest Articles ) updated bi- monthly . We at Swapnil Saundarya ezine , endeavor to keep our readership in touch with all the areas of fashion , Beauty, Health and Fitness mantras, home decor, history recalls, Literature, Lifestyle, Society, Religion and many more. Swapnil Saundarya ezine encourages its readership to make their life just like their Dream World .




स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन - परिचय 





ला , साहित्य,  फ़ैशन व सौंदर्य को समर्पित भारत की पहली हिन्दी लाइफस्टाइल  ई- पत्रिका के पँचम चरण अर्थात पँचम वर्ष में आप सभी का स्वागत है . 

फ़ैशन व लाइफस्टाइल  से जुड़ी हर वो बात जो है हम सभी के लिये खास, पहुँचेगी आप तक , हर पल , हर वक़्त, जब तक स्वप्निल सौंदर्य के साथ हैं आप. गत वर्षों की सफलता और आप सभी पाठकों के अपार प्रेम व प्रोत्साहन  के बाद अब स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन  ( Swapnil Saundarya ezine )   के पँचम वर्ष को एक नई उमंग, जोश व लालित्य के साथ प्रस्तुत किया जा रहा है ताकि आप अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया बनाते रहें. सुंदर सपने देखते रहें और अपने हर सपने को साकार करते रहें .तो जुड़े रहिये 'स्वप्निल सौंदर्य' ब्लॉग व ई-ज़ीन  के साथ .

और ..............

बनायें अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया .
( Make your Life just like your Dream World ) 




Founder - Editor  ( संस्थापक - संपादक ) :  
Rishabh Shukla  ( ऋषभ शुक्ला )

Managing Editor (कार्यकारी संपादक) :  
Suman Tripathi (सुमन त्रिपाठी) 

Chief  Writer (मुख्य लेखिका ) :  
Swapnil Shukla (स्वप्निल शुक्ला )

Art Director ( कला निदेशक) : 
Amit Chauhan  (अमित चौहान) 

Marketing Head ( मार्केटिंग प्रमुख ) : 
Vipul Bajpai (विपुल बाजपई) 



'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' ( Swapnil Saundarya ezine )  में पूर्णतया मौलिक, अप्रकाशित लेखों को ही कॉपीराइट बेस पर स्वीकार किया जाता है . किसी भी बेनाम लेख/ योगदान पर हमारी कोई ज़िम्मेदारी नहीं होगी . जब तक कि खासतौर से कोई निर्देश न दिया गया हो , सभी फोटोग्राफ्स व चित्र केवल रेखांकित उद्देश्य से ही इस्तेमाल किए जाते हैं . लेख में दिए गए विचार लेखक के अपने हैं , उस पर संपादक की सहमति हो , यह आवश्यक नहीं है. हालांकि संपादक प्रकाशित विवरण को पूरी तरह से जाँच- परख कर ही प्रकाशित करते हैं, फिर भी उसकी शत- प्रतिशत की ज़िम्मेदारी उनकी नहीं है . प्रोड्क्टस , प्रोडक्ट्स से संबंधित जानकारियाँ, फोटोग्राफ्स, चित्र , इलस्ट्रेशन आदि के लिए ' स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता .

कॉपीराइट : 'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन '   ( Swapnil Saundarya ezine )   के कॉपीराइट सुरक्षित हैं और इसके सभी अधिकार आरक्षित हैं . इसमें प्रकाशित किसी भी विवरण को कॉपीराइट धारक से लिखित अनुमति प्राप्त किए बिना आंशिक या संपूर्ण रुप से पुन: प्रकाशित करना , सुधारकर  संग्रहित करना या किसी भी रुप या अर्थ में अनुवादित करके इलेक्ट्रॉनिक या यांत्रिक , प्रतिलिपि, रिकॉर्डिंग करना या दुनिया के किसी भी हिस्से में प्रकाशित करना निषेध है . 'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' के सर्वाधिकार ' ऋषभ शुक्ल' ( Rishabh Shukla )  के पास सुरक्षित हैं . इसका किसी भी प्रकार से पुन: प्रकाशन निषेध है.

चेतावनी : 'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन '  ( Swapnil Saundarya ezine )   में घरेलु नुस्खे, सौंदर्य निखार के लिए टिप्स एवं विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के संबंध में तथ्यपूर्ण जानकारी देने की हमने पूरी सावधानी बरती है . फिर भी पाठकों को चेतावनी दी जाती है कि अपने वैद्य या चिकित्सक आदि की सलाह से औषधि लें , क्योंकि बच्चों , बड़ों और कमज़ोर व्यक्तियों की शारीरिक शक्ति अलग अलग होती है , जिससे दवा की मात्रा क्षमता के अनुसार निर्धारित करना जरुरी है.  




संपादकीय 

नमस्कार पाठकों,


आप सभी के प्रेम  व आशीर्वाद के कारण हम भारत की पहली हिंदी लाइफस्टाइल  ई -पत्रिका स्वप्निल सौंदर्य ( Swapnil Saundarya ezine ) के चार वर्ष सफलतापूर्वक संपूर्ण कर चुके हैं. अब हम स्वप्निल सौंदर्य ई ज़ीन के पँचम चरण के पथ पर अग्रसर हैं. गत वर्षों में हमने विभिन्न मुद्दों पर पत्रिका के माध्यम से चर्चा की. सौंदर्य की सही परिभाषा को आत्मसात किया. स्वप्निल सौंदर्य एक लाइफस्टाइल ई पत्रिका है पर पत्रिका के कंटेट को सीमित न करते हुए हमने इसके जरिये कई सामाजिक मुद्दों को गहराई से समझा व पूर्ण संवेदनाओं के साथ इन्हें उजागर किया. पत्रिका में हमने कला, फ़ैशन, लाइफस्टाइल, साहित्य से जुड़े तमाम पहलुओं को सम्मिलित किया. गत वर्ष 'लावण्या' नामक नव सेगमेंट के जरिये हमने भारतीय शास्त्रीय संगीत व नृत्य के क्षेत्र में अपनी सफलता का परचम लहरा चुके कुछ नर्तक व नृत्यांगनाओं के प्रेरणादायक जीवन पर प्रकाश डाला. 





इसके अतिरिक्त 'सफ़केशन' व 'एसिड' नामक ई- बुक्स द्वारा दिल में कचोटन पैदा करने वाले व मस्तिष्क को झकझोर कर रख देने वाले मुद्दों को आप पाठकों द्वारा भेजी गईं कुछ विशेष कहानियों द्वारा उजागर किया. एक ओर स्त्री विमर्श से संबंधित मुद्दों पर डॉ. आकांक्षा अवस्थी की डायरी के कुछ पृष्ठों को सम्मिलित किया गया तो दूसरी ओर एड्वोकेट प्रणवीर प्रताप सिंह चंदेल व उनके मित्रों द्वारा गरीब व असहाय बच्चों की शिक्षा व बेहतर भविष्य के लिए किए जा रहे प्रयासों को व उनके मिशन एन.जी.ओ की संरचना व कार्यप्रणाली पर विस्तृत जानकारी प्रदान की गई.   स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन के चतुर्थ वर्ष का शुभारंभ हमने अधिवक्ता मीरा यादव की डायरी ( From the diary of Meera ) के कुछ अनमोल पृष्ठों से किया . नारी व्यथा व सशक्तिकरण को मर्मस्पर्शी व दृढ़्ता के साथ प्रस्तुत करती मीरा की डायरी के ये पृष्ठ  सराहनीय थे. इसके अलावा स्त्री का जीवन चुनौतियों का पर्याय जैसे हृदय भेदी मुद्दों व अपने रिसर्च पेपर्स व जर्नल्स के साथ डॉ. आकांक्षा अवस्थी की डायरी निरंतर हमारी ई पत्रिका की शोभा बढ़ा रही है. गत वर्ष पत्रिका की प्रमुख लेखिका व डिज़ाइनर स्वप्निल शुक्ला के खजाने से फ़ैशन व आभूषणों पर उनके प्रकाशित लेखों के संकलन को भी  प्रस्तुत किया गया. पुरुषों की जीवनशैली को समर्पित स्वप्निल सौंदर्य ई -ज़ीन की  नवीन पेशकश 'दि आइसोलेटेड चैप' ( The Isolated Chap ) को भी सफलतापूर्वक प्रस्तुत  किया गया. 



स्वप्निल सौंदर्य ई ज़ीन के दिवाली विशेषांक के ज़रिये  हम लेकर आए हैं इंटीरियर्स, फ़ैशन, आभूषण ,कला आदि से जुड़ी तमाम महत्वपूर्ण जानकारियों का अनमोल खज़ाना. आशा करता हूँ दिवाली विशेषांक की इस पेशकश पर  आप पाठकों के प्रेम व आशीर्वाद की वर्षा होगी. 

तो  बस बने रहिये स्वप्निल सौंदर्य ई -ज़ीन के साथ और बनाइये अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया.  


- ऋषभ शुक्ला ( Rishabh Shukla )

  संस्थापक -संपादक ( Founder-Editor )





कला :

'Painter Babu' ~ Hindi
India's First Hindi Art News Tabloid



Painter Babu 'Hindi' is launched to widen its reach, especially to the tier II and tier III cities of India, particularly North and Central India. The Art Industry also consists  of Hindi speaking people and with gesture, Painter Babu would help to provide up-to-date information to the art and design sector now in the National language

Painter Babu  is an art blog run by Designer and Painter Rishabh Shukla that comments on art. It  cover different topics, from art critiques and commentary to insider art world gossip, auction results, art news, personal essays, portfolios, interviews, artists’ journals, art marketing advice and artist biographies.


Founded by :: 
Rishabh

Pubished by ::
 Aten Pubishing House

Supported by :: 
Swapnil Saundarya ezine



मैथिली शरण गुप्त के शब्दों में,
अभिव्यक्ति की कुशल शक्ति ही तो कला है

दूसरे शब्दों मे - मन के अंतःकरण की सुन्दर प्रस्तुति ही कला है।

ला (आर्ट) शब्द इतना व्यापक है कि विभिन्न विद्वानों की परिभाषाएँ केवल एक विशेष पक्ष को छूकर रह जाती हैं। कला का अर्थ अभी तक निश्चित नहीं हो पाया है, यद्यपि इसकी हजारों परिभाषाएँ की गयी हैं। भारतीय परम्परा के अनुसार कला उन सारी क्रियाओं को कहते हैं जिनमें कौशल अपेक्षित हो। यूरोपीय शास्त्रियों ने भी कला में कौशल को महत्त्वपूर्ण माना है।

कला एक प्रकार का कृत्रिम निर्माण है जिसमे शारीरिक और मानसिक कौशलों का प्रयोग होता है।

कला शब्द का प्रयोग शायद सबसे पहले भरत के "नाट्यशास्त्र" में ही मिलता है। पीछे वात्स्यायन और उशनस् ने क्रमश: अपने ग्रंथ "कामसूत्र" और "शुक्रनीति" में इसका वर्णन किया।

"कामसूत्र", "शुक्रनीति", जैन ग्रंथ "प्रबंधकोश", "कलाविलास", "ललितविस्तर" इत्यादि सभी भारतीय ग्रंथों में कला का वर्णन प्राप्त होता है। अधिकतर ग्रंथों में कलाओं की संख्या 64 मानी गयी है। "प्रबंधकोश" इत्यादि में 72 कलाओं की सूची मिलती है। "ललितविस्तर" में 86 कलाओं के नाम गिनाये गये हैं। प्रसिद्ध कश्मीरी पंडित क्षेमेंद्र ने अपने ग्रंथ "कलाविलास" में सबसे अधिक संख्या में कलाओं का वर्णन किया है। उसमें 64 जनोपयोगी, 32 धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, सम्बन्धी, 32 मात्सर्य-शील-प्रभावमान सम्बन्धी, 64 स्वच्छकारिता सम्बन्धी, 64 वेश्याओं सम्बन्धी, 10 भेषज, 16 कायस्थ तथा 100 सार कलाओं की चर्चा है। सबसे अधिक प्रामाणिक सूची "कामसूत्र" की है।

यूरोपीय साहित्य में भी कला शब्द का प्रयोग शारीरिक या मानसिक कौशल के लिए ही अधिकतर हुआ है। वहाँ प्रकृति से कला का कार्य भिन्न माना गया है। कला का अर्थ है रचना करना अर्थात् वह कृत्रिम है। प्राकृतिक सृष्टि और कला दोनों भिन्न वस्तुएँ हैं। कला उस कार्य में है जो मनुष्य करता है। कला और विज्ञान में भी अंतर माना जाता है। विज्ञान में ज्ञान का प्राधान्य है, कला में कौशल का। कौशलपूर्ण मानवीय कार्य को कला की संज्ञा दी जाती है। कौशलविहीन या बेढब ढंग से किये गये कार्यों को कला में स्थान नहीं दिया जाता।

कलाओं के वर्गीकरण में मतैक्य होना सम्भव नहीं है। वर्तमान समय में कला को मानविकी के अन्तर्गत रखा जाता है जिसमें इतिहास, साहित्य, दर्शन और भाषाविज्ञान आदि भी आते हैं।

पाश्चात्य जगत में कला के दो भेद किये गये हैं- उपयोगी कलाएँ (Practice Arts) तथा ललित कलाएँ (Fine Arts)। परम्परागत रूप से निम्नलिखित सात को 'कला' कहा जाता है-

स्थापत्य कला (Architecture)
मूर्तिकला (Sculpture)
चित्रकला (Painting)
संगीत (Music)
काव्य (Poetry)
नृत्य (Dance)
रंगमंच (Theater/Cinema)

आधुनिक काल में इनमें फोटोग्राफी, चलचित्रण, विज्ञापन और कॉमिक्स जुड़ गये हैं।

उपरोक्त कलाओं को निम्नलिखित प्रकार से भी श्रेणीकृत कर सकते हैं-

साहित्य - काव्य, उपन्यास, लघुकथा, महाकाव्य आदि
निष्पादन कलाएँ (performing arts) – संगीत, नृत्य, रंगमंच
पाक कला (culinary arts) - बेकिंग, चॉकलेटरिंग, मदिरा बनाना
मिडिया कला - फोटोग्राफी, सिनेमेटोग्राफी, विज्ञापन
दृष्य कलाएँ - ड्राइंग, चित्रकलामूर्तिकला

कुछ कलाओं में दृश्य और निष्पादन दोनों के तत्त्व मिश्रित होते हैं, जैसे फिल्म।

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कला का महत्व

जीवन, ऊर्जा का महासागर है। जब अंतश्चेतना जागृत होती है तो ऊर्जा जीवन को कला के रूप में उभारती है। कला जीवन को सत्यम् शिवम् सुन्दरम् से समन्वित करती है। इसके द्वारा ही बुद्धि आत्मा का सत्य स्वरुप झलकता है। कला उस क्षितिज की भाँति है जिसका कोई छोर नहीं, इतनी विशाल इतनी विस्तृत अनेक विधाओं को अपने में समेटे, तभी तो कवि मन कह उठा-
साहित्य संगीत कला विहीनः साक्षात् पशुः पुच्छ विषाणहीनः ॥
रवीन्द्रनाथ ठाकुर के मुख से निकला कला में मनुष्य अपने भावों की अभिव्यक्ति करता है तो प्लेटो ने कहा - “कला सत्य की अनुकृति के अनुकृति है।

टालस्टाय के शब्दों में अपने भावों की क्रिया रेखा, रंग, ध्वनि या शब्द द्वारा इस प्रकार अभिव्यक्ति करना कि उसे देखने या सुनने में भी वही भाव उत्पन्न हो जाए कला है। हृदय की गइराईयों से निकली अनुभूति जब कला का रूप लेती है, कलाकार का अन्तर्मन मानो मूर्त ले उठता है चाहे लेखनी उसका माध्यम हो या रंगों से भीगी तूलिका या सुरों की पुकार या वाद्यों की झंकार। कला ही आत्मिक शान्ति का माध्यम है। यह कठिन तपस्या है, साधना है। इसी के माध्यम से कलाकार सुनहरी और इन्द्रधनुषी आत्मा से स्वप्निल विचारों को साकार रूप देता है।

कला में ऐसी शक्ति होनी चाहिए कि वह लोगों को संकीर्ण सीमाओं से ऊपर उठाकर उसे ऐसे ऊँचे स्थान पर पहुँचा दे जहाँ मनुष्य केवल मनुष्य रह जाता है। कला व्यक्ति के मन में बनी स्वार्थ, परिवार, क्षेत्र, धर्म, भाषा और जाति आदि की सीमाएँ मिटाकर विस्तृत और व्यापकता प्रदान करती है। व्यक्ति के मन को उदात्त बनाती है। वह व्यक्ति को स्वसे निकालकर वसुधैव कुटुम्बकम्से जोड़ती है।

कला ही है जिसमें मानव मन में संवेदनाएँ उभारने, प्रवृत्तियों को ढालने तथा चिंतन को मोड़ने, अभिरुचि को दिशा देने की अद्भुत क्षमता है। मनोरंजन, सौन्दर्य, प्रवाह, उल्लास न जाने कितने तत्त्वों से यह भरपूर है, जिसमें मानवीयता को सम्मोहित करने की शक्ति है। यह अपना जादू तत्काल दिखाती है और व्यक्ति को बदलने में, लोहा पिघलाकर पानी बना देने वाली भट्टी की तरह मनोवृत्तियों में भारी रुपान्तरण प्रस्तुत कर सकती है।

जब यह कला संगीत के रूप में उभरती है तो कलाकार गायन और वादन से स्वयं को ही नहीं श्रोताओं को भी अभिभूत कर देता है। मनुष्य आत्मविस्मृत हो उठता है। दीपक राग से दीपक जल उठता है और मल्हार राग से मेघ बरसना यह कला की साधना का ही चरमोत्कर्ष है। संगीत की साधना; सुरों की साधना है। मिलन है आत्मा से परमात्मा का; अभिव्यक्ति है अनुभूति की।

भाट और चारण भी जब युद्धस्थल में उमंग, जोश से सराबोर कविता-गान करते थे, तो वीर योद्धाओं का उत्साह दोगुना हो जाता था और युद्धक्षेत्र कहीं हाथी की चिंघाड़, तो कहीं घोड़ों की हिनहिनाहट तो कहीं शत्रु की चीत्कार से भर उठता था; यह गायन कला की परिणति ही तो है।

संगीत केवल मानवमात्र में ही नहीं अपितु पशु-पक्षियों व पेड़-पौधों में भी अमृत रस भर देता है। पशु-पक्षी भी संगीत से प्रभावित होकर झूम उठते हैं तो पेड़-पौधों में भी स्पन्दन हो उठता है। तरंगें फूट पड़ती हैं। यही नहीं मानव के अनेक रोगों का उपचार भी संगीत की तरंगों से सम्भव है। कहा भी है:

संगीत है शक्ति ईश्वर की, हर सुर में बसे हैं राम।
रागी तो गाये रागिनी, रोगी को मिले आराम।।


संगीत के बाद ये ललित-कलाओं में स्थान दिया गया है तो वह है- नृत्यकला। चाहे वह भरतनाट्यम हो या कत्थक, मणिपुरी हो या कुचिपुड़ी। विभिन्न भाव-भंगिमाओं से युक्त हमारी संस्कृति व पौराणिक कथाओं को ये नृत्य जीवन्तता प्रदान करते हैं। शास्त्रीय नृत्य हो या लोकनृत्य इनमें खोकर तन ही नहीं मन भी झूम उठता है।

कलाओं में कला, श्रेष्ठ कला, वह है चित्रकला। मनुष्य स्वभाव से ही अनुकरण की प्रवृत्ति रखता है। जैसा देखता है उसी प्रकार अपने को ढालने का प्रयत्न करता है। यही उसकी आत्माभिव्यंजना है। अपनी रंगों से भरी तूलिका से चित्रकार जन भावनाओं की अभिव्यक्ति करता है तो दर्शक हतप्रभ रह जाता है। पाषाण युग से ही जो चित्र पारितोषक होते रहे हैं ये मात्र एक विधा नहीं, अपितू ये मानवता के विकास का एक निश्चित सोपान प्रस्तुत करते हैं। चित्रों के माध्यम से आखेट करने वाले आदिम मानव ने न केवल अपने संवेगों को बल्कि रहस्यमय प्रवृत्ति और जंगल के खूंखार प्रवासियों के विरुद्ध अपने अस्तित्व के लिए किये गये संघर्ष को भी अभिव्यक्त किया है। धीरे-धीरे चित्रकला शिल्पकला सोपान चढ़ी। सिन्धुघाटी सभ्यता में पाये गये चित्रों में पशु-पक्षी मानव आकृति सुन्दर प्रतिमाएँ, ज्यादा नमूने भारत की आदिसभ्यता की कलाप्रियता का द्योतक है।

अजन्ता, बाध आदि के गुफा चित्रों की कलाकृतियों पूर्व बौद्धकाल के अन्तर्गत आती है। भारतीय कला का उज्ज्वल इतिहास भित्ति चित्रों से ही प्रारम्भ होता है और संसार में इनके समान चित्र कहीं नहीं बने ऐसा विद्वानों का मत है। अजन्ता के कला मन्दिर प्रेम, धैर्य, उपासना, भक्ति, सहानुभूति, त्याग तथा शान्ति के अपूर्व उदाहरण है।

मधुबनी शैली, पहाड़ी शैली, तंजौर शैली, मुगल शैली, बंगाल शैली अपनी-अपनी विशेषताओं के कारण आज जनशक्ति के मन चिन्हित है। यदि भारतीय संस्कृति की मूर्त्ति कला व शिल्प कला के दर्शन करने हो तो दक्षिण के मन्दिर अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं। जहाँ के मीनाक्षी मन्दिर, वृहदीश्वर मन्दिर, कोणार्क मन्दिर अपनी अनूठी पहचान के लिए प्रसिद्ध है।

यही नहीं भारतीय संस्कृति में लोक कलाओं की खुशबू की महक आज भी अपनी प्राचीन परम्परा से समृद्ध है। जिस प्रकार आदिकाल से अब तक मानव जीवन का इतिहास क्रमबद्ध नहीं मिलता उसी प्रकार कला का भी इतिहास क्रमबद्ध नहीं है, परन्तु यह निश्चित है कि सहचरी के रूप में कला सदा से ही साथ रही है। लोक कलाओं का जन्म भावनाओं और परम्पराओं पर आधारित है क्योंकि यह जनसामान्य की अनुभूति की अभिव्यक्ति है। यह वर्तमान शास्त्रीय और व्यावसायिक कला की पृष्ठभूमि भी है। भारतवर्ष में पृथ्वी को धरती माता कहा गया है। मातृभूति तो इसका सांस्कृतिक व परिष्कृत रूप है। इसी धरती माता का श्रद्धा से अलंकरण करके लोकमानव में अपनी आत्मीयता का परिचय दिया। भारतीय संस्कृति में धरती को विभिन्न नामों से अलंकृत किया जाता है। गुजरात में साथियाराजस्थान में माण्डना”, महाराष्ट्र में रंगोलीउत्तर प्रदेश में चौक पूरना”, बिहार में अहपन”, बंगाल में अल्पनाऔर गढ़वाल में आपनाके नाम से प्रसिद्ध है। यह कला धर्मानुप्रागित भावों से प्रेषित होती है; जिसमें श्रद्धा से रचना की जाती है। विवाह और शुभ अवसरों में लोककला का विशिष्ट स्थान है। द्वारों पर अलंकृत घड़ों का रखना, उसमें जल व नारियल रखना, वन्दनवार बांधना आदि को आज के आधुनिक युग में भी इसे आदरभाव, श्रद्धा और उपासना की दृष्टि से देखा जाता है।

आज भारत की वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण ताजमहलहै, जिसने विश्व की अपूर्व कलाकृत्तियों के सात आश्चर्य में शीर्षस्थ स्थान पाया है। लालकिला, अक्षरधाम मन्दिर, कुतुबमीनार, जामा मस्जिद भी भारतीय वास्तुकला का अनुपम उदाहरण रही है। मूर्त्तिकला, समन्वयवादी वास्तुकला तथा भित्तिचित्रों की कला के साथ-साथ पर्वतीय कलाओं ने भी भारतीय कला से समृद्ध किया है।

सत्य, अहिंसा, करुणा, समन्वय और सर्वधर्म समभाव ये भारतीय संस्कृति के ऐसे तत्त्व हैं, जिन्होंने अनेक बाधाओं के बीच भी हमारी संस्कृति की निरन्तरता को अक्षुण्ण बनाए रखा है। इन विशेषताओं ने हमारी संस्कृति में वह शक्ति उत्पन्न की है कि वह भारत के बाहर एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया में अपनी जड़े फैला सके।

हमारी संस्कृति के इन तत्त्वों को प्राचीन काल से लेकर आज तक की कलाओं में देखा जा सकता है। इन्हीं ललित कलाओं ने हमारी संस्कृति को सत्य, शिव, सौन्दर्य जैसे अनेक सकारात्मक पक्षों को चित्रित किया है। इन कलाओं के माध्यम से ही हमारा लोकजीवन, लोकमानस तथा जीवन का आंतरिक और आध्यात्मिक पक्ष अभिव्यक्त होता रहा है, हमें अपनी इस परम्परा से कटना नहीं है अपितु अपनी परम्परा से ही रस लेकर आधुनिकता को चित्रित करना है।





आभूषण चर्चा :

फेस्टिव सीज़न ने दी है पुन: दस्तक

त्योहार के मौसम ने पुन: दस्तक दी है और अपनी खूबसूरती में इज़ाफा करने हेतु  विभिन्न परिधानों व आभूषणों  के चयन को लेकर उलझन में भी बढ़ोत्तरी होना लाज़मी  है . अगर आप इस फेस्टिव सीज़न में  आभूषणों की शॉपिंग की तैयारी कर रहे हैं तो आंखें बंद कर दूसरों के स्टाइल को अपनाने के बजाय अपना खुद का ट्रेंड सेट करें.  इस फेस्टिव सीज़न में अपना फैशन स्टेटमेंट बयां करने के लिए आप शैंडलियर ईयररिंग्स से लेकर कॉकटेल रिंग्स और हूप्स जैसी एक्ससेरीज का इस्तेमाल कर सकती हैं।







सोलिटेयर स्टड्स:

सोलिटेयर स्टड्स सादे होने के साथ ही शानदार दिखते हैं और पहनने में भी आसान हैं। ये हर परिधान के साथ जंचते हैं और आपके आकर्षण में चार चांद लगा सकते हैं।

हूप्स और शैंडलियर ईयररिंग्स:

 बाजार में हूप्स और शैंडलियर ईयररिंग्स की बेशुमार वैरायटी उपलब्ध है। अपने कानों को हीरे जड़ित शैंडलियर ईयररिंग्स से सजाएं। ये आपके व्यक्तित्व में निखार लाने में बेहद कारगर हैं। हूप्स और शैंडलियर ईयररिंग्स हर प्रकार के परिधान के साथ शानदार लगते हैं। अगर आप हूप ईयररिंग नहीं पहनना चाहती हैं तो फिर हीरा जड़ित टॉप्स या पूरे कान की लंबाई को घेरने वाले क्वर्की ईयर-रिंग भी पहन सकती हैं.

कॉकटेल रिंग:

कॉकटेल रिंग आपके परिधान के आकर्षण को कई गुणा बढ़ा देती है। यह आपके रोजमर्रा के परिधान को भी खास बना देती है और आपको बेहद ग्लैमरस और खास दिखने में मदद करती है।
अपने फैशनेबल गहनों को और उन्नत बनाएं और पन्ना की अंगूठी, रूबी जड़े हुए चोकर को बेहिचक खरीदें.

हीरों का नेकलेस:

 खास मौकों के लिए हीरों का नेकलेस बेहद खास एक्सेसरी है । ये चौड़ी और बोट शेप नेकलाइन्स पर बेहद शानदार लगते हैं।

स्टेटमेंट नेकपीस के साथ कॉकटेल रिंग :

आधुनकि डिजाइन वाली नई शैली के हार और चमकदार बड़ा सा कॉकटेल अंगूठी आपको स्मार्ट लुक देगा और सबका ध्यान बरबस ही आपकी ओर चला जाएगा.

ब्रेसलेट:

बेशकीमती पत्थरों से सजा ब्रेसलेट चुनें या सोने का सादा ब्रेसलेट पहनें। दोनों ही आपको बेहद शानदार और खास दिखने में मदद करेंगे।


वेस्टर्न कपड़ों के साथ पहने पारंपरिक गहने :

पारंपरिक गहने भी आपकी खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं. छोटे ब्लैक ड्रेस के साथ शाम की पार्टी में एंटीक गहने पहनें. अपने पारिवारिक विरासत को दर्शाने वाले गहनों को यूं ही अलमारी में नहीं पड़ा रहने दें, बल्कि इस साल खुद को फ्यूजन लुक देते हुए उनका इस्तेमाल करें.
अपने गहनों की चमक बनाए रखने के लिए इन्हें करीने से संभालकर रखें, वेलवेट के बॉक्स में इन्हें सहेजकर रखें. सोना और प्लेटिनम के गहने बहुत संवेदनशील होते हैं, इसलिए इन्हें मुलायम कपड़े में रखें.

इसके अतिरिक्त , इस साल नए नग जैसे पारइबा टूमलाइन तंजानिट्स लैपिज लाजुली अधिक प्रचमल में रहे. कुल मिलाकर नीले रंग के जेम स्टोन्स सबसे ज्यादा प्रचलन में रहे .आप पन्ना पेरीडोट्स जडि़त आभूषण पहन सकती हैं . वर्तमान समय में छोटे नग जडि़त और पतले आभूषण प्रचलन में है .पतली चूडिय़ां ,कंगन, छोटे चौकोर आकार के हीरा पन्ना जडि़त अंगूठी ,पेंडेंट पसंद किए गए. हीरा महिलाओं के जीवन का अभिन्न हिस्सा है और महिलाओं हीरा जडि़त ईयर रिंग  हीरा जडि़त सिंगल लाइन कंगन भी महिलाओं को खूब भाते हैं. आप फैशन ज्वेलरी में जटिल व बारीक कारीगरी से लैस डिज़ाइन्स भी धारण कर सकते हैं.


स्वप्निल शुक्ला

ज्वेलरी डिज़ाइनर
फ़ैशन कंसलटेंट






SWAPNIL SAUNDARYA ~ NEW ARRIVALS 

















#Swag Earrings by SWAPNIL SAUNDARYA ♤



Jewelry and pins have been worn throughout history as symbols of power, sending messages. Interestingly enough, it was mostly men who wore the jewelry in various times, and obviously crowns were part of signals that were being sent throughout history by people of rank

























#Ocean collection by #SwapnilSaundarya










Inside Stories from the Atelier of Jewellery Designer , Fashion Consultant & Craft Expert 'SWAPNIL'.


फ़ैशन :

फ़ैशन फॉर मैन






फ़ैशन जगत आज महिलाओं तक ही सीमित नहीं अपितु पुरुष भी आज अपने लुक्स और व्यक्तित्व को लेकर काफी जागरुक हो गए हैं. इसमें कुछ गलत भी नहीं. हर कोई खुद को ट्रेंडस लेटेस्ट फ़ैशन के अनुरुप संवारना चाहता है . परंतु गलत राय अनुचित संयोजन, आपके लुक को  फ़ैशन डिसास्टर की श्रेणी में ला सकते हैं. अत: निम्नलिखित बातों पर अमल कर आप खुद को एक बेहतरीन स्टाइलिश अवतार में ढाल सकते हैं.

- किसी भी आउटफिट की सही फिटिंग की अपनी महत्ता है. इसलिए यह बेहद जरुरी है कि आपके आउटफिट की फिटिंग आपकी बॉडी की नाप के अनुरुप हो.

- आपकी वॉर्डरोब ऐसी हो जिसमें सम्मिलित हर आउटफिट सिंपल एलिगेंट हो . लेकिन किसी भी वस्तु की अति करने से बचे. उदाहरण के लिए, अपने आउटफिट के साथ तीन एक्सेसरीज़ से अधिक एक्सेसरीज़ का प्रयोग करें. या फिर ऐसे आउटफिट्स को दरकिनार करें जिनमें तीन से अधिक रंगों का संगम हो. फ्लैशी वस्त्रों से बचें. काली स्ट्राइप्स से लैस शर्ट के साथ श्वेत रंग का ब्लेज़र , डार्क कलर की जींस , बेल्ट शूज़ के साथ एक रिस्ट वॉच या पेंडेंट विद चेन , आपके व्यक्तित्व में चार - चाँद लगाएंगे.

- डिटेलिंग पर पैनी निगह रखें . डिटेलिंग से तात्पर्य है आपके आउटफिट के साथ स्कार्फ , पॉकेट स्क्वेयर ( Pocket Square ) या आपकी टाई नॉट .

- यदि आप फ़ैशन टीस जिनमें किसी कंपनी के लोगो का अभिकल्प बना है, धारण करते हैं तो इस बात का ध्यान दे कि कहीं आप चलते -फिरते बिल बोर्ड तो नहीं  लग रहे . इसलिए कोकाकोला शर्टस को कहें अलविदा और क्लासिक वी नेक टी शर्टस या किसी आर्टिस्टिकली डिजाइंड टी- शर्ट को दें अपनी वॉर्डरोब में स्थान.

- लेटेस्ट ट्रेंडस की दौड़ में मत भागिये बल्कि ऐसे आउटफिट्स को अपनी वॉर्डरोब में शामिल करें जो आपकी पसंद के अनुरुप हों.

- किसी भी वस्तु की खरीददारी से पूर्व खुद से यह प्रश्न करें कि क्या इस वस्तु को आप इसके ब्रांड नेम के कारण खरीद रहे हैं या आपको उस वस्तु की क्वालिटी स्टाइल वाकई भा गया हैखुद से प्रश्न करें कि क्या इस वस्तु को आप तब खरीदते यदि इस पर किसी निश्चित ब्रांड का लोगो होता .

- जो आपके बेहद करीबी और विश्वसनीय लोग हैं , उनसे इस बारे में फीड्बैक अवश्य लें कि उनके अनुसार आप पर कौन सी वस्तुएं स्टाइल अधिक फबता है या किन जीज़ों से आपको बचना चाहिये.

- अपने स्टाइल के साथ नए एक्सपेरिमेंट्स करने से गुरेज़ करें. यह आपके व्यक्तित्व में हर समय नयापन फ्रेशनेस को कायम रखने में मददगार सबित होगा.

- फार्मल अटायर की यदि बात करें तो सदैव उन शर्टस का  चुनाव करें जिनमें मोनोक्रोमैटिक कलर स्कीम का इस्तेमाल किया गया हो. इससे आपकी अपर बॉडी अधिक हाईलाइट होती है और आपके संपूर्ण  व्यक्तित्व की शोभा बढ़्ती हैश्वेत, बेश् , ब्राउन, ब्लू आदि रंग पुरुषों पर अधिक फबते हैं .शर्टस पर वर्टिकल स्ट्रिप्स, चेक अन्य पैटर्न भी आपके व्यक्तित्व में इज़ाफ़ा करते हैं.

- फार्मल अटायर में पैंट्स , डार्क या लाइट शेड्स की हो सकती हैं परंतु इनका रंग ओवरकोट के साथ मेच करता हुआ होमिस मैच से बचेंब्लैक, ब्राउन , ग्रे और बेश जैसे सदाबहार रंगों का चुनाव कर सकते हैं.


स्वप्निल शुक्ला ( Swapnil Shukla )



SWAPNIL SAUNDARYA ~ NEW ARRIVALS  

Nest of  Happiness 





Its  time to get  limitless  updates  with latest  lifestyle  news in hindi . don't u want  to make a style statement ??...stay tuned with Swapnil's new blog 'Fashion Pandit '  ..........Live beautifully , Stay Fashionable !

Fashion Pandit is a blog born out of Designer Swapnil's love for art, fashion, Lifestyle and for sharing her passion for it. Swapnil Shukla is an Indian Jewellery Designer, Couturier ,Columnist and Artist . She specializes in trends Forecasting, Lifestyle, Fashion, Gemology , Art and Astrology. After graduating from renowned South Delhi Polytechnic for Women , New Delhi ( First with Distinction ) , she studied export management and start working as freelance Design Columnist and undertook jewellery design projects.
Here, you will get all the latest news and updates from the world of fashion , art and lifestyle. This blog caters to all the lovers of fine art, lifestyle, jewellery, fashion , handicraft and throw light on Swapnil's journey as designer, artist and columnist.










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Bohemian Jewellery collection 2.1 








Swapnil Saundarya Menz Bracelet 






Swapnil Saundarya Menz Bracelet 






Swapnil Saundarya Menz Bracelet 






Swapnil Saundarya Menz Bracelet 












Swapnil Saundarya Menz Bracelet 




इंटीरियर्स :

गर आप अपने सिटिंग अरेंजमेंट या फिर कमरों के एक जैसे इंटीरियर से ऊब गए हैं और इसमें कुछ बदलाव करना चाहते हैं तो यह एकदम सही समय है, जब आप अपने इंटीरियर को कुछ नया और बेहतरीन लुक दे सकते हैं। मामूली बजट में भी अपने घर में कुछ फेरबदल करके उसका कायाकल्प कर सकते हैं।

दीपावली का पर्व यानि उमंग और खुशियों भरा माहौल और इसे बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है हमारा घर। इस त्यौहार के लिए घर की सफाई , रंगरोगन और उसकी साज-सज्जा का भी खासा महत्व है। पूरे घर का इंटीरियर कराना तो हर एक के बस की बात नहीं है लेकिन परदे, वाल पेंट्स, डेकोरेटिव आइटम , फर्नीचर, कालीन, सिटिंग अरेंजमेंट आदि में बदलाव कर घर के इंटीरियर को दीपावली के लिए सजाया जा सकता है और इससे नएपन का अहसास भी होगा। इसके लिए बाजार में सभी सामान कई रेंज में उपलब्ध हैं।






- छोटे-छोटे बदलाव करके उसे आकर्षक व पहले से अलग बनाया जा सकता है। इसके लिए लोअर सिटिंग अरेजमेंट भी एक अच्छा विकल्प है। साथ ही लाइटिंग, पेंट्स, कारपेट, इंडोर प्लांट, कुशन्स, कर्टन, कैंडल, वुडन पार्टीशन आदि की मदद से घर को नए ढंग से संवारा जा सकता है।


 - अगर इस दीपावली पर घर में रंगरोगन कराने की सोच रहे हैं तो फिर से वही कलर कराने के बजाए पूरा कलर काम्बीनेशन चेंज कर दें। कमरे की सभी दीवारों में अब एक जैसा कलर कराने का ट्रेंड खत्म-सा हो गया है। अब तो इन्हें अलग-अलग शेड से रंगा जाता है। इससे कमरे में काफी डिफरेंट लुक आता है। अगर बजट कम है तो आप जरूरत के मुताबिक अपने ड्राइंग रूम की किसी एक दीवार को बाकी से अलग कंट्रास्ट कलर से पेंट कराकर नएपन का अहसास कर सकते हैं। घर के सभी कमरों में यह प्रयोग किया जा सकता है।


- अगर पूरा घर पेंट करा रहे हैं तो हर कमरे का रंग संयोजन अलग रखें। डार्क शेड्स को लाइट शेड्स में और लाइट की जगह पर डार्क शेड्स कराने से कमरा नया लगने लगेगा। आजकल ब्रांडेड कंपनियों के पेंट्स के इमल्सन की डिमांड ज्यादा है। वहीं कंपनियों के डिस्टेंपर तो और भी कम कीमत में मिल जाएंगे। वहीं डिजाइनर पेंट्स या ग्लाइटर कुछ महंगे जरूर हो सकते हैं। पर्याप्त रोशनी पाने व कमरे को खूबसूरत बनाने के लिए कमरे की चार दीवारों में से एक दीवार को डार्क कलर से पेंट करवाना चाहिए।


- जरूरी नहीं है कि घर की हर दीवार पर कलर किया जाए या फिर ज्यादा खर्च कर टेक्सचर करवाया जाए। आप चाहें तो खूबसूरत वॉलपेपर से भी दीवारों को बेहतरीन लुक दे सकते हैं। बाजार में हर तरह के डिजाइन्स मौजूद हैं, और यकीन मानिए यह टेक्सचर या पेंट से ज्यादा पसंद आएगा आपको। इसका प्रयोग करके आप घर को किसी विशेष थीम के आधार पर सजा सकते हैं।


- आकर्षक परदे किसी भी घर की खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं, अगर घर को पेंट कराने की जरूरत नहीं है तो सिर्फ परदे बदलकर और उसी के अनुरूप दीवान सेट बिछाकर घर को दीवाली के लिए सजाया जा सकता है। आजकल कॉटन के अलावा नेट, सिल्क, टिश्यू, ब्रासो टाइगर, क्रश आदि के परदे पसंद किए जा रहे हैं। नेट के परदे सबसे लेटेस्ट हैं, इनकी रेंज 300 से 400 रुपए से शुरू है जबकि टिश्यू सिल्क की कीमत 300 रुपए से शुरू है। नेट के प्लेन परदे के साथ बीच में एक सिल्क या टिश्यू का परदा लगाकर खि़ड़की-दरवाजों को नया लुक दिया जा सकता है।

- ड्राइंग रूम में सोफे व दीवान पर छोटे -ब़ड़े कुशन व लो़ड़ रखकर आकर्षक रूप दिया जा सकता है। इसके लिए सिटिंग अरेजमेंट भी बदला जा सकता है। सोफे या कुर्सियों की संख्या कम करके कमरे में नीचे बैठक बनाएं और इस सुंदर कुशन्स से सजाएं। यहां बैठने से आराम भी मिलेगा और नएपन का अहसास भी होगा। कुशन कवर, पर्दे व दीवान सेट का चुनाव किसी थीम के अनुसार भी किया जा सकता है।


- छोटे-छोटे डेकोरेटिव आइटम्स घर को उत्सवी रूप दे सकते हैं। आजकल सभी को टेराकोटा से बने शो पीस ज्यादा भाते हैं। इससे बने गमले, दीपक स्टैंड, विंड चाइम आदि बहुत आकर्षक लगते हैं। वहीं वास्तु आधारित डेकोरेटिव आइटम भी घर की खाली जगह को भरकर उसे नया लुक दे देते हैं। इन्हें कमरे के खाली कोने में रखकर आसपास रंगोली या फूलों को सजाने से वह कोना एकदम उभरकर दिखेगा। एक पीतल का ब़ड़ा दीपक या टेराकोटा का बड़ा फूल दान या शोपीस इसके लिए सबसे उचित रहेंगे। इसके अलावा कोई सुंदर-सा इंडोर प्लांट भी किसी कोने की खूबसूरती बढ़ाने के लिए काफी होता है। बाजार में विभिन्न डेकोरेटिव आइटम 100 रूपए से लेकर 1000 रुपए तक में मिल जाएंगे। राजधानी में लगने वाले शिल्प मेले व हॉट बाजारों में इनकी काफी वैरायटी मिल जाती है।


- घर के अलग-अलग हिस्सों में स्पॉट लाइटिंग के माध्यम से इंटीरियर में बदलाव किया जा सकता है। ऐसी लाइटिंग की जाए कि एक बार में सिर्फ डाइनिंग टेबल पर ही लाइट पड़े या अगर कम्प्यूटर पर ही काम कर रहे हैं तो उसके ऊपर ही सुंदर से लैंप से लाइट आए तो कमरा बहुत ही सुंदर लगता है। यह प्रयोग विभिन्न कोनों में अलग रंग के लैंप के साथ किया जा सकता है।










फेंगशुई और आप :

दूसरे देशों सहित भारत में भी फेंगशुई का चलन दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। इसका प्रमुख कारण है कि इसके आसान टिप्स। यह टिप्स इतने सरल होते हैं जो आसानी से किए जा सकते हैं। देखा जाए तो फेंगशुई चीन का वास्तु शास्त्र है। इसे चीन की दार्शनिक जीवन शैली भी कहा जा सकता है, जो ताओवादी धर्म पर आधारित है। फेंग यानि वायु और शुई यानि जल अर्थात फेंगशुई शास्त्र जल व वायु पर आधारित है। अन्य देशों में भी यह बेहद लोकप्रिय है। अगर आप चाहते हैं कि आपके घर में सुख-समृद्धि बनी रहे तो आप भी फेंगशुई के आसान टिप्स अपना सकते हैं। बाजारों में फेंगशुई से संबंधित अधिकांश वस्तुएं सुगमता से उपलब्ध हो जाती हैं, उन्हीं से कुछ इस प्रकार हैं-


1. भारतीय बाजारों में विंड चाइम (हवा से हिलने वाली घंटी) उपलब्ध है। हवा चलने से जब यह टकराती हैं तो बहुत ही मधुर ध्वनि उत्पन्न करती है जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

2. फेंगशुई के अनुसार बांस के पौधे सुख-समृद्धि के प्रतीक हैं। इनसे परिवार के सदस्यों को पूर्ण आयु व अच्छी सेहत मिलती है। घर की बैठक में जहां घर के सदस्य आमतौर पर एकत्र होते हैं, वहां बांस का पौधा लगाना चाहिए। पौधे को बैठक के पूर्वी कोने में रखें।


3. फेंगशुई के अनुसार घर की रक्षा ड्रैगन करता है। इसलिए घर में ड्रैगन की मूर्ति या चित्र रखना चाहिए।

4. अपने घर के दरवाजे के हैंडल में सिक्के लटकाना घर में संपत्ति जैसा सौभाग्य लाने का सर्वोत्तम मार्ग है। आप तीन पुराने चीनी सिक्कों को लाल रंग के धागे अथवा रिबन में बांध कर अपने घर के हैंडल में लटका सकते हैं। इससे घर के सभी लोग लाभान्वित होंगे। ये सिक्के दरवाजे के अंदर की ओर लटकाने चाहिए न कि बाहर की ओर।



5. घर को नकारात्मक ऊर्जा से मुक्त रखने के लिए पूर्व दिशा में मिट्टी के एक छोटे से पात्र (बर्तन) में नमक भर कर रखें और हर चौबीस घंटे के बाद नमक बदलते रहें।


6. फेंगशुई के अनुसार यदि आपके ऑफिस में कान्फ्रेंस हॉल है तो वहां धातु की सुंदर मूर्ति रखना अच्छा होता है।


7. फेंगशुई के अनुसार घर में झरने, नदी आदि के चित्र उत्तर दिशा में लगाने चाहिए। घर में हिंसक तस्वीर कभी नहीं लगाएं, इससे घर में नकारात्मकता आ सकती है।

8. लव बर्ड, मैंडरेन डक जैसे पक्षी प्रेम के प्रतीक हैं, इनकी छोटी मूर्तियों का जोड़ा अपने बेडरूम में रखें। इनसे दांपत्य जीवन खुशहाल रहेगा। बेडरूम में इस बात का विशेष ध्यान रखें कि वहां पानी की तस्वीर वाली पेंटिंग हर्गिज न लगाएं इसके स्थान पर रोमांटिक कलाकृति जैसे युगल पक्षी की तस्वीर लगा सकते हैं, ये तस्वीर आपकी लाइफ को रोमांस से भर देगी।


9. घर में खुशहाली रहे, इसके लिए तीन हरे पौधे मिट्टी के बर्तनों में घर के अंदर पूर्व दिशा में रखें। ध्यान रहे कि फेंगशुई में बोनसाई और कैक्टस को हानिकारक माना जाता है। क्योंकि, बोनसाई प्रगति में बाधक एवं कैक्टस हानिकारक होता है। इसलिए भूलकर भी इन्हें घर में न रखें।

10. घर के पूर्वोत्तर कोण में तालाब या फव्वारा शुभ होता है। फेंगशुई के अनुसार इसके पानी का बहाव घर की ओर होना चाहिए न कि बाहर की ओर।

11. फेंगशुई के अनुसार यदि घर, कार्यालय, शोरूम आदि के पूर्वी हिस्से में लकड़ी का फर्नीचर या लकड़ी से निर्मित वस्तुएं जैसे- अलमारी, शो पीस, पेड़-पौधे या फ्रेम जड़े हुए चित्र लगाए जाएं, तो अपेक्षित लाभ होता है।

12. मछलियों के जोड़े को घर में लटकाना बहुत शुभ एवं सौभाग्य दायक माना जाता है। इनके प्रभाव से घर में धन की बरकत और कार्यक्षेत्र में उन्नति होती है।

13. फेंगशुई के अनुसार ची ऊर्जा जिसे कॉस्मिक ब्रेथ या लाइफ फोर्स एनर्जी भी कह सकते हैं, हर घर में मुख्य द्वार से प्रवेश करती है। इसलिए घर के मुख्य द्वार के आगे या आस-पास कोई सामान नहीं होना चाहिए।

14. दांपत्य सुख के लिए बेडरूम के दक्षिण-पश्चिम में क्रिस्टल ग्लास के बने झाडफ़ानूस का इस्तेमाल करना चाहिए। इसमें लाल बल्ब लगाएं। ये बहुत ही खास उपाय है। बेडरूम के दक्षिण-पश्चिम भाग में हमेशा पृथ्वी या अग्नि से जुड़े रंगों का ही प्रयोग करना बेहतर रहता है। पर्दे, कुशन, खिड़कियों आदि में इनका उपयोग ठीक रहता है।

15. फेंगशुई के अनुसार घर के बाहर काला कछुआ, लाल पक्षी, सफेद बाघ या हरा ड्रैगन हो तो घर की रक्षा स्वत: ही हो जाती है। काला कछुआ उत्तर दिशा का, लाल पक्षी दक्षिण दिशा का, सफेद बाग पश्चिम दिशा का तथा हरा ड्रैगन पूर्व दिशा का प्रतिनिधित्व करता है।

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नानी माँ की बातें :

बाल झड़ने की समस्‍या से  पाइए   छुटकारा  :

गर आप तरह-तरह के नुस्‍खें आजमा कर थक चुकी हैं और फिर भी आपके बाल झड़ना नहीं रुक रहे हैं तो परेशान होने की जरुरत नहीं है, क्‍योंकि अभी आपको एक और नुस्‍खा आजमाना बाकी रह गया है। प्‍याज जिसको केवल खाने से ही फायदा नहीं होता बल्कि बालों में लगाने से भी खूब फायदा पहुंचता है। महंगे स्‍पा में ट्रीटमेंट लेने से अच्‍छा होगा कि आप एक बार अपने बालों में प्‍याज़ लगा कर देखें। प्‍याज को कई तरह की सामग्रियों के साथ मिला कर लगाया जा सकता है। चलिए जानते हैं कि बाल झड़ने की समस्‍या को रोकने के लिए इसको कैसे आजमाया जा सकता है।

1. प्‍याज का रस- इसको तैयार करने के लिए प्‍याज को मिक्‍सर में पीस लें और रस निकाल लें। इसको लगाने के लिए बालों को गरम तौलिये से ढंक कर आंधे घंटे के लिए रखें। फिर प्‍याज के रस को सिर और बालों की जड़ों में अच्‍छी तरह से लगाएं।

2. प्‍याज और शहद- प्‍याज के रस को अपने सिर पर लगभग पौन घंटे के लिए लगाएं उसके बाद शहद को हाथों में लेकर जड़ों पर लगा लें। इससे प्‍याज़ की महक हल्‍की पड़ जाएगी। अब बालों को किसी हल्‍के शैंपू से धो लें।

3. प्‍याज और बीयर हेयर पैक- प्‍याज के रस को निकालने के बाद जो उसका बचा हुआ भाग रह गया हो उसमें नारियल तेल मिला कर जैल बना लें। अब इस मिश्रण में एक कप बीयर मिला लें और लगा लें। बीयर आपके बालों को प्राकृतिक रुप से चमकदार बनाएगा। नारियल तेल आपके बालों की जड़ों को पोषण देगा।

 4. प्‍याज और रम- इसके लिए रातभर आपको एक रम के गिलास में घिसी हुई प्‍याज को डाल कर रखना होगा। सुबह इस मिश्रण को छान कर अपने सिर की मालिश करें। इससे आपके बालों को मजबूती मिलेगी और जल्‍द से जल्‍द बाल आना शुरु हो जाएगें।







Fight against Breast Cancer

We have two options, medically and emotionally: give up or fight like hell




SWAPNIL SAUNDARYA CHEMO DOLLS

#ChemoDolls :: Bald is beautiful
‘Swapnil Saundarya Label’ is proud to present its exclusive range of chemo dolls which can help in conveying the psychosocial effects of treatment to cancer patients .
Our Label has created Swapnil Saundarya Chemo Dolls with an extremely rare condition where they do not have hair , they went through all their cancer treatments with their chemo, radiation and surgery . These Chemo Doll with the ‘ Fighting Spirit ‘ help to affirm and support the struggles of cancer patients. These dolls are designed to encourage Cancer patients who have to go through chemo therapy and will likely lose their hair. Swapnil Saundarya Chemo Dolls are dolls for children as well as for adults in treatments for cancer.
Doll Designer Swapnil has been very busy making chemo dolls which are simply beautiful and bald ! each with their own removable colorful hat adjoining with the doll’s hand representing the power to fight against the terrible disease Cancer . These dolls are dedicated to all of them battling this awful disease.
Help Swapnil Saundarya Label  meet their goal of placing  Swapnil Saundarya Chemo Dolls in the arms of all cancer patients who need a hug and to put big smiles on their faces .You can nominate any child with cancer who needs a new best friend Doll and the company will ship his or her new doll with our love and care from Swapnil Saundarya Label.
Doll Designer Swapnil believes that her dolls have the magic to make their own best friends feel super brave and courageous.”Our mission is to provide emotional support to children and adults in treatment for cancer and other serious illnesses through our chemo dolls  and Artistic Cards ” she said.
Swapnil Saundarya Chemo Dolls are available at Swapnil Saundarya estore and Rishabh Interiors and Arts :: The e Studio.



'Swapnil Saundarya' For a Cause : FIGHT AGAINST DOMESTIC VIOLENCE & CHILD ABUSE


#StopDomesticViolence 
#StopChildAbuse

YES ! I AM BOLD  is a collection of paintings by Interior Designer, Painter and Arts Journalist  Rishabh that speak out against Domestic violence and Child Abuse.

YES ! I AM BOLD .














Swapnil Jewels

Nothing Less expectable,
Nothing more Imaginable…….
Just an Extraordinary piece of Art.


At Swapnil Jewels and Arts , we pride ourselves on creating beautiful and bespoke designer Jewellery , Traditional as well as Contemporary Jewellery , from India which is captivating and a true expression of your style. The intention and goal is to create exclusive jewellery and innovative designs at excellent prices .

Our mission is to present, promote and highlight Indian Traditional Jewellery forms and arts globally because glitter of ancient era’s jewellery will never fade as well as to create beautiful and remarkable fashion jewellery that suits and enhance the lifestyle of our clients.


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