स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन Vol- 01, Issue -02, Aug 2013

स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन Vol- 01, Issue -02, Aug 2013





स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन - परिचय 

घर -परिवार , स्वास्थ्य , ब्यूटी, रेसिपी, मेहंदी, कैरियर और फायनांस से जुड़ी हर वो बात जो है हम सभी के लिये खास, पहुँचेगी आप तक , हर पल , हर वक़्त, जब तक स्वप्निल सौंदर्य के साथ हैं आप. पाठकों के प्रेम व उनकी माँग पर अब आपका अपना ब्लॉग ' स्वप्निल सौंदर्य ' उपलब्ध है ई-जीन के रुप में .
द्वि-मासिक ई-पत्रिका के रुप में 'स्वप्निल सौंदर्य' में कुछ खास स्तंभों को भी सम्मिलित किया जा रहा है ताकि आप  अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया बनाते रहें. सुंदर सपने देखते रहें और अपने हर सपने को साकार करते रहें .तो जुड़े रहिये 'स्वप्निल सौंदर्य' ब्लॉग व ई-ज़ीन  के साथ .

और ..............

बनायें अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया .

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Founder - Editor  ( संस्थापक - संपादक ) :    Rishabh Shukla  ऋषभ शुक्ला

Managing Editor (कार्यकारी संपादक) :         Suman Tripathi (सुमन त्रिपाठी)

Chief  Writer (मुख्य लेखिका ) :                     Swapnil Shukla (स्वप्निल शुक्ला)

Art Director ( कला निदेशक) :                       Amit Chauhan  (अमित चौहान)

Marketing Head ( मार्केटिंग प्रमुख ) :            Vipul Bajpai  (विपुल बाजपई)

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स्थायी स्तंभ :

विशेष
सौंदर्य
साहित्य
पकवान
फैशन व लाइफस्टाइल
फिल्मी दुनिया
इंटीरियर्स
पर्यटन
कैरियर
कड़वा सच
धर्म, संस्कृ्ति व संस्कार
घर -गृ्हस्थी
कुछ खास

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'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' में पूर्णतया मौलिक, अप्रकाशित लेखों को ही कॉपीराइट बेस पर स्वीकार किया जाता है . किसी भी बेनाम लेख/ योगदान पर हमारी कोई ज़िम्मेदारी नहीं होगी . जब तक कि खासतौर से कोई निर्देश न दिया गया हो , सभी फोटोग्राफ्स व चित्र केवल रेखांकित उद्देश्य से ही इस्तेमाल किए जाते हैं . लेख में दिए गए विचार लेखक के अपने हैं , उस पर संपादक की सहमति हो , यह आवश्यक नहीं है. हालांकि संपादक प्रकाशित विवरण को पूरी तरह से जाँच- परख कर ही प्रकाशित करते हैं, फिर भी उसकी शत- प्रतिशत की ज़िम्मेदारी उनकी नहीं है . प्रोड्क्टस , प्रोडक्ट्स से संबंधित जानकारियाँ, फोटोग्राफ्स, चित्र , इलस्ट्रेशन आदि के लिए ' स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता .


कॉपीराइट : 'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन '  के कॉपीराइट सुरक्षित हैं और इसके सभी अधिकार आरक्षित हैं . इसमें प्रकाशित किसी भी विवरण को कॉपीराइट धारक से लिखित अनुमति प्राप्त किए बिना आंशिक या संपूर्ण रुप से पुन: प्रकाशित करना , सुधारकर  संग्रहित करना या किसी भी रुप या अर्थ में अनुवादित करके इलेक्ट्रॉनिक या यांत्रिक , प्रतिलिपि, रिकॉर्डिंग करना या दुनिया के किसी भी हिस्से में प्रकाशित करना निषेध है . 'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' के सर्वाधिकार ' ऋषभ शुक्ल के पास सुरक्षित हैं . इसका किसी भी प्रकार से पुन: प्रकाशन निषेध है.


चेतावनी : 'स्वप्निल सौंदर्य - ई ज़ीन ' में घरेलु नुस्खे, सौंदर्य निखार के लिए टिप्स एवं विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के संबंध में तथ्यपूर्ण जानकारी देने की हमने पूरी सावधानी बरती है . फिर भी पाठकों को चेतावनी दी जाती है कि अपने वैद्य या चिकित्सक आदि की सलाह से औषधि लें , क्योंकि बच्चों , बड़ों और कमज़ोर व्यक्तियों की शारीरिक शक्ति अलग अलग होती है , जिससे दवा की मात्रा क्षमता के अनुसार निर्धारित करना जरुरी है.



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संपादकीय


सुंदरता क्या है ? आखिर क्या है सुंदरता की सटीक परिभाषा ?

न प्रश्नों का उत्तर बेहद सीधा है.......... सुंदरता देखने वाले की आँखों में होती है और व्यक्ति विशेष की सोच ही तय करती है कि उक्त व्यक्ति के अनुसार सुंदरता के असल मायने क्या हैं.

मेरा मानना है कि बाहरी सुंदरता से अधिक महत्वपूर्ण आपके भीतर की सुंदरता होती है . आपके कर्म ही होते हैं जो आपको सुंदरता या कुरुपता की श्रेणी में लाते हैं. यदि सूरत मासूम हो और सीरत कुटिल तो ऐसी शख्सियत को आप कभी 'खूबसूरत' या 'सुंदर' शब्द से नहीं नवाज़ेंगे. और जिन लोगों के कर्म सुंदर होते हैं विश्वास मानियेगा जन्म से भले ही वे कलात्मक नाक -नक्श लेकर इस धरती पर अवतरित न हुए हों  पर उनके सुंदर कर्मों की सुंदरता व लावण्य द्वारा उनका व्यक्तित्व भी सुंदरता से अलंकृ्त हो जाता है.





सुंदरता व सफलता का भी आपस में अत्यंत गहरा संबंध है . सुंदर व्यक्ति सफल होते हैं और जो सफल होते हैं वे स्वयं सुंदर हो जाते हैं . सफलता और सुंदरता संकट से घिरी रहती है . जैसे सूर्य पर ग्रहण लगता है पर सूर्य स्वयं के प्रकाश से उससे पार हो जाता है. इसलिए व्यक्ति सूर्य को देख कर जीवन में आगे बढ़ता है.

सुंदरता चाहे बाहरी हो या भीतरी हो , तन की हो या मन की हो ....सूरत की हो या सीरत की .... कर्मों की हो या विचारों की .... चेहरे की हो या दिमाग की ..... अदाओं की हो या आपके स्वभाव की ........मेरे अनुसार सुंदरता ऐसी हो जिसकी तारीफ मुमकिन न हो ....सुंदरता ऐसी हो जैसी चाँदनी की रात ... बारिश की पहली बूँद सी शीतल हो ....सूरज की पहली किरण सी उज्जवल हो..... आसमां और धरती को जोड़ने वाले क्षितिज सी .....सुंदरता ऐसी हो जिसे देखने वाले बस देखते ही रह जाएं . सुंदरता ऐसी हो जैसे कोई ख्वाब हो ........सुंदरता ऐसी हो जिसमें मानो आसमां और जमीं समा गए हों ....जो हरदम दिलकश लगे ...जो हर पल मदहोश करे...... सुंदरता ऐसी हो जैसे सौंधी सी खुशबू कोई.... सुंदरता ऐसी हो जो खुदा की दुआ सी लगे .... सुंदरता ऐसी हो जो हरपल एक अदा सी लगे. सुंदरता ऐसी हो जिसके आगोश में समा जाने का दिल करे .... सुंदरता ऐसी हो जिसके सामने दुनिया की हर फिक्र छोटी लगे. सुंदरता ऐसी हो जिसमें ज़िंदगी का सार समाया हो ....सुंदरता ऐसी हो जो जीना सिखा दे ...सुंदरता ऐसी हो जो मौत के वक़्त भी चैन व सुकून दे जाए.




बस यही हैं मेरे अनुसार सुंदरता के कुछ मापदंड . ध्यान दीजियेगा सुंदरता तन की हो या मन की, सुंदरता परमात्मा का दिया हुआ एक वरदान है , तोहफा है , इसकी हिफाज़त कीजियेगा.......इसका ख्याल रखियेगा . इस स्वार्थी दुनिया में आपकी सुंदरता मैली न हो इसलिए उस पराशक्ति पर सदैव विश्वास रखियेगा . खुद को आइने में हर रोज़ देखते ही होंगे ...बस इस बात का हमेशा ख्याल रखियेगा कि आपसे कभी कुछ ऐसा न हो जाए कि आपका प्रतिबिंब , आपका अक्स आइने में आपकी सुंदरता को कुरुपता में परिवर्तित कर दे .

सुंदरता के विभिन्न पहलुओं को एकत्रित करते हुए स्वप्निल सौंदर्य ई- ज़ीन के इस अंक में हम लेकर आएं हैं सौंदर्य, साहित्य, महिलाओं का संघर्ष , फैशन व लाइफस्टाइल चर्चा, कानूनी सलाह, फेंगशुई , फैशन के क्षेत्र में कैरियर आदि से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ केवल आप पाठकों के लिए ताकि आप सभी बना सकें अपनी ज़िंदगी को अपने सपनों की दुनिया. स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन के दूसरे अंक ( अगस्त  2013 )  में हम जिन विभिन्न पहलुओं व जानकारियों  को सम्मिलित कर रहे हैं वे निम्नवत हैं :

विशेष -   
सौंदर्य
साहित्य - अधूरा प्यार ........
पकवान - आलू -अरवी के दही बड़े
फैशन व लाइफ्स्टाइल
इंटीरियर्स - लाएं खुशियों की सौगात ' फेंगशुई ' के साथ .
धर्म, संस्कृ्ति व संस्कार - सीता की अग्निपरीक्षा
कैरियर - फैशन टेक्नोलॉजी
कड़वा सच - हर चुनौती को स्वीकार करती महिलायें .
शख्सियत - प्रियदर्शिनी इंदिरा गाँधी


अंत में आप सभी की सुंदरता को किसी की नज़र न लगे बस इसी दुआ के साथ स्वप्निल सौंदर्य का यह अंक सुंदरता के नाम !


शुभकामनाओं सहित ,

आपका ,
ऋषभ
 www.rishabhrs.hpage.com


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विशेष :

ITS ALL ABOUT LAW ...............




FROM THE DESK OF ADVOCATE RAJEEV DHAWAN :

- IF ANY PERSON SENDS OFFENSIVE MESSAGES THROUGH INTERNET WHICH IS GROSSLY OFFENSIVE OR HAS MENACING CHARACTER AND ANY INFORMATION, WHICH THE PERSON KNOWS TO BE FALSE, BUT FOR THE PURPOSE OF CAUSING ANNOYANCE, INCONVENIENCE, DANGER, OBSTRUCTION, INSULT, INJURY, CRIMINAL INTIMIDATION, ENMITY, HATRED OR ILL-WILL, PERSISTENTLY BY MAKING USE OF SUCH COMPUTER SHALL BE PUNISHABLE WITH IMPRISONMENT FOR A TERM, WHICH MAY EXTEND TO 3 YEARS AND WITH FINE. SO FRIENDS, BEWARE OF USING INDECENT AND OFFENSIVE LANGUAGE ON INTERNET.

- WHERE THE COMPLAINT IS MALAFIDE, VEXATIOUS AND FRIVOLOUS AND THE OPPOSITE PARTY HAS TO INCUR EXPENSES FOR CONTESTING THE COMPLAINT, THE COURTS SHOULD SADDLE THE LIAR COMPLAINANT WITH COST.
SO BEWARE BEFORE FILING ANY FALSE COMPLAINT/ CASE.

- THE HIGH COURT HAS THE POWER TO QUASH THE FIR IN SECTION 482 OF THE CRIMINAL PROCEDURE CODE IN THE INTEREST OF JUSTICE. IT CAN QUASH THE FIR EVEN AT THE STAGE IT WAS LODGED WITH THE POLICE OFFICER, IF IT DOES NOT DISCLOSE ANY OFFENCE WHATSOEVER.

-THE FIR IS A DOCUMENT AND HAD TO BE PROVED LIKE ANY OTHER DOCUMENT BEFORE THE HON'BLE COURTS.

- RECORDING OF F.I.R. IS MUST:-

* It the information to an Officer-in-charge of a Police Station shows the commission of a Cognizable Offence, the Officer-in-charge is bound to register the F.I.R under Section 154 of The Criminal Procedure Code.

* It is not excuse to say that the information does not give sufficient detail or he cannot say that he would not write F.I.R. giving reason that the crime was not committed in his area.

- NOTHING IS AN OFFENCE, WHICH IS DONE BY PERSON IN THE EXERCISE OF THE RIGHT OF PRIVATE DEFENCE.

- THE COURT MINUTELY WATCHES THE SALIENT FEATURES AND THE CIRCUMSTANCES IN THE PROSECUTION ITSELF.

- IN JUDGING WHETHER THE PERSON HAS EXCEEDED HIS RIGHT TO PRIVATE DEFENCE OR NOT, THE COURT HAS TO TAKE INTO ACCOUNT THE WEAPONS USED.

- IN NORMAL CIRCUMSTANCES, POLICE OFFICERS ARE NOT PERMITTED TO ARREST WOMEN AFTER SUNSET AND BEFORE SUNRISE

- IF A POLICE OFFICER HAS TO ARREST WOMEN AFTER SUNSET AND BEFORE SUNRISE, THE WOMEN OFFICER SHALL OBTAIN THE PRIOR PERMISSION IN WRITING OF THE JUDICIAL MAGISTRATE OF THE FIRST CLASS BEFORE ARRESTING WOMEN.

- WHERE A WOMAN IS TO BE ARRESTED , UNLESS THE CIRCUMSTANCES OTHERWISE REQUIRE OR UNLESS THE POLICE OFFICER IS A FEMALE, THE POLICE OFFICER SHALL NOT TOUCH THE FEMALE FOR MAKING HER ARREST .

- IN EXERCISE OF POWERS OF THE COURT, THE COURT CAN GRANT POLICE AID TO ENSURE EFFECTIVE IMPLEMENTATION OF ORDERS OF THE COURT AND ALSO FOR THE SECURITY OF THE WITNESS OF THE CASE.

- WOMEN WHO, ACCORDING TO THE CUSTOMS AND MANNERS OF THE COUNTRY, OUGHT NOT TO BE COMPELLED TO APPEAR IN PUBLIC SHALL BE EXEMPT FROM PERSONAL APPEARANCE IN THE COURT.

- IT IS A SETTLED LAW THAT IN CASE ANY MARRIED LADY LEAVES HER HUSBAND WITH HER OWN WILL AND REFUSES TO LIVE WITH HER HUSBAND IN FUTURE, THEN SHE IS NOT ENTITLED FOR ANY KIND OF MAINTENANCE FROM HER HUSBAND.

- IT IS A SETTLED LAW THAT THE PERSON WHO TRIES TO MISGUIDE AND MISLEAD THE HON'BLE COURT BY GIVING FALSE STATEMENTS IN HER/HIS CASE, FILED BEFORE  THE HON'BLE COURT THEN HE/SHE WOULD NOT GET ANY KIND OF RELIEF FROM THE COURTS.

- Advocate  Rajeev Dhawan
 ( Delhi High Court )





About  Rajeev Dhawan  :

Mr. Rajeev Dhawan is one of the highly skilled and experienced advocates in Delhi High Court . We feel pride to publish his amazingly written article on our e-zine .
In the words of Mr. Rajeev Dhawan , " I am a law abiding and peace loving person. I love to live happily and wants that my friends around me should also live happily.Most of the people want to live happily but they can’t lead good life as they are not aware about their rights, not aware about the law and not aware about the procedure of Courts."

"I am sharing this information with Swapnil Saundarya e-zine to enlighten my friends and the readers in legal matters so that they may fight for their rights, secure justice for them and lead happy and prosperous life." he added .

We would like to express our gratitude to this gentleman for his time and generosity and sharing such great and useful information with us .


CONTACT RAJEEV DHAWAN FOR SPEEDY JUSTICE.

Advocate  Rajeev Dhawan
Contact : Chamber N0. G-601, Karkardooma Courts, Delhi- 110092, Delhi, India 110092






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सौंदर्य :



पने बालों को घने , रेशमी व मुलायम बनाने हेतु निम्नलिखित बातों पर अमल करें :



* सही और संतुलित भोजन कीजिये. मल्टीविटामिन और कॉड लिवर आइल के कैप्सूल से बालों की ग्रोथ अच्छी होती है .

*  बादाम का तेल बालों के लिए सबसे अच्छा है . हमेशा अपने बालों के टाइप को ध्यान में रख कर ही शैंपू चुनें.

*  कभी भी गीले बालों में कंघी न करें . इससे बाल टूटते हैं.

*  बालों को सन ब्लाँक से बचाएं . अगर आपके बाल रुखे हैं तो कंडीशनर बालों के सिरे में भी लगाएं.

*  बालों की स्टाइल बनाते समय अपने चेहरे के शेप को ध्यान में रखें. अपनी ब्यूटीशियन की राय अवश्य लें.





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साहित्य :



अधूरा प्यार ........







क रोज़ उनसे मुलाकात कुछ ऐसी हुई ,

ना सोच सकते थे वो बात कुछ ऐसी हुई.

दिल ने धीरे धीरे उसे अपना कहा ,

पर कह ना सके हाल-ए-दिल उसे कुछ ऐसा हुआ.

नज़रों के सामने वो आती तो ज़ुबान बंद हो जाती,

नज़रों से दूर जाती तो हाल-ए-दिल कहना चाहते थे,

रह गए इसी मशक्कत में कि कह देंगे एक दिन,

मगर वो रुठ न जाए इसी कश्मकश ने,

मेरी चाहत को इजाज़त न दी ...........





* अपने दिल की बात को जुबां पे लाने में समय व्यर्थ नहीं करना चाहिये वरना आप उन अपनों को हमेशा के लिए खो सकते है , जो शायद सिर्फ आप के लिए बने हैं. *





- कुमार प्रतीक 




एम. बी. ए. डिग्री होल्डर ' प्रतीक ' की ज़िंदगी अधिकतर कॉर्परट (Corporate ) जगत के इर्द- गिर्द ही घूमती रहती है. फिर भी इस भाग- दौड़ भरी ज़िंदगी में भी उन्होंने अपने लेखन के शौक़ को पंख दिए हैं. इनकी रचनाएं ज़िंदगी की सत्यता, तन्हाई व श्रृंगार रस पर केन्द्रित हैं.





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फै़शन व लाइफस्टाइल




दाबहार फै़शन ट्रेंड्स की यदि बात की जाए तो इवनिंग गाउन का क्रेज महिलाओं के बीच देखते ही बनता है . फार्मल इवनिंग के लिए इवनिंग गाउन एलीगेंट और ग्लैमरस लगता है और ये फै़शन जगत का आल टाइम फेव्रेट भी है . आइए इसी संदर्भ में जानते हैं इवनिंग गाउन से संबंधित कुछ खास बातें :

* गाउन सेलक्ट करते समय ध्यान रखें कि वो अच्छी फिटिंग का हो .

* बेहतर होगा कि आप सिंगल कलर गाउन का सिलेक्शन करें इससे आपको स्लिमर लुक मिलेगा और आपकी हाइट भी ज्यादा नज़र आएगी.

* पिंक, मरुन और ब्लू कलर का सिलेक्शन करें . ब्लैक और व्हाइट गाउन क्लासिक लुक देते हैं.

* आजकल वन शोल्डर गाउन डिमांड में हैं. अगर आपके शोल्डर टोन्ड हैं तो वन शोल्डर गाउन का सिलेक्शन करें.

* गाउन को राइट एक्सेसरीज़ के साथ कंबाइन करें. फुटवियर सलेक्शन ध्यान से करें, क्योंकि इससे गाउन को कंपलीट लुक मिलता है.

* गाउन के साथ एम्बेलिश्ड क्लच का कॉम्बिनेशन खूबसूरत लगता है.

* गाउन के साथ हाई हील्स पहनें, इससे आपकी पर्सनैलिटी इम्प्रेसिव लगेगी .








- स्वप्निल शुक्ला

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कैरियर

फैशन टेक्नोलॉजी 





फैशन के प्रति लोगों का क्रेज दिन पर दिन बढ़्ता जा रहा है . रितु बेरी, मनीष मलहोत्रा , नीता लुल्ला जैसे जाने माने फैशन डिज़ाइनर्स के चलते भारत भी फैशन जगत में अपनी दमदार साख बनाने में सफल रहा है . यहाँ तक की सूत्रों के अनुसार तो भारत में होने वाले कुल निर्यात का तकरीबन एक तिहाई हिस्सा वस्त्र उद्योग द्वारा ही पूर्ण किया जाता है. यदि आपमें फैशन जगत में अपनी अलग पहचान बनाने की तीव्र इच्छा है व रचनात्मक और कलात्मक गुण आपमें विद्यमान हैं तो नि: संदेह आप फैशन उद्योग को कैरियर के एक शानदार विकल्प के तौर पर अपना सकते हैं.

तो आइये इस संदर्भ में सबसे पहले बात करते हैं फैशन डिज़ाइनिंग कोर्स के बारे में .

फैशन डिज़ाइनिंग एक जॉब ओरिएंटेड कोर्स है . कोर्स के दौरान छात्रों को स्केचिंग, लाइनिंग, बेसिक डिज़ाइन , डिज़ाइन आइडिया, पैटर्न मेकिंग , इलसट्रेशन , प्रोड्क्शन , फैशन फॉरकास्टिंग , फैशन कलर थ्योरी, क्लोदिंग कन्सट्रक्शन ,कैड इत्यादि विषयों की जानकारी दी जाती है .

फैशन डिज़ाइनर का कार्य :
एक फैशन डिज़ाइनर अपनी रचनात्मकता और बाजार की माँग के अनुरुप महिलाओं , पुरुषों व बच्चों के लिए कपड़ों की डिज़ाइनिंग के साथ-साथ उन कपड़ों के साथ फबने वाली एक्सेसरीज़ भी डिज़ाइन करते हैं जो कि उपभोक्ता को एक खूबसूरत व स्टाइलिश लुक प्रदान करे. एक फैशन डिज़ाइनर को अपने ग्राहक की जरुरतों का विशेष ध्यान रखना होता है और बड़ी ही ज़िम्मेदारी से साइज़, फिटिंग, स्टाइल , कलर , टेक्सचर व मटेरियल के आधार पर डिज़ाइन तैयार करनी पड़ती है. फैशन उद्योग में हर पल तेजी से बदलाव होते रहते हैं . ऐसे में डिज़ाइनर को ज्यादा से ज्यादा समय मार्केट रिसर्च में बिताना पड़ता है ताकि खुद को मार्केट में होने वाले बदलावों व ट्रेंड्स से अवगत रख सकें .

कोर्स व योग्यता :
फैशन टेक्नोलॉजी के अंतर्गत विभिन्न कोर्सेस जैसे फैशन डिज़ाइनिंग, फैशन कम्यूनिकेशन आदि में दाखिला प्राप्त करने के लिए आपको 10+2 उत्तीर्ण होना आवश्यक है . दाखिला प्रवेश परीक्षा व साक्षात्कार के आधार पर होता है , जिनमें विभिन्न कोर्सेस की अवधि 1 वर्ष से 4 वर्ष के बीच होती है. फैशन डिज़ाइनिंग के क्षेत्र में भविष्य तलाश रहे छात्र- छात्राओं में क्रिएटिविटी अर्थात रचनात्मकता व कलात्मकता का संगम अनिवार्य होता है . साथ ही साथ बेसिक स्केचिंग एबिलिटी होनी आवश्यक है चूंकि इसके अभाव में डिजाइनर्स अपनी डिज़ाइन को कागज़ पर अपने मन-मुताबिक उतार पाने में अक्षम रहेंगे. इसलिए स्केचिंग स्किल्स , रंगों की पहचान व हर पल कुछ नया करने की ललक होनी अनिवार्य है .

पोर्टफोलियो की उपयोगिता :
फैशन डिज़ाइनिंग कोर्स करने के उपरांत संस्थान के फैकल्टी, छात्रों का एक पोर्टफोलियो बनवाते हैं ताकि जब छात्र - छात्रायें किसी कंपनी मैं जॉब के लिए जाएं तो उस पोर्टफोलियो द्वारा वे अपने कार्य को दूसरों के सामने प्रस्तुत कर सकें . पोर्टफोलियो , एक डिज़ाइनर के लिए रीढ़ की हड्डी की ही तरह बेहद आवश्यक है . अत: इसको बनाते समय अपनी अधिक से अधिक क्रिएटिविटी का प्रयोग करें . मदद के लिए आप इंसपिरेशन ले सकते हैं पर आइडिया ओरिजिनल रखें.

संभावनाएं : 
फैशन डिजाइनर्स को टेक्सटाइल कंपनी , गारमेंट एक्सपोर्ट हाउस , डिज़ाइनर्स बुटीक, गारमेंट मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री व रिट्ल गारमेंट कंपनी आदि क्षेत्रों में बतौर फैशन डिज़ाइनर, फैशन कोआर्डिनेटर , फैशन मर्चेंडाइज़र , पैटर्न मेकर क्वालिटी कंट्रोलर आदि के पद पर नियुक्ति हो सकती है. राष्ट्रीय- बहुराष्ट्रीय कंपनियों में भी जॉब प्राप्त करना संभव है. साथ ही साथ आप किसी नामी फैशन डिज़ाइनर के साथ भी कार्य कर सकते हैं और सही मार्गदर्शन व कम से कम एक वर्ष के इंडस्ट्रियल अनुभव के उपरांत स्वयं का स्वरोजगार भी स्थापित कर सकते हैं.

वेतन :
डिज़ाइनर की सैलरी का कोई निर्धारित पैमाना नहीं है. एक बेहतर व अनुभवी डिज़ाइनर प्रति माह लाखों में भी कमा सकता है . यदि शुरुआती तौर पर बात करें तो योग्यता के आधार पर डिज़ाइनर्स 15-20 हजार आसानी से कमा सकते हैं . अनुभव व कुशलता के साथ आपके वेतन में भी तेजी से वृ्द्धि होगी. इसके अलावा यदि आप फैशन उद्योग में अपना भविष्य संवारना चाहते हैं पर फैशन डिज़ाइनिंग के अलावा अन्य विकल्पों की तलाश में हैं तो इस उद्योग की जरुरतों व माँग के अनुसार देश के विभिन्न निजि व सरकारी संस्थानों द्वारा कई पाठयक्रम संचालित करे जाते हैं जिसमें छात्र अपने पसंदीदा क्षेत्र में दाखिला ले सकते हैं. इन कोर्सेस की सूची निम्नवत है :

फैशन डिज़ाइनिंग
फैशन कम्यूनिकेशन
फैशन मैनेजमेंट
टेक्स्टाइल डिज़ाइनिंग
ज्वेलरी डिज़ाइनिंग
कंप्यूटर एडेड डिज़ाइनिंग
फैशन फोटोग्राफी
फैशन एण्ड अपैरल मर्चेंडाइज़िंग
गारमेंट मेन्युफैक्चरिंग व टेक्नोलॉजी
गारमेंट एक्सपोर्ट मैनेजमेंट 






- स्वप्निल शुक्ला

Fashion Illustrations by Miss. Alisha Harsh Malhotra .
( To know more about Alisha , click here http://swapnilsaundarya.blogspot.in/2013/05/fashion-and-you.html )


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पकवान

आलू - अरवी के दही बड़े :




सामग्री : 

* 200 ग्राम आलू
* 200 ग्राम अरवी
* 1 कटोरी उबले हुए सामा चावल
* 2-3 हरी मिर्च बारीक कटी हुई
* आधी कटोरी हरी धनिया
* 1 टेबलस्पून सौंफ दरदरी पिसी हुई
* सेंधा नमक स्वादानुसार
* 1 टीस्पून काली मिर्च पाउडर
* फेंटा हुआ दही
* तलने के लिए तेल
* एवं हरी चटनी

विधि : 

आलू व अरवी उबाल - छीलकर मैश कर लें. इसमें उबले हुए सामा के चावल , सेंधा नमक , काली मिर्च पाउडर, सौंफ, हरी मिर्च और हरी धनिया डालकर गूंध लें . तैयार मिश्रण के छोटे- छोटे गोले बनाएं . प्रत्येक गोले को हथेली पर दबाकर वड़े का आकार दें और गरम तेल में तल लें . वड़ों को दही व हरी धनिया की चटनी के साथ सर्व करें.




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कड़वा सच

हर चुनौती को स्वीकार करती महिलायें .



मारे समाज में आज महिलायें हर क्षेत्र में अपनी सफल उपस्थिति दर्ज करा चुकी हैं. यदि हम कार्पोरेट जगत की बात करें या राजनीति की या फिल्म जगत की तो शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र  हो जिसमें महिलाओं ने अपना लोहा न मनवाया हो।यह भी सच है कि महिलायें हर चुनौतियों को स्वीकार कर अपने कार्यक्षेत्र व ज़िम्मेदारियों में सफलतापूर्वक अग्रसर हो रही हैं।लेकिन इसके बावजूद भी महिलाओं के सामने पुरुषों की अपेक्षा कई गंभीर समस्याएँ खड़ी हैं।ये उलझने घर के भीतर और कार्यक्षेत्र ,दोनो जगह अलग- अलग तरीके से सामने आती हैं।

आज की पढ़ी लिखी महिला अपने पैरों पर खड़ी होकर न सिर्फ दुनिया व समाज में हो रहे बदलावों से हर वक़्त रुबरु होकर , नयी पीढ़ी की सोच के साथ आगे बढ़्कर न सिर्फ अपने परिवार को संभालती है बल्कि अपने कार्य को भी पूरी गंभीरता से करती है पर फिर भी प्रोफेशनल जगत में उन्हें सेक्शुअल हैरसमेंट , जेंडर डिसक्रिमिनेशन ( लैंगिक भेदभाव ) इत्यादि जैसी गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ता है. प्रोफेशनल जगत के अलावा आज भी कई ऐसे परिवार हैं जहाँ घरेलु हिंसा जैसे अपराध हो रहे हैं .भले ही महिला पढ़ी-लिखी है, कामकाजी है व अपने परिवार की पूरी श्रद्धा से ज़िम्मेदारियों का पालन कर रही हो , फिर भी उस पर नौकरी छोड़ने का दबाव बनाया जाता है।हमारे समाज में कई ऐसे परिवार भी हैं जिसमें लोग लड़की की नौकरी लगते ही शादी के लिये दबाव बनाने लग् जाते हैं फिर लड़की ने अपने कैरियर और अपनी ज़िंदगी को किस तरह प्लान किया है, ये तो कोई सुनना भी नहीं चाह्ता. परिवार वालों के साथ-साथ लड़की के रिश्तेदार बस या तो आए दिन नये लड़कों का प्रस्ताव लेकर घर आ जाएंगे या तो हर वक़्त लड़की के बारे में जासूसी करते रहेंगे।शाम को जब अपना सारा कार्य संपूर्ण कर लड़की घर को आएगी तो बस पहला शब्द, "बेटी ! बहुत देर हो गई. कहाँ थी ? किसके साथ थी? मैंने तुम्हे कल उस इलाके में फलाना लड़के के साथ देखा था." वगैरह- वगैरह और सबसे बड़ी बात, इन प्रश्नों की झड़ी लगाने वाले लड़की के माँ - बाप नहीं बल्कि रिश्तेदार होंगे.

आज के समाज में ये एक कटु सत्य है कि ऐसे परिवार भी देखने को मिल जाते हैं जो लड़की की ज़िंदगी में हद से ज्यादा दखल अन्दाज़ी करने को ज़िम्मेदारी का नाम देते हैं. पर ये ज़िम्मेदारी स्वयं लड़की की होनी चाहिये कि यदि वो अपने पैरों पर खड़ी हुई है और अपने भविष्य को सँवार रही है तो वो खुद को एक बेह्तर इंसान बनाने के साथ साथ समाज को एक खुशहाल परिवार ही भेंट दे रही है. क्योंकि एक लड़की ही आगे चलकर एक सफल पत्नी, माँ और अन्य रिश्तों से जुड़ती है व नए समाज की स्थापना करती है.

ऐसे में परिवार वालों की ये ज़िम्मेदारी होनी चाहिये की कामकाजी महिला चाहे शादीशुदा हो या कुँवारी लड़की उन्हे अपनी बेटी व बहु का सहयोग करना चाहिये न कि जरुरत से ज्यादा दखल देकर अपनी ही बहु - बेटी को मानसिक तनाव की ओर ढकेलना चाहिए . महिलाओं को स्वयं ही अपने पारिवारिक या आस-पास मौजूद उपद्रवी लोगों से संभंल कर रहना चाहिये .



आज के समय में महिलायें आत्म निर्भर हैं पर फिर भी हमारे ही समाज के कई वर्गों की संकुचित मानसिकता के कारण महिलाओं को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. उदाहरण के लिए , प्रोफेशनल जगत में सेक्शुअल हैरसमेंट जैसे कई मुद्दे न सिर्फ एक स्त्री के मन मस्तिष्क को कुंठित बनाते हैं बल्कि अगर उसके दर्द को समझा न जाए तो यही घुटन उनके जीवन को अंधकार की ओर ले जाती है . ऐसी स्थिति में अपने साथ कार्य करने वाले कर्मचारियों व अपने बॉस के बीच प्रोफेशनल रिश्ता ही कायम रखें. अपनी पर्सनल व प्रोफेशनल लाइफ में अंतर बना कर रखें . यदि आपको ऐसा मह्सूस हो रहा है कि आपके बॉस या आफिस के किसी भी कर्मचारी की आप पर गलत निगाह है तो बेहतर होगा कि सख्त रवैया अपनायें . ऐसी स्थिति में आवाज़ उठाना कोई गलत बात नहीं . जरुरत पड़ने पर आस-पास की समाज सेवी संस्थाओं से सदैव संपर्क कायम रखें . आफिस के हर कार्य को लिखा पढ़ी में ही करें . लेटनाइट ड्यूटी की स्थिति में अपनी सतर्कता व सुरक्षा को प्राथमिकता दें और सावधानी बरतें . अपने वर्क प्रोफाइल के लिये मानसिक तौर पर स्पष्ट रहें . और यदि आपको लग रहा है कि आप का बॉस आप पर आपके वर्क प्रोफाइल के अलावा जरुरत से ज्यादा वर्क लोड बढ़ा रहा है तो इसका विरोध करें या स्पष्टीकरण माँगें.

यदि किसी तरह की फ्रस्ट्रेशन या मानसिक तनाव हो रहा है तो अपने प्रिय मित्र या परिवारिक सदस्य से खुलकर चर्चा करें . धैर्य व संयम कायम रखें . अपने खान पान पर विशेष ध्यान दें क्योंकि जब तक आप स्वस्थ नहीं होंगी तो आप अपने परिवार व कार्य को कैसे संभालेंगी ?

हम महिलाओं के ऊपर पुरुषों की अपेक्षा अधिक कार्य भार होता है. यदि कामकाजी महिलायें आफिस व घर दोनो ही संभालती हैं तो घरेलु महिलायें घर पर रह कर भी एक पुरुष से कई गुना ज्यादा कार्य संभालती हैं . परंतु समाज का कुछ वर्ग आज भी महिलाओं के मामले में पक्षपाती व ढीला रवैया अपनाता है तो ऐसी स्थितियाँ तनाव उत्पन्न करती हैं जो 'डिप्रेशन ' का रुप ले लेता है.

अपने पारिवारिक सदस्यों, आसपास के वातावरण, रिश्तेदारों की सोच व रवैये को समझें. कौन किस तरह आपके कार्य में विघ्न डाल रहा है, उसका तुरंत विरोध करें . याद रखें कि हमें हमारी बेहतर ज़िन्दगी के लिये स्वयं स्वावलंबी होना होगा. अपनी मर्यादा में रहते हुए अपने अधिकारों का पूर्ण उपयोग कर हम अपने पैरों पर खड़े होकर ही एक स्वस्थ समाज को स्थापित कर सकते हैं.


- स्वप्निल शुक्ला 





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इंटीरियर्स

लाएं खुशियों की सौगात ' फेंगशुई ' के साथ :




फेंगशुई क्या है ? व इसका उपयोग हमारे जीवन को किस प्रकार प्रभावित कर सकता है ? यह ऐसे प्रश्न हैं जिनका उत्तर हर व्यक्ति जानना चाहता है क्योंकि आज की भाग दौड़ से भरी ज़िंदगी में हर कोई अपने जीवन को खुशहाल, आरामदायक व समृ्द्ध बनाना चाहता है. तो आइये सबसे पहले जानते है कि फेंगशुई है क्या?

' फेंगशुई ' चीन की  एक प्राचीन कला व विज्ञान है जो कि कुछ 6000 वर्ष पूर्व लोगों के सामने आई. फेंगशुई चीनी भाषा के दो शब्द ' फेंग ' और ' शुई ' से मिलकर बना है . जिसमें फेंग का अर्थ है ' जल ' और शुई का अर्थ है ' वायु ' . फेंगशुई  वातावरण, स्थान, उस स्थान में रहने वाले लोग , समय व इन सभी ऊर्जाओं का एक दूसरे पर क्या प्रभाव पड़ता है, इस पर आधारित है.

फेंगशुई एक ऐसी कला व विज्ञान है जिसके द्वारा हम हमारे आस पास के वातावरण व विभिन्न  ऊर्जाओं  के बीच सही संतुलन बनाकर एक खुशहाल व आरामदायक स्थान की रचना कर सकते हैं.
भारतीय वास्तु शास्त्र व फेंगशुई में थोड़ा अंतर है. यह भारत व चीन की जलवायु में अंतर के कारण है . भारतीय वास्तु पंचतत्व अर्थात अग्नि, वायु, जल, आकाश व पृ्थ्वी व आठ दिशाओं पर आधारित है व फेंगशुई के अंतर्गत जिन पंचतत्वों को प्रधानता दी गई है वे हैं - काष्ठ, अग्नि, पृ्थ्वी, धातु व जल.

फेंगशुई में  हमें यह छूट होती है कि यदि किसी स्थान में वास्तु दोष है और उस स्थान में तोड़ - फोड़ संभव न हो तो हम फेंगशुई के द्वारा उस स्थान को विशेष प्रकार की एक्सेसरीज़ जैसे विंड चाइम्स, शीशे, ड्रैगन, क्रिस्टल इत्यादि का प्रयोग करके वास्तु दोष के असर को बहुत हद तक सुधार सकते हैं.
चाहें भारतीय वास्तु शास्त्र हो या फेंगशुई दोनों ही विद्याओं का मूल उद्देश्य है हमारे आसपास के वातावरण  और हमारे जीवन में  सामंजस्य स्थापित कर एक सुखद संतुलन स्थापित करें जो हमें नाना प्रकार के उपद्रवों से बचाएं .

फेंगशुई के अंतर्गत 'ची' की बहुत अधिक महत्ता है . फेंगशुई के अनुसार 'ची ' एक अदृ्श्य शक्ति है जो सभी सजीव व निर्जीव पदार्थों में पायी जाती है . जो मुख्यत: दो प्रकार की होती है - प्राणवान ची व निष्प्राण ची . प्राणवान ची सकारात्मक व शुभ होती है व निष्प्राण ची नकारात्मक व दुष्परिणाम लाती है.

आइये ........ अब जानते हैं फेंगशुई की कुछ लाभदायक एक्सेसरीज़ के बारे में जिनको आप अपने निवास स्थान पर लगा के लाभ उठा सकते हैं.

1. ड्रैगन :  ड्रैगन ऊर्जा का प्रतीक है . अत: दुकान , कार्यालय , होटल आदि स्थानों में इसको पूर्व दिशा में लगाने से लाभ होता है .

2- तीन चीनी सिक्के : घर में सौभाग्य , संपत्ति लाने के लिए मुख्य द्वार के हैंडल पर घर के अंदर की तरफ , इनको लाल रंग के फीते से बाँध कर लटकाएं.

3- अष्ट्कोणीय दर्पण :  यदि आपके मुख्य द्वार के सामने सीधी सड़क, पेड़, दीवार या अन्य प्रकार की रुकावट हो तो दोष निवारण के लिए मुख्य द्वार के ऊपर घर के बाहर अष्ट्कोणीय दर्पण लगाएं.

4- हँसता हुआ बुद्धा { लाफिंग बुद्धा } : खुशहाली व धन- दौलत का प्रतीक है. इसको यदि घर की तिजोरी में रखा जाए तो धन में तेजी से वृ्द्धि होती है.

5- विंड चाइम्स  { पवन -घंटी } : ये मुख्यत: शांति व खुशियों का प्रतीक है . पाँच छड़ वाले विंड चाइम्स को अध्ययन कक्ष में लगायें. छ: छ़ड़ वाले विंड चाइम्स को ड्राइंग रुम में लगायें . सात छड़ वाले विंड चाइम्स को बच्चों के कमरे में लटकाना चाहिये . आठ छड़ वाले विंड चाइम्स का प्रयोग कार्यालय में करें तो बेहतर परिणाम देखने को मिलते हैं. नौ छड़ वाले विंड चाइम्स को अगर ड्राइंग रुम में लगाएं तो निराशा का अंत होता है .

6- क्रिस्टल ग्लोब या एजुकेशन टॉवर : व्यापार व कैरियर निर्माण में बेहतर परिणाम के लिए इनका प्रयोग किया जाता है . क्रिस्टल ग्लोब को दिन में तीन बार घुमाना चाहिये.

7- लुक, फुक, साऊ :  यह चीनी देवताओं की मूर्ति है जो सौभाग्य का प्रतीक होती है . इन्हें घर पर किसी भी शुद्ध स्थान पर स्थापित करने से सुखद परिणाम दृ्ष्टि गोचर  होते हैं.परंतु इस बात का विशेष  ध्यान दे कि इन तीनों देवताओं को घर में एक साथ रखा जाए.

8- लव बर्डस :  इनको शयनकक्ष में दक्षिण- पश्चिम कोने पर रखा जाना चाहिये. लव बर्डस जीवन में प्रेम -पूर्ण सामंजस्य स्थापित करने में मदद करते हैं .

9- दर्पण : परिवार की सुख - समृ्द्धि व स्वस्थ जीवन के लिए दर्पण को भोजनकक्ष में ऐसे स्थान पर लगायें जहाँ भोजन करते समय प्रतिबिंब दिखाई दे.

10- एक्वेरियम : घर में एक छोटे से एक्वेरियम में सुनहरी मछलियाँ पालना, सौभाग्य वर्धक होता है .ध्यान रहे कि एक्वेरियम में आठ मछलियाँ सुनहरी और एक काले रंग की होनी चाहिये . इसको मुख्य द्वार के समीप न रखें.

11- बैटल विद डेथ : यदि आपके घर में कोई लंबे समय से बिमार है तो इसे उसके बिस्तर के पास रखने से विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है.

12- स्फटिक श्री यंत्र / स्फटिक पिरामिड/ क्रिस्टल बॉल :  इसको ईशान या उत्तर दिशा में रखने से कार्यक्षमता बढ़ती है व व्यवसाय में चमत्कारी वृ्द्धि होती है.








 - ऋषभ शुक्ल


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धर्म, संस्कृ्ति व संस्कार

सीता की अग्निपरीक्षा  :




'रामायण' हमारे प्राचीन भारत की महागाथा .धर्म की अधर्म पर विजय की गाथा . कर्त्तव्यों , ज़िम्मेदारी, वचन, मर्यादा, छल, वीरता, पौरुष ,संघर्ष की कहानी. यूँ तो रामायण में समस्त पात्रों की अहम भूमिका है . परंतु मेरे अनुसार रामायण का केन्द्र बिंदु देवी सीता हैं. पूरी कहानी उन्हीं के इर्द-गिर्द है. सौंदर्य, पतिव्रत, धर्म, त्याग व स्नेह की प्रतिमूर्ति सीता का चरित्र आज भी प्रासंगिक है. राम की शक्ति हैं सीता, सौंदर्य का पर्याय हैं सीता. माना जाता है कि सीता के सदृ्श सौंदर्यवती का जन्म न उनके पूर्व हुआ था न पश्चात में. शोभा की निधि होने के बावजूद पतिव्रत, त्याग एवं स्नेह की साक्षात प्रतिमूर्ति सीता जी का उज्जवल चरित्र हमेशा से ही महिलाओं के लिये अनुकरणीय है.

राम जिस शक्ति से मनुष्य से भगवान बने उन सीता का नाम राम के पहले आता है. रावण के वैभव और वीरता के प्रसंगो से भी देवी सीता का मन नहीं डोला . सीता जी के ओज , वीरता , दृ्ढ़ निश्चय के आगे रावण का भी आत्मविश्वास हिल गया था.

धरती से प्रसूत हुईं देवी सीता लावण्या थीं . वे साहसी, स्वाभिमानी, वीर, संयमी, दयालु व आत्मविश्वास से परिपूर्ण थीं . परंतु आज के समय की विडंबना तो देखिये कि देवी सीता द्वारा दी गई अग्निपरीक्षा की परिभाषा ही बदल दी गई है. आज सीता की अग्निपरीक्षा का अर्थ यह समझा जाता है कि सीता की तरह हर स्त्री को अपने जीवन में अग्निपरीक्षा तो देनी ही पड़ेगी .

सीता ने अग्निपरीक्षा दी क्योंकि उन्हें पता था कि वे पवित्र हैं . फिर भी यह उनका स्वाभिमान था कि भविष्य में कोई उनके चरित्र पर लांछन लगाने की हिम्मत ना करे . देवी सीता ने विषम परिस्थितियों में भी अपना पतिव्रत धर्म नहीं त्यागा. वे अपनी ज़िम्मेदारियों से पीछे कभी ना हटीं. चाहे फिर अपनी स्वेच्छा से राम के साथ 14 वर्षीय वनवास का दृ्ढ़ निश्चय हो या रावण की कैद में भी स्वाभिमान व साहस के साथ अपने पतिव्रत धर्म का पालन करना हो.

आज के परिवेश् में अग्निपरी़क्षा की परिभाषा ही बदल दी गई है. आज के समाज में लोगों की विकृ्त मानसिकता के कारण स्त्रियों को अग्निपरीक्षा की दुहाई दी जाती है और उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे पग-पग पर खुद को सही व पवित्र होने का साक्ष्य दें. विरोध करने पर हमारे पुराणों की, सीता की अग्निपरीक्षा की याद दिलाई जाती है .फिर पति चाहे कितने ही ऐबों से लैस हो परंतु पत्नी को वो सीता जैसी होने का भाषण देने में कोई गुरेज नहीं करेगा.

कुछ समय पूर्व आई फिल्म 'लज्जा ' में इस मुद्दे को बड़ी ही गंभीरता से उठाया गया था कि काश ! सीता अग्निपरीक्षा न देतीं , तो आज औरतों को पग-पग पर अग्निपरीक्षा न देनी पड़ती. काश ! कोई राम से भी कहता अग्निपरीक्षा के लिये. फिल्म में आवाज़ उठाने वाले पात्र को जनता पीट-पीट कर अधमरा कर देती है .जैसा फिल्म में दिखाया गया वही हमारे समाज का कटु सत्य है. परंतु मुद्दा यह नहीं कि यदि सीता ने अग्निपरीक्षा दी तो आज हर स्त्री को अग्निपरीक्षा देनी होगी, ये धर्म कहता है ...... धर्म यह नहीं कहता क्योंकि अग्निपरीक्षा के बाद जब एक अधम जीव की बात पर राम ने देवी सीता को त्यागा तब उन्होंने पूर्ण स्वाभिमान के साथ प्रतिकूल परिस्थितियों में अकेलेदम अपनी संपूर्ण ज़िम्मेदारियों का साहस व स्वाभिमान के साथ पालन किया . देवी सीता ने न केवल दो बच्चों लव व कुश को जन्म दिया बल्कि उन्हें उपयुक्त शिक्षा- दीक्षा देकर योग्य बनाया. ये सीता की ही वीरता, संघर्ष , अनुभव, स्वाभिमान व साहस था कि लव-कुश जो कि मात्र सात-आठ वर्ष के बालक थे, उनके पराक्रम का लोहा भगवान राम ने भी माना, जिनके ओज, पौरुष व पराक्रम के पीछे परवरिश थी देवी सीता की.

उसके बाद जब राम ने सीता जी से पुन: अयोध्या वापस आने का आग्रह किया तब भगवान राम की इच्छानुसार वे दरबार गईं परंतु पुन: अग्निपरीक्षा नहीं दी अपितु सीता जी का ये स्वाभिमान ही था कि अपनी समस्त ज़िम्मेदारियों, कर्त्तव्यों को पूर्ण कर वे धरती में समा गईं. वो उनका पतिव्रत ही था कि उनकी पीड़ा देख स्वयं धरती ही फट गई... धरती से जन्मीं और धरती में ही लीन हो गईं महापराक्रमी जनकसुता देवी सीता.

रामायण में सीता जी का चरित्र ही मुख्य है. रावण जैसे अहंकारी व विनाशी राजा की मृ्त्यु व सर्वनाश का कारण हैं सीता. अपनी पवित्रता व स्वाभिमान की रक्षा की परिचायक हैं सीता , स्त्री शक्ति की द्योतक हैं सीता. श्री सीताजी का चरित्र अति दिव्य है, उनकी प्रत्येक लीला दिव्य है.

देवी सीता से हमारे समाज को यह सीख लेनी चाहिये कि विषम परिस्थितियों में भी पूर्ण स्वाभिमान के साथ अपनी ज़िम्मेदारियों का पालन करना ही आदर्श जीवन की परिभाषा है. और देवी सीता से यह सीख स्त्रियों के साथ -साथ पुरुषों को भी लेनी चाहिये न कि अग्निपरीक्षा के सही मायनों को दरकिनार करके पग-पग पर स्त्री को अपनी पवित्रता का साक्ष्य देने के लिये बाध्य करने की नीचता करनी चाहिये .

धर्म के ठेकेदारों को व अपने स्वार्थ और स्वयं की नीच मानसिकता के चलते स्त्रियों को सीता की अग्निपरीक्षा की दुहाई देने से पूर्व सर्वप्रथम पूरे होशो-हवास में रामायण का पुन: अध्ययन करना चाहिये खासकर सीता जी की जीवन गाथा का पुन: अध्ययन करें और उसके बाद ही लोगों को हमारे पुराणों व सीता की अग्निपरीक्षा की दुहाई देने की चेष्टा करें.


- ऋषभ शुक्ल


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Comments

  1. beautiful cover pages , all the illustrations are extra ordinary . very interesting n informative content . editorial, kadva sach , from the desk of adv. rajiv dhawan ...are my fav. of this issue . thanks


    Atul

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  2. Kaushal Rajput .9 August 2013 at 05:16

    very well designed and organised online magazine i hve ever seen. congrats .
    best wishes .

    - Kaushal Rajput .

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  3. मिथलेश बाजपई9 August 2013 at 05:21

    पिछले अंक की ही तरह इस बार का अंक भी बहुत रोचक है. विभिन्न महत्वपूर्ण जानकारियों को समेटे यह ई- पत्रिका किसी भी राष्ट्रीय पत्रिका से कमतर नहीं . संपादक मंडल को बधाई व आभार .

    मिथलेश बाजपई

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  4. GREAT TO FIND SOMETHING OF SUBSTANCE .WHAT I HAVE TO DO FOR ITS SUBSCRIPTION ?PLZ TELL.
    - RAJAT MALIK

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  5. Ansuiya Kashyap9 August 2013 at 05:44

    wow . I just love all the sections of this ezine . but if it is available in english ,then it must be a plus point because it helps the ezine expands globally .Though , i appreciate your idea . glad to find such great and glamourize stuff in our mother tongue hindi .. kudos to the swapnil saundarya ezine team.
    best wishes..................................

    * Ansuiya Kashyap

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  6. उमा कुमारी9 August 2013 at 05:58

    पत्रिका के कवर पेज बहुत ही आकर्षक लगे . सभी आलेख उच्च स्तरीय व ग्यानवर्धक लगे . शुभकामनायें !
    - उमा कुमारी

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  7. Thanks for providing such deep details about career in fashion technology . your ezine helped me a lot in taking a final decision abt my carrer in this field . thanks once again. keep rocking !
    - Harsha Mathur

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  8. Arrange this online magazine into prints . i am sure it will beat the cheap magazines available in bookstores now- a-days .
    think about my advice . becoz your magazine is truly awesome .
    - Sarita Jain

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  9. excellent . very different and useful content . great paintings .
    your magazine is visually very appealing and the content is mind blowing . keep it up

    Yashvant Singh

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  10. बहुत बढ़िया जानकारी व ई- पत्रिका .
    बधाई
    संगीता

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  11. Govind Shekhawat13 August 2013 at 06:12

    definitely this ezine must be graded as A+++++++++++++++++ .......
    no words for the magical graphics . hats off to the team
    congr8

    - Govind Shekhawat

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  12. very nice .love the poetry . very meaningful .
    - Urvashi Mishra

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  13. I also believe that beauty is in the eye of the beholder . and i love the points through which you have explained the meaning of beauty both inner and outer .
    besides , i also loved the recipe and fashion and lifestyle tips. congrats .
    - Sushila chandra

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  14. no subscription option .
    no pdf downloading .
    above two things are the -ve points of your beautiful online magazine .
    otherwise , kudos to the team for presenting something to think abt and something which is superior enough to read and put it into your study area if it can be available in prints :)
    looking forward for the swapnil saundaraya printed magazine .
    best wishes .

    - Anuradha Mittal

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  15. wow ...excellent stuff . extremely attractive and fascinating ezine.




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  16. विपुल दिक्षित14 August 2013 at 00:27

    विविध रंगों , कलाओं व महत्वपूरण जानकारियओं से लैस आपकी ई- पत्रिका सराहनीय है . बहुत अलग चीज़ पाठकों के समक्ष प्रस्तुत की है आपने . संपादक महोदय को अभिनंदन .
    शुभकामनाओं सहित .

    विपुल दिक्षित


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  17. lovely and great content .unique presentation

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